भारत की कृषि गतिविधियों में से नारियल की खेती विशेष महतव्पूर्ण मानी जाती है। नारियल को बहुमुखी उद्देश्य फसल माना जाता है। नारियल की खेती ज्यादातर केरल ,कर्नाटक और तमिल नाडू जैसे राज्यों में की जाती है ,लेकिन इसी के साथ भारत के दक्षिण राज्यों जैसे : महाराष्ट्र , गुजरात और आंध्रप्रदेश में भी की जाती है।
भारतीय धर्म मे नारियल का विशेष महत्व है ,इसे श्रीफल के नाम से भी जाना जाता है। नारियल में बहुत से प्रोटीन ,विटामिन , मिनरल्स और फोब्र्स पाए जाते है जो हमारी सेहत के लिए बेहद लाभकारी होते है।
आर्थिक लाभ : नारियल की खेती एक अत्यधिक लाभकारी व्यवसाय है , नारियल का उत्पादन ज्यादातर भारत के दक्षिण राज्यों में किया जाता है। नारियल की मांग सिर्फ राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तरों पर भी है। नारियल की खेती लाखो किसानो के लिए आय का मुख्य श्रोत बनी हुई है।
ये भी पढ़ें: Ashwagandha Farming: अश्वगंधा की खेती करके आप भी कर सकते है मोटी कमाई, जानिए क्या है तरीका?
पर्यावरणीय लाभ : नारियल की खेती में ज्यादा कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है। इसके उत्पादन के लिए किसान जैविक खाद का भी उपयोग कर सकते है ,जो पर्यावरण के लिए अनुकूल रहता है। नारियल के खेती मिट्टी में होने वाले कटाव को भी नियंत्रित करती है। साथ ही नारियल का पेड़ छायादार होता है ,जो राहगीरों के अलावा जानवरों को भी अपनी छाया प्रदान करता है।
पोषण सम्बन्धी लाभ : नारियल में बहुत से प्रोटीन ,फाइबर और मिनरल्स पाए जाते है ,जो हमारे शरीर को प्रचुर मात्रा में इम्मुनिटी प्रदान करता है। नारियल शरीर के अंदर आयी कमजोरी , फेफड़ो के रोगो और त्वचा से सम्बंधित रोगो में मददगार रहता है। नारियल में अधिक मात्रा में फाइबर होने की वजह से ये कब्ज जैसे बीमारियों के लिए भी लाभदायक है।
फसलों की उत्पादकता में वृद्धि : नारियल की खेती से फसल की उर्वरकता में वृद्धि होती है ,क्यूंकि इसमें जैविक खादों का प्रयोग किया जाता है। नारियल की खेती में बहुत ही कम रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। इससे भूमि में कार्बनिक तत्वों की वृद्धि होती है ,और फसल की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।
फसल लागत मे कमी : नारियल की खेती करने में किसानो को ज्यादा लागत वहन नहीं करनी पड़ती है। नारियल की खेती बहुत कम कीमतों पर की जा सकती है ,साथ ही इसके उत्पादन के लिए ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है। नारियल की खेती से किसान कम लागतों पर ज्यादा मुनाफा कमा सकते है। नारियल की खेती से भूमि की उपजाऊ क्षमता बढ़ती है।
रासायनिक खादों की निर्भरता को कम करता है : अधूरी जानकारी होने के कारण किसानो द्वारा नारियल की खेती की उर्वरकता बढ़ाने के लिए रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। लेकिन इनके ज्यादा उपयोग से भूमि में मिटटी के कटाव की समस्या उत्पन्न होने लगती है। रासायनिक कीटनाशको के ज्यादा उपयोग से भूमि भी बंजर होने लगती है।
ये भी पढ़ें: जाने संतरे की उन्नत किस्में और खेती करने का तरीका यहां
इसके चलते हुए किसानो द्वारा खेत में ज्यादातर गोबर खाद , या घर पर बनाये हुए फूल और पत्तियों के खाद का उपयोग किया जाता है। इसके उपयोग से खेत में खरतपतवार की समस्या भी कम होती है , साथ ही इसके उत्पादन में भी वृद्धि होती है।
अर्थव्यवस्था में सुधार : नारियल की खेती से किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकते है। नारियल की खेती किसानो की आय में वृद्धि करती है ,जिसका प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। यदि किसानो की आय में वृद्धि होती है ,तो इससे देश की अर्थव्यवस्था में भी विकास होगा।
किसानो को आजीविका प्रदान करता है : नारियल की खेती ज्यादातर भारत के दक्षिण इलाकों में किया जाता है ,यह दक्षिणी लोगो के लिए आजीविका का साधन है। नारियल की फसल कम से कम 8 साल में बनकर तैयार होती है। इसमें किसान अन्य खाद्यान फसलों का भी उत्पादन कर सकते है। साथ ही वो एक ही खेत से अलग अलग फसलों का लाभ उठा सकते है।
आयुर्वेदिक लाभ : नारियल से मिलने वाले और भी बहुत से फायदे है। नारियल का उपयोग आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने के लिए भी किया जाता है। नारियल से बहुत से चीजों का उत्पादन किया जाता है ,इससे तेल भी निकाला जाता है। नारियल के तेल का उपयोग बालों के असमय सफ़ेद होने और झड़ने के लिए , गठिया के दर्द में राहत पाने के लिए और अन्य बहुत से बीमारियों में किया जाता है।
ये भी पढ़ें: अमरूद की बागवानी कैसे की जाती है जानिए इससे जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी
नारियल की खेती कृषि गतिविधियों में अपनी अहम भूमिका निभाती है। नारियल की कुछ उन्नत किस्मे इस प्रकार है : वेस्ट कॉस्ट टॉल नारियल , ईस्ट कॉस्ट टॉल नारियल , चौघाट ग्रीन ड्वार्फ नारियल , केरा शंकर और चंद्र लक्ष्य है। नारियल की यह सब किस्मे किसानो की आय का स्थिर श्रोत है। ये देश के समग्र विकास में योगदान प्रदान करती है। नारियल की खेती पर्यावरणीय ,पोषण और आर्थिक लाभों के आलावा बहुत से लाभ प्रदान करती है।