पशुपालन भारत के अंदर कृषि के साथ किए जाने वाला सबसे बड़ा काम है। पशुपालन करने से किसानों को अधिक आय अर्जित करने में मदद मिलती है।
ऐसे में किसान विभिन्न प्रकार की गायों का पालन कर निजी और व्यावसायिक रूप में दुग्ध उत्पादन करते हैं।
आज के समय में बाजार में दूध की ना केवल मांग है बल्कि कीमतें भी अच्छी खासी हैं। यदि किसान दुग्ध उत्पादन का कार्य शुरू करते हैं, तो उनको निश्चित रूप से काफी मुनाफा मिलेगा।
इसलिए आज हम ट्रैक्टरचॉइस के इस लेख में आपको गाय की कुछ प्रमुख नस्लों के बारे में जानकारी देंगे।
साहीवाल भारत की सर्वश्रेष्ठ प्रजाति की गाय है। यह गाय मुख्य रूप से हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पाई जाती है।
साहीवाल गाय वार्षिक 2000 से 3000 लीटर तक दूध देती है, इसलिए दूध का कारोबार करने वाले लोगों की पहली पसंद में से एक हैं।
साहीवाल गाय एक बार मां बनने पर लगभग 10 महीने तक दूध प्रदान करती है। साहीवाल की अगर आप सही से देखभाल करते हैं, तो यह कहीं भी रह सकती है।
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भारत की गिर नस्ल की गाय सबसे ज्यादा दुधारू गाय होती है। यह गाय एक दिन में 50 से 80 लीटर तक दुग्ध उत्पादन करती है। गिर गाय के थन बड़े होते हैं। आइए जानें इसकी कुछ अन्य बातों के बारे में।
लाल रंग की यह लाल सिंधी गाय काफी मात्रा में दुग्ध उत्पादन के लिए जाना जाता है। आइए जानते हैं इसकी अन्य बातों के बारे में।
भारतीय राठी गाय की नस्ल ज्यादा दूध देने के लिए मशहूर है। राठस जनजाति के नाम पर इस नस्ल का नाम राठी हुआ है।
यह गाय राजस्थान के गंगानगर, बीकानेर और जैसलमेर के क्षेत्रों में पाई जाती हैं। राठी नस्ल की गाय प्रतिदिन 6 -8 लीटर तक दूध देती है।
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राजस्थान के दक्षिण-पश्चिमी इलाकों में कांकरेज गाय मिलती है। इनमें बाड़मेर, सिरोही तथा जालौर जनपद प्रमुख हैं। इस नस्ल की गाय रोजाना 5 से 10 लीटर तक दूध प्रदान करती है।
कांकरेज प्रजाति के गोवंश का मुँह छोटा और चौड़ा होता है। इस नस्ल के बैल भी काफी अच्छा खासा वजन सहन कर सकते हैं।
थारपारकर गाय की उत्पत्ति 'मालाणी' (बाड़मेर) में हुई है। थारपरकर गाय मुख्य रूप से राजस्थान के जोधपुर और जैसलमेर इलाके में पाई जाती हैं।
भारत में पाई जाने वाली इस नस्ल की गाय सर्वश्रेष्ठ दुधारू गायों में शुमार है। राजस्थान के स्थानीय क्षेत्रों में इसको 'मालाणी नस्ल' के नाम से जाना जाता है।
हरियाणवी नस्ल की गाय सफेद रंग की होती है। हरियाणवी नस्ल की दुग्ध उत्पादन क्षमता बेहद अच्छी होती है। हरियाणवी नस्ल के बैल खेत में काफी अच्छा कार्य करते हैं, इसलिए हरियाणवी नस्ल की गायें सर्वांगी कहलाती हैं।
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देवनी नस्ल की गाय मुख्य रूप से आंध्रप्रदेश और कर्नाटक के इलाकों में पाई जाती हैं। देवनी प्रजाति की गाय गिर नस्ल से मिलती-जुलती हैं। देवनी नस्ल के बैल ज्यादा वजन ढोने की क्षमता रखते हैं और गायें दुधारू होती हैं।
नागौरी नस्ल की गाय राजस्थान के नागौर जनपद के आसपास के इलाकों में मिलती है। नागौरी नस्ल के बैलों में भी वजन ढ़ोने की क्षमता अधिक होने की वजह से ज्यादा लोकप्रियता है।
नीमाड़ी नस्ल की गाय काफी फुर्तीले होती हैं। इनके मुँह की बनावट गिर गाय के जैसी होती है।
नीमाड़ी नस्ल की गाय का रंग लाल होता है और उसपर जगह-जगह सफेद धब्बे होते हैं। नीमाड़ी नस्ल की गाय अपनी दुग्ध उत्पादन क्षमता की वजह से मशहूर है।
गाय की इन 10 नस्लों में से किसी एक को अपने क्षेत्र के अनुसार चयन कर अच्छी खासी मात्रा में दुग्ध उत्पादन किया जा सकता है। दूध की मांग आए दिन बढ़ती ही जा रही है।
दूध की अधिक मांग की वजह से इसकी बाजार में कीमत भी अच्छी मिलती है। इसलिए किसान अपनी खेती-किसानी के साथ-साथ गाय पालन करके मोटा मुनाफा हांसिल कर सकते हैं।