भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने स्व. डॉ. नुनावथ अश्विनी की स्मृति में नवीन चने की किस्म ‘पूसा चना 4037 (अश्विनी)’ विकसित किया है।
यह किस्म उच्च उपज, पोषण और रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ खेती में नई उम्मीद लेकर आयी है। यह उत्तर-पश्चिमी भारत के मैदानी क्षेत्रों, जैसे पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए उपयुक्त है।
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पूसा चना 4037 (अश्विनी) किस्म प्रतिभा, समर्पण और सेवा की मिसाल डॉ. नुनावथ अश्विनी की याद में बनाई गई है, जो एक युवा कृषि वैज्ञानिक थीं, जिनकी 2024 में मृत्यु हो गई थी।
डॉ. अश्विनी ने ICAR-ARS 2021 परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 1 का मुकाम हांसिल किया था। उन्होंने IARI, नई दिल्ली से स्नातक और परास्नातक में स्वर्ण पदक हांसिल किया था।
डॉ. अश्विनी रायपुर स्थित ICAR-NIBSM में वैज्ञानिक के तौर पर कार्यरत थीं। डॉ. अश्विनी की ग्रामीण विकास के प्रति गहरी प्रतिबद्धता और वैज्ञानिक शोध में उनकी दक्षता की वजह से उनकी बड़े स्तर पर तारीफ की गई।
पूसा चना 4037 (अश्विनी) किस्म उत्तर भारत के चना उत्पादक इलाकों के लिए तैयार की गई है। इसमें 2673 किग्रा/हेक्टेयर की औसत उपज है, जबकि अधिकतम संभावित उपज 3646 किग्रा/हेक्टेयर तक है। 24.8% प्रतिशत प्रोटीन सामग्री इसको पोषण के दृष्टिकोण से और भी बेहतर बनाती है।
यह किस्म मशीन से कटाई के लिए भी अनुकूल है। यह फ्यूजेरियम विल्ट के प्रति मजबूत प्रतिरोध और ड्राई रूट रॉट, कॉलर रॉट, स्टंट रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोध दिखाती है।
प्रश्न: डॉ अश्विनी की मौत कैसे हुई ?
उत्तर: स्व. डॉ. नुनावथ अश्विनी एक प्रतिभाशाली युवा कृषि वैज्ञानिक थीं। डॉ अश्विनी की पिछले साल सितंबर में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में आई विनाशकारी बाढ़ के दौरान मृत्यु हो गई।
प्रश्न: पूसा चना 4037 अश्विनी किस्म का नाम किस संस्थान ने रखा है ?
उत्तर: भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI)
डॉ. अश्विनी रायपुर स्थित ICAR-NIBSM में वैज्ञानिक के तौर पर कार्यरत
प्रश्न: डॉ. अश्विनी वैज्ञानिक के तौर पर कहाँ कार्यरत थी ?
उत्तर: रायपुर स्थित ICAR-NIBSM