तारामीरा की खेती से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

By: tractorchoice
Published on: 24-Mar-2025
Golden Bloom: Fields of Prosperity

किसान साथियों, जैसा कि हम सब जानते हैं कि भारत एक कृषि समृद्ध देश है। यहां काफी बड़े पैमाने पर किसान अलग-अलग किस्मों की खेती करते हैं। 

आज हम तारामीरा की खेती के बारे में बात करने वाले हैं। ट्रैक्टरचॉइस के इस लेख में हम जानेंगे तारामीरा की खेती से जुड़ी हर छोटी से बड़ी बात के बारे में। 

तारामीरा की खेती सबसे ज्यादा बारानी इलाकों जैसे राजस्थान के नागौर, पाली, बीकानेर, बाड़मेर और जयपुर जैसे जनपदों में की जाती है। 

समय 

नमी की उपलब्धता के आधार पर इसकी बुवाई 15 सितंबर से 15 अक्टूबर के दौरान की जाती है।

मिट्टी 

तारामीरा की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी सबसे ज्यादा अनुकूल होती है। 

खेत की तैयारी  

तारामीरा की खेती के लिए खेत की 2 बार गहरी जुताई करनी चाहिए।   

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उन्नत किस्में व उपज 

  • टी – 27 (1976)  

यह किस्म बारानी क्षेत्रों में बुवाई के लिये उपयुक्त हैं। इसकी औसत उपज 6-8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा पकाव अवधि 150 दिन है। इसमें 35-36 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है व सूखे के प्रति सहनशील है।

  • टार.एम. टी – 314  

यह किस्म बारानी क्षेत्रों में बुवाई के लिये उपयुक्त हैं। इसकी औसत उपज 12-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा पकाव अवधि 130-140 दिन है। इसमें 36.9 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है। इसके हजार दानों का वजन 3-5 ग्राम व इसकी शाखाएं फैली हुई होती है।

बीज उपचार  

एक हैक्टेयर खेत के लिए 5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बिजाई से पहले 2.5 ग्राम मैंकोजेब प्रति किलो बीज की दर से बीज उपचारित करें।

बिजाई

बारानी क्षेत्र में तारामीरा की बुवाई का समय मिट्टी की नमी व तापमान के आधार पर किया जाता है। नमी के अनुसार तारामीरा की बुवाई 15 सितंबर से 15 अक्टूबर तक करनी चाहिए। तारामीरा के बीजों की बिजाई कतारों में करें और कतार से कतार का फासला 40-45 सेंटीमीटर तक रखें।

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सिंचाई 

अगर किसान के पास सिंचाई के पर्याप्त साधन हैं तो 40 से 50 दिन में पहली सिंचाई करनी चाहिए। तारामीरा में जरूरत पडने पर दूसरी सिंचाई दाना बनने के समय करनी चाहिए।

निराई – गुड़ाई 

तारामीरा की फसल में खरपतवारों के नियंत्रण के लिए बुवाई के 20 से 25 दिन बाद निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। यदि पौधों की तादात ज्यादा हो तो बुवाई 20 से 25 दिन बाद अनावश्यक पौधों को निकालकर पौधे से पौधे की दूरी 8-10 सेन्टीमीटर कर दें।

निष्कर्ष -

तारामीरा की खेती किसानों के लिए अच्छी आमदनी करने का एक बेहतरीन विकल्प है। किसान अपनी जमीन और जलवायु के आधार पर तारामीरा की किस्म का चयन कर अच्छी उपज और मुनाफा दोनों कमा सकते हैं। 

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