मूंग की टॉप 10 उन्नत किस्में और उनकी उपज

By: tractorchoice
Published on: 31-Mar-2025
मूंग की टॉप 10 उन्नत किस्में और उनकी उपज

किसान साथियों, रबी सीजन की फसलों की कटाई का समय चल रहा है। किसान अब अपनी गेहूं की फसल की कटाई करने के लिए तैयार हैं। किसान अपने खाली खेत में मूंग की बुवाई कर काफी शानदार आय अर्जित कर सकते हैं। 

रिपोर्ट के अनुसार, गर्मी के सीजन में मूंग की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद सिद्ध हो रही है। काफी किसान मूंग की खेती करने में अपनी रूचि दिखा रहे हैं। 

यह समय मूंग की खेती के लिए काफी अच्छा माना जाता है, क्योंकि इस वक्त प्राकृतिक आपदाओं जैसे– बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, बाढ़, सूखा इत्यादि की संभावना काफी कम रहती है। 

इस वजह से मूंग की खेती इस समय किसान के लिए अच्छा विकल्प है। मूंग की बाजार मांग अच्छी होने से इसकी कीमत भी अच्छी मिल जाती है। 

मूंग की खेती के लिए टॉप 10 किस्में

मूंग की खेती के लिए टॉप 10 उन्नत किस्में निम्नलिखित हैं ?

ग्रीष्मकाल में मूंग की खेती के लिए ज्यादा पैदावार हांसिल करने के लिए किसानों को बेहतरीन किस्मों का चयन करना चाहिए। 

इससे कीट–रोग आदि का आक्रमण कम हो और उत्पादन भी अच्छा मिल सके। ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई का उचित समय 10 मार्च से 10 अप्रैल तक होता है। 

किसान समय से मूंग की बुवाई करना करना चाहते हैं, वे 70 से 80 दिनों में तैयार होने वाली किस्मों का चयन कर सकते हैं।

वहीं, जहां किसान देरी से बुवाई कर रहे हैं उन किसानों को मूंग की 60–65 दिन में तैयार होने वाली किस्मों का चयन करना चाहिए। मूंग का बेहतर उत्पादन देने वाली उन्नत किस्में इस तरह से हैं।

1. मूंग की पूसा 1431 किस्म

  • मूंग की पूसा 1431 किस्म ज्यादा पैदावार देने वाली किस्म है। इस किस्म से प्रति हैक्टेयर 12–14 क्विंटल तक उपज हांसिल की जा सकती है। 
  • यह किस्म पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसके बीज बड़े, गोल और काले रंग के होते हैं। यह किस्म 56 से 66 दिन में पककर तैयार हो जाती है। 

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2. मूंग की पूसा 9531 किस्म

मूंग की पूसा 9531 किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म पीत चित्ती रोग के प्रतिरोधी किस्म हैं और मध्य भारत के लिए उपयुक्त है। 

यह किस्म 60 दिन के समयांतराल में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म से औसत उत्पादन 9 क्विंटल प्रति हैक्टेयर के अनुरूप हांसिल किया जा सकता है। 

3. मूंग की पूसा रत्न किस्म

मूंग की पूसा रत्न किस्म को आईएआरआई के जरिए तैयार किया गया है। यह किस्म पीला मोजेक वायरस के प्रति-सहनशील है। मूंग की यह किस्म 65 से 70 दिनों के समयांतराल पर पककर तैयार हो जाती है। 

मूंग की पूसा रत्न किस्म से लगभग 12 से 13 क्विंटल तक पैदावार हांसिल की जा सकती है। इस किस्म को पंजाब व दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के लिए सबसे अच्छा माना गया है। 

4. मूंग की पूसा 672 किस्म

मूंग की पूसा 672 किस्म भी बेहद शानदार किस्म है, जो 60 से 80 दिनों के समयांतराल में पककर तैयार हो जाती है। साथ ही, बेहतरीन उपज भी प्रदान करती है। 

मूंग की इस पूसा 672 किस्म से लगभग 8 से 10 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उपज प्राप्त की जा सकती है। 

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5. मूंग की पूसा विशाल किस्म 

मूंग की पूसा विशाल किस्म को आईएआरआई की तरफ से विकसित किया गया है। इसके दाने ठोस और काफी चमकदार होते हैं। मूंग की यह किस्म पीला मोजेक वायरस के प्रति प्रतिरोधी है। 

मूंग की यह किस्म गर्मियों में 60–65 दिनों के समयांतराल पर पककर तैयार हो जाती है। मूंग की इस किस्म से लगभग 12 से 13 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन हांसिल किया जा सकता है। 

6. मूंग की KPM 409-4 (हीरा) किस्म

मूंग की केपीएम 409–4 (हीरा) किस्म को आईआईपीआर, कानपुर की तरफ से विकसित किया गया है। आइए जानते हैं, मूंग की केपीएम 409–4 (हीरा) किस्म के बारे में।

  • केपीएम 409–4 (हीरा) किस्म एक बहुमुखी किस्म है, जो वसंत ओर ग्रीष्म दोनों मौसम में अच्छी उपज प्रदान करती है। 
  • मूंग की केपीएम 409–4 (हीरा) किस्म बहुत सारे रोगों के प्रति प्रतिरोधी है। 
  • मूंग की इस किस्म में रासायनिक उर्वरकों की काफी कम आवश्यकता पड़ती है।
  • मूंग की इस किस्म को पककर तैयार होने में 65–70 दिन का समय लग जाता है। 
  • मूंग की KPM 409-4 (हीरा) किस्म से 8 से 10 क्विंटल तक पैदावार हांसिल की जा सकती है। 

7. मूंग की वसुधा (आई.पी.एम. 312-20) किस्म

मूंग की वसुधा (आई.पी.एम. 312-20) किस्म को आईआईपीआर कानपुर की तरफ से विकसित किया गया है। आइए जानते हैं, मूंग की वसुधा (आई.पी.एम. 312-20) किस्म के बारे में। 

  • यह किस्म सर्कोस्पोरा लीफ स्पॉट, लीफ क्रिंकल और लीफ कर्ल रोगों के प्रति उच्च प्रतिरोधक किस्म है। 
  • वसुधा (आई.पी.एम. 312-20) किस्म 65 से 80 दिन में पककर तैयार हो जाती है। 
  • मूंग की यह किस्म 8 से 10 क्विंटल प्रति हैक्टेयर के आसपास उपज प्रदान कर सकती है। 

8. मूंग की सूर्या (आई.पी.एम. 512-1) किस्म 

मूंग की सूर्या (आई.पी.एम. 512-1) किस्म को आईआईपीआर कानपुर द्वारा 2020 में जारी किया गया था। यह किस्म सर्कोस्पोरा लीफ स्पॉट और एन्थ्रेक्नोज रोग के प्रति प्रतिरोधी किस्म है। 

मूंग की यह किस्म 60 से 65 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म से करीब 12–13 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उपज प्राप्त की जा सकती है। इस किस्म को विशेषकर उत्तर प्रदेश के लिए उपयुक्त पाया गया है।

9. मूंग की कनिका (आई.पी.एम. 302-2) किस्म 

मूंग की कनिका (आई.पी.एम. 302-2) किस्म को आईसीएआर–आईआईपीआर की ओर से विकसित किया गया है। यह किस्म पीला मोजेक रोग के लिए अधिक प्रतिरोधी है। 

इसके दाने बड़े आकर्षक हरे और चमकदार होते हैं। मूंग की इस किस्म से 12 से 14 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उपज प्राप्त की जा सकती है। 

10. मूंग की आईपीएम 205–7 (विराट) किस्म

मूंग की आईपीएम 205–7 (विराट) किस्म को आईआईपीआर कानपुर द्वारा 2014 में जारी किया गया था। आइए जानते हैं, इस किस्म से जुड़ी कुछ खास बातें। 

  • मूंग की आईपीएम 205–7 (विराट) किस्म पीला मोजेक वायरस के प्रति प्रतिरोधी किस्म है। 
  • मूंग की इस किस्म से 10 से 11 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। 
  • यह किस्म 52 से 56 दिनों के अंदर पककर तैयार हो जाती है। 
  • मूंग की इस किस्म की फलियां लंबी, मोटी और चमकदार हरे रंग की होती हैं। 
  • मूंग की यह किस्म पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु व कर्नाटक में अधिक उगाई जाती है।

निष्कर्ष -

उपरोक्त में बताई गई मूंग की टॉप 10 किस्में उपज और कीमत दोनों के मामले में बेहद अच्छी हैं। मूंग की इन शीर्ष 10 उन्नत किस्मों की बाजार में भी काफी मांग होने के चलते यह किसानों के लिए बेहद फायदे का सौदा है।

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