आम को फलों का राजा कहा जाता है, और भारत में शायद ही कोई होगा जो इसकी मिठास और स्वाद का दीवाना न हो। खासकर गर्मियों में लोग आम को सीधे खाते हैं या शेक और डेज़र्ट्स में इसका लुत्फ उठाते हैं।
जैसे-जैसे गर्मियों का मौसम नजदीक आता है, बाजार में आम की मांग तेज़ी से बढ़ने लगती है। यही वजह है कि आम उत्पादक किसान इस समय का लाभ उठाकर अच्छी आमदनी कर सकते हैं।
इस लेख में हम आपको उत्तर प्रदेश की प्रसिद्ध आम की किस्मों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे, जिनकी मांग देशभर में रहती है।
लंगड़ा आम उत्तर प्रदेश की सबसे प्रसिद्ध किस्मों में से एक है। इसका नामकरण एक पुजारी के नाम पर हुआ था, जो शारीरिक रूप से विकलांग था।
कहा जाता है कि 250 साल पहले बनारस के एक मंदिर में एक साधु ने उस पुजारी को दो आम के पौधे दिए। जब उन पेड़ों में फल लगे तो उन्हें भगवान शिव को अर्पित किया गया। बाद में यह आम “लंगड़ा आम” के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
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चौसा आम स्वाद, रस और मिठास के लिए जाना जाता है। यह आम जुलाई के महीने में बाज़ार में आता है और अपनी विशेष सुगंध और स्वाद से लोगों को आकर्षित करता है।
इतिहास: 1539 में शेरशाह सूरी ने हुमायूँ से युद्ध जीतने के बाद इस आम का नाम "चौसा" रखा था।
हुस्नआरा आम लखनऊ की शान है। यह आम सिर्फ स्वाद में ही नहीं, बल्कि देखने में भी बेहद आकर्षक होता है। इसका छिलका सेब जैसा होता है।
सफेदा आम अपनी खट्टी-मीठी तासीर और कम फाइबर कंटेंट के लिए जाना जाता है। इसका छिलका पकने पर हल्के सफेदपन के साथ चमकीला पीला हो जाता है।
रतौल आम का नाम यूपी के बागपत जिले के रतौल गांव पर रखा गया है। यह आम छोटा लेकिन स्वाद में जबरदस्त होता है।
गौरजीत आम भले ही बाकी किस्मों की तरह प्रसिद्ध न हो, लेकिन इसका स्वाद इसे खास बनाता है। यह गोरखपुर और तराई क्षेत्र में खूब पसंद किया जाता है।
प्रश्न: चौसा आम का नामकरण किसने किया था?
उत्तर: शेर शाह सूरी ने 1539 में हुमायूँ से युद्ध जीतने के बाद इस आम को "चौसा" नाम दिया।
प्रश्न: हुस्नआरा आम मूल रूप से कहाँ का है?
उत्तर: हुस्नआरा आम लखनऊ की प्रसिद्ध किस्म है।
प्रश्न: गौरजीत आम बाजार में कब आता है?
उत्तर: यह आम मई के मध्य में पकता है और जून के मध्य तक बाजार में आने लगता है।