सरकार की तरफ से लघु एवं सीमांत किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद के लिए सब्सिड़ी (subsidy) का फायदा प्रदान किया जाता है।
अलग-अलग राज्यों में वहां के नियमों के मुताबिक कृषि यंत्रों की खरीद पर सब्सिड़ी प्रदान की जाती है। अधिकतर देखा गया है, कि किसानों को कृषि उपकरणों पर सब्सिड़ी प्राप्त करने में काफी वक्त लगता है।
बतादें, कि इसके पीछे अधिकारियों का रवैया भी काफी जिम्मेदार है, जिसकी वजह से कृषकों को कई बार कृषि यंत्र अनुदान (agricultural equipment grant) के लिए विभाग के चक्कर लगाने पड़ते हैं। परंतु, अब ऐसा नहीं होगा।
किसानों को निर्धारित सीमा में अनुदान स्वीकृत किया जाएगा और 85 दिन के अंतर्गत उन्हें अनुदान की धनराशि प्राप्त हो जाएगी। इससे राज्य के किसानों को काफी राहत मिलेगी और काम में कोताही बरतने वाले अधिकारियों पर लगाम लगेगी।
मीडिया खबरों के अनुसार अब प्रदेश के किसानों को कृषि विभाग द्वारा कृषि यंत्रों पर प्रदान की जाने वाली सब्सिडी (subsidy) का भुगतान आवेदन के 85 दिन के अंदर मिल जाएगा।
कृषि विभाग की तरफ से किसान अधिकार पत्र लागू किया गया है। इसे विभागीय साइट पर अपलोड करने के बाद इस सत्र की फाइलों पर लागू किया जाएगा।
संबंधित कर्मचारियों को निर्धारित समय सीमा के अनुसार किसानों की कृषि यंत्र अनुदान से सबंधित फाइलों का निस्तारण करना होगा।
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कृषि विभाग के कर्मचारियों द्वारा बताया जा रहा है, कि नए सत्र से राज किसान पोर्टल पर आवेदन के 85 दिन की समयावधि में अनुदान जारी किया जाएगा।
विभाग को आवेदन के सात दिन में दस्तावेजों की जांच का कार्य करना पड़ेगा और इसके बाद 8 दिन में प्रशासनिक स्वीकृति जारी करनी होगी। वहीं, 45 दिन के अंदर किसान को कृषि यंत्र खरीदकर कृषि पर्यवेक्षक को रिपोर्ट देनी पड़ेगी।
15 दिन में कृषि पर्यवेक्षक को पोस्ट वैरिफिकेशन करना पड़ेगा। इसके बाद बजट होने पर 10 दिन में अनुदान की धनराशि का भुगतान प्रत्यक्ष किसान के बैंक खाते में करना पड़ेगा।
राजस्थान में कृषि यंत्र अनुदान योजना के अंतर्गत 20 बी.एच.पी. से कम की क्षमता से लेकर 35 बी.एच.पी. से अधिक की क्षमता तक के सीड ड्रिल/सीड कम फर्टीलाइजर ड्रिल, डिस्क प्लाऊ/डिस्क हैरो, रोटावेटर, मल्टीक्रॉप थ्रेसर, रिज फरो प्लांटर/ मल्टीक्रॉप प्लांटर/ ट्रैक्टर ऑपरेटेड रिपर और चिजल प्लाऊ पर अनुदान दिया जाता है।
वहीं, इसके अतिरिक्त अन्य अनुमोदित कृषि यंत्रों पर अनुदान सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर मेकेनाईजेशन (SMAM) योजना के प्रावधानों के अनुरूप दिया जाता है।
इसी प्रकार एन.एफ.एस.एस. (गेहूं एवं दलहन) योजना के अंतर्गत रोटावेटर/टर्बो सीडर, मल्टीक्रॉप थ्रेसर, सीड ड्रिल या सीड कम फर्टीलाइजर ड्रिल, डिस्क हैरो/डिस्क प्लाऊ इत्यादि कृषि यंत्रों पर एस.एम.ए.एम. योजना के प्रावधानों के मुताबिक अनुदान की व्यवस्था प्रदान की जाती है।
कृषि यंत्र अनुदान योजना के तहत विभिन्न कृषि यंत्रों पर अनुदान का लाभ प्रदेश के किसानों को प्रदान किया जाता है। इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लघु, सीमांत व महिला किसानों को कृषि यंत्र की लागत का 50 प्रतिशत सब्सिडी (subsidy) दी जाती है।
वहीं, अन्य किसानों को कृषि यंत्र की लागत का 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। कृषि यंत्रों पर दी जाने वाली सब्सिडी की राशि में जीएसटी (GST) शामिल नहीं किया जाता है। जीएसटी का भुगतान किसान को स्वयं करना पड़ता है।
कृषि विभाग की ओर से संचालित की जा रही योजनाओं में किसान के बच्चों के लिए भी योजना का संचालन किया जाता है। इसमें कृषि में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को सहायता राशि प्रदान की जाती है।
योजना के तहत कृषि विषय लेकर सीनियर सैकेंडरी में अध्ययन करने वाली छात्राओं को हर साल 15,000 रुपए की राशि दी जाती है। यह धनराशि कक्षा 11वीं एवं 12वीं कक्षा हेतु दी जाती है।
वहीं, कृषि स्नातक शिक्षा जैसे उद्यानिकी, डेयरी, कृषि अभियांत्रिकी, खाद्य प्रसंस्करण व श्री कर्ण नरेंद्र व्यवसाय प्रबंधन महाविद्यालय, जोबनेर में अध्ययनरत छात्राओं को 25,000 रुपए प्रतिवर्ष की दर से 4/5 वर्षीय पाठ्यक्रम हेतु दिए जाते हैं।
इसी प्रकार कृषि स्नातकोत्तर शिक्षा (एम.एस.सी. कृषि) में अध्ययनरत छात्राओं को 25,000 रुपए की धनराशि प्रतिवर्ष की दर से दो वर्षीय पाठ्क्रम के लिए दिए जाते हैं।
इसके अलावा कृषि विषय में पी.एच.डी. में अध्ययरत छात्राओं को 40,000 रुपए प्रति वर्ष अधिकतम तीन साल के लिए प्रदान किए जाते हैं।