एक ही खेत में एक क्यारी में एक साथ दो या दो से अधिक फसलों का उत्पादन करना मल्टीक्रॉप फार्मिंग कहलाता है। आज के समय में किसान ग्रीष्मकालीन बागवानी फसलों की मल्टीक्रॉप फार्मिंग कर काफी शानदार मुनाफा कमा सकते हैं।
उदाहरण के तोर पर किसान गेंहू के साथ सरसों और मूंग के साथ बाजरा की मल्टीक्रॉप फार्मिंग कर काफी कम समय और कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
बहुफसलीय खेती या मल्टीक्रॉप फार्मिंग से मिट्टी की उर्वरक शक्ति बढ़ती है। बहुफसलीय खेती के जरिए फसलीय उपज में इजाफा होता है। इसकी वजह से फसलों का निर्यात बढ़ता है, जो कि विदेशी मुद्रा को देश में लाता है।
यह खरपतवार से निपटने में भी काफी मददगार रहता है। यह मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने और सुधारने में सहायता करता है। एकल फसल की तुलना में बहुफसलीय खेती के अंदर कीटों और बीमारियों का संकट कम होता है।
बहुफसलीय खेती के माध्यम से एक ही खेत में एक साथ कई प्रकार की फसलों का उत्पादन किया जा सकता है। बहुफसलीय खेती दुनियाभर के परिवारों को संतुलित आहार देने में सहायता करती है।
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बहुफसलीय खेती कीट और यहां तक कि बीमारियां भी इसे बहुत आसानी से प्रभावित कर सकती हैं। आज के समय में संचालित तकनीकी नवाचारों का उपयोग कठिन है।
अगर एक फसल में कीट और रोग हैं तो वह एक फसल से दूसरी फसल में आसानी से फैल सकते हैं। खरपतवारों को नियंत्रित करना हमेशा कठिन होता है
बहुफसलीय खेती के निम्नलिखित प्रकार होते हैं :-
प्रश्न:- मिश्रित फसल की परिभाषा क्या है ?
उत्तर:- यह वह प्रकार है जिसमें एक ही समय में दो या उससे अधिक फसलें बोई जाती हैं और उन्हें एक ही मौसम में और अंत में एक ही मौसम के खेत में मिलाया जाता है। मिश्रित फसल में, फसल के क्षेत्र को हमेशा परिपक्वता अवधि के आधार पर एक के बाद एक काटा जाता है।
प्रश्न:- बहुफसलीय खेती से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:- एक ही खेत में एक क्यारी में एक साथ दो या दो से अधिक फसलों का उत्पादन करना मल्टीक्रॉप फार्मिंग कहलाता है।