भारतीय किसान बड़े पैमाने पर कपास की खेती करते हैं। भारत भर के अलग अलग राज्यों में किसान कपास की खेती करते हैं। ज्यादा उत्पादन के लिए वैज्ञानिकों की तरफ से कपास की बहुत सारी नवीन किस्में विकसित की गई हैं।
इसी कड़ी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने कपास की 5 बेहतर उत्पादन देने वाली किस्मों को लांन्च किया है।
जानकारी के लिए बतादें, कि इन किस्मों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत विभिन्न संस्थानों में तैयार किया गया है। कपास की ये अलग-अलग किस्में अलग-अलग राज्यों के लिए उपयुक्त पाई गई हैं।
ऐसे में किसान अपनी आवश्यकतानुसार अपने क्षेत्र के हिसाब से कपास की किस्म का चुनाव कर सकते हैं। ऐसा बताया जा रहा है, कि आगामी सीजन में किसानों के लिए कपास की खेती हेतु यह किस्में अत्यंत लाभकारी साबित हो सकती हैं। चलिए जानते हैं, इन किस्मों की विशेषता और फायदे के बारे में।
कपास की यह हाइब्रिड किस्म वर्षा आधारित स्थिति में समय पर बुवाई के लिए उपयुक्त है। इस किस्म को एआईसीआरपी, डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ, अकोला, महाराष्ट्र की ओर से पेश किया गया है।
यह किस्म लीफ हॉपर, बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट के प्रति काफी सहनशील है। इसके अलावा यह किस्म मायरोथेसियम पत्ती धब्बा, अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा, ग्रे फफूंद के प्रति प्रतिरोधी है।
यह किस्म 160 से 180 दिन के अंदर पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म से 12.84 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उपज हांसिल की जा सकती है। इस कपास की किस्म को महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश व गुजरात जैसे राज्यों के लिए अनुशंसित किया गया है।
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कपास की यह किस्म भी हाइब्रिड किस्म है, जिसे साउथ जोन के लिए अनुशंसित किया गया है। यह भी वर्षा आधारित स्थिति के लिए अनुकूल किस्म है।
इस किस्म को आईसीएआर- केंद्रीय कपड़ा अनुसंधान संस्थान, नागपुर, महाराष्ट्र दक्षिण क्षेत्र की तरफ से प्रस्तुत किया गया है।
कपास की यह किस्म बैक्टीरियल, ब्लाइट, ग्रे फफूंदी, लीफ स्पॉट, अल्टरनेरिया, मायरोथसियम, कोरिनोस्पोरा जैसे अधिकांश रोगों के प्रति सहनशील है। वहीं यह किस्म जैसिड्स, एफिड्स, थ्रिप्स, लीफ हॉपर कीटों के प्रति भी सहनशील है।
यह भी कपास की हाइब्रिड किस्म है, जिसे आईसीएआर केंद्रीय कपड़ा अनुसंधान संस्थान, नागपुर महाराष्ट्र की तरफ से पेश किया गया है। कपास की यह किस्म वर्षा आधारित खरीफ की स्थिति के लिए काफी उपयुक्त है।
यह किस्म फ्यूजेरियम विल्ट रोग प्रतिरोधी है। अत्यधिक संवेदनशील एफिड संक्रमण के प्रति मध्यम सहिष्णु है। कपास की यह किस्म 127 दिन के अंदर पककर तैयार हो जाती है।
इस किस्म की उत्पादन क्षमता 14.41 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। इस किस्म में उच्च तेल सामग्री 34.3% फीसद है। इस किस्म को महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश व तेलंगाना राज्य के लिए अनुशंसित किया गया है।
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कपास की इस हाइब्रिड किस्म को आईसीएआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉटन रिसर्च, नागपुर, महाराष्ट्र की ओर से प्रस्तुत किया गया है। इस किस्म की विशेषता यह है, कि यह किस्म वर्षा आधारित स्थिति के लिए अनुकूल है।
यह किस्म ज्यादातर रोगों के लिए प्रतिरोधी किस्म है। यह किस्म जैसिड्स, थ्रिप्स, व्हाइटफ्लाई, एफिड्स जैसे रोगों के प्रति प्रतिरोधी है।
वहीं, इसके अतिरिक्त यह किस्म बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट, अल्टरनेरिया लीफ ब्लाइट, ग्रे फफूंदी के प्रति सहनशील है। यह किस्म विशेष रूप से सेंट्रल जोन के लिए अनुशंसित की गई है।
इस किस्म से 15.47 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक कपास का उत्पादन हांसिल किया जा सकता है। यह किस्म 140 से 150 दिन में तैयार हो जाती है।
कपास की इस हाइब्रिड किस्म को आईसीएआर-केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, नागपुर, महाराष्ट्र की तरफ से प्रस्तुत किया गया है। यह किस्म मध्य क्षेत्र की वर्षा आधारित और सिंचित स्थितियों के लिए काफी उपयुक्त है।
यह किस्म 160 से 165 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म का रंग भूरा होता है। यह किस्म हाथकरघा बुनाई के लिए उपयुक्त है।
यह किस्म चूसने वाले कीटों, बॉलवर्म के प्रति सहनशील है। वहीं अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा, बैक्टीरियल ब्लाइट, कोरिनेस्पोरा पत्ती धब्बा रोग के प्रतिरोधी है।
कपास की इस किस्म से 10.11 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। इस किस्म को महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के लिए अनुसंशित किया गया है।