जानिए अंजीर की खेती से संबंधित विस्तृत जानकारी

By: tractorchoice
Published on: 10-Dec-2024
जानिए अंजीर की खेती से संबंधित विस्तृत जानकारी

अंजीर का नाम सेहतमंद और पोषण से भरपूर फलों में भी शामिल है, जिसे सूखा मेवा या ताजा फल के रूप में खाया जाता है। 

बाजार में भी अंजीर से बने उत्पादों की काफी मांग रहती है। अंजीर मोरेसी श्रेणी की फसल है। 

अंजीर के फल कच्चे खाए जाते हैं, संभाल कर रखे जा सकते हैं और खाना पकाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इसे भारत में सामान्य/मामूली फल की फसल माना जाता है। 

महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और तामिलनाडू अंजीर उत्पादन करने वाले बड़े राज्य हैं। यह सेहत के लिए काफी लाभदायक है। 

यह पाचन शक्ति को सुधारता है और कैंसर, दिल की बीमारियों और हाइपरटैंशन को रोकने में सहायता करता है। यह एंटीआक्सीडेंट से भरपूर होता है।

अंजीर की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

अंजीर को मिट्टी की विभिन्न किस्मों में उगाया जाता है। रेतीली अच्छे निकास वाली मृदा अंजीर की खेती के लिए सबसे उत्तम है। 7 से 8 पी एच मान वाली मिट्टी अंजीर की खेती के लिए सबसे अच्छी होती है।

अंजीर की मशहूर किस्में और पैदावार

ब्राउन तुर्की: यह मध्यम से बड़े आकार के होते हैं, गहरे रंग और दरमियानी आकार की आंखों वाले होते हैं। फलों की ऊपरी सतह तने के आखिर में जामुनी भूरे रंग की और हल्की होती है। 

फल का अंदरूनी भाग/गुद्दा शानदार स्वाद के साथ गुलाबी भूरे रंग का होने के साथ-साथ काफी स्वाद होता है। 

इसके फल मई माह के अंतिम सप्ताह से लगाकर जून के अंत तक पकते हैं। फलों की औसतन पैदावार 53 किलोग्राम प्रति वृक्ष होती है।

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अंजीर की खेती के लिए जमीन की तैयारी

पौधे के लिए गड्डा खोदते समय, गड्डों में 5 किलो गोबर की खाद डालें और फिर 20 से 25 किलो फास्फोरस और पोटाश की खाद डालें। 

अगर हम अंजीर की बिजाई के समय की बात करें तो इसकी बिजाई जनवरी के बीच से लेकर फरवरी महीने के प्रथम पखवाड़े में की जा सकती है। इसके बीच का फासला 6x6 मीटर की दूरी पर रखें।

अंजीर की खेती हेतु खाद और प्रजनन

मुख्य तौर पर प्रजनन कटिंग द्वारा किया जाता है। कम से कम 3 से 4 आंखों या कलियों में कटिंग 30 से 45 सेंमी. लंबी होनी चाहिए। 

कटिंग पिछले साल के पौधे से ली जाती हैं। वहीं, अगर हम बीज की मात्रा की बात करें तो प्रति एकड़ क्षेत्रफल में बिजाई करने के लिए, 150 पौधे रोपित किए जा सकते हैं।

अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए, छोटे और बड़े अंजीर के वृक्षों में आवश्यकतानुसार पौष्टिक तत्व डालें। पौष्टिक तत्वों की जरूरत पौधे और मिट्टी की किस्म के अनुसार अलग होती है। 

वर्ष में नाइट्रोजन को दो हिस्सों में बांटकर डाला जा सकता है। पहले हिस्से को दो महीने बाद लागू किया जाता है, जब फल लगते हैं।

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अंजीर की खेती में सिंचाई

अपनी कम गहरी जड़ प्रणाली की वजह से अंजीर के वृक्ष सहजता से गर्म और शुष्क समय में रह सकते हैं। अंजीर पकने के दौरान आवश्यक नमी की आपूर्ति फल को पकने में सहयोग करती है।

अंजीर की कटाई और छंटाई

अंजीर के वृक्ष की कटाई सदैव नीचे से ऊपर की ओर करनी चाहिए। बिजाई के 3 से 4 वर्ष में फसल पूरी तरह पककर तैयार हो जाती है। 

अंजीर सामान्य तौर पर मौजूदा मौसम की बढ़ोतरी के वक्त पत्तों के केंद्र पर भिन्न प्रकार से फल देता है। सर्दियों में की कटाई वृक्ष की लकड़ी की नवीन वृद्धि और फसल को बढ़ाने में सहयोग कर सकते हैं। 

बड़े वृक्षों को शानदार फसल के लिए और नवीन लकड़ी के लिए लगभग हर तीन वर्ष उपरांत सर्दियों की कटाई की आवश्यकता हो सकती है। 

शाखाएं जो बीमार, टूटी हुई या ओवरलैपिंग /ढकी हों, उन्हें तोड़ देना चाहिए। बॉर्डीआक्स पेस्ट का इस्तेमाल कटे सिरे की रक्षा के लिए किया जाना चाहिए।

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अंजीर के पौधे की देखभाल

कीट और उनका नियंत्रण

  • लीफ डिफोलिएटर: ये कीट वृक्ष के पत्तों को खाकर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं।
  • नियंत्रण: इन कीटों के नियंत्रण के लिए क्विनलफॉस 400 मि.ली. को 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
  • तना छेदक: ये कीट अंजीर के वृक्ष के मुख्य तने में हमला करके प्रजनन करना शुरू कर देते हैं।
  • रोकथाम: तना छेदक से बचाव के लिए दानेदार फोरेट का केरोसीन या पेट्रोल के साथ छिड़काव करें।
  • अंजीर की मक्खी: यह उन फलों को प्रभावित करती है जो वृक्षों से नीचे नहीं गिरे होते।
  • रोकथाम: अंजीर की मक्खी की रोकथाम के लिए ट्राइज़ोफोस 300 मि.ली. को 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे की जाती है।

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