कृषि क्षेत्र में कृषि यंत्र और उर्वरकों के बाद सबसे ज्यादा योगदान आधुनिक तकनीकों का होता है। कृषि से होने वाली आय हमेशा कई सारी चीजों पर आधारित होती है।
खेती किसानी में आंतरिक और बाहरी दोनों तरह के कारकों का फसलीय उपज पर प्रभाव पड़ता है। समय के साथ आए बदलाव के चलते किसान भी आज कृषि करने के तौर-तरीकों में भी परिवर्तन करते नजर आ रहे हैं।
आज किसान इजराइली, अमेरिकी, जापानी एवं अन्य विकसित देशों की कृषि प्रणाली और तकनीकों का उपयोग करके अपनी आमदनी को बढ़ा रहे हैं।
देश के किसान आज बड़े पैमाने पर पॉलीहाउस तकनीक के उपयोग से सब्जियों एवं फलों की खेती कर रहे हैं। पॉलीहाउस की सहायता से खेती करने पर किसान को उसकी फसल के अनुरूप तापमान सुनिश्चित करने की पूरी व्यवस्था होती है।
बागवानी से संबंधित जितनी भी फसलें हैं किसान उनका उत्पादन पॉलीहाउस तकनीक की सहायता से बड़ी सुगमता पूर्वक किसी भी मौसम में कर सकते हैं।
देश की केंद्र एवं राज्य सरकारें किसानों को पॉलीहाउस तकनीक के इस्तेमाल हेतु प्रोत्साहन देने के लिए अपने-अपने स्तर से सब्सिड़ी यानी अनुदान प्रदान करती हैं।
कई सारे पर्यावरण संरक्षण संस्थाओं की रिपोर्ट के अनुसार, भूमिगत जल स्तर में निरंतर गिरावट देखी जा रही है। भूमिगत जल स्तर में आने वाली कमी की वजह से जनजीवन के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।
टपक सिंचाई तकनीक के माध्यम से फसलीय सिंचाई में होने वाली अंधाधुंध जल की बर्बादी पर काफी हद तक लगाम लगाई जा सकती है।
इसके साथ साथ अगर इस तकनीक से किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण पर नजर डालें तो इससे किसानों की सिंचाई में लगने वाली लागत काफी कम आती है।
परिणामस्वरूप, किसान का पैसा बचता है और आय बढ़ती है। जानकारी के लिए बतादें कि केंद्र एवं राज्य सरकारें इस तकनीक को बढ़ावा देने के लिए अनुदान उपलब्ध भी कराती हैं।