अगस्त माह के कृषि कार्यों की महत्वपूर्ण जानकारी

By: tractorchoice
Published on: 05-Aug-2025
अगस्त माह के कृषि कार्यों की महत्वपूर्ण जानकारी

फसल चक्र यानि की क्राप रोटेशन अलग-अलग तरह की फसलों को तय समय में तय क्रम के आधार पर बोने की विधि को ही फसल चक्र कहा जाता है। चारे की फसलों जैसे ज्वार, बाजरा, नेपियर, बरबटी आदि की कटाई की जाती है।

सूरजमुखी की फसल खाली खेतों में लगाते हैं। अगस्त महीने के आखरी दिनों में रामतिल की फसल लगाते हैं। गन्ने एवं मूंगफली की निदाई करते हैं और गुड़ाई करते हैं। उसके बाद उस पर मिट्टी चढ़ायी जाती है। 

धान की फसल में उर्वरक की काफी ज्यादा मात्रा पाई जाती है। धान, ज्वार, अरहर, मूंग, उड़द, मक्का, सोयाबीन इत्यादि फसलों के खरपतवार निकाली जाती हैं, गुड़ाई की जाती है।

मूंगफली में फूल लगने शुरु हो जाने के बाद मिट्टी चढ़ाते हैं। इस महीने में अगर मक्के की फसल तैयार हो गई है तो भुट्टे तोड़ लेते हैं। और फिर खेत को रबी की फसल के लिये तैयार करते हैं। 

आम के नये बगीचे लगता हैं। अमरुद के नये बगीचे इस समय लगाते हैं। पपीता में खाद देते हैं। भिण्डी और बरबटी की तुड़ाई करते हैं। सभी फसलों को कीटनाशक, फंफूदीनाशक दवाईयों द्वारा कीड़ो, बीमारियों से बचाते हैं। 

अगस्त माह जिसे आप श्रावण-भाद्रपद भी कहते है, बरसात की झडी लगा देता है तथा चारों तरफ हरियाली से भर देता है। खुशी के साथ-साथ मच्छरों से मलेरिया व डेंगू का प्रकोप तथा पशुओं में खुरपका-मुहपका रोग भी फैलने लगता है। फसलों में भी कीटों तथा बिमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है।

अगस्त माह के कृषि कार्य 

अगस्त माह के कृषि कार्य निम्नलिखित हैं :-

गन्ना

अगस्त में गन्ने को बांधे तांकि फसल गिरने से बचे तथा पौध संरक्षण पर पूरा ध्यान दें। क्योंकि इस माह काफी कीट व बीमारियां लगने का भय रहता है। 

अगोला बेधक, पायरिल्ला, गुरदासपुर बोरर तथा जडबेधक कीटों का पिछले महीनों में बताये तरीकों से रोकथाम करें । रत्ता रोग फफूंद के कारण लगता है। 

पत्ते पीले पड़ जाते हैं, गन्ना पिचक जाता हैं तथा उस पर काले दाग पड जाते हैं तथा गन्ना बीच से लाल हो जाता है जिससे सफेद आडी पट्टियां दिखाई देती हैं तथा गन्ने से शराब की सी बू आती है। 

रोकथाम के लिए रोगी पौधों को निकाल कर जला दें । बीमारी वाली फसल जल्दी काट लें । बीमारी वाले खेत से मोठी फसला न लें तथा 1 साल तक गळ्यान न बोर्ये । 

रोगरोधी किस्म सी। ओ। एस-७६७ लगायें। सोका रोग भी फफूंद के कारण होता है तथा इसमें पत्ते सूख जाते हैं , गन्ने हल्के व खोखले हो जाते हैं। रोकथाम के लिए बिजाई स्वस्थ्य पोरियों से करें तथा रोगी खेत में कम से कम तीन साल तक अलग फसल चक्र अपनाऍ ।

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मक्का

वर्षां का पानी मक्का के खेत में खडा नहीं रहना चाहिए। इसका निकास लगातार होते रहना चाहिए । खरपतवार खेत से बराबर निकालते रहें। 

देर से बुआई वाली फसल में पौधे घुटनों की ऊंचाई पर आ गये होंगे वहां नत्रजन की दूसरी किस्त एक बोरा यूरिया लगाएँ। जहां अगस्त में मक्का की फसल में झंडे आने लग गये है वहां नत्रजन की तीसरी किस्त एक बोरा यूरिया पौधों के आसपास डालें। 

मक्का में लगने वाले कीटों का उपचार पिछले माह में बताया जा चुका है। बीमारियों में बीज गलन, पीथियम तना गलन, जीवाणु तना गलन, पत्ता अंगमारी तथा डाऊनी मिल्डयु है। इन रोगों के सामूहिक रोकथाम के लिए जून माह में बताया जा चुका है । रोगी पौधों को खेत से निकाल कर नष्ट कर दें।

दलहनी फसल

मूंग, उडद, लोबिया, अरहर, सोयाबीन - इस प्रकार की दलहनी फसलों में फूल आने पर मिट्टी में हल्की नमी बनाये रखें इससे फूल झडेगें नही तथा अधिक फलियां लगेगी व दाने भी मोटे तथा स्वस्थ्य होंगे परंतु खेतों में वर्षा का पानी खडा नहीं होना चाहिए तथा जलनिकास अच्छा होना चाहिए। 

इन दलहनी फसलों में फलीछेदक कीड़े का प्रकोप भी इसी महीने आता है। इसके लिए जब ७०% प्रतिशत फलियां आ जाएं तो ६०० मि.ली. एण्डोसल्फान ३५ ईसी या ३०० मि.ली.। मोनोक्रटोफास ३६ एस एल को ३०० लीटर पानी में घोलकर छिडके। जरूरत पडने पर १७ दिन बाद फिर छिडकाव कर सकते हैं ।

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मूंगफली

यदि मूंगफली में फूल आने की अवस्था है तो सिंचाई अवश्य करें तथा दूसरी सिंचाई फल लगने पर जरूरी है इससे मूंगफली की सूइयां जमीन में आसानी से घुस जाती है। 

मूंगफली फसल बोने के ४० दिन बाद इनडोल ऐसिटिक एसिड ०.७ ग्राम को एल्कोहल (७ मि. ली. ) में घोलें तथा १०० लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिडकें फिर 1 सप्ताह बाद ६ मि. ली. इथरल (४० प्रतिशत) १०० लीटर पानी में घोलकर छिडकने से मूगफली की पैदावार १७ से २७ प्रतिशत तक बढ़ जाती है। मूंगफली तथा तिल में कीडों तथा बीमारियों की रोकथाम जुलाई माह में बता चुके हैं।

चारा

किसान भाई जून-जुलाई में लगाई फसलों से कुछ चारा पशुओं के लिए प्राप्त कर सकते हैं ।

सब्जियां

फूल आने के एक सप्ताह बाद फल उतार लें नहीं तो फल रेशेदार होने से कम कीमत मिलती है । खेत में नमी बनाये रखें तथा २० कि.ग्रा. यूरिया छिडके। 

कीडों में फलीछेदक को फूल आने से पहले ५०० मि.ली. मैलाथियान ७० ई सी का छिडकाव करें । इसके बाद ७ दिन तक फल न उतारें। रोगों की रोकथाम स्वथ्य बीजोपचार से ही संभव है।

बैंगन व टमाटर

बैंगन व टमाटर की पौध जुलाई अन्त में अगर नहीं लगाई तो अगस्त में रोपाई कर दें । विधि जुलाई माह में बता चुके है । अगस्त माह में खरपतवार नियंत्रण तथा खेत में उचित नमी बनाये रखें तथा अतिरिक्त पानी का निकास करते रहें । १/२ बोरा यूरिया रोपाई के ३ सप्ताह बाद दें ।

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खीरा

खीरा तथा अन्य सब्जियों में फल छेदक कीडों का हमला होने का खतरा बना रहता है। किसान भाइयों को दवाईयों का छिडकाव समय-समय पर करते रहना चाहिए। परंतु दवाई छिडकने के एक सप्ताह बाद ही फल तोड़े तथा पानी से सब्जी अच्छी तरह धोये। इस फसल में १/२ बोरा यूरिया छिटकें इससे फल अच्छे लगेगें।

पत्तागोभी व फूलगोभी

पत्तागोभी व फूलगोभी की अगेती फसल के लिए अगस्त में नर्सरी लगाएं। पत्तागोभी की गोल्डन एकड तथा पूसा मुक्ता व फूलगोभी की पूसा सिंथेटिक, पूसा सुभद्रा तथा पूसा हिमज्योति किस्में चुनें। २७० ग्राम बीज को 1 ग्राम केप्टान से उपचारित कर 1 फुट चौडे व सुविधानुसार लम्बे व ऊचीं नर्सरी शैया में लगाएं। 

बीच में अच्छी चौडी नालियां रखें। नर्सरी में सड़ी-गली खाद अच्छी मात्रा में मिला दें। नर्सरी में बीज लगाने के बाद उचित नमी बनाये रखें तथा धूप से भी बचाएं। पौध की रोपाई सितम्बर में करें।

गाजर - मूली

गाजर - मूली की अगेती फसल के लिए अगस्त में बोवाई करें। गाजर की पूसा केसर तथा पूसा मेघाली किस्मों को २-२.७ कि. ग्रा. बीज को १-१.७ फुट दूर लाइनों में आधा इंच गहरा लगाएं। 

मूली की पूसा देशी किस्म का ३-४ कि. ग्रा. बीज 1 फुट लाइनों में तथा ६ इंच दूरी पौधों में रखकर लगायें। बोने से पहले खेतों में आधा बोरा यूरिया 1 बोरा सिंगल सुपर फास्फेट तथा आधा बोरा मयूरेट आफ पोटाश डालें। मूली व गाजर में बहुत पानी की जरूरत पडती है तथा हर ४-५ दिन में फसलों को पानी चाहिए।

बागवानी

नींबू व लीची में गुट्टी बाधने के लिए अगस्त उचित समय है। बरसात में बागों में जल निकास तथा खरपतवार नियंत्रण पर ज्यादा ध्यान दें तथा बीमारी फैलने की स्थिति में तुरंत उपचार करें। 

अगस्त माह के अंत तक पपीते की पौध भी गड़ढ़ों में लगाई जा सकती है। इसके लिए गड्ढ़े, अच्छी मिट्टी व देशी खाद से उपर तक भर लें तथा दीमक से बचाब के लिए २० मि.ली. क्लोरपाइरीफास डालें।

फूल

ग्रीष्म ऋतु के फलों का समय पूरा हो गया है। इन्हें घीरे-धीरे निकाल दें तथा क्यारियों को खुदाई कर दें। मिट्टी को रोगरहित बनाने के लिए दवाईयां डालें। सर्दियों के फूलों की बीजाई की तैयारी शुरू कर दें।


प्रश्न : अगस्त माह में क्या-क्या कृषि कार्य किये जाते हैं ? 

उत्तर : अगस्त का महीना खरीफ फसलों (जैसे धान, मक्का, बाजरा, सोयाबीन, मूंगफली, आदि) की देखभाल और रबी फसलों की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण होता है। 

प्रश्न : अगस्त माह में कीटों का कितना खतरा होता है ?

उत्तर : अगस्त माह में खासकर खरीफ की फसलों में कीटों का खतरा बढ़ जाता है। क्योंकि बारिश और नमी के कारण कीटों और बीमारियों को पनपने का अनुकूल माहौल मिल जाता है। 

प्रश्न : अगस्त माह में कीटों से बचाव के क्या उपाय हैं ?

उत्तर : अगस्त महीने में फसलों को कीटों से बचाने के लिए, किसानों को समय पर फसल चक्रण, रोगरोधी किस्मों का उपयोग, बीजोपचार और उचित कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए।

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