मूंग की 2 नई विकसित किस्मों से कम समय में मिलेगा अधिक मुनाफा

By: tractorchoice
Published on: 16-Apr-2025
whole green moong beans in a wooden bowl

वर्तमान में किसान अपने रबी सीजन की फसल गेहूं की कटाई करने में लगे हुए हैं। लेकिन, गेंहू की कटाई के बाद किसान अपनी अगली फसल की बुवाई की तैयारी में जुट जाएंगे। 

इसलिए आज हम आपको चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से विकसित की गई मूंग की दो उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी देंगे। 

मूंग की इन दो किस्मों का उत्पादन कर किसान भाई कम समय में अधिक उपज और मुनाफा कमा सकते हैं।  इन किस्मों की बाजार में मांग और भाव दोनों ही काफी अच्छे हैं। 

चलिए ट्रैक्टरचॉइस के इस लेख में जानते हैं, इन पोषक तत्वों से भरपूर इन दो किस्मों के बारे में।  

मूंग की यह दो उन्नत किस्में कौनसी हैं ?

चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से मूंग की दो उन्नत किस्में एमएच 1762 और एमएच 1772 को विकसित किया गया है। 

बताया जा रहा है कि इन किस्मों की खेती करने से किसानों को 10 से 15 प्रतिशत अधिक पैदावार प्राप्त हो सकती है। इसी के साथ यह किस्में पीला मौजेक जैसे रोगों के प्रति काफी हद तक प्रतिरोधी हैं।  

मूंग की एमएच 1762 किस्म की क्या विशेषताएं हैं ? 

मूंग की एमएच 1762 किस्म की विशेषताओं की बात करें तो इसको बसंत और ग्रीष्मकाल में उगाया जा सकता है। मूंग की यह किस्म लगभग 60 दिनों के समयांतराल में पककर तैयार हो जाती है। 

इस किस्म के दाने चमकीले हरे रंग के और मध्यम आकार के होते हैं। मूंग की इस किस्म की औसत उपज क्षमता 14.5 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक होती है। मूंग की एमएच 1762 किस्म का उत्पादन राजस्थान, पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों में करना सबसे अच्छा रहेगा।

ये भी पढ़ें: मूंग की खेती में लगने वाले रोग और कीट की सम्पूर्ण जानकारी

मूंग की एमएच 1772 किस्म की क्या विशेषताएं हैं ?

मूंग की एमएच 1772 किस्म का उत्पादन विशेष रूप से खरीफ सीजन में की जाती है। मूंग की इस किस्म के दाने भी चमकीले हरे रंग के होते हैं और यह मध्यम आकार के होते हैं। 

मूंग की एमएच 1772 किस्म लगभग 62 दिनों के समयांतराल में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म की उत्पादन क्षमता 13.5 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक है। 

मूंग की इस किस्म की बुवाई उत्तर–पूर्व भारत के मैदानी इलाकों जैसे– बिहार, पश्चिम बंगाल, असम आदि राज्यों में की जा सकती है। 

किसानों को बीज उपलब्ध कराने की योजना  

मूँग की इन दोनों किस्मों को चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की तरफ से विकसित किया गया है। साथ ही, विश्विद्यालय से मूंग की इन किस्मों के बीज बड़ी संख्या में किसानों को उपलब्ध कराने के लिए राजस्थान की एक बीज कंपनी “स्टार एग्रो सीड्स” के साथ समझौता किया है। 

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर काम्बोज का कहना है, कि "विश्वविद्यालय द्वारा विकसित उन्नत किस्में अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचे, इसके लिए विभिन्न राज्यों की कंपनियों के साथ समझौते किए जा रहे हैं।" 

निष्कर्ष -

मूंग की इन उन्नत किस्मों की बुवाई करने पर किसानों को काफी शानदार उपज और बेहतरीन मुनाफा मिलेगा।  

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