फरवरी के महीना में कई सारी फसलों की बुवाई की जाती है। इसलिए आज हम आपको कुछ ऐसी फसलों के बारे में बताएंगे जो आपके लिए अच्छे मुनाफे का स्त्रोत बन सकती हैं।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार खेती से लाभ उठाने के लिए परंपरागत कृषि पद्धति को छोड़कर बाजार में मांग के अनुसार फसलों की खेती करना ज्यादा फायदेमंद है।
कई सारी रिपोर्ट्स के अनुसार किसान उन्हीं फसलों को ज्यादा उगाते हैं जो कि पहले से ही सरप्लस में हैं।
यही वजह है कि किसान की लागत अधिक और मुनाफा कम होता है। इसलिए आज ट्रैक्टरचॉइस के इस लेख में हम आपको 5 ऐसी फसलों के बारे में बताएंगे, जो कि बेहद लाभकारी हैं।
भारत के अंदर काफी बड़ी संख्या में लोग हरी सब्जी के रूप में भिंडी को बहुत ज्यादा पसंद करते हैं। इसलिए इसकी हद से ज्यादा मांग बाजार में होती है।
कृषक साथियों, आप फरवरी में इसकी खेती कर के अच्छा मुनाफा हांसिल कर सकते हैं।
भिंडी की बुवाई से पहले बीज को 12 से 24 घंटों तक पानी में डाल कर रखने से बीज जल्दी अंकुरित होते हैं। बीज की बुवाई के दौरान फासला 20 से 25 सेंटीमीटर और 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई होनी चाहिए।
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अधिकांश भारतीय व्यंजनों को तीखा बनाने के लिए मिर्च का इस्तेमाल जरूर किया जाता है। मिर्च एक बेहद महत्वपूर्ण फसल है।
भूत झोलकिया मिर्च सबसे तीखी मिर्च होती है। भारत में इसका उपयोग सुरक्षा बल आंशू गैस के गोले बनाने में भी करते हैं।
इसी बात से इस मिर्च के तीखेपन का आप अंदाजा लगा चुके होंगे। इसके अलावा मिर्च की प्रमुख किस्मों में खोला मिर्च, सिंदूर, ज्वाला मिर्च, कल्याणपुर चमत्कार, अर्का मेघना, जवाहर मिर्च-218 आदि किस्में शामिल हैं।
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जायद मौसम में सिंचाई की सही व्यवस्था होने पर मूंग की बुवाई फरवरी महीने में की जा सकती है। बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम थीरम या 1 ग्राम कार्बेंडाजिम से उपचारित करना चाहिए।
इसके बाद प्रति किलोग्राम बीज को 5 ग्राम राइजोबियम कल्चर से भी उपचारित करें। इस तरह बीज उपचारित कर के हम फसल को कई घातक रोगों एवं कीटों से बचा सकते हैं।
पेठा एक खास कद्दूवर्गीय फसल है। पेठा की बुवाई के लिए फरवरी का महीना सबसे अच्छा होता है।
भारत के बहुत सारे इलाकों में इसकी बुवाई जून-जुलाई महीने में भी की जाती है। पेठा की खेती करने के लिए प्रति एकड़ भूमि में खेती करने के लिए 2.4 से 3.2 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है।
पेठा की बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम कार्बेंडाजिम से उपचारित करना चाहिए।
पेठा की शानदार उपज पाने के लिए आप पेठा की कोयम्बटूर 1, काशी धवल, पूसा विश्वास, काशी उज्ज्वल, कोयम्बटूर 2, पूसा हाइब्रिड, नरेन्द्र अमृत, संकर नरेन्द्र काशीफल 1 आदि किस्मों का चयन कर सकते हैं।
यह समय सूरजमुखी की बुवाई के लिए सबसे अच्छा होता है। सूरजमुखी की विभिन्न उन्नतशील किस्में हैं, जिनमें ज्वालामुखी, एम.एस.एफ.एच 4, के.वी.एस.एच 1, एम.एस.एफ.एच 19, आदि अच्छी उपज देने वाली किस्में हैं।
सूरजमुखी की बुवाई के समय पौधों से पौधों की दूरी करीब 30 सेंटीमीटर रखना जरूरी होता है। बाजार में इसकी काफी अच्छी मांग और कीमत दोनों होने की वजह से किसान को काफी अच्छा मुनाफा होता है।
उपरोक्त में बताई गई फसलों की खेती करने से किसानों को अच्छा मुनाफा कमाने में काफी आसानी होगी। यह सभी फसलें बाजार में हमेशा मांग में रहती हैं। इसलिए इनकी फसल का बाजार में भाव भी अच्छा मिलता है।