खेती चाहे सफ़ेद बैंगन की हो या बेंगनी बैंगन की दोनों ही किसानों के लिए फायदेमंद हो सकती है। सफ़ेद बैंगन की खेती ज्यादातर मार्च और अप्रैल माह में की जाती है।
सफ़ेद बैंगन को बारहमासी सब्जी माना जाता है। बैंगन की खेती किसी भी प्रकार की जलवायु और मिट्टी में की जा सकती है।
सफ़ेद बैंगन की त्वचा बाहर से चिकनी और चमकदार होती है। अन्य बैंगनों के मुकाबले में इस बैंगन का स्वाद हल्का मीठा और क्रीमी होता है। यह बैंगन करीब एक फुट का होता है जो की लम्बे और गोल आकार में देखने को मिलते है।
बैंगन की बुवाई के बाद खेत में हल्की सिंचाई करे। वैसे सफ़ेद बैंगन की खेती में ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
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रोगों और कीटों से बचने के लिए समय समय पर कीटनाशकों का उपयोग करें। बैगन की फसल लगभग 70 - 90 दिन के अंदर पककर तैयार हो जाती है।
यह कीट पौधे की पत्तियों, फूलों और फल को काफी नुक्सान पहुंचाता है। इस कीट के प्रकोप से पौधा मुरझा जाता है और धीरे धीरे सूखना शुरू कर देता है।
यह कीट हल्के पीले रंग के होते है जो पौधे के कोमल हिस्सों को काफी नुकान पहुंचाता है। यह पौधे के कोमल भागो जैसे पत्तियां और फूलों जैसे हिस्सों को खा जाते है।
यह कीट मोजेक के भाँती होता है। इस कीट के प्रकोप से फल उत्पादन पर काफी असर पड़ता है। यह कीट भी विषाणु फैलाता है जिसकी वजह से पत्तियां ऊपर की ओर मुड़ जाती है ओर पत्तियां जले हुए धब्बो के साथ पीली पड़ने लग जाती है। यह कीट पौधों का रस चूसकर पौधे को काफी नुक्सान पहुंचाती है।
यह कीट कोमल पत्तियों, टहनियों ओर फलो से रस चूसकर पौधे को कमजोर बना देता है। पूरा पेड़ और फल मीली बग से ढका हुआ होता है। इस रोग के प्रकोप के कारण फल टहनियों पर ही सिकुड़कर रह जाते है कुछ समय बाद अपने आप निचे टूटकर गिर जाते है।
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यह कीट गहरे भूरे रंग का होता है। इस कीट के प्रकोप के कारण पत्तियां पीली पड़ जाती है और मुरझा जाती है। यह कीट गर्मी के मौसम में ज्यादा प्रकोप करता है।
यह कीट पुराने पौधे की तुलना में अंकुरों को ज्यादा नुक्सान पहुंचाता है। यह कीट पौधे की जड़ों को प्रभावित कर फलों को नुक्सान पहुँचता है। कुछ समय बाद फल अपने आप गिरने लग जाते है।