विविध कृषि-जलवायु परिस्थितियाँ विश्व स्तर पर, मक्का को अनाज की रानी के रूप में जाना जाता है क्योंकि इसमें अनाजों में उच्चतम आनुवंशिक उपज क्षमता है।
मक्के की खेती देश के सभी राज्यों में विभिन्न उद्देश्यों के लिए साल भर की जाती है। मक्का की खेती मुख्य रूप से अनाज, चारा, ग्रीन कॉब्स, स्वीट कॉर्न, बेबी कॉर्न, पॉप कॉर्न सहित अन्य उद्देश्य से की जाती है।
इष्टतम पौधे स्टैंड को प्राप्त करने के लिए जुताई और फसल की समय पर बुवाई महत्वपूर्ण है जो की फसल की उपज बीज, अंकुर की परस्पर क्रिया गहराई, मिट्टी की नमी, बुवाई की विधि, मशीनरी आदि पर निर्भर करती है लेकिन रोपण की विधि एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
मक्का मुख्य रूप से जुताई और बुवाई के विभिन्न तरीकों का उपयोग करके सीधे बीज के माध्यम से बोया जाता है। लेकिन सर्दियों के दौरान जहां समय से (नवंबर तक) खेत खाली नहीं रहते हैं, वहां नर्सरी तैयार करके रोपाई की जा सकती है।
हालांकि, मुख्य रूप से बुवाई विधि कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे बीज बोने के समय, मिट्टी, जलवायु, जैविक खाद ,मशीनरी प्रबंधन ,मौसम, फसल प्रणाली, आदि।
नई बुवाई की प्रौद्योगिकियां (आरसीटी) जिसमें कई प्रथाएं शामिल हैं। शून्य जुताई, न्यूनतम जुताई, सतह विभिन्न मक्का आधारित फसल प्रणाली में बीजारोपण आदि प्रचलन में है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि विभिन्न स्थितियों की आवश्यकता के अनुसार ही फसल की बुवाई की जानी जरुरी है।
आमतौर पर उठी हुई क्यारी रोपण को सबसे अच्छा माना जाता है। अधिक नमी के तहत मानसून और सर्दियों के मौसम के दौरान मक्का के लिए इस रोपण विधि को सबसे अच्छा माना जाता है।
ये विधि अच्छी फसल स्टैंड प्राप्त करने में मदद करती है,उच्च उत्पादकता और संसाधन उपयोग दक्षता में भी कारीगर है। उन्नत क्यारी रोपण प्रौद्योगिकी, 20-30% सिंचाई करके उच्च उत्पादकता से जल की बचत की जा सकती है।
इस बुवाई की विधि से मक्का की सफल खेती की जा सकती है। इस विधि में बिना जुताई की स्थिति में बिना किसी प्राथमिक जुताई के मक्का की फसल को उगाया जाता है।
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खेती की कम लागत, उच्च कृषि लाभप्रदता के साथ और बेहतर संसाधन उपयोग दक्षता के लिए इस विधि का प्रयोग किया जाता है।
ऐसी स्थिति में बुवाई के समय मिट्टी में अच्छी नमी सुनिश्चित करनी चाहिए। बीज और उर्वरकों को जीरो टिल का उपयोग करके बैंड में बोया जाना चाहिए।
भारी खरपतवार संक्रमण के तहत जहां रासायनिक/शाकनाशी खरपतवार प्रबंधन नो-टिल और बारानी क्षेत्रों के लिए भी असंवैधानिक है।
जहां फसल का जीवित रहना संरक्षित मिट्टी की नमी पर निर्भर करता है, ऐसी स्थितियों में समतल बुआई की जा सकती है। इस विधि में बीज-सह-उर्वरक प्लांटर्स का उपयोग करके किया जाना चाहिए।
इन बुवाई के तरीकों को अपना कर आप अधिक उपज प्राप्त कर सकते है जिससे की आपको मुनाफा होगा। किसान भाइयों ट्रॅक्टर चोईस के हमारे इस लेख में आपने ट्रैक्टर के बारे में जाना है।
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