मक्के की इन दो उन्नत किस्मों से मिलेगी किसानों को बेहतरीन पैदावार

By: tractorchoice
Published on: 01-Oct-2024
मक्के की इन दो उन्नत किस्मों से मिलेगी किसानों को बेहतरीन पैदावार

मक्के की उन्नत किस्मों IMH 225 और IMH 228 का चुनाव करके किसान काफी शानदार उपज हांसिल कर सकते हैं, जो रोग प्रतिरोधी और उच्च पैदावार वाली हैं। इन किस्मों को खरीफ, रबी, और बसंत तीनों सीजन में उत्पादित किया जा सकता है। 

सरकार अब इथेनॉल जैसे वैकल्पिक ईंधन की पैदावार को प्रोत्साहन देने के मकसद से मक्के के उत्पादन में  लाने पर वृद्धि लाने पर खास ध्यान दे रही है। इसके साथ ही, मक्के की खेती में बंपर मुनाफा तब संभव है, जब किसान ज्यादा उपज वाली और रोग प्रतिरोधी किस्मों का चुनाव करें। 

मक्के की खेती से ज्यादा लाभ हांसिल करने के लिए किसानों को उन उन्नत प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित करना पड़ेगा, जिनकी उत्पादकता ज्यादा और जिनका बाज़ार मूल्य भी अच्छा हो। 

इसलिए, मक्के की खेती से पहले किसान भाइयों को न सिर्फ सटीक प्रजातियों का चुनाव करना चाहिए, बल्कि खेती की आधुनिक तकनीकों और कृषि विशेषज्ञों के सुझावों का भी पालन करना चाहिए। 

इससे वे अपने खेतों से ज्यादा मुनाफा अर्जित कर सकें और मक्के की बढ़ती मांग का लाभ उठा सकें। चलिए आज जानते हैं, भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित मक्के की दो उन्नत किस्मों IMH 225 और IMH 228 के बारे में। 

मक्के की उन्नत किस्म IMH 225 और IMH 228 की जानकारी 

भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित की गई IMH 225 और IMH 228, मक्के की ऐसी प्रजातियां हैं, जिन्हें बसंत, रबी, और खरीफ तीनों सीजन में  सहजता से उगाया जा सकता है। 

यदि पैदावार की बात करें तो IMH 225 की उपज 102.5 क्विंटल/हेक्टेयर है, और इसे तैयार होने में 155-160 दिन लगते हैं। मुख्य बात यह है, कि यह किस्म तना छेदक, गुलाबी तना छेदक और फॉल आर्मीवर्म के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है। 

साथ ही, मेडिस लीफ ब्लाइट, फ्यूजेरियम डंठल सड़ांध, चारकोल सड़ांध और टर्सिकम लीफ ब्लाइट जैसे रोगों के प्रति भी प्रतिरोधी है। यह किस्म पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश (पश्चिमी क्षेत्र), उत्तराखंड (मैदानी क्षेत्र) और दिल्ली के लिए पूर्णतय उपयुक्त है। 

ये भी पढ़ें: मक्का बुवाई करने की विधियों के बारे में जानिए यहां

मक्के की उन्नत किस्म IMH 224 की अहम जानकारी 

जानकारी के लिए बतादें, कि IMH 224 किस्म का मक्का भी किसानों के लिए काफी लाभकारी है। जी हाँ, IMH 224 मक्के की एक उन्नत प्रजाति है। 

यह मक्के की हाईब्रिड किस्म है। बिहार, ओडिशा, झारखंड, और उत्तर प्रदेश के किसान खरीफ सीजन के दौरान इसकी बुवाई कर सकते हैं। 

क्योंकि IMH 224 एक वर्षा आधारित मक्के की किस्म है, जिसकी बारिश के पानी से सिंचाई हो जाती है। इसकी उत्पादकता की बात करें तो वह 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और यह 90 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। 

रोग प्रतिरोधक होने की वजह से इसके ऊपर चारकोल रोट, मेडिस लीफ ब्लाइट और फ्यूजेरियम डंठल सड़ांध जैसे रोगों का प्रकोप नहीं होता है। 

वहीं, अगर हम बात करें हाईब्रिड किस्म IMH 228 की औसत उपज की तो वह 105.7 क्विंटल/हेक्टेयर है। इसकी खेती के लिए बिहार, झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश के पूर्वोत्तर मैदानी क्षेत्र के लिए पहचाना गया था। 

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेज रिसर्च (IIMR) के निर्देशक डॉ. हनुमान सहाय जाट का कहना है, कि भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान ने लगभग 149 हाईब्रिड किस्मों को विकसित किया है। किसान भाई कृषि करने के दौरान अच्छी और नई किस्मों का चुनाव करें। 

ज्यादा उत्पादकता वाली किस्मों का चयन करने से उन्हें मक्का की खेती में अधिक मुनाफा मिलेगा। केंद्र सरकार 'इथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन में वृद्धि' नामक प्रोजेक्ट चला रही है, जिसमें एफपीओ, किसानों, डिस्टिलरी और बीज उद्योग को साथ लेकर कार्य किया जा रहा है। 

Similar Posts
Ad