खजूर एक बहुत ही लाभकारी फल होता है, जिसका पौधा 15 से 25 मीटर ऊँचा होता है। इसके सूखे हुए फलों से पिंडखजूर तथा फलों को सूखाकर छुहारो को बनाया जाता है। विश्व में ईरान को सबसे अधिक खजूर का उत्पादन वाला देश कहा जाता है, किन्तु वर्तमान समय में कुछ उच्च तकनीकों का इस्तेमाल कर इसकी खेती भारत के कुछ राज्यों में जलवायु के हिसाब से की जा रही है। खजूर की खेती के लिए शुष्क एवं अर्द्ध शुष्क जलवायु अच्छी मानी जाती है. इसके पौधे गर्मीयों में 50 डिग्री सेल्सियस तथा सर्दीयों में 5 डिग्री सेल्सियस तापमान को सहन करने के क्षमता होती। राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, व जोधपुर आदि क्षेत्रों की जलवायु को खजूर की खेती के लिए उपयुक्त पाया जाता है। राजस्थान के जैसलमेर जिले में मुख्य रूप से खजूर की खेती की जाती है। इस लेख में आप खजूर की खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी के बारे में जानेंगे।
खजूर की खेती के लिए शुष्क और अर्द्ध शुष्क जलवायु अच्छी मानी जाती है। इसके पौधे गर्मीयों में 50 डिग्री सेल्सियस तथा सर्दीयों में 5 डिग्री सेल्सियस तापमान को सहन करने के क्षमता होती। पौधों के अच्छे विकास के लिए 7 डिग्री सेल्सियस से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए। फलों के पकने के लिए 24 डिग्री सेल्सियस व 40 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है।
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वैसे तो खजूर की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। परन्तु इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी गई है। खजूर की खेती के लिए मिट्टी का पी.एच. मान 8 से 9 के बीच होना चाहिए। खजूर के पौधे मिट्टी में 3 से 4 प्रतिशत तक क्षारीयता सहन करने की क्षमता रखते है।
खजूर की खेती के लिए तैयार खेत में गर्मी के मौसम में 6 मीटर या 8 मीटर के फासले पर 1 मीटर x 1 मीटर x 1 मीटर आकार के गड्ढे खोदने के बाद गड्ढों को दो सप्ताह के लिए खुला छोड़ दें। इसके बाद 20-25 किलो ग्राम सड़ी हुयी गोबर की खाद, 1.60 किलो ग्राम सिंगल सुपर फाॅस्फेट एवं 250 ग्राम क्यूनालफाॅस 1.5 प्रतिशत चूर्ण या फैनवलरेट 0.4 प्रतिशत चूर्ण का मिश्रण बनाकर तैयार गड्ढ़ों दें फिर पानी लगा दें जिससे मिट्टी अच्छी तरह बैठ जाये।
खजूर के पौधे लगाते समय पौधों की थेलिया हटा दे। इसके बाद पौधे को गड्ढ़े के बीच में रखकर चारों तरफ मिट्टी से अच्छी तरह दबा दें।
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मेडजूल, खूनेझी, हिल्लावी, बरही, इनके अलावा खजूर की कई किस्में होती हैं। मादा प्रजाति में 3 किस्म बरही, खुनेजी और हिल्लावी खजूर होती हैं। नर प्रजाति में धनामी मेल और मदसरीम खजूर होते हैं। खजूर की अलग-अलग किस्मों के हिसाब से उसकी खेती होती है और हर किस्म में फल लगने का समय भी अलग होता है। खजूर का फल पकने पर बहुत मीठा और पोषक तत्वों से भरपूर होता है।