शर्दियों के दिनों में आंवला की फसल का इन कीटों से बचाव जरूरी

By: tractorchoice
Published on: 04-Feb-2025
Winter care tips for amla trees, identifying common diseases and pests, and effective prevention methods for better yield

आंवला को आमतौर पर भारतीय गूजबैरी और नेल्ली के नाम से जाना जाता है। भारत के उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में आंवला का काफी बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है।

आंवला अपने औषधीय गुणों की वजह से काफी मशहूर है। आंवला का इस्तेमाल कई सारी दवाइयां बनाने के लिए भी किया जाता है। 

आंवला के द्वारा तैयार की गई दवाई से डायरिया, दांतों में दर्द, बुखार, अनीमिया  और चोट आदि का उपचार किया जाता है। आंवला से कई तरह के कॉस्मेटिक उत्पाद भी बनाए जाते हैं। 

भारत के अंदर वर्तमान में सर्दियों का मौसम है और इस मौसम में पेड़-पौधों की खासतौर पर देखभाल करनी आवश्यक होती है। 

इससे रोग और कीटों का संक्रमण काफी बढ़ जाता है और फलों की गुणवत्ता और उपज प्रभावित होती है। जानिए सर्दियों के दिनों में आंवला के पेड़ की देखभाल कैसे की जाती है। 

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों में आंवला के बागानों की सुरक्षा के लिए समय पर देखभाल और सही उपाय करना जरूरी है। 

आइए ट्रैक्टरचॉइस के इस लेख में हम जानते हैं, सर्दियों में आंवला के पेड़ों में होने वाले प्रमुख रोगों की पहचान और बचाव के उपायों के बारे में। 

मृदु सड़न रोग 

सर्दियों में आंवला के पेड़ों में मृदु सड़न रोग (फोमोप्सिस फाइलेन्थाई) लगने की संभावना काफी ज्यादा होती है। 

मृदु सड़न रोग फलों पर भूरे धब्बे बना देता है, जो कुछ ही दिनों के अंदर पूरे फल को नष्ट कर सकते हैं। मृदु सड़न रोग पके और अधपके दोनों तरह के फलों पर तेजी से आक्रमण करता है।

बचाव 

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार मृदु सड़न रोग से आंवला को सुरक्षित रखने के लिए बगीचे में नियमित गुड़ाई करनी चाहिए।

साथ ही, जड़ों के आसपास जल-जमाव की स्थिति नहीं होनी चाहिए। पौधों में पोषक तत्वों की आपूर्ति के लिए एक साल पुराने पौधों में 10 किलोग्राम गोबर खाद, 100 ग्राम नाइट्रोजन, 50 ग्राम फॉस्फोरस और 75 ग्राम पोटाश ड़ालने की सलाह दी गई है।

गुठलीभेदक कीट

साथ ही, जून से जनवरी तक सक्रिय रहने वाला गुठलीभेदक कीट भी आंवला के फलों को काफी हानि पहुंचा सकता है।

यह कीट फलों के अंदर घुसकर उनको बर्बाद कर देता है, इससे फलों की गुणवत्ता गिर जाती है और बाजार में उनकी मांग कम हो जाती है। 

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बचाव 

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, गुठलीभेदक कीट से बचाव करने के लिए डॉ. मुकुल कुमार ने 0.2% कार्बेरिल, 0.04% मोनोक्रोटोफॉस या 0.05% क्विनालफॉस कीटनाशक का छिड़काव करने की सलाह दी है। 

रोग व कीटों से कैसे बचाव करें 

उत्पादन में वृद्धि के लिए खाद 

10 वर्ष से अधिक उम्र के पेड़ों में 100 किलोग्राम गोबर खाद, 1 किलोग्राम नाइट्रोजन, 500 ग्राम फॉस्फोरस और 750 ग्राम पोटाश का उपयोग करने की आवश्यकता है। इस तरह से पौधों को स्वस्थ रखा जा सकता है, जिससे आंवला की उत्पादक क्षमता बढ़ती है। 

आंवला का उपचार 

विशेषज्ञों के मुताबिक, आंवला के भंडारण से पहले फलों को डाइथेन एम-45 या बाविस्टीन से उपचारित करना चाहिए।

इस उपचार से फलों को रोगों और कीटों से लंबी समयावधि तक सुरक्षा मिलती है। उपचार करने से गुणवत्ता और उपज दोनों में सुधार होता है। 

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निष्कर्ष -

आंवला की खेती करने वाले कृषकों को शर्दियों में इसकी विशेष देखभाल करने की जरूरत होती है। आंवला की खेती से अच्छी उपज लेने के लिए इसकी रोगों और कीटों से सुरक्षा करनी बहुत जरूरी है। 

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