मूंग की खेती की विस्तृत जानकारी

By: tractorchoice
Published on: 23-Jan-2025
A lush green moong crop field with clear skies, symbolizing healthy growth and high yield farming practices.

किसान साथियों, दलहन की खेती करने की परंपरा भारत में काफी पुरानी है। भारत के अधिकांश लोग मूंग की दाल का अलग अलग तरीके से सेवन करते हैं।  

मूंग की दाल प्रमुख भारतीय दालों में से एक है। यह प्रोटीन के साथ-साथ रेशे और लोहे का प्रमुख स्त्रोत है। यह पंजाब राज्य के अंदर खरीफ की ऋतु के दौरान और गर्मियों के मौसम में उगाई जाने वाली फसल है। 

पंजाब राज्य में मूंग की फसल करीब 5.2 हज़ार हैक्टेयर क्षेत्रफल पर उगाई जाती है। मूंग की कुल पैदावार 4.5 हज़ार टन है।

मिट्टी

  • मूंग की खेती कई तरह की मिट्टी में आसानी से कर सकते हैं। लेकिन,
  • मूंग का अच्छा उत्पादन बेहतर जल निकास वाली दोमट से रेतली दोमट मिट्टी में होता है। 
  • मूंग की खेती लवणीय और जल जमाव वाली मिट्टी में नहीं की जा सकती।

जमीन की तैयारी

मूंग की खेती के लिए 2-3 बार गहरी जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा कर पाटा लगा देते हैं।

मूंग की प्रमुख किस्में और उपज 

मूंग की SSL 1827 किस्म 

  • मूंग की यह किस्म हरी मूंग और उड़द के संयोजन से बनी है। 
  • मूंग की SSL 1827 किस्म की औसतन उपज 5.0 क्विंटल प्रति एकड़ तक होती है। 
  • मूंग की SSL 1827 किस्म पीला चितकबरा रोग के लिए प्रतिरोधी किस्म है।

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मूंग की ML 2056 किस्म  

  • मूंग की ML 2056 किस्म की खेती खरीफ ऋतु में अधिक होती है। इस किस्म के पौधे ना ज्यादा बड़े और ना ही ज्यादा छोटे होते हैं। 
  • मूंग की ML 2056 किस्म 75 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी हरी फली में 11-12 दाने होते हैं। 
  • मूंग की ML 2056 किस्म चितकबरा रोग और पत्तों पर बनने वाले धब्बा रोगों के प्रतिरोधी हैं। 
  • मूंग की ML 2056 किस्म रस चूसने वाले कीड़े जैसे सफेद मक्खी को सहने में सक्षम है। 
  • मूंग की औसतन उपज 4.5 क्विंटल प्रति एकड़ तक है।

मूंग की ML 818 किस्म   

  • मूंग की ML 818 किस्म खरीफ की ऋतु में उगाई जाने वाली किस्म है। 
  • पौधे का कद दरमियाना होता है। यह किस्म 80 दिनों के अंदर पककर तैयार हो जाती है। 
  • मूंग की ML 818 किस्म की हर एक फली में 10-11 दाने होते हैं। 
  • मूंग की ML 818 किस्म पीला चितकबरा रोग और पत्तों के धब्बा रोग के लिए प्रतिरोधक साबित होती है। 
  • मूंग की ML 818 किस्म की औसतन उपज 4.9 क्विंटल प्रति एकड़ तक है।

मूंग की PAU 911 किस्म 

  • मूंग की PAU 911 किस्म खरीफ ऋतु की किस्म है। 
  • मूंग की PAU 911 किस्म 75 दिनों के समयांतराल में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। 
  • मूंग की PAU 911 किस्म की फली में 9-11 दाने होते हैं और यह दाने दरमियाने मोटे और हरे होते हैं।  
  • मूंग की PAU 911 किस्म की औसतन उपज 4.9 क्विंटल प्रति एकड़ तक होती है। 

मूंग की SML 668 किस्म  

  • मूंग की SML 668 किस्म गर्मी की ऋतु में उगाई जाने वाली छोटे बूटे की किस्म है। 
  • मूंग की SML 668 किस्म को पककर कटाई के लिए तैयार होने में 60 दिनों का समय लगता है। 
  • मूंग की SML 668 किस्म की फलियां लंबी और हर फली में 10-11 दाने होते हैं। 
  • मूंग की SML 668 किस्म जुएं और मूंग के चितकबरे रोग के लिए प्रतिरोधी है। 
  • मूंग की SML 668 किस्म की औसतन उपज 4.5 क्विंटल प्रति एकड़ तक है।

मूंग की SML 832 किस्म 

  • मूंग की SML 832 किस्म गर्मी की ऋतु में उगाई जाती है।  
  • मूंग की SML 832 किस्म को कटाई के लिए तैयार होने में 60 दिनों का समय लगता है। 
  • मूंग की SML 832 किस्म की हर एक फली में 10 दाने होते हैं। 
  • चमकीले हरे रंग के दाने वाली इस किस्म की औसतन उपज 4.6 क्विंटल प्रति एकड़ तक होती है।

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मूंग की जवाहर- 45 किस्म 

  • जवाहर -45 किस्म भारत के उत्तरी और प्रायद्वीप क्षेत्रों में उगाने जाने वाली किस्म है। 
  • जवाहर -45 किस्म को तैयार होने में 75 से 90 दिनों का समय लगता है। 
  • जवाहर -45 किस्म की औसतन उपज 4-5.2 क्विंटल प्रति एकड़ तक होती है।

मूंग की ML1 किस्म  

  • मूंग की ML1 किस्म भारत के उत्तरी और प्रायद्वीप इलाकों में उगाई जाने वाली किस्म है। 
  • मूंग की ML1 किस्म 75 से 90 दिन में पककर कटाई हेतु तैयार हो जाती है। 
  • मूंग की ML1 किस्म की औसतन पैदावार 4-5.2 क्विंटल प्रति एकड़ तक है।

मूंग की TMB 37 किस्म 

  • -मूंग की TMB 37 किस्म पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित की गई किस्म है। 
  • -मूंग की TMB 37 किस्म ग्रीष्म और वसंत ऋतु में उगाई जा सकती है। 
  • -मूंग की TMB 37 किस्म को कटाई के लिए तैयार होने में करीब 60 दिनों का समय लगता है।

मूंग की अन्य किस्में निम्नलिखित हैं -

टाइप 1 

  • मूंग की टाइप 1 अगेती किस्म है और इसको कटाई के लिए तैयार होने में 60-65 दिन लगते हैं।  
  • मूंग की टाइप 1 किस्म का उपयोग हरी खाद बनाने और दाने प्राप्त करने के लिए उगाया जाता है। 
  • मूंग की टाइप 1 किस्म की औसतन उपज 2.4-3.6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।

पूसा वैशाखी 

  • पूसा वैशाखी किस्म की कटाई 60-70 दिन की समयावधि में की जाती है।
  • पूसा वैशाखी किस्म की औसतन उपज 3.2-4 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।

मूंग की मोहिनी किस्म 

  • मूंग की मोहिनी किस्म की कटाई 60-70 दिनों बाद की जाती है। 
  • यह पीला चितकबरा रोग ओर पत्तों पर सफेद धब्बे रोग के लिए प्रतिरोधी है। 
  • मूंग की मोहिनी किस्म की औसतन उपज 4-4.8 क्विंटल प्रति एकड़ तक होती है।

मूंग की PS 16 किस्म 

  • -मूंग की PS 16 किस्म हर तरह की मृदा में उगने वाली किस्म है। 
  • -मूंग की PS 16 किस्म को कटाई के लिए तैयार होने में 60-65 दिनों का समय लगता है। 
  • -मूंग की PS 16 किस्म से औसतन उपज 4-4.8 क्विंटल प्रति एकड़ तक होती है।

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मूंग की बिजाई  

मूंग की बिजाई का सही समय

  • मूंग की खरीफ सीजन की बिजाई के लिए जुलाई के पहले पंद्रह दिन सबसे अच्छे होते हैं। 
  • गर्मी के दिनों में मूंग की बिजाई के लिए मार्च से अप्रैल का महीना सबसे अच्छा रहता है।

बीज मात्रा और बीजोपचार 

  • खरीफ के मौसम के लिए 8-9 किलो बीज प्रति एकड़ में इस्तेमाल करें। 
  • गर्मियों के मौसम के लिए 12-15 किलो बीज प्रति एकड़ में इस्तेमाल करें।
  • मूंग की बुवाई से पूर्व कप्तान या थीरम 3 ग्राम से प्रति किलो बीज का उपचार कर सकते हैं।

बिजाई के वक्त कितनी दूरी और गहराई रखें 

  • खरीफ की बिजाई के लिए कतारों में 30 सैं.मी. और पौधे से पौधे में 10 सैं.मी. की दूरी होना बेहद जरूरी है। 
  • रबी की बिजाई के लिए कतारों में 22.5 सैं.मी. और पौधे से पौधे में 7 सैं.मी. की दूरी अत्यंत आवश्यक है। 
  • मूंग के बीजों की 4-6 सैं.मी. की गहराई पर ही बुवाई करें।

मूंग की बिजाई का तरीका 

मूंग की बिजाई के लिए बुवाई मशीन, पोरा या केरा तरीकों का उपयोग किया जाता है। 

मूंग की फसल में खरपतवार नियंत्रण

  • मूंग की फसल से अच्छी उपज लेने के लिए खेत से खरपतवारों को नष्ट करना बेहद जरूरी है। खरपतवारों को खेत से दूर करने के लिए गोड़ाई करना बेहद जरूरी है। 
  • मूंग की पहली गोडाई बिजाई के चार सप्ताह बाद करें और दूसरी गोडाई पहली गोडाई के दो सप्ताह बाद करें। 
  • खरपतवार को रासायनिक ढ़ंग से दूर करने के लिए फलूक्लोरालिन 600 मि.ली. प्रति एकड़ और ट्राइफलूरालिन 800 मि.ली बिजाई के समय या पहले प्रति एकड़ में डालें। 
  • मूंग की बिजाई करने के बाद दो दिनों में पैंडीमैथालीन 1 लीटर को 100 से 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में छिड़काव करें।

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मूंग की सिंचाई

  • मूंग की खेती जायद और खरीफ दोनों ही सीजन में उगने वाली फसल है।  
  • सीजन के हिसाब से जलवायु को ध्यान में रखकर सिंचाई करें।
  • मूंग की फसल को गर्मियों के दिनों मिट्टी की किस्म और जलवायु के अनुसार तीन से पांच बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है। 
  • मूंग की अच्छी उपज के लिए बिजाई के 55 दिनों के पश्चात सिंचाई बंद कर दें।

मूंग की फसल कटाई

  • मूंग की 85% प्रतिशत फलियों के पककर तैयार हो जाने पर कटाई कार्य किया जाता है। 
  • मूंग की फलियां अधिक पकने की स्थिति में झड़ जाती है जिससे उपज को काफी हानि होती है। 
  • मूंग की दरांती से कटाई करने के बाद थ्रैशिंग कर बीजों को साफ करलें और सूरज की रौशनी में सूखाएं।
  • मूंग की फसल सूखकर तैयार होने के बाद नजदीकी मंडी में बिक्री के लिए ले जा सकते हैं। 

निष्कर्ष -

मूंग की दाल की बाजार में हमेशा मांग बने रहने की वजह से इसकी खेती करना किसानों के लिए फायदे का सौदा है। सरकार की तरफ से दलहन की खेती के लिए प्रोत्साहन भी दिया जाता है। 

इसलिए, मूंग की खेती का मंडियों में भी अच्छा भाव मिल जाता है। मूंग की खेती करने से किसानों को स्वास्थ्य और आर्थिक दोनों तरह के फायदे होंगे।  

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