आज के समय में जलवायु-smart किस्में किसानों के लिए विकल्प नहीं, आवश्यकता बन गई हैं। ये किस्में ना केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि उपज और आमदनी बढ़ाने में भी सहयोग करती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है, कि आगामी समय में इन किस्मों को अपनाकर किसान मौसम की मार को सहन करने में सक्षम बन सकेंगे और भारत की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित कर पाएंगे।
चावल भारत सहित एशिया और अफ्रीका के करोड़ों लोगों का मुख्य भोजन है, लेकिन क्या आप जानते हैं, कि धान की खेती करने वाले किसानों को अब जलवायु परिवर्तन के चलते विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
अगर देखा जाए तो अनियमित बारिश, सूखा, बाढ़ और बढ़ता तापमान किसानों के लिए मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों ने जलवायु-स्मार्ट कृषि के अंतर्गत धान की ऐसी विभिन्न किस्में विकसित की हैं, जो कम पानी, कम समय और कठिन परिस्थितियों में भी शानदार उपज देती हैं।
जल्दी पकने वाली यह किस्म मीथेन उत्सर्जन को कम करती है और 19% प्रतिशत ज्यादा पैदावार देगी। धान की यह किस्म हैदराबाद में भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (ICAR-IIRR) द्वारा तैयार की गई है।
धान की यह किस्म सूखे और लवणीय मिट्टी झेलने में सक्षम, यह किस्म कठिन परिस्थितियों में भी 20% तक उत्पादन बढ़ा सकती है। इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नई दिल्ली से पूसा DST चावल 1 को MTU1010 किस्म से तैयार किया गया है।
ये भी पढ़ें: धान की उत्तम बुवाई के लिए 5 सबसे अच्छी सीड ड्रिल मशीनें
धान की इस किस्म को ओडिशा और बिहार में ऊपरी भूमि पर खेती के लिए तैयार किया गया है, ये दो भारतीय राज्य अक्सर अनियमित वर्षा से प्रभावित होते हैं। यह किस्म 112 दिनों में पकती है और वर्षा आधारित खेती में फायदेमंद है।
धान की पूसा बासमती 1509 किस्म 150 दिनों में पक जाती है। यह किस्म 33% प्रतिशत तक पानी बचाती है और गेहूं की बुवाई के लिए खेत जल्दी खाली करती है।
धान की पूसा आरएच 60 किस्म बिहार व यूपी के लिए बेहतरीन मानी जाती है। यह सुगंधित और लंबा दाना देने वाली संकर किस्म है।
धान की ये किस्म पारंपरिक कालानमक चावल का उन्नत रूप, अधिक उपज और कीट-रोग प्रतिरोधी है।
धान की यह किस्म 120-125 दिनों में पक जाती है। यह प्रति एकड़ 34-35 क्विंटल की औसत उपज के साथ, यह किस्म न केवल उच्च उपज देने वाली है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है। यह किस्म पराली जलाने की आवश्यकता को कम करता है।
ये भी पढ़ें: धान की फसल में आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग करके ऐसे बढ़ेगा मुनाफा
यह किस्म यह पौधा 140-145 दिनों में परिपक्व हो जाता है। बाढ़ झेलने में सक्षम यह किस्म पानी के नीचे 14 दिन तक जीवित रह सकती है, पूर्वी भारत के लिए उपयोगी है। इस किस्म के चावल इसमें छोटे, मोटे दाने की संरचना में होते हैं।
पारंपरिक किस्मों से 20-35% तक अधिक उपज मिल सकती है और यह दक्षिण एशिया में लोकप्रिय है।
धान की यह किस्म खेत में लगभग 140-145 दिनों में पक जाती है, जो इसे लंबे समय तक उगने वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त बनाती है। यह किस्म उच्च गुणवत्ता और बेहतर बाजार मूल्य वाली किस्म, निर्यात के लिए उपयुक्त है।
प्रश्न: पूसा-2090 किस्म कितने उपज देती है ?
उत्तर: यह प्रति एकड़ 34-35 क्विंटल की औसत उपज प्रदान करती है।
प्रश्न: धान की एराइज़ हाइब्रिड किस्म किस क्षेत्र में लोकप्रिय है ?
उत्तर: धान की एराइज़ हाइब्रिड किस्म दक्षिण एशिया में मशहूर है।
प्रश्न: पूसा बासमती 1509 किस्म कितने दिन में पककर तैयार हो जाती है ?
उत्तर: धान की पूसा बासमती 1509 किस्म 150 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।