भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप से इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षी भी परेशान हैं। गर्म हवाओं की वजह से मवेशियों में लू लगने का खतरा काफी अधिक बढ़ गया है।
अब ऐसी स्थिति में कृषि विज्ञान केंद्र, संगरिया ने भीषण गर्मी को मद्देनजर रखते हुए पशुपालकों एवं मुर्गी पालकों के लिए एडवायजरी जारी की है।
भारत के बहुत सारे राज्यों में भीषण गर्मी पड़ रही है और पारा 45 डिग्री से भी ऊपर पहुंच रहा है। चिलचिलाती धूप और तेज गर्मी की वजह से इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षी भी काफी परेशान हैं। गर्म हवाओं की वजह से मवेशियों को लू लगने का संकट ज्यादा मड़राने लग गया है।
अब ऐसी स्थिति में कृषि विज्ञान केंद्र, संगरिया ने भीषण गर्मी को ध्यान मे रखते हुए पशुपालकों और मुर्गी पालकों के लिए एडवायजरी जारी की है।
पशुपालक और मुर्गी पालन करने वाले किसान भाइयों को इस अप्रत्याशित गर्मी में अपने पशु व मुर्गियों के लिए खास ध्यान देने की आवश्यकता है।
तेज धूप और लू से पशुओं में पानी व लवणों की कमी होती है। इससे उन्हें बचाने के लिए फोगर, फव्वारे, कूलर चलाएं या पशुशाला की खिड़कियों पर गीली बोरी को लटका सकते हैं।
सुबह, शाम और रात में ही पशुओं को चारा व दाना खिलाये, दोपहर में अत्यधिक गर्मी से पशुओं में तनाव रहता है। पशुओं को 1 या 2 घंटे के अंतराल पर साफ पानी पिलाते रहें। यदि संभव हो तो भैंस को सुबह और शाम नहलाएं।
भीषण गर्मी से पशुओं के शरीर में आवश्यक लवणों को नुकसान होता है, इससे बचाने के लिए प्रतिदिन 50 ग्राम खनिज मिश्रण और 30 ग्राम नमक अवश्य देते रहें।
दुधारू पशुओं को संतुलित आहार (हरा चारा, सूखा चारा, दाना, खनिज लवण, नमक) दें, जिससे गर्मीयों में उनका दूध उत्पादन कम ना हो सकें। पशुओं को सुबह या शाम के समय ही चराने के लिए लेकर जाएं, दोपहर के समय छायादार स्थान पर आराम करावें।
पशुओं को हीट स्ट्रोक से बचाने का प्रयास करें, खासकर युवा पशुओं को सीधे धूप से बचाए रखें। गर्मी अधिक होने से पशुओं मे तापघात, जल व लवणों की कमी से निर्जलीकरण व भूख कम होना आदि समस्या देखने को मिलती है।
पशु के बीमार होने पर तुरंत पशुचिकित्सक से इलाज करवाएं। भेड़ - बकरियों को सुबह और शाम के समय ही चराने के लिए लेकर जाएं। भेड़ों की ऊन उतार दें, जिससे उन्हें गर्मी से राहत मिल सके हैं।
गाय व भैंस में गलघोटू, मुहपका खुरपका और लगंड़ा बुखार से बचाव के लिए मानसून से पहले टीका लगवाएं। भेड़ व बकरियों को मुहपका खुरपका और एंटरोटॉक्सिमिया से बचाने के लिए मानसून से पहले टीका लगवाएं।
चिचड़, किलनी और पेट के कीड़ों से गाय, भैंस, भेड़ और बकरियों को बचाव के लिए कृमिनाशक दवा, बाह्य परजीवियों के उपचार के लिए नजदीकी पशुचिकित्सक से परामर्श करें और पशुओं की गर्भावस्था के अनुसार ही दवाएं दें।
यदि आप पशुओं के लिए नई पशुशाला बनाने जा रहे हैं, तो इसकी छत की ऊंचाई 15 फीट के आसपास रखें। पशुशाला का शैड हवादार रखें और इसकी लंबाई पूर्व-पश्चिम दिशा में ही रखें. इसके अलावा, पशुशाला के आस-पास छायादार पेड़-पौधे लगाएं।
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मुर्गीयां तापमान और गैसों के प्रति संवेदनशील होती है, गर्म हवाओं के चलने से हवा में नमी की मात्रा कम होती है, जिससे मुर्गीयों में पानी की कमी और हीट स्ट्रोक के आसार ज्यादा हो जाते हैं।
इसके चलते मुर्गीयों की मृत्यु दर में वृद्धि हो जाती है। मुर्गियों के चूजों को कम स्थान पर रखने पर मृत्यु दर अधिक हो जाती है। इसलिए चूजों को खुले व हवादार वाले स्थान में रखें। इस तेज गर्मी के मौसम में मुर्गीयों के लिए उचित बिछावन और ताजा पानी हमेशा उपलब्ध रखना चाहिए।
बिछावन को समय पर बदलना चाहिए, क्योंकि इसमें बीठ बढ़ने पर मुर्गियों में अमोनिया जैसी हानिकारक गैसों का स्तर बढ़ सकता है। मुर्गीयों के शेड को हवादार बनायें रखें, पर्दों को दिन-रात दोनों समय खुला रखें।
गर्मी और लू से मुर्गीयों व चूजों को बचाने के लिए फार्म के चारों ओर बोरी लगा कर रखें, इनपर सुबह-शाम पानी का छिड़काव करके इन्हें गीला करे।
गर्मी से मुर्गीयों को तनाव मुक्त रखने के लिए फीड में पाचक एंजाइम, विटामिन सी जैसे आंवला पाउडर तथा पानी के साथ लिवर टॉनिक का उपयोग करें।
मुर्गीयों को अजोला भी खिलाएं, जो प्रोटीन, फाइबर, लवणों और पानी का काफी अच्छा स्त्रोत है। चूजों को पीने के लिए साफ पानी उपलब्ध करावाएं और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।