आइये आज बात करते है सोयाबीन की खेती में लगने वाले रोगों के बारे में जिससे सोयाबीन की फसल पर काफी प्रभाव पड़ता है।
सोयाबीन की खेती में लगने वाले रोगों की वजह से पूरी फसल खराब हो सकती है। फसल में लगने वाले रोगों की आपको पूर्ण जानकारी प्रदान की जा रही है ताकि फसल को नष्ट होने से बचाया जा सके।
सोयाबीन की खेती बहुत से राज्यों में की जाती है, लेकिन इस रोग का ज्यादा प्रकोप राजस्थान, दिल्ली और मध्य प्रदेश में देखने को मिलता है।
इस रोग के कारण पौधा लाल भूरे रंग का हो जाता है। पत्तियां पीली होकर टूटने लगती है और नवजात पौधे ही मरने लग जाते है। सोयाबीन की फसल में यह रोग फेजियोलिना नामक फफूंद के द्वारा होता है।
पौधों में यह रोग मौसिया टेबेकाई नामक मक्खी द्वारा स्वस्थ पौधे में फैलाया जाता है। इस रोग के कारण पौधों पर पीले गहरे रंग के धब्बे पड़ने शुरू हो जाते है बाद में यह धब्बे आपस में मिल जाते है, जिसकी वजह से पूरी पत्ती पीली पड़ जाती है। इस रोग से पूरा पौधा ग्रसित हो जाता है जिसकी वजह से पौधे में भोज्य पदार्थ का संश्लेषण नहीं हो पाता है।
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इस रोग का प्रकोप ज्यादातर हर राज्य में बोई गयी सोयाबीन की खेती में देखने को मिलेगा। इस रोग के कारण पौधों पर पीले भूरे रंग के धब्बे पड़ने शुरू हो जाते है जिनकी वजह से पत्तियां सूख कर नीचे गिरने लग जाती है। इस रोग का ज्यादातर प्रकोप फूल और फलियों पर देखने को मिलता है।
इस रोग के कारण पत्तियां सिकुड़कर नीचे की ओर मुड़ने लग जाती है। यह रोग कलियों में बीज नहीं आने देता है, जिसकी वजह से उत्पादकता कम हो जाती है। इस रोग का प्रकोप ज्यादातर पत्तियों और फलियों में देखने को मिलता है।
इस रोग के प्रकोप के कारण पत्तियों पर कोणीय आकर के गीले धब्बे पड़ने शुरू हो जाते है। इस रोग का प्रकोप ज्यादातर सर्दियों में देखने को मिलता है। यह धब्बे ज्यादातर पत्तियों, डंठलों और फलियों पर ज्यादातर देखने को मिलते है।