जायद सीजन में धान की खेती कर किसान कमा सकते है मुनाफा

By: tractorchoice
Published on: 07-Feb-2024
जायद सीजन में धान की खेती कर किसान कमा सकते है मुनाफा

सिंचाई के साधनों में लगातार वृद्धि होने के साथ-साथ खाद्यान की भी मांग बढ़ती जा रही है। जायद में चना , मूँग , उड़द और मक्के की फसल के साथ साथ धान की खेती भी कर सकते है। 

दक्षिणी भारत के राज्यों में धान की खेती सफलतापूर्वक की जा रहे है। लेकिन उत्तर भारत में बहुत कम तापमान होने की वजह से धान की फसल को करने में अभी कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड रहा है। 

धान की बुवाई का समय 

जायद में धान की खेती के लिए सिंचाई की उपयुक्त व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि जायद के मौसम में धान की फसल पूरे तरीके से सिंचाई पर निर्भर होती है। साथ ही तापमान की वजह से धान की बुवाई का समय भी सीमित हो जाता है। 

धान की बुवाई के लिए किसान इसकी पौध फरवरी के अंतिम सप्ताह से लेकर मार्च के प्रथम सप्ताह तक डाल देते है। बुवाई के उचित समय तक पौध तैयार हो जाती है। 

मार्च के प्रथम सप्ताह के बाद पौध न डाले, क्योंकि ये फिर खरीफ के मौसम में लगाई जाने वाली फसलों में बाधा डालती है। 

धान की उपयुक्त किस्मों का चयन करें 

जायद में बोई जाने वाली धान की फसल के लिए किसानों को उचित किस्मों का चयन करना चाहिए। क्योंकि खरीफ में बोई जाने वाली सभी प्रजातियां जायद में नहीं उगाई जा सकती। 

उत्तरी भारत में जल्दी पकने वाली फसलों को बोया जाता है , साथ ही जो दाने बनने के समय तेज धूप को भी सहन कर सकती है। 

जायद में धान की खेती के लिए इन किस्मों का चयन कर सकता है: साकेत-4 , सहफसली बरनी गहरी, नरेंद्र-118, गोबिंद पंत धान-12, सूखी समरत और नरेंद्र-97। यह सभी प्रजातियां जायद में धान की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है। 

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बीज की मात्रा 

जायद में खरीफ सीजन में उगने वाली धान की फसल के मुकाबले अधिक बीज की आवश्यकता पड़ती है। एक हेक्टेयर में 30 -40 किलोग्राम बीज की जरुरत पड़ती है। 

लेकिन बुवाई से पहले बीज का उपचार कर लेना जरूरी है, धान के बीज को स्ट्रेप्टोसाइक्लिन में मिलाकर रात भर भिगोकर रख दे। 

अगले दिन धान के बीज को निकाल कर 75 ग्राम थीरम या 50 ग्राम कार्बेन्डाजिम पानी में मिलाकर रख दे। इसके तीन से चार दिन बीज को किसी जूट से बनी हुई बोरी में डालकर छाया में रख दे, और जब दाने अंकुरित होने लगे तो उन्हें खेत में बनी क्यारियों में डाल दे। 

धान की खेती के लिए उपयुक्त खाद की मात्रा 

जायद में धान की खेती ज्यादा पानी वाले इलाकों में की जाती है। धान की पौध खेतो में लगाने के बाद पौधो को पोषक तत्वों की आवश्यकता रहती है, ताकि वो ज्यादा से ज्यादा बढ़ोत्तरी कर सके। 

यदि पौध लगने के एक हफ्ते बाद खेत में कोई खाद या दवा नहीं डाली जाती है और पौध का हरा रंग कम होने लगता है। जायद के धान के लिए 60 किलोग्राम फोस्फोरस, 60 किलोग्राम पोटाश, 25 किलोग्राम जिंक सलफेट,120 किलोग्राम नत्रजन प्रति हेक्टेयर का प्रयोग किया जाता है। 

धान की खेती में सिंचाई 

खरीफ के मुकाबले जायद के मौसम में धान की फसल को पानी की ज्यादा आवश्यकता रहती है। जायद का मौसम बहुत ही गर्म , शुष्क रहता है , इसमें पछुआ हवाएं भी चलती है जिसकी वजह से इसे पानी की ज्यादा जरुरत रहती है। 

जायद में धान की फसल पूरी तरह से पानी पर निर्भर होती है। धान की फसल में बाली बनने से पहले सिंचाई की जाती है , उसके बाद दाना पड़ने पर ऐसे ही फसल में जरुरत पड़ने पर सिंचाई का काम किया जाता है। 

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धान की खेती में नराई और खरपतवार पर नियंत्रण 

धान की खेती में खरपतवार नियंत्रण करने के लिए समय समय पर नराई का काम किया जाता है। नराई से धान की फसल अच्छी और हरी भरी हो जाती है। खेत में नराई के लिए खुरपी या दरांती  का भी उपयोग कर सकते है। 

धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण के ब्यूटाक्लोर 3-4 लीटर, प्रेटिलाक्लोर1.25 लीटर और  एनिलोफास 1.25 लीटर का प्रयोग धान की रोपाई के 3 -7 दिन के अंदर करना चाहिए। इन रसायनो का उपयोग 3 -4 से.मी पानी की मात्रा में करना चाहिए। 

धान की कटाई का समय 

जायद में धान की फसल 115 -120 दिन के पककर तैयार हो जाती है। साथ ही जायद में धान की फसल की पैदावार खरीफ की फसल से ज्यादा अच्छी होती है। जायद में धान की फसल की कटाई जुलाई माह के अंत में की जाती है। 

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