धान की खेती को प्रभावित करने वाले कीट व रोग और इनकी रोकथाम

By: tractorchoice
Published on: 22-Jul-2025
धान की खेती को प्रभावित करने वाले कीट व रोग और इनकी रोकथाम

भारत में धान की खेती या चावल की खेती एक प्रमुख फसल है। यह खरीफ (मानसून) के मौसम में उगाई जाती है और इसके लिए बेहतरीन जलधारण क्षमता वाली मिट्टी, जैसे कि चिकनी या मटियार दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है।

सिंचाई की शानदार व्यवस्था और प्रबंधन के साथ ज्यादातर मिट्टी में धान की खेती कर अच्छी-खासी उपज प्राप्त की जा सकती है।

भारत के अंदर धान एक प्रमुख खाद्य फसलों में से एक है। धान में कई कीटों से हानि का खतरा होता है। कुछ सामान्य कीट जो धान की फसलों को हानि पहुंचा सकते हैं, उनमें स्टेम बोरर, लीफ फोल्डर, ब्राउन प्लांट हॉपर और चावल के कीड़े शम्मिलित हैं। 

इन कीटों से फसलीय सुरक्षा के लिए किसान सांस्कृतिक प्रथाओं, जैविक नियंत्रण और रासायनिक नियंत्रण जैसे विभिन्न तरीकों का उपयोग कर सकते हैं।

धान में लगने वाले प्रमुख कीट ?

धान को नुकसान पहुँचाने वाले प्रमुख कीट निम्नलिखित हैं :-

भूरा फुदका कीट / ब्राउन प्लांट हॉपर (बी.पी.एच)

  • भूरा फुदका कीट हल्के भूरे रंग का होता है, जो पौधों के निचले भाग या मिट्टी के आस-पास पाए जाते हैं। भूरा फुदका कीट / ब्राउन प्लांट हॉपर कीट निम्नलिखित तरीके से फसल को नुकसान पहुँचाता है:- 
  • भूरा फुदका कीट पौधों के तने एवं पत्तियों का रस चूसते हैं।
  • भूरा फुदका कीट प्रभावित पौधों की पत्तियों की ऊपरी सतह पर काले रंग के फफूंद दिखाई देते हैं। 
  • काले रंग के फफूंद से प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में काफी बाधा आती है और पौधे सूखने लगते हैं।
  • भूरा फुदका कीट का प्रकोप रोपाई के 80 से 90 दिनों बाद बालियों में दाने भरने के समय दिखाई पड़ता है।
  • भूरा फुदका कीट से प्रभावित पौधे काफी तीव्रता से सूखने लगते हैं, फलस्वरूप पैदावार में काफी कमी आती है।

रोकथाम 

  • नियमित अंतराल पर फसल का निरीक्षण करें और कीट की उपस्थिति को मापें।
  • खेत को खरपतवारों से मुक्त रखने से कीट का प्रकोप कम होता है।
  • अधिक मात्रा में यूरिया का प्रयोग न करें, क्योंकि इससे कीट की वृद्धि हो सकती है।
  • कीटनाशक दवाओं को पौधों के निचले भाग में ही छिड़काव करें।
  • इसके लिए एसिटामिप्रिड 20% SP: 20 से 40 ग्राम प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL: 40 से 50 मिलीलीटर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
  • बुप्रोफेजीन 23.10% + फिप्रोनिल 3.85 SC: 300 मिलीलीटर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।

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पत्ती लपेटक कीट / लीफ फोल्डर

  • यह कीट पीले से हरे रंग का होता है। समूह में धान की पत्तियों पर अंडे देते हैं, जिससे सुंडियां निकलती हैं।
  • पत्तियों के मुलायम हिस्सों को खाकर पत्तियों को किनारे से मुड़ने लगती है।
  • पत्तियों को अंदर से खुरच कर खाते हैं और उनका रस चूसते हैं, जिससे पत्तियां सफेद हो जाती हैं।
  • पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है।
  • पौधे का विकास रुक जाता है और अंत में पौधा कमजोर होकर नष्ट हो जाता है।

रोकथाम 

  • अगर संभव हो तो कीट के अंडों के समूह को नष्ट कर दें।
  • खेत में खरपतवारों का नियंत्रण रखें, जिससे कीटों का आक्रमण कम हो सके।
  • थियामेथोक्सम 25% W.G (देहात एसीयर): 40-80 ग्राम प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
  • क्लोरपाइरीफॉस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% E.C (देहात सी स्क्वायर): 250-400 मिलीलीटर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
  • लम्ब्डासाइलोथ्रिन 5% E.C (सिंजेंटा कराटे): 100 मिलीलीटर प्रति 200-250 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

तना छेदक (राइस स्टेम बोरर)

  • तना छेदक पत्तियों और तनों को खा कर उनको अंदर से खोखला बना देते हैं, जिससे पौधे पीले पड़ जाते हैं।
  • तना छेदक कीट के संक्रमण से पौधों में बालियां नहीं निकलती हैं।
  • तना छेदक की लार्वा धान के टिलर्स को खाते हैं, जिससे फसल में 'डेड हर्ट' या 'सूखने' जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
  • धान में ज्यादा नाइट्रोजन उर्वरक और बुवाई में देरी की वजह तना छेदक कीट की संख्या बढ़ सकती है।

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रोकथाम 

देहात मैक्सियन (थियामेथोक्सम 1% + क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 0.5% जीआर) दवा को प्रति एकड़ खेत में 2400 ग्राम प्रति एकड़ उपयोग करें। इसको पानी में मिलाकर धान की फसल पर एक समान रूप से छिड़काव करें। 

देहात कारटैप एस.पी (कारटैप हाइड्रोक्लोराइड 50% SP) दवा को प्रति एकड़ धान के खेत में 7.5 से 10 किग्रा प्रति एकड़ इस्तेमाल करें। 

क्लोरपाइरीफॉस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% E.C (देहात सी स्क्वायर): 250-400 मिलीलीटर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें। अलांटो (थियाक्लोप्रिड 21.7% SC ) दवा प्रति एकड़ धान के खेत में 200 मिली प्रति एकड़ घोलकर बराबर रूप से स्प्रे करें।

गंधी बग

गंधी बग खेत में दुर्गंध पैदा करता है। शिशु एवं वयस्क कीट दानों में दूधिया अवस्था में दूध चूसते हैं। बालियों में दाने नहीं बन पाते और वे पोचे रह जाते हैं।

दानों पर किए गए छेदों के चारों ओर काले या भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। गंधी बग कीट से प्रभावित अनाज भुरभुरा हो जाता है। प्रभावित दानों में छेद के साथ काले रंग के धब्बे हो जाते हैं। 

गंधी बग के प्रकोप के लिए खरपतवार, गर्म मौसम, और लगातार बारिश अनुकूल रहते हैं। यह कीट आमतौर पर वर्षा आधारित और ऊपरी भूमि वाले धान में ज्यादा पाए जाते हैं।

नियंत्रण

एसीफेट 75 एस.पी दवा को 266 से 400 ग्राम प्रति एकड़ पानी में मिलाकर छिड़काव करें। नीम का तेल 10,000 पी.पी.एम 200 मिलीलीटर प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करें। थियामेथोक्सम 25% W.G (देहात एसीयर): 40-80 ग्राम प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें। 

वोलियाम फ्लेक्सी (क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 8.8% + थियामेथोक्सम 17.5% w/w एससी) दवा को 240 मिलीलीटर प्रति एकड़ खेत में अच्छी तरह मिला कर छिड़काव करें।

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रस चूसक कीट

पौधों की कोमल पत्तियों का रस चूसकर पौधों को कमजोर कर देते हैं। पत्तियां ऊपर या नीचे की तरफ मुड़ने लगती है। पौधों के विकास में बाधा आती है।

नियंत्रण

थियामेथोक्सम 25% W.G (देहात एसियर): 200 लीटर पानी में 100 ग्राम दवा को मिलाकर छिड़काव करें। एसिटामिप्रिड 20% एसपी (टाटा माणिक): प्रति एकड़ खेत में 200 लीटर पानी में 80 ग्राम दवा को मिलाकर छिड़काव करें।

थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC (देहात एंटोकिल): 80 मिलीलीटर को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें। 

क्लोरपाइरीफॉस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% EC (देहात सी-स्क्वायर): 200 लीटर पानी में 300 मिलीलीटर घोल बनाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

धान हिप्सा कीट

पौधों की पत्तियों को खाते हैं, जिससे पत्तियों पर सफेद रंग की धारियां बन जाती हैं और पत्तियां सूखने लगती हैं।

रोकथाम 

प्रभावित पत्तियों और तनों को नष्ट कर दें। मेढ़ों से खरपतवार निकाल कर नष्ट कर दें। नाइट्रोजन युक्त उर्वरक का अधिक प्रयोग न करें। तफाबान (क्लोरोपाइरीफॉस 20% ईसी) दवा को धान में 600 से 750 मि.ली प्रति एकड़ छिड़काव करें।

कैल्डन 50 SP (कारटैप हाइड्रोक्लोराइड 50% SP) दवा को प्रति एकड़ धान के खेत में 7.5 से 10 किग्रा प्रति एकड़ इस्तेमाल करें।



प्रश्न : धान को हानि पहुँचाने वाले प्रमुख कीट कौन-कौन से हैं ?

उत्तर : धान की फसल में स्टेम बोरर, पत्ती फोल्डर, ब्राउन प्लांट हॉपर, जो पौधों का रस चूसते हैं, जिससे पत्तियां पीली होकर सूख जाती हैं।

प्रश्न : धान का मुख्य रोग क्या है ?

उत्तर : धान का मुख्य रोग ब्लास्ट रोग है। 

प्रश्न : धान की प्रमुख किस्में कौन कौन सी है ?

उत्तर : धान की कुछ प्रमुख किस्मों में बासमती, पूसा बासमती 1121, पूसा बासमती 1509, जया, रत्ना, आई.आर. 36, पंकज, जगन्नाथ और स्वर्ण शामिल हैं।  

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