मूंग की खेती में लगने वाले रोग और कीट की सम्पूर्ण जानकारी

By: tractorchoice
Published on: 29-Apr-2024
मूंग की खेती में लगने वाले रोग और कीट की सम्पूर्ण जानकारी

दलहनी फसलों के मामले में मूंग की फसल का भारत में अपना एक विशिष्ट स्थान है। मूंग की फसल की पैदावार भारत के बहुत से राज्यों में की जाती है, इसकी बहुत सी किस्में भी है।  

इन किस्मों का उत्पादन कर किसान मुनाफा कमा सकता है। लेकिन कई बार फसल में कुछ कीट और रोग लग जाते है जिसकी वजह से फसल की पैदावार पर काफी असर पड़ता है। 

इन रोग और कीटों के कारण फसल की उत्पादकता कम हो जाती है और किसान को नुक्सान भी उठाना पड़ सकता है।

यदि इन रोगों पर नियंत्रण कर लिया जाए तो फसल की उत्पादकता को कोई हानि नहीं पहुंचेगी। आज के इस आर्टिकल में हम बात करें मूंग की फसल में लगने वाले कीट और रोगों के बारे में। 

मूंग की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग 

मूंग की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख रोग इस प्रकार है जैसे : मूंग की फसल में लगने वाला पर्ण व्यांकुचन रोग (लीफ क्रिंकल), .ऐंथ्राक्नोज (रुक्ष रोग), चूर्णी फफूंद रोग और पीत चितेरी रोग (येलो मोजेक वायरस)। आइये सबसे पहले बात करते है पर्ण व्यांकुचन रोग (लीफ क्रिंकल) रोग के बारे में। 

1 पर्ण व्यांकुचन रोग (लीफ क्रिंकल)

मूंग की खेती में लगने वाला यह रोग बीज के कारण और कई क्षेत्रों में सफ़ेद मक्खी द्वारा फैलता है। इस रोग में पत्तियां बड़ी होने के बाद मुरझाने लगती है, पत्तियों पर झुर्रियां पड़ जाती है और पत्ती में मरोङपन आने लगता है। 

इस रोग से पौधे में नाम मात्र की ही फलियां आती है और यह रोग पौधे को किसी भी अवस्था में इस रोग से संक्रमित कर सकता है। मूंग की फसल में लगने वाले इस रोग के कारन पौधे का विकास रुक जाता है। 

2  पीत चितेरी रोग (येलो मोजेक वायरस)

इस रोग के कारण पेड़ में फलियां पूरी तरह से नहीं आ पाती है। इस रोग से संक्रमित पौधा पीला पड़ जाता है और पत्तियां पीली पड़कर नीचे गिरने लगती है। पौधे में फूल और फलियां बहुत ही देर से और कम आती है। 

ये भी पढ़ें: मूंगफली के प्रमुख रोग और इनको नियंत्रित करने के उपाय

इस रोग का प्रकोप पौधे और पत्तियां दोनों पर ही देखने को मिलती है। यह रोग ज्यादातर सफ़ेद मक्खी के कारण फैलता है। 

3  ऐंथ्राक्नोज (रुक्ष रोग)

यह रोग मुख्यत: बारिश के मौसम और 26 -30 डिग्री का तापमान भी इसके लिए नुक्सानदायक है। इस रोग के कारण पौधे की गुणवत्ता और उत्पादकता पर काफी प्रभाव पड़ता है। इस रोग के कारण फसल के उत्पादन में लगभग 40 से 60 प्रतिशत कमी आती है। 

4 चूर्णी फफूंद रोग

मूंग की फसल में लगने वाला यह रोग ज्यादातर गर्म और शुष्क मौसम में होता है। इस रोग के कारण पौधे के निचले हिस्सों में सफेद धब्बे पड़ने लग जाते है, और बाद में यह बड़े सफ़ेद डब्बे बन जाते है। यह रोग बढ़ने के साथ साथ पत्तियों, तनो, शाखाओ और फलियों पर भी देखने को मिलते है। 

मूंग की फसल में लगने वाले कीट 

मूंग की फसल में लगने वाले कीट कुछ इस प्रकार है सफेद मक्खी और माहुं, जैसिड (हरा फुदका) और थ्रिप्स। आइये बात करते है सबसे पहले मूंग की फसल में लगने वाले सफ़ेद मक्खी और माहु कीट के बारे में। 

1 सफ़ेद मक्खी और माहु 

सफ़ेद मक्खी और माहु कीट पौधे में से रस को चूस लेते है और पौधा मुरझा जाता है। यह कीट पत्तों पर हनीडिउ उत्सर्जित करता है जिसके कारण पौधे का प्रकाश संश्लेषण अच्छे से नहीं हो पाता है। यह सफेद मक्खी पीले मोजक वायरस को भी फैलाती है। 

2 जैसिड (हरा फुदका)

इस कीट के कारण पौधा पीला और मुरझाने लग जाता है।  यह कीट पौधे से रस को चूसने लग जाते है और पौधे को कमजोर बना देते है। जिसकी वजह से पौधे का विकास अच्छे से नहीं हो पाता है। 

3 थ्रिप्स कीट 

यह कीट भी अन्य कीटों के भांति ही पौधों से रस को चूसता है और जिसके कारण पौधा मुरझाने लगता है और कुछ समय बाद यह पौधा सूख जाता है।  

इस कीट के कारण पौधे में से फूल झड़ने लगते है जिसका सीधा असर फसल उत्पादन पर पड़ता है। इस कीट के कारण फसल उत्पादन कम होने लगता है। 

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