किसान भाइयों जैसा कि आप जानते हैं, कि हल्की ठंड के साथ रबी सीजन ने दस्तक दे दी है। दिसंबर का महीना भी शुरू होने वाला है।
किसान रबी की फसलों की बुवाई करने में काफी व्यस्त हैं। गेंहू रबी सीजन की प्रमुख फसलों में से एक है। भारत के सर्वाधिक हिस्से में इस वक्त गेहूं की बुवाई की जा रही है।
परंतु, कुछ ऐसी भी फसलें हैं, जोकि काफी आसानी से और अत्यंत सीमित इलाके में बोई जा सकती हैं। 50 दिन के अंदर शानदार उत्पादन हांसिल करके काफी मोटा मुनाफा भी कमाया जा सकता है।
टमाटर हर मौसम में किचन में उपयोग की जाने वाली सब्जी है। टमाटर की खेती भी दिसंबर माह में की जा सकती है। नर्सरी में दो तरह की क्यारियां बनाई जाती हैं।
एक उठी हुई क्यारी और दूसरी में समतल क्यारी पर पौध बुवाई का कार्य गर्मियों में होता है, जबकि अन्य मौसम में उठी हुई क्यारियों का इस्तेमाल किया जाता है।
नर्सरी में 25 से 30 दिन में पौधे रोपाई के योग्य बन जाते हैं। हालांकि, कुछ जगहों पर वक्त काफी ज्यादा लग सकता है।
कतार की दूरी 60 सेंटीमीटर और पौधों की दूरी 45 सेंटीमीटर पर की जानी चाहिए। शाम के समय पौधे की रोपाई करें और सिंचाई भी कर दें।
टमाटर की अच्छी किस्मों में अर्का विकास, सर्वाेदय, सिलेक्शन -4, 5-18 स्मिथ, समय किंग, टमाटर 108, अंकुश, विकरंक, विपुलन, विशाल, अदिति, अजय, अमर, करीना आदि शामिल हैं। बाजार के अंदर टमाटर की मांग हमेशा बनी रहती है।
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मूली की फसल ठंडी जलवायु की फसल है, मतलब कि जलवायु ठंडी होने पर इसकी उपज काफी अच्छी होती है। इसका अच्छा उत्पादन दोमट अथवा बलुई मृदा में किया जाता है।
अगर इसके बुवाई के तरीके को देखें तो ये मेड़ और क्यारियों में भी की जाती है। कतार से कतार या मेड़ों से मेंड़ों का फासला 45 से 50 सेंटीमीटर तथा ऊँचाई 20 से 25 सेंटीमीटर के करीब रखनी चाहिए।
पौधे से पौधे की दूरी 5 से 8 सेंटीमीटर रखें तो काफी अच्छा है। एक हेक्टेयर में लगभग 12 किलोग्राम मूली का बीज लग जाता है।
मूली के बीज का शोधन 2.5 ग्राम थीरम से एक किलोग्राम बीज की दर से होना चाहिए। 5 लीटर गोमूत्र से भी बीजों का उपचार किया जा सकता है।
इसके बाद ही बीज प्रयोग करने योग्य होते हैं। इनकी बुवाई 3 से 4 सेंटीमीटर की गहराई पर करनी चाहिए।
मूली की उत्तम किस्मों को देखें तो जापानी सफ़ेद, पूसा देशी, पूसा चेतकी, अर्का निशांत, जौनपुरी, बॉम्बे रेड, पूसा रेशमी, पंजाब अगेती, पंजाब सफ़ेद, आई.एच. आर1-1 एवं कल्याणपुर शामिल हैं।
प्याज रबी और खरीफ दोनों सीजन की फसल है। रबी सीजन में इसकी बुवाई नवंबर में प्रारंभ कर दी जाती है, जोकि दिसंबर माह तक चलती है।
प्याज की बुवाई के तरीकों को देखें तो यह नर्सरी के अंदर तैयार होती है। एक हेक्टेयर खेत के लिए 10 से 12 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। पौध तैयार करने के लिए 1000 से 1200 वर्ग मीटर में बुवाई की जाती है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है, कि अच्छी प्याज उपज के लिए एक वर्ग मीटर में 10 ग्राम बीज डालना चाहिए।
यह एक कतार में हो और कतार में बीजों के बीच का फासला दो से 3 सेंटीमीटर और बीज को दो से ढाई मीटर की गहराई पर बोना चाहिए।
ड्रिप सिंचाई या फव्वारे से इसकी सिंचाई की जानी चाहिए। बुवाई वाली जगह को थोड़ा कवर करके रखें। जब पौधे खड़े होने की स्थिति में आ जाए तो कवर्ड को हटा दें।
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फफूंद और अन्य संक्रमण को प्रतिबंधित करने के लिए गोबर की खाद, ट्राइको डर्मा और एजेक्टोबेक्टर के 200 ग्राम के पैकेट उस जगह डाल दें, जहां बुवाई हो रही हैं।
कैल्शियम, अमोनिया नाइट्रेट का इस्तेमाल अच्छी बढ़वार के लिए करें। इस तरह से आपका खेत पूरी तरह से तैयार हो जाता है। वहीं, नर्सरी में पौध तैयार होने पर प्याज की रोपाई का कार्य 15 जनवरी से पहले खत्म कर लेना चाहिए।
किसान भाई पौधा उखाड़ने से पहले हल्की सिंचाई भी कर लें। उखाड़ने के बाद पौधे की अतिरिक्त पत्तियों को काट दें। पौधा कतार में ही बोया जाना चाहिए।
कतार की दूरी 15 सेंटीमीटर और पौधों के बीच की दूरी 10 सेंटीमीटर के करीब होनी चाहिए। प्याज की अच्छी किस्मों में आर.ओ.-1, आर.ओ.59, आर.ओ. 252 और आर.ओ. 282 व एग्रीफाउंड लाइट रेड हैं।