किसानों को आधुनिक कृषि में आए तकनीकी बदलावों की जानकारी हम किसानों को अपने लेखों के माध्यम से देते रहते हैं। क्योंकि आज का युग मशीन का युग है।
अगर किसान मशीनीकरण की जानकारी के अभाव में होगा तो वह पर्याप्त आय अर्जित करने में असमर्थ रहेगा। आज हम आपको ऐसे ही एक किसान की जानकारी देंगे जिसने देसी जुगाड़ से एक शानदार कृषि यन्त्र तैयार किया है।
किसान सामान्यत तोर पर मूंग की फली के पक जाने पर हाथों से तुड़ाई करते हैं, जिससे ज्यादा पके दानें फली से निकलकर खेत में ही गिर जाते हैं, जो कि किसान को हानि पहुँचाता है।
इस परेशानी का सामना करने के लिए किसान अशोक मांझी ने देसी जुगाड़ से एक छोटी थ्रेशिंग मशीन बनाई है, जो एक घंटे में 80 किलोग्राम तक मूंग तैयार कर सकती है।
दलहनी फसलों के अंतर्गत उगाई जाने वाली में मूंग (Moong) भारत में अपना विशेष स्थान रखती है। मूंग की खरीफ, रबी और जायद तीनों ही सीजन में खेती बड़ी आसानी से की जा सकती है।
बतादें, कि मूंग एक शक्ति-वर्द्धक दाल फसल है, जिसमें प्रोटीन और पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। किसान मूंग की खेती देश के विभिन्न राज्यों में करते हैं। बिहार के लगभग 1.8 लाख हेक्टेयर में मूंग फसल की खेती की जाती है।
हाथों से मूंग की तुड़ाई लगभग 3 से 4 बार की जाती है, जिसमें समय ज्यादा लगता है और देरी होने पर मूंग को भी नुकसान पहुँचता है।
किसानों की इस समस्या को देखते हुए अमरपुर प्रखंड, बांका जिले के किसान अशोक मांझी ने अपने देसी जुगाड़ से एक छोटी थ्रेशिंग मशीन विकसित की है, जो मात्र एक घंटे में 80 किलोग्राम तक मूंग तैयार कर सकती है।
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किसान में इस छोटी थ्रेशिंग मशीन में 1 हॉर्स पावर जनरेट करने वाली मोटर, 2 बैरिंग, 1 बेल्ट और एक साफ्ट लगाया है। इस थ्रेशिंग मशीन का कुल वजन मात्र 30 किलोग्राम है, जिससे एक खेत से दूसरे खेत में इस मशीन को आसानी से ले जाया जा सकता है।
किसान अशोक मांझी ने इस छोटी थ्रेशिंग मशीन को महज 5000 रुपये की लागत में तैयार किया है। इसे चलाने के लिए बिजली की आवश्यकता होती है और इससे मात्र एक घंटे में 80 किलोग्राम तक मूंग तैयार की जा सकती हैं।
इस मशीन के एक किनारे से मूंग की फलियों को डाला जाता है, जो थ्रेशिंग होने के बाद साफ मूंग को मशीन के पीछे बने आउटलेट से निकाल देती हैं।
कृषक मूंग को आवश्यकता के अनुसार धूप में सुखा कर संग्रहित करते हैं, क्योंकि फली में अधिक नमी रहने पर इसकी भण्डारण क्षमता कम हो जाती है।
मशीन की सबसे बड़ी विशेषता यह है, कि तोड़ी गयी मूंग की फली को बिना धूप में सुखाये ही इससे मूंग के दाने को अलग किया जा सकता है। ऐसा होने से खेत में होने वाली मूंग की बर्बादी पूर्णतय समाप्त हो जाती है और कृषकों का मुनाफा काफी बढ़ जाता है।