कृषक साथियों, श्वेत क्रांति या ऑपरेशन फ्लड की वजह से भारत के डेयरी उद्योग ने नवीन बुलंदियों को छूने की कवायद शुरू की थी।
इस कार्यक्रम ने भारत को दुनियाभर में सर्वोच्च दुग्ध उत्पादक बनाने का कार्य किया। श्वेत क्रांति की वजह से देश के ग्रामीण किसानों का सशक्तिकरण और एक दमदार डेयरी अर्थव्यवस्था बनाया गया।
सिर्फ इतना ही नहीं श्वेत क्रांति के परिणामस्वरूप भारत को दूध के आयात हेतु अन्य देशों के ऊपर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ी।
भारत के अंदर श्वेत क्रांति को ऑपरेशन फ्लड के नाम से भी मशहूर है। अगर हम सामान्य शब्दों में जानें तो दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए अपनाए गए पैकेज प्रोग्राम को भारत में श्वेत क्रांति कहा जाता है।
श्वेत क्रांति की शुरुआत 1970 में हुई थी। दरअसल, उस वक्त सहकारी समितियों के जरिए से डेयरी विकास को संगठित करने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) का गठन किया गया था।
श्वेत क्रांति की बदौलत भारत विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश के रूप में उभरकर सामने आया।
फलस्वरूप, पशुपालक और डेयरी संचालन करने वाले कृषकों की आजीविका में सकारात्मक सुधार हुआ और ग्रामीण विकास को भी काफी प्रोत्साहन मिला। भारत में श्वेत क्रांति के जनक प्रोफेसर वर्गीज कुरियन थे।
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भारत में हुई श्वेत क्रांति का मुख्य उद्देश्य दूध की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता और दुग्ध बिक्री में वृद्धि सहित परिवहन और भंडारण का प्रबंधन ठंडे उपकरणों में करना था।
इसके साथ ही पशुपालकों के पशुओं के लिए चारे की समुचित व्यवस्था कराना है। सहकारी समितियों द्वारा विभिन्न दुग्ध उत्पादों का उत्पादन और उन उत्पादों की बड़े स्तर पर मार्केटिंग भी करना है।
श्वेत क्रांति का लक्ष्य मवेशी नस्लों (गाय और भैंस) की बेहतरी, उत्तम स्वास्थ्य सेवाएँ, पशुओं की चिकित्सा, कृत्रिम गर्भाधान सुविधाएँ और सहकारी समितियों के विशाल समूह के अनुरूप तकनीक के जरिए से डेयरी उद्योग का प्रबंधन करना।
गांव के संग्रहण केंद्र पर दूध इकठ्ठा करने के पश्चात उसको जल्द से जल डेयरी केंद्र तक पहुँचाना।
किसान और डेयरी के मध्य आने वाले अनावश्यक बिचौलियों की दखल को कम करने के मकसद शीतलन केन्द्रों का प्रबंधन उत्पादक सहकारी संघों द्वारा किया जाता है।
श्वेत क्रांति की वजह से काफी बड़ी संख्या में भारतीय कृषकों और पशुपालकों को आर्थिक तौर पर मजबूती मिली। श्वेत क्रांति के परिणामस्वरूप किसान सिर्फ और सिर्फ कृषि पर ही पूर्णतय निर्भर नहीं रहे।
जैसा कि हम सब जानते हैं कि सामान्यतः कृषकों को मौसम और अन्य कारणों की वजह से फसल उत्पादन उनकी आशा के अनुरूप नहीं मिल पाता है। ऐसी स्थिति में किसानों को काफी ज्यादा आर्थिक नुकसान वहन करना पड़ता था।
अब कृषकों के पास ऐसी स्थिति में उनके जीवनयापन के लिए नियमित आय का स्रोत दूध उत्पादन को बना लिया।
नतीजतन, इसकी वजह से किसानों की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ और उनकी आय में भी काफी वृद्धि हुई।
श्वेत क्रांति के चलते केवल किसान ही नहीं बल्कि महिलाओं के लिए भी आमदनी के बेहतरीन अवसर प्रदान करने का कार्य किया।
दूध उत्पादन और वितरण के लिए महिलाओं को रोजगार का अवसर मिला और वे आर्थिक रूप से सशक्त हुईं।
आत्मनिर्भरता के साथ महिलाओं को समाज के अंदर एक नई पहचान मिली और उनका आत्मविश्वास और मनोबल भी काफी बढ़ गया।