आज के इस युग में अधिकतर कार्य टेक्नोलॉजी के जरिये किये जा रहे है। वही सरकार द्वारा भी इस टेक्नोलॉजी को विभिन्न क्षेत्रो में बढ़ावा दिया जा रहा है। इसीलिए सरकार द्वारा खेती के कार्यों को आसान करने के लिए नई-नई तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। जिसमें से एक ड्रोन तकनीक भी है।
यह एक मानव रहित विमान है। यह एक रोबोट के जैसे कार्य करता है, इस उड़ने वाले रोबोट को हम दूर से भी नियंत्रित कर सकते है। यह तकनीक दिन पर दिन विकसित होती जा रही है। यह ड्रोन सॉफ्टवेयर नियंत्रित सिस्टम के जरिये भी उड़ान भर सकता है।
ये भी पढ़ें: ड्रोन मशीन खरीदने पर सरकार किसानों को प्रदान करेगी सब्सिडी
ड्रोन तकनीक का उपयोग मौसम की निगरानी, भारतीय सेना की निगरानी, यातायात निगरानी, खेत की निगरानी और फोटोग्राफी जैसे सभी कार्यों में बड़े पैमाने पर किए जा रहा है। यह तकनीक जीपीएस और ऑनबोर्ड तकनीक के साथ मिलकर कार्य करती है।
ड्रोन तकनीक का उपयोग खेती से जुड़े बहुत से कार्यों में किया जा रहा है। ड्रोन की सहायता से किसान अपनी फसल की अच्छे से देख रेख कर सकता है। ड्रोन तकनीक का उपयोग अन्य बहुत से कार्यो के लिए किया जा सकता है। जिनका विवरण निचे दिया गया है :
कुछ सालो से टिड्डियों का प्रकोप ज्यादा हो रहा है। टिड्डियों का प्रकोप राजस्थान के इलाकों में विशेष रूप से देखा गया है। टिड्डियों के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए किसान ड्रोन का उपयोग कर सकता है। रोग को नियंत्रित करने के लिए किसान ड्रोन की सहायता से कुछ ही समय में पूरी फसल पर छिड़काव कर सकता है।
ये भी पढ़ें: हरियाणा कृषि यंत्र अनुदान योजना 2024 क्या है?
ड्रोन के उपयोग से किसानों को काफी सहायता मिलेगी। भारत सरकार द्वारा विदेशो में किये जानें वाले ड्रोन के आयात पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। साथ ही सरकार द्वारा भी ड्रोन टेक्नोलॉजी के बढ़ावे पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। कृषि विभागों द्वारा युवा किसानों को ड्रोन उड़ाने के लिए मुफ्त प्रशिक्षण दिए जा रहे है।
ड्रोन द्वारा सटीक डाटा एकत्रित किया जाता है, जिसकी मदद से किसान सही निर्णय ले सकता है। कीट और रोगों के हिसाब से किसान उचित कीटनाशकों का उपयोग कर सकता है। इससे फसल की उत्पादकता भी अधिक होगी और फसल में नमी के स्तर की जांच अच्छे से की जा सकेगी।
ड्रोन संसाधन की बर्बादी को भी नियंत्रित करता है। साथ ही ड्रोन की सहायता से लम्बी फसलों और बिजली लाइनों के निचे कीटनाशकों का छिड़काव भी किया जा सकता है। यह संसाधनों के बेहतर उपयोग में सहायक होता है।