किसान भाई अगर सबसे ज्यादा गुणवत्तापूर्ण सब्जियों की पौध लेना चाहते हैं, तो उत्तर प्रदेश के कन्नौज जनपद में उमर्दा क्षेत्र में स्थापित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल में आ सकते हैं।
बतादें, कि इंडो-इजराइल पद्धति से मृदा रहित सब्जियों की पौध तैयार की जाती है। जहां भिंडी, तुरई, टमाटर, शिमला मिर्च, पतली मिर्च समेत विभिन्न और तरीके की सब्जियों की पौध यहां पर तैयार होती है।
यहां पर तैयार हुई पौध में किसी भी तरह के कीट का आक्रमण नहीं होता है। ऐसी स्थिति में किसानों के लिए यह पौध बेहद लाभकारी सिद्ध होती है। साथ ही, इसकी उत्पादन क्षमता भी काफी ज्यादा होती है।
कन्नौज मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर के फासले पर उमर्दा तहसील क्षेत्र में यह सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल स्थापित किया गया है। यहां पर किसानों को 2 तरह से पौधे मिलते हैं।
बतादें, कि पहले किसान बीज देकर पौधों को एक रुपए प्रति पौधे के हिसाब से ले सकते हैं। वही बिना बीज के 2 रुपए प्रति पौधे मिलते हैं। इसके लिए किसान को सीधे केंद्र में जाकर संपर्क करना होता है।
यहां पर पौधे इंडो-इजराइल पद्धति के आधार पर तैयार किए जाते हैं। जहां किसी भी मौसम में यहां पर पौधे मृदा रहित तैयार किए जाते हैं। इसके अलावा किसान अगर बाहर से पौधे तैयार करते हैं तो शंकर प्रजाति के बीज बहुत महंगे साबित होते हैं।
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इनको नर्सरी में तैयार करने पर 50 से 60% ही पौधे तैयार हो पाते हैं, जिसमें कीट लगाने की संभावना बनी रहती है। ऐसे में किसानों को काफी ज्यादा हानि उठानी पड़ती है।
वहीं, यहां पर किसी भी मौसम में बेहद सुगमता से पौध तैयार हो जाती है, जिससे किसानों को सीड के साथ एक रुपए प्रति पौधे बिना सीड के 2 रुपए के हिसाब से मिल जाएगा।
दरअसल, इस समय किसानों को भिंडी, तुरई, टमाटर, शिमला मिर्च, पतली मिर्च की पौध मिल जाएगी। वहीं, किसान किसी भी मौसम में होने वाली सब्जियों की पौध भी यहां पर तैयार कर सकते हैं।
इसके लिए किसानों को एक महीने का समय देना पड़ता है। एक महीने के पश्चात किसानों के आर्डर पर पौधे तैयार करके यहां पर मिल जाते हैं।
कृषि वैज्ञानिक जीएस यादव का कहना है, कि किसानों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल से पौधे लेने पर कई तरीके से लाभ होता है। सबसे पहला फायदा यहां की मृदा रहित पौध किसी भी मौसम में इंडो-इजराइल पद्धति से तैयार होती है। इसमें कीट लगने की संभावना न के बराबर होती है।
ऐसे में किसान अगर बाहर से शंकर प्रजाति के बीज से पौधे तैयार करते हैं तो उसमें उत्पादन 50 से 60% फीसद ही होता है। ऐसे में यहां पर 100 फीसदी अच्छे पौधे तैयार मिलते हैं, जिससे सब्जियों की उर्वरक क्षमता काफी अच्छी होती है।
साथ ही, न्यूनतम खर्चे में किसानों को मुनाफा भी अधिक होता है। यहां पौधे तैयार करने के लिए लोग मृदा का इस्तेमाल नहीं करते हैं।