ट्रैक्टर कृषि क्षेत्र में उपयोग होने वाला महत्वपूर्ण कृषि यंत्र है। यह एक कम गति वाला वाहन है। किसान आमतौर पर भारी भार ढोने और खेतों में हल जैसी मशीनों को खींचने के लिए ट्रैक्टर का उपयोग करते हैं। भारी भार क्षमता के कारण इनका उपयोग अक्सर खनन कार्यों और निर्माण में किया जाता है।
किसान साथियों ट्रैक्टरचॉइस के इस लेख में आज हम जानेंगे दुनिया के पहले ट्रैक्टर और भारत के पहले ट्रैक्टर के बारे में आपको जानकारी प्रदान करेंगे।
हालांकि, आजकल ट्रैक्टर का इस्तेमाल आधुनिक कृषि में प्रमुख उपकरण के तौर पर किया जाता है। इसकी मदद से कठिन काम भी काफी आसानी से किया जा सकता है।
इसके अलावा ट्रैक्टर कृषि उपकरण खींचने का काम भी करता है, जिसमें सामान लदी ट्राली आदि शामिल है।
सभी ट्रैक्टर की बनावट में तीन भाग होते हैं एक इंजन और उसके साधन, पावर ट्रांसमिटिंग सिस्टम, चेजिस। ट्रैक्टर दो प्रकार के होते हैं। इसमें से एक चक्र ट्रैक्टर और दूसरा ट्रैक ट्रैक्टर है।
चक्र टैक्टर का इस्तेमाल कृषि से जुड़े कार्यों में किया जाता है। ये ट्रैक्टर तीन या चार पहिए वाला होता। ट्रैक टैक्टर भारी कामों के लिए उपयोग किया जाता है, जिसमें बांध और औद्योगिक के कार्य शामिल हैं। कृषि क्षेत्र में इसका कम उपयोग किया जाता है।
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सबसे पहले शक्ति-चालित कृषि उपकरण 19वीं शताब्दी के आरम्भ में आए थे। इनके पहिओं पर एक भाप का इंजन हुआ करता था। यह बेल्ट की मदद से कृषि उपकरण को चलाता था।
पहले भाप इंजन का आविष्कार 1812 में रिचर्ड ट्रेविथिक ने किया था, जिसे बार्न इंजन के तौर पर जाना जाता था। इसका इस्तेमाल मकई निकालने के लिए किया जाता था।
1903 में दो अमरीकी चार्ल्स डब्ल्यू. हार्ट और चार्ल्स एच. पार्र ने दो-सिलेंडर वाले ईंधन से चलने वाले इंजन का उपयोग करते हुए सफलतापूर्वक पहला ट्रैक्टर बनाया था, जिसका इस्तेमाल भी काफी हुआ। इसके बाद 1916-1922 के बीच लगभग 100 से अधिक कंपनियां कृषि ट्रैक्टर का उत्पादन कर रही थी।
जॉन डीयर ने पहला स्टील हल 1837 में बनाया और 1927 तक पहले ट्रैक्टर और स्टील के हल का तालमेल तैयार किया। इसका इस्तेमाल उत्पादकता को बढ़ाने और खेतों को तीन पंक्तियों में जोतने के लिए किया गया। 1930 ट्रैक्टरों में स्टील के पहिये होते थे।
लेकिन, बाद में रबर के पहिये लगाये गए और इसके बाद जॉन डीयर ट्रैक्टर के मॉडल ‘आर’ को पेश किया गया था। इसकी शक्ति 40 हॉर्सपावर से भी ज्यादा थी। ये पहला डीजल ट्रैक्टर भी था। इसी के साथ जॉन डीयर किसानों को ट्रैक्टर की पेशकश करने वाले पहले निर्माता बन गए।
विश्वभर में भारत को कृषि प्रधान देश के रूप में भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भारत में ट्रैक्टर की शुरुआत स्वतंत्रता के बाद ‘हरित क्रांति’ से हुई थी।
जहां ट्रैक्टर का इस्तेमाल काफी तेजी से हुआ था। भारत ने ट्रैक्टरों का निर्माण 1950 और 1960 के दशक में शूरू किया था।
प्रश्न : दुनिया का सबसे पहला ट्रैक्टर कब और कहाँ बना था ?
उत्तर : 1892 में जॉन फ्रोलिक ने एक ऐसा ट्रैक्टर बनाया जो भाप इंजन से चलता था और उसे "फ्रोलिक का ट्रैक्टर" कहा जाता था।
प्रश्न : ट्रैक्टर के कितने भाग होते हैं ?
उत्तर : सभी ट्रैक्टर की बनावट में एक इंजन और उसके साधन, पावर ट्रांसमिटिंग सिस्टम और चेजिस तीन भाग होते हैं।
प्रश्न : भारत के अंदर सबसे पहला ट्रैक्टर कब बना था ?
उत्तर : भारत ने ट्रैक्टरों का निर्माण 1950 और 1960 के दशक में शूरू किया था।