किसान भाई खेती किसानी से एक अच्छा मुनाफा कमाने के लिए परंपरागत कृषि से हटकर अन्य लाभकारी फसलों की खेती कर रहे हैं।
मशरूम की खेती में निश्चित रूप से काफी कठिनाइयां हैं। परंतु, बेहतरीन तकनीक, समुचित प्रशिक्षण तथा उत्तम संसाधनों के इस्तेमाल से इन कठिनाइयों का निराकरण किया जा सकता है।
किसानों को जागरूकता और प्रबंधन कौशल के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। अगर इन चुनौतियों पर वक्त रहते ध्यान नहीं दिया जाए, तो मशरूम की खेती ना सिर्फ कृषकों की आमदनी में बढ़ोतरी करने के साथ कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करेगी।
कम जमीन और कम खर्च में बेहतर लाभ देने वाला मशरूम उत्पादन आज कृषि क्षेत्र का एक अहम और मुनाफे वाला कार्य बन चुका है।
यह कम और न्यूनतम निवेश में बेहतरीन आमदनी प्रदान कर सकता है। परंतु, कृषकों को इसमें विभिन्न प्रकार की चुनौतियाँ देखने को मिलती हैं।
जिनसे निपटने के लिए उन्हें समझकर और उनका समाधान ढूंढकर मशरूम उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।
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समस्या: मशरूम की फसलों में फफूंदजनित रोग, बैक्टीरिया संक्रमण और कीटों का हमला उपज को बर्बाद कर सकता है।
समाधान: फसल चक्र (क्रॉप रोटेशन) अपनाएं। दो फसल के बीच में मशरूम कक्ष की काफी ज्यादा साफ-सफाई करें। उत्पादन क्षेत्र और उपकरणों को नियमित तौर पर साफ रखें। जैविक नियंत्रण का इस्तेमाल अवश्य करें। संक्रमण से संरक्षण के लिए उचित वेंटिलेशन निर्धारित करें।
समस्या: मशरूम उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चे माल, जैसे गेहूं का भूसा, लकड़ी का बुरादा और अन्य सामग्री की कमी कई बार कठिनाइयाँ उत्पन्न करती हैं।
समाधान: स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री का इस्तेमाल करें। कच्चे माल को संरक्षित करने के बेहतर तरीकों को खोजें। कच्चे माल का उपयोग काफी कुशलतापूर्वक करें।
समस्या: मशरूम उत्पादन में उपयोग होने वाले बीज (स्पॉन) की गुणवत्ता काफी महत्वपूर्ण होती है। कई बार किसान खराब गुणवत्ता वाले बीजों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उत्पादन काफी प्रभावित होता है।
समाधान: प्रमाणित संस्थानों से बीज खरीदें। बीज को खरीदने से पहले उसकी ताजगी और स्रोत की जांच करें। अगर संभव हो, तो खुद स्पॉन उत्पादन के लिए प्रशिक्षण लें।
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समस्या: मशरूम की खेती के लिए तापमान, आर्द्रता और वायुवीजन जैसे पर्यावरणीय कारकों का सटीक नियंत्रण जरूरी है। इनका सही तरीके से प्रबंधन ना होने से उत्पादन में काफी गिरावट हो सकती है।
समाधान: मशरूम हाउस को थर्मल इंसुलेशन से तैयार करें। आर्द्रता बनाए रखने के लिए पानी का स्प्रे और वेंटिलेशन सिस्टम का उपयोग करें। तापमान नियंत्रित करने के लिए हीटर या कूलर का उपयोग करें।
समस्या: मशरूम उत्पादकों को बहुत बारी अपने उत्पाद की सही कीमत नहीं मिल पाती है। इसके अतिरिक्त, विपणन की कमी की वजह से उत्पाद खराब हो जाते हैं।
समाधान: स्थानीय बाजार और होटल के साथ संपर्क स्थापित करें। मशरूम के प्रसंस्कृत उत्पाद, जैसे अचार, सूप और पाउडर तैयार करें। ऑनलाइन विपणन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करें।
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समस्या: मशरूम की खेती के लिए प्रारंभिक निवेश और समय-समय पर पूंजी की जरूरत पड़ती है, जो छोटे किसानों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
समाधान: सरकारी योजनाओं और अनुदानों का फायदा उठाएं। सहकारी समितियों का गठन करें। बैंक से कृषि ऋण भी प्राप्त करें।
समस्या: बहुत सारे किसानों को मशरूम उत्पादन की उन्नत तकनीकों और प्रबंधन विधियों की जानकारी नहीं होती है।
समाधान: प्रशिक्षण और कार्यशालाओं में जरूर हिस्सा लें। कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और कृषि विश्वविद्यालयों, ICAR के हॉर्टिकल्चर आधारित संस्थानों से संपर्क करें। मशरूम उत्पादन पर आधारित पुस्तकों और ऑनलाइन संसाधनों का अवश्य अध्ययन करें।
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समस्या: मशरूम उत्पादन के नए और उन्नत तरीकों के लिए अनुसंधान का अभाव है।
समाधान: सरकार और निजी क्षेत्र को अनुसंधान और विकास में निवेश बढ़ाना चाहिए। उत्पादकों को नए शोध और प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी प्रदान करनी चाहिए।
समस्या: मशरूम काफी शीघ्रता से खराब हो जाते हैं। स्टोरेज और परिवहन की सुविधा ना होने पर यह समस्या काफी ज्यादा बढ़ जाती है।
समाधान: कोल्ड स्टोरेज की सुविधा का इस्तेमाल करें। मशरूम को तुरंत प्रसंस्कृत उत्पादों में तब्दील करें। परिवहन के दौरान सही ढ़ंग से पैकिंग करें।
समस्या: मशरूम को लेकर बहुत सारे इलाकों में सामाजिक भ्रांतियां और गलतफहमियां हैं, जिससे इसकी मांग काफी कम हो सकती है। जैसे कही कही पर इसे गोबर छत्ता कहते हैं। कुछ लोगों की मान्यता है, की यह मांसाहारी भोज्य पदार्थ है। जो कि पूर्णतय दोनों ही गलत हैं।
समाधान: मशरूम के पोषण और स्वास्थ्य फायदों के विषय में जागरुकता जरूर फैलाएं। स्थानीय समुदाय को मशरूम की उपयोगिता के संदर्भ में शिक्षित करें।