सरसों की फसल उत्पादन की सम्पूर्ण जानकारी

By: tractorchoice
Published on: 03-Nov-2023
सरसों की फसल उत्पादन की सम्पूर्ण जानकारी

सरसों का रबी की तिलहनी फसलो में एक प्रमुख स्थान है, सरसों की खेती सीमित सिचाई की दशा में भी अधिक लाभदायक फसल है, सरसों की फसल के लिए उन्नत विधियाँ अपनाने से उत्पादन एवं उत्पादकता में बहुत ही वृद्धि होती है।

सरसों की उन्नत किस्में

राई या सरसों के लिए बोई जाने वाली उन्नतशील किस्में है क्रांति, माया, वरुणा इसे हम टी-59 भी कहते है, पूसा बोल्ड, उर्वशी, नरेन्द्र राई,आशीर्वाद , शताब्दी , उर्वर्शी, NRCDR- 601, NRCDR - 2,NRCHB - 101, NRC - 6, NRC - 7, पूसा - 27 & 28 आदि की  बुवाई सिंचित दशा में की जाती है तथा असिंचित दशा में बोई जाने वाली सरसों की प्रजातियाँ जैसे की वरुणा, वैभव तथा वरदान, इत्यादि प्रजातियाँ को बवाई करना चाहिए।

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सरसों की फसल के लिए तापमान और मिट्टी    

सरसों की फसल के लिए 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान होना चाहिए, सरसों की फसल के लिए दोमट भूमि सर्वोतम होती है, जिसमे की जल निकास उचित प्रबन्ध होना चाहिएI

सरसों की बुवाई के लिए खेत की तैयारी 

सरसों की खेती के लिए खेत की तैयारी सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करनी चाहिए, इसके पश्चात दो से तीन जुताईयाँ देशी हल या कल्टीवेटर से करना चाहिए, इसकी जुताई करने के पश्चात पाटा लगा कर खेत को समतल करना अति आवश्यक हैंI

सरसों की बीज दर प्रति एकड़ कितनी मात्रा में होनी चाहिए?

सिंचित क्षेत्रो में सरसों की फसल की बुवाई के लिए 2 से 2.5 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ के दर से प्रयोग करना चाहिए। 

सरसों के बीज की बुवाई से पूर्व बीजो का शोधन किस तरह से करें? 

सरसों की फसल के लिए बीज जनित रोगों की सुरक्षा हेतु 2 से 5 ग्राम थीरम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करके बोना चाहिए।

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सरसों के बीज की बुवाई के लिए उपयुक्त समय क्या है, यह कैसे निर्धारित करें?

सरसों की बुवाई का उपयुक्त समय अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के प्रथम सप्ताह तक है, सरसों की बुवाई देशी हल के पीछे 5 से 6 सेंटी मीटर गहरे कतारों में 45 सेंटी मीटर की दूरी पर  करना चाहिए।

सरसों की फसल में सिंचाई प्रबंधन  

सरसों की फसल में पहली सिंचाई फूल आने के समय तथा दूसरी सिचाई फलियाँ में दाने भरने की अवस्था में करना चाहिए, यदि जाड़े में वर्षा हो जाती है, तो दूसरी सिचाई न भी करें तो उपज अच्छी प्राप्त हो जाती है।

सरसों की फसल में पोषण प्रबंधन   

सरसों की खेती के लिए 20 क्विंटल गोबर की सड़ी हुई खाद को बुवाई से पूर्व अंतिम जुताई के समय खेत में मिला देना चाहिए तथा सिंचित दशा में 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 20 किलोग्राम फास्फोरस तथा 20 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करते हैं, नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई से पहले, अंतिम जुताई के समय खेत में मिला देना चाहिए, शेष आधी नाइट्रोजन की मात्रा बुवाई के 25 से 30 दिन बाद टापड्रेसिग रूप में प्रयोग करना चाहिएI

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सरसों की फसल में खरपतवार नियंत्रण

सरसों की खेती में बुवाई के 15 से 20 दिन बाद घने पौधों को निकाल कर उनकी आपसी दूरी 15 सेन्टीमीटर कर देनी चाहिए, खरपतवार नष्ट करने के लिए एक निराई गुड़ाई सिचाई के पहले और दूसरी सिचाई के बाद करें, रसायन द्वारा खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडामेथालिन 30 ई.सी. रसायन की 1.5 लीटर मात्रा को प्रति एकड़ की दर से 200 से 250 लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करना चाहिए, बुवाई के 2-3 दिन अंतर पर यह छिडकाव करना अति आवश्यक है। 

फसल की कटाई और उपज

सरसों की फसल में जब 75% फलियाँ सुनहरे रंग की हो जाए, तब फसल को काटकर, सुखाकर या मड़ाई करके बीज अलग कर लेना चाहिए, सरसों के बीज को अच्छी तरह सुखाकर ही भण्डारण करना चाहिए। असिंचित क्षेत्रो में इसकी पैदावार 8 से 10 क्विंटल तक तथा सिंचित क्षेत्रो में 10 से 14 क्विंटल प्रति एकड़ तक प्राप्त हो जाती हैं।

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