भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तत्वावधान में राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस) ने दालों सहित विभिन्न फसलों की क्षेत्र विशिष्ट, उच्च उपज देने वाली और जलवायु के अनुकूल किस्में विकसित की हैं। 2014 के बाद से, देश में 14 दलहनी फसलों की कुल 369 किस्में जारी और अधिसूचित की गई हैं, जिनमें सितंबर, 2023 तक बिहार के लिए सात दलहनी फसलों की 24 किस्में शामिल हैं, जैसे काबुली चना (6), फील्डपी (6), अरहर (5), फैबाबीन (3) मूंग (2), उड़द (1) और मसूर (1) आदि ।
(i) उन्नत किस्मों के ब्रीडर बीज का उत्पादन और आपूर्ति। पिछले पांच वर्षों के दौरान, आईसीएआर द्वारा आधार और प्रमाणित बीज के डाउनस्ट्रीम गुणन के लिए विभिन्न सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीज उत्पादक एजेंसियों को 15.60 लाख क्विं. दालों के ब्रीडर बीज का उत्पादन और आपूर्ति की गई थी।
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(ii) 2016 में ब्रीडर बीज उत्पादन बढ़ाने के लिए 150 दलहन बीज हब और 12 केंद्रों की स्थापना की गई, जिन्होंने 2016-17 से 2022-23 के दौरान 7.09 लाख गुणवत्ता वाले बीज और 21713 क्विंटल ब्रीडर बीज का उत्पादन और आपूर्ति की है।
(iii) 6.39 लाख गांवों को मिलाकर कुल 1587.74 लाख क्विंटल गुणवत्ता वाले बीज का उत्पादन किया गया।
(iv) ग्राम स्तर पर गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराने के लिए बीज ग्राम योजना के तहत 2014-23 के दौरान 98.07 लाख किसानों को प्रशिक्षण दिया गया।
(v) 2018-19 से 2022-23 के दौरान दालों के 6000 फ्रंट लाइन प्रदर्शनों और 151873 क्लस्टर फ्रंट लाइन प्रदर्शनों के माध्यम से नई उच्च उपज वाली किस्मों के बीजों का वितरण।
यह जानकारी केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी। इन किस्मों की बुवाई से किसानों को अच्छी पैदावार मिलेगी और देश में दलहनी फसलों के उत्पादन में वृद्धि होगी।