भारत की लगभग 70% प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। गांव के ज्यादातर लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती और किसानी ही है। ये यहां के लोगों की आजीविका का अहम स्त्रोत है।
किसान को फसल पैदा करने में बहुत सारे कार्य करने पड़ते हैं। साथ ही, इन कार्यों के लिए उसे विभिन्न तरह के कृषि यंत्रों का इस्तेमाल करना पड़ता है।
आज हम फसल उत्पादन में काम आने वाले कृषि उपकरणों व उनके कार्यों के बारे में जानेंगे, ताकि हमारे किसान-भाइयों को सभी प्रकार के कृषि यंत्रों की जानकारी प्राप्त हो सके, जिससे वे अपनी आवश्यकता के अनुरूप कृषि उपकरणों का इस्तेमाल कर खेती के कार्य को सुगम बना सकें।
कृषि यंत्रों ने खेती के कार्य को काफी सुगम बना दिया है। वर्तमान में कृषि कार्यों की अधिकता, श्रमिकों की कमी, परंपरागत यंत्रों/पुराने यंत्रों से कृषि कार्य नहीं होना।
कृषि कार्यों के समय पर्याप्त संख्या में मजदूरों की उपलब्धता का अभाव, उत्पादन लागत में बढ़ोत्तरी जैसी वजहों ने कृषि यंत्रों का महत्व खेती में बढ़ा दिया है। कृषि कार्य पूर्णरूप से न होने या समय पर न होने पर उत्पादन व उत्पादकता में कमी आती है, जिससे किसान को काफी हानि होती है।
खेती करने के लिए सबसे पहला काम खेत को तैयार करना है। इसके लिए खेत की मिट्टी की अच्छी तरह जुताई करके उसे भुरभुरा बनाया जाता है।
इसके लिए किसान आधुनिक जुताई यंत्रों का प्रयोग करके श्रम व समय की बचत कर सकते हैं। खेत तैयार करने में ये कृषि यंत्र आपकी मदद करेंगे जो इस प्रकार से हैं।
ट्रैक्टर चालित डिस्क हैरो से जब बगीचे की जुताई करते हैं तो यह मिट्टी बाहर एवं अंदर फेंकता है, जिससे मिट्टी पेड़ से दूर जाकर गिरती है। खरपतवार वाले खेत की जुताई, नोचेज डिस्क वाले हैरो से कर सकते हैं।
यह कल्टीवेटर काली मिट्टी (कपास के लिए उपयुक्त) के लिए ज्यादा उपयुक्त है। इस यंत्र से पशुचालित कल्टीवेटर की तुलना में 30% प्रतिशत मजदूरी की बचत होती है।
यह द्वितीयक जुताई हेतु प्रयुक्त किए जाना वाला उपकरण है। कल्टीवेटर बीज की बुवाई से पूर्व खेत को तैयार करने में उपयोग किया जाता है। इसकी कार्य क्षमता 04.-05/ हेक्टेयर प्रति घंटा है।
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यह द्वितीयक जुताई यंत्र है। यह यंत्र मिट्टी को काटता है, उसे भुरभुरी बनाकर चूर्णित करता है। इसके उपयोग से बीज का जमाव अच्छा होता है तथा फसल की प्रारंभिक वृद्धि अच्छी होती है।
प्रारंभिक जुताई करने एवं गहरी जुताई करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। गहरी जुताई करने के फलस्वरूप मृदा के बड़े-बड़े ढेले निर्मित हो जाते हैं। जो बारिश होने पर पानी अवशोषित करके मुलायम हो जाते हैं।
पावर टिलर यंत्र लघु व मध्यम वर्ग के किसानों के लिए सघन खेती हेतु सबसे ज्यादा उपयुक्त शक्ति का स्रोत है। इसके द्वारा एक दिवस (8 घंटे) में तकरीबन 0.8 से 1 हेक्टेयर जुताई, पडलिंग व निराई-गुड़ाई की जा सकती है।
खूंटीदार मचाई यंत्र से मिट्टी के ढेलों को तोड़कर यंत्रीकृत धान प्रतिरोपण के लिये सामान्य मचाई की जाती है। इस यंत्र की कार्य क्षमता 0.40 हेक्टेयर प्रति घंटा है।
फसल उत्पादन के लिए बीज की बुवाई की जाती है। जहां तक संभव हो सके बीज की बुवाई कतारबद्ध तरीके से करनी चाहिए। इसके लिए कई आधुनिक यंत्रों का इस्तेमाल करके इस कार्य को आसान किया जा सकता है। प्रमुख बुवाई कृषि यंत्र इस प्रकार से हैं।
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यह पशु चलित यंत्र है, जिससे गेहूं, चना, सोयाबीन, अरहर, मसूर, सूर्यमुखी, कुसुम आदि के बीज व उर्वरक को एक साथ बोया जा सकता है।
यह एक तीन कतारी यंत्र है, जिसमें मूंगफली, मक्का, अरहर, ज्वार, तिलहन व दलहनी फसलों के बीजों को आसानी से बोया जा सकता है।
डिबलर मशीन एक हाथ से चलाई जाने वाली मशीन है, जिसका उपयोग सोयाबीन, चना, गेहूं, अरहर व अन्य फसलों की बुवाई के लिए किया जाता है। इसके उपयोग द्वारा बीज की बचत होती है।
सीड कम फर्टीड्रिल मशीन एक ट्रैक्टर संचालित यंत्र है। इसके द्वारा बुवाई के साथ-साथ उर्वरक डालने का कार्य भी होता है। इस मशीन के द्वारा गेहूं, चना, सोयाबीन, अलसी, मक्का, धान व अन्य फसलों की बुवाई की जा सकती है।
जीरो टिल सीड कम फर्टीड्रिल मशीन ट्रैक्टर संचालित कृषि यंत्र है। धान-गेहूं फसल प्रणाली वाले क्षेत्रों में गेहूं बुवाई हेतु अत्यंत उपयोगी यंत्र है। धान फसल की कटाई के बाद बगैर बखरनी किए सीधे गेहूं की बुवाई की जा सकती है।