जैसा की आप सभी जानते है, कपास को भारत की प्रमुख नकदी फसलों के रूप में जाना जाता है। उसमे से ही एक खास किस्म है नरमा कपास।
कपास की उन्नत खेती और उच्च उत्पादन के लिए किसान को उचित किस्मों का चयन करना काफी जरूरी होता है। आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे नरमा कपास की खेती और उन्नत किस्मों के बारे में।
नरमा कपास की खेती कर किसान मुनाफा कमा सकता है। भारत में ज्यादातर कपास की खेती भारत के उत्तरी और पश्चिमी राज्यों जैसे: मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, गुजरात, हरियाणा और महाराष्ट्र में की जाति है।
क्षेत्र के हिसाब से कपास की किस्मों का चयन करना चाहिए और सही समय पर उनकी बुवाई करनी चाहिए।
कपास की खेती के लिए हमेशा भारी मिट्टी का चयन करना ही बेहतर माना जाता है। नरमा कपास की खेती के लिए जलोढ़ और काली मिट्टी को बेहतर माना जाता है।
कपास के विकास के लिए खाद और पानी की आवश्यकता होती है। कपास की खेती हल्की मिट्टी में भी की जा सकती है , लेकिन उत्पादकता मिट्टी की उर्वरकता क्षमता के हिसाब से प्राप्त होगी। कपास के उच्च उत्पादन के लिए खेत में ज्यादा मात्रा में पानी और खाद की आवश्यकता होती है।
नरमा कपास की बहुत सी उन्नत किस्में है , जिनका उत्पादन कर किसान काफी मुनाफा उठा सकता है। कपास के बेहतर उत्पादन के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए। आइये बात करते है नरमा कपास की कुछ उन्नत किस्मों के बारे में।
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नरमा कपास की यह किस्म उत्पादन में काफी अच्छी है। नरमा कपास की यह किस्म प्रति हेक्टेयर में 31 क्विंटल पैदावार प्रदान करती है।
इस किस्म में रेशे की लम्बाई 27.36 मिलीमीटर, और मजबूती 29.38 ग्राम टेक्स बताई गई है। नरमा कपास के टिंडे का औसत वजन 3.2 ग्राम और बिनौले में तेल की मात्रा 17.85 % पायी गई है।
नरमा कपास की इस किस्म की पैदावार प्रति हेक्टेयर में 30.5 क्विंटल होती है। कपास के रेशों की लम्बाई 27.22 मिलीमीटर और मजबूती 28.86 ग्राम होती है। जबकि टिंडे का औसत भार 3.3 ग्राम और बिनौले में तेल की मात्रा 17.2 % पायी जाती है।
नरमा कपास की यह किस्म प्रति हेक्टेयर में 23 से 24 क्विंटल पैदावार प्रदान करती है। कपास की यह किस्म लगभग 170 दिन के अंदर पककर तैयार हो जाती है।
कपास की अन्य किस्मों की तुलना में नरमा कपास की इस किस्म में गुलाबी सुंडी का रोग बहुत कम लगता है। इस किस्म के पौधे की ऊंचाई 125 सेंटीमीटर से अधिक होती है, इस पौधे की पत्तियां हल्के हरे रंग और मध्यम आकार की होती है। इसमें आने वाले फूल की पंखुड़ियों का रंग पीला होता है।
नरमा कपास की इस किस्म की उत्पादन क्षमता उन किस्मों की तुलना में काफी अधिक है। यह किस्म लगभग 200 दिन के अंदर पककर तैयार हो जाती है।
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पौधे की ऊंचाई 130 से 140 सेंटीमीटर होती है। इसमें आने वाले फूल का रंग पीला और पत्तियों का रंग हल्के हरे रंग का होता है। इसमें आने आला टिंडे का भार 3.5 ग्राम होता है।
कपास की यह किस्म 175 दिन में पककर तैयार होती है। प्रति हेक्टेयर में इसका उत्पादन 23 से 24 क्विंटल होता है। पौधे की ऊंचाई लगभग 130 सेंटीमीटर होती है।
जबकि पौधे में लगने वाले रेशे की लम्बाई 24 मिलीमीटर होती है। टिंडे का आकर काफी छोटा यानि 2.50 ग्राम का होता है। पौधे में आने वाले फूलो का रंग पीला होता है।
नरमा कपास की बहुत सी किस्म है जिनका उत्पादन कर किसान लाभ कमा सकता है। लेकिन बुवाई के समय किस्मों का चयन भूमि और जलवायु को देखते हुए करना चाहिए।
मिट्टी की किस्म के हिसाब से कपास की किस्म का चयन करना ही बेहतर माना जाता है। क्योंकि कपास की वैरायटी मिट्टी और जलवायु की आधार पर ही तैयार की जाती है।
नरमा कपास की खेती का उचित समय अप्रैल से जून के बीच का माना जाता है। अप्रैल और जून के बीच में नरमा कपास के बुवाई कर सकते है वैसे, नरमा कपास की बुवाई 10 अप्रैल से ही शुरू कर दी जाती है।
नरमा कपास की पिछेती बुवाई 10 जून तक की जाती है। वैसे नरमा कपास की बुवाई का उचित समय 15 अप्रैल से 15 मई के बीच का होता है।
नरमा कपास की अगेती बुवाई से किसान को होने वाले फायदे कुछ इस प्रकार है :