काली मिर्च का ज्यादातर उत्पादन केरला ,कर्नाटक और तमिल नाडू जैसे राज्य में ज्यादातर किया जाता है। लेकिन 90 प्रतिशत फसल का उत्पादन केरला द्वारा ही किया जाता है। काली मिर्च का पौधा बारहमासी है। ग्रीष्मकाल में काली मिर्च की खेती मार्च माह में की जाती है। काली मिर्च की खेती नम भूमि में की जाती है। काली मिर्च में पाइपराइन नामक पदार्थ पाया जाता है जिसकी वजह से इसका स्वाद तीखा रहता है। काली मिर्च को ब्लैक गोल्ड के नाम से भी जाना जाता है।
काली मिर्च का उत्पादन ज्यादातर लाल मिट्टी में किया जाता है। लाल लेटेराइट मिट्टी को काली मिर्च की खेती के लिए उपजाऊ माना जाता है। इसके लिए ठन्डे वातावरण की आवश्यकता रहती है। काली मिर्च के पौधे को धूप के बजाए ज्यादातर छाया की जरुरत रहती है। इसकी बेहतर खेती के लिए उपयुक्त तापमान 10-12 डिग्री होना चाहिए।
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काली मिर्च की खेती कोई भी व्यक्ति कर सकता है। जैसा की बताया गया है काली मिर्च का पौधा बारहमासी रहता है इसका उत्पादन किसी भी मौसम में किया जा सकता है। काली मिर्च की खेती के लिए किसी ख़ास प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती है। किसानो द्वारा इसकी खेती के लिए ज्यादातर जैविक खाद का प्रयोग किया जाता है।
काली मिर्च को मसालों का राजा माना जाता है। काली मिर्च के अंदर विटामिन ऐ ,विटामिन के और विटामिन सी पाया जाता है। यह सब विटामिन स्वस्थ के लिए अति आवश्यक माना जाता है। काली मिर्च शरीर के पाचन तंत्र और इम्मुनिटी के लिए उपयोगी मानी जाती है। काली मिर्च का वैज्ञानिक नाम पाइपर नाइग्रम है।
काली मिर्च को मसालों का राजा कहा जाता है। इसका उपयोग हम बहुत से चीजों में करते है। काली मिर्च का उपयोग हम बीमारियों को दूर रखने के लिए भी कर सकते है। इसमें बहुत से कीटाणुनाशक तत्व पाए जाते है ,जो बीमारियों से लड़ने में मददगार रहते है।
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काली मिर्च का उपयोग कैंसर के रोग से बचाव करने के लिए किया जाता है। कैंसर रोग में हम काली मिर्च का सेवन हल्दी के साथ कर सकते है। या फिर काली मिर्च और हल्दी को मिलाकर दूध के साथ भी ले सकते है ,ऐसा करने से कैंसर के रोग में राहत मिलती है।
काली मिर्च का इस्तेमाल सब्जियों के साथ साथ बहुत सी मिठाइयों में भी किया जाता है। काली मिर्च शरीर के अंदर प्रोटीन को छोटे छोटे टुकड़ो में तोड़ देती है ,जिससे पाचन अच्छे से हो जाता है। साथ ही ये पेट के अंदर बनने वाली कब्ज से भी राहत दिलाती हैं।
काली मिर्च को कच्चा खाने से त्वचा से जुडी समस्याओं में सहायता मिलती है। यह चेहरे पर होने वाली पिगमेंटेशन ,दाग और झुर्रियों को कम करती है। काली मिर्च का सेवन हम रोजाना अपने आहार में कर सकते है। या फिर काली मिर्चो को पीसकर चेहरे पर लगाने से भी त्वचा से जुडी परेशानियाँ में राहत मिलती है।
काली मिर्च सर्दी और जुखाम में भी फायदा करती है। लेकिन इसका उपयोग हम औषिधि के रूप में भी कर सकते है। काली मिर्च शरीर में होने वाले दर्द, और गठिया जैसे रोगो में भी सहायक है। रीढ़ की हड्डी और जोड़ो में होने वाले दर्द में भी ये सहायक है।
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काली मिर्च श्वसन क्रिया में भी सहायक रहती है। यह सर्दियों में होने वाले वाले जुखाम, खासी में होने वाली परेशानी में मदद करता है। दूध में काली मिर्च मिलाकर पीने से सांस लेने में होने वाली परेशानी कम होती है। रोजाना के आहार में काली मिर्च का सेवन करने से आपका स्वास्थ भी अच्छा बना रहेगा।
काली मिर्च शरीर के अंदर जमा बेकार कोलेस्ट्रॉल को निकालने में मदद करता है। कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर दिल से जुडी परेशानियों को उत्पन्न करता है। इससे दिल के दोहरे पड़ने की आशंका रहती है। इसलिए काली मिर्च का इस्तेमाल हम कोलेस्ट्रॉल से जुडी परेशानियों में राहत पाने के लिए भी कर सकते है।
ज्यादातर काली मिर्च का उपयोग हर मसालों में ,खाने के लिए बनाई गयी चीजों चाहे गर्म हो या ठन्डे दोनों में ही उपयोग किया जाता है। काली मिर्च का उपयोग हम सलाद या फिर सूप जैसे चीजों में भी किया जाता हैं। काली मिर्च का उपयोग हम डैंड्रफ को दूर करने में भी कर सकते है। यह बालो की जड़ों को मजबूत बनता है।
काली मिर्च का उपयोग वजन घटाने में भी किया जाता है। यह डिप्रेशन जैसी बीमारियों में भी सहायक रहता है ,माना जाता है काली मिर्च को कच्चा चबाने उसमे से एक तरीके का रसायन निकलता है जो मस्तिक्ष को सही करने में मददगार रहता है।