लाड़ली बहना योजना मध्यप्रदेश सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसके तहत प्रदेश की महिलाओं को हर माह 1500 रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है। यह योजना महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जाती है।
हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने छतरपुर जिले के राजनगर से रिमोट के माध्यम से योजना की 31वीं किस्त जारी की, जिससे 1.26 करोड़ महिलाओं के खातों में राशि सीधे ट्रांसफर की गई। पहले यह राशि 1250 रुपये प्रति माह थी, जिसे बढ़ाकर 1500 रुपये कर दिया गया है।
लाड़ली बहना योजना को शुरू हुए दो साल पूरे हो चुके हैं। वर्ष 2023 में विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस योजना की शुरुआत की थी, जो वर्तमान में केंद्रीय कृषि मंत्री हैं।
योजना की सफलता को देखते हुए महाराष्ट्र में ‘माझी लाडकी बहना’, हरियाणा में ‘लाडो लक्ष्मी’ और झारखंड में ‘मंईयां सम्मान’ जैसी समान योजनाएं शुरू की गईं। इन सभी योजनाओं में महिलाओं को सीधे उनके खाते में आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
योजना की शुरुआत में महिलाओं को 1,000 रुपये प्रतिमाह मिलते थे, जिसे बाद में बढ़ाकर 1250 रुपये और अब 1500 रुपये कर दिया गया है। राज्य सरकार का कहना है, कि आने वाले वर्षों में राशि में समय–समय पर बढ़ोतरी की जाएगी और वर्ष 2028 तक यह राशि 3,000 रुपये प्रति माह तक पहुंच सकती है।
इसके साथ ही पात्र महिलाओं को आवास योजना का लाभ मिलने की भी संभावना है। इस प्रकार यह योजना गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए आर्थिक रूप से काफी सहायक सिद्ध हो रही है।
31वीं किस्त का पैसा डीबीटी के माध्यम से लाभार्थियों के खातों में भेजा जाता है, जिसमें दो–तीन दिन का समय लग सकता है। किस्त की स्थिति जानने के लिए महिलाएं आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन संख्या या समग्र आईडी दर्ज कर भुगतान स्थिति की जांच कर सकती हैं।
यदि खाता आधार से लिंक न हो या DBT सक्रिय न हो तो राशि आने में समस्या हो सकती है। सही जानकारी होने के बाद भी किस्त न मिलने पर 0755-2700800 हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क किया जा सकता है, या सीएम हेल्पलाइन पोर्टल और cmlby.wcd@mp.gov.in ई-मेल पर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
ट्रैक्टरचॉइस पर आपको सभी प्रकार के ट्रैक्टरों, औजारों और अन्य कृषि उपकरणों से संबंधित सभी नवीनतम जानकारी मिलती है। ट्रैक्टरचॉइस ट्रैक्टर की कीमतों, ट्रैक्टर की तुलना, ट्रैक्टर से संबंधित फोटो, वीडियो, ब्लॉग और अपडेट के बारे में जानकारी के साथ-साथ सहायता भी प्रदान करता है।
भारत में किसानों की आर्थिक आमदनी को बढ़ाने और उन्हें कृषि के आधुनिक एवं लाभकारी स्वरूप से जोड़ने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। इन्हीं प्रयासों के अंतर्गत मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों को एक और बड़ी सौगात दे दी है।
सरकार ने यह घोषणा की है, कि अगर किसान औषधीय फसलों की खेती करते हैं, तो उन्हें 50% प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाएगा। यह कदम ना केवल किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करेगा, बल्कि उन्हें कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने का अवसर भी मुहैय्या कराएगा।
मध्यप्रदेश में औषधीय खेती निरंतर विस्तार करती जा रही है। वर्तमान में राज्य में लगभग 46,837 हेक्टेयर क्षेत्र में किसान औषधीय फसलों की खेती कर रहे हैं।
हर साल औषधीय फसलों की मांग और उत्पादन क्षेत्र में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली है। इसका खास वजह है, कि किसान इन फसलों से कम लागत में ज्यादा मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं। औषधीय खेती से कृषि में काफी विविधता बढ़ रही है और किसानों की आर्थिक स्थिति भी काफी मजबूत हो रही है।
आज के समय में न सिर्फ भारत, बल्कि विदेशों में भी औषधीय फसलों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। अधिकांश लोगों का अब नेचुरल और हर्बल प्रोडक्ट्स की तरफ ज्यादा रुझान दिख रहा है, क्योंकि इनके साइड इफेक्ट्स नहीं होते।
आजकल स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ने के कारण पौधों से बनने वाली आयुर्वेदिक दवाओं और सप्लिमेंट्स की मांग बढ़ रही है। बहुत सारी बड़ी कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए किसानों से औषधीय फसलें खरीद रही हैं, जिससे किसानों को स्थायी आय का स्रोत मिल रहा है।
किसानों के सशक्तिकरण और लोगों के स्वास्थ्य को मद्देनजर रखते हुए सरकार ने कुछ चुनिंदा औषधीय फसलों को प्राथमिकता सूची में शम्मिलित किया है, जिन पर 50% प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाएगी।
इससे किसानों की लागत कम होगी और लाभ भी दोगुना होगा। इनमें सफेद मूसली, ईसबगोल, तुलसी, अश्वगंधा, कोलियस एवं अन्य चयनित औषधीय पौधे शम्मिलित हैं।
अगर आप भी एक किसान हैं और आप भी इस सरकारी अनुदान का फायदा लेना चाहते हैं, तो आप सबसे पहले अपने जिले के कृषि विभाग या उद्यानिकी विभाग में संपर्क करें।
इसके बाद औषधीय फसल लगाने के लिए विभाग द्वारा उपलब्ध फॉर्म भरना होगा। फसल के अनुसार विभाग आवश्यक तकनीकी सुझाव और दिशा-निर्देश प्रदान करेगा। खेती शुरू होने के बाद विभाग नियमित रूप से मॉनिटरिंग करेगा और किसानों की मदद करेगा। सभी शर्तें पूरी होने पर अनुदान की धन-राशि को किसानों के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर कर दी जाएगी।
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मध्य प्रदेश में पशुपालन आज ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सबसे मजबूत स्तंभ बनकर उभर रहा है। खेती के बाद जिस व्यवसाय को ग्रामीण परिवार सबसे ज्यादा अपनाते हैं, वह है डेयरी और पशुपालन, क्योंकि यह स्थिर आय देने वाला क्षेत्र है और इसमें जोखिम भी कम होता है। लाखों किसान और ग्रामीण परिवार दूध उत्पादन, भैंस पालन और डेयरी व्यवसाय से अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं।
इस तेजी से बढ़ते पशुपालन कारोबार को और गति देने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना शुरू की है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य गरीब और मध्यमवर्गीय पशुपालकों को उच्च नस्ल की मुर्रा भैंस उपलब्ध कराना और डेयरी व्यवसाय को लाभदायक बनाना है। इसके तहत लाभार्थियों को दो मुर्रा भैंस खरीदने पर 50% फीसद तक सब्सिडी दी जाएगी, जिससे किसान कम पूंजी में अपना डेयरी व्यवसाय शुरू कर सकेंगे।
राज्य सरकार पशुपालन को प्रोत्साहित करने के लिए लाभार्थियों को उनकी श्रेणी के अनुसार सब्सिडी दे रही है:-
दो मुर्रा भैंसें लेने के लिए किसान को ₹1,47,500 रुपये देने होंगे।
SC/ST वर्ग के लाभार्थियों को ज्यादा सहूलियत मिलेगी, उनको सिर्फ ₹73,700 रुपये ही जमा करने पड़ेंगे। शेष धनराशि का आधा भाग सरकार 50% प्रतिशत अनुदान के रूप में स्वयं वहन करेगी। यह रकम पशुपालन विभाग के जरिए से अधिकृत एजेंसियों द्वारा जारी की जाती है, जिससे किसान बिना परेशानी के अपना डेयरी व्यवसाय प्रारंभ कर सकें।
मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना की खासियत यह है, कि लाभार्थी को सीधे दो उत्तम गुणवत्ता वाली मुर्रा भैंसें उपलब्ध कराई जाती हैं:-
मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना से किसान शुरुआत से ही दूध उत्पादन शुरू कर सकते हैं। मुर्रा भैंस में तकरीबन 10 महीने का गर्भकाल होता है और यह वर्ष भर बेहतरीन दुग्ध उत्पादन के लिए जानी जाती है।
साथ ही, सरकार लाभार्थी को 6 महीने का चारा भी उपलब्ध कराती है, जिससे नए पशुपालकों का खर्च काफी कम हो जाता है और भैंस को पौष्टिक आहार मिलता रहता है। इससे दूध उत्पादन क्षमता और गुणवत्ता दोनों में बढ़ोतरी होती है।
मुर्रा भैंस भारत की सबसे लोकप्रिय और अधिक दूध देने वाली नस्ल मानी जाती है। इसकी खासियतें जैसे तेज दूध उत्पादन, मजबूत शरीर, कम देखभाल में अच्छी उपज, लंबे समय तक प्रजनन क्षमता, बाजार में ऊंची कीमत (करीब ₹1 लाख तक) और बेहतरीन कमाई मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना के अंतर्गत मिलने वाली दो मुर्रा भैंसें करीब 20 लीटर प्रतिदिन दूध देती हैं। इससे किसान हर महीने लगभग ₹10,000 से ₹12,000 रुपये तक आराम से कमा सकते हैं।
मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना का लाभ सिर्फ किसान ही नहीं, बल्कि सामान्य नागरिक भी उठा सकते हैं। लाभार्थी अपने नजदीकी पशु चिकित्सा कार्यालय में जाएं। निर्धारित आवेदन फॉर्म भरें।
योजना के लिए जरूरी कागजात जमा करें
मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना के अंतर्गत आधार कार्ड, बैंक पासबुक, जाति प्रमाण पत्र (SC/ST के लिए), पशुपालन विभाग दस्तावेजों की जांच कर आवेदन स्वीकृत करेगा। इसके बाद लाभार्थियों को पशु चयन के लिए अधिकृत केंद्रों पर भेजा जाएगा।
प्रश्नोत्तरी
प्रश्न: मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर: गरीब और मध्यमवर्गीय पशुपालकों को उच्च नस्ल की मुर्रा भैंस उपलब्ध कराना और डेयरी व्यवसाय को लाभदायक बनाना।
प्रश्न: मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना के तहत कितनी मुर्रा भैंसें उपलब्ध कराई जाती हैं ?
उत्तर: मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना के तहत दो मुर्रा भैंसें।
प्रश्न: लाभार्थियों को कितनी सब्सिडी दी जाती है ?
उत्तर: दो मुर्रा भैंस खरीदने पर 50% फीसद तक सब्सिडी दी जाती है।
प्रश्न: सामान्य वर्ग के किसान को दो मुर्रा भैंस लेने पर कितनी राशि देनी होगी ?
उत्तर: सामान्य वर्ग के किसान को दो मुर्रा भैंस लेने पर ₹1,47,500 रुपये का भुगतान करना पड़ेगा।
प्रश्न: SC/ST वर्ग के लाभार्थियों को कितनी राशि जमा करनी होती है ?
उत्तर: SC/ST वर्ग के लाभार्थियों को केवल ₹73,700 रुपये ही जमा करने होंगे।
प्रश्न: SC/ST वर्ग को अधिक छूट क्यों मिलती है ?
उत्तर: SC/ST वर्ग को अधिक छूट इसलिए मिलती है, क्योंकि सरकार 50% प्रतिशत अनुदान स्वयं वहन करती है।
प्रश्न: किसानों को कैसी मुर्रा भैंसें दी जाती हैं ?
उत्तर: पहली भैंस: लगभग 5 महीने गर्भवती, दूसरी भैंस: एक महीने के बछड़े वाली।
सोनालिका ट्रैक्टर्स ने नागपुर में एग्रोविजन 2025 में अपना पहला CNG/CBG ट्रैक्टर दिखाकर सस्टेनेबल खेती में एक नया चैप्टर शुरू किया है। भारत के नंबर 1 ट्रैक्टर एक्सपोर्टर के तौर पर जाना जाने वाला यह ब्रांड इस फ्यूचर-रेडी हॉलेज मशीन के साथ क्लीन मोबिलिटी के लिए अपने कमिटमेंट को और पक्का करता है। इसे भारतीय खेतों में फ्यूल की लागत कम करने और एमिशन कम करने के लिए तैयार किया गया है।
यह अनावरण श्री नितिन गडकरी और श्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में हुआ। उनकी मौजूदगी ने रिन्यूएबल एनर्जी की तरफ भारत के बढ़ते कदम को हाईलाइट किया। यह ट्रैक्टर सरकार के SATAT और गोबरDHAN मिशन को सपोर्ट करता है, जिसका लक्ष्य ग्रामीण भारत में बायो-एनर्जी के उपयोग को बढ़ाना है।
कम ऑपरेटिंग कॉस्ट वाला एक हेवी-ड्यूटी ट्रैक्टर, नया CBG/CNG ट्रैक्टर हेवी हॉलेज के लिए तैयार किया गया है। जहाँ टॉर्क, ड्यूरेबिलिटी और फ्यूल की बचत जरूरी है।
फ्यूल बचाने वाला 2000 RPM इंजन, साइड-शिफ्ट सिस्टम के साथ 12+3 कॉन्स्टेंट मेश ट्रांसमिशन, ज़्यादा मजबूत ढुलाई के लिए 14.9x28 रियर टायर
40 kg डुअल फ्यूल कैपेसिटी (CNG + CBG), जिससे बार-बार रीफिलिंग की जरूरत नहीं पड़ती, एग्रोविजन 2025 में, सोनालीका ने CNG इस्तेमाल के लिए ऑप्टिमाइज किया गया एक ट्रैक्टर-ट्रॉली सेटअप भी दिखाया। यह ग्रामीण भारत में बढ़ते CNG इंफ्रास्ट्रक्चर को सपोर्ट करता है।
इंटरनेशनल ट्रैक्टर्स लिमिटेड के जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर, रमन मित्तल ने कहा कि यह लॉन्च सोनालीका के पावरफुल लेकिन इको-फ्रेंडली टेक्नोलॉजी पर फोकस को और मजबूत करता है।
उन्होंने कहा कि साफ, स्मार्ट और कॉस्ट-एफिशिएंट सॉल्यूशन भारतीय खेती के अगले फेज़ को तय करेंगे।
नया ट्रैक्टर मजबूत ढुलाई, कम ऑपरेटिंग कॉस्ट और कम एमिशन देकर इस लक्ष्य के साथ है। सोनालीका ट्रैक्टर का मकसद किसानों को ऐसी तकनीक देना है, जो हैवी-ड्यूटी परफॉर्मेंस दे और साथ ही एक साफ और ज़्यादा सस्टेनेबल भविष्य को सपोर्ट करे।
प्रश्नोत्तरी
प्रश्न: सोनालिका ने अपना पहला CNG/CBG ट्रैक्टर किस इवेंट में प्रदर्शित किया ?
सोनालिका ने अपना पहला CNG/CBG ट्रैक्टर एग्रोविजन 2025, नागपुर इवेंट में पेश किया है।
प्रश्न: यह ट्रैक्टर भारत के किन दो प्रमुख सरकारी मिशनों को सपोर्ट करता है ?
SATAT मिशन और गोबरDHAN मिशन
प्रश्न: इस नए CNG/CBG ट्रैक्टर की इंजन RPM क्षमता कितनी है ?
इस नए CNG/CBG ट्रैक्टर की इंजन 2000 RPM तक है।
प्रश्न: इस ट्रैक्टर में किस प्रकार का ट्रांसमिशन दिया गया है ?
इस ट्रैक्टर में 12+3 कॉन्स्टेंट मेश ट्रांसमिशन (साइड-शिफ्ट सिस्टम) है।
राजस्थान सरकार का बड़ा फैसला, किसानों की बढ़ेगी कमाई, केंद्र की मंजूरी के बाद कई उपज की 24 नवंबर से शुरू होगी खरीद प्रक्रिया, 3 लाख से अधिक किसानों ने कराया रजिस्ट्रेशन—बायोमेट्रिक पहचान अनिवार्य।
राजस्थान में समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीफ फसलों—मूंग, मूंगफली, सोयाबीन और उड़द—की खरीद 24 नवंबर से शुरू होने जा रही है। इसके लिए अब तक 3.12 लाख से अधिक किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। मंगलवार को केंद्र सरकार से खरीद प्रक्रिया के लिए औपचारिक मंजूरी मिल गई है।
सहकारिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम कुमार दक ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित लक्ष्य के अनुसार इस बार 3,05,750 मीट्रिक टन मूंग, 1,68,000 मीट्रिक टन उड़द, 5,54,750 मीट्रिक टन मूंगफली और 2,65,000 मीट्रिक टन सोयाबीन की खरीद की जाएगी।
जानकारी के अनुसार, मूंग की 340, मूंगफली की 302, सोयाबीन की 79 और उड़द की 151 केंद्रों पर खरीद की जाएगी। अब तक मूंग बेचने के लिए 97 हजार 392, मूंगफली के लिए 1 लाख 87 हजार 580 सोयाबीन के लिए 26 हजार 143 एवं उड़द के लिए 1 हजार 681 किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है।
इस प्रकार अब तक कुल 3 लाख 12 हजार 796 किसान समर्थन मूल्य पर उपज बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। केंद्र सरकार द्वारा मूंग का समर्थन मूल्य 8,768 रुपये, मूंगफली का 7,263 रुपये, उड़द का 7,800 रुपये और सोयाबीन का समर्थन मूल्य 5,328 रुपये प्रति क्विंटल (एफ.ए.क्यू. श्रेणी ) घोषित किया गया है.
इस तरह कुल 3,12,796 से अधिक किसान समर्थन मूल्य पर अपनी उपज बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं।
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केंद्र सरकार की ओर से घोषित समर्थन मूल्य (एफ.ए.क्यू. श्रेणी):
सहकारिता मंत्री ने बताया कि बीकानेर और चूरू जिलों में फर्जी गिरदावरी और फर्जी रजिस्ट्रेशन की शिकायतों पर जांच करवाई गई। जांच में बीकानेर में 5,954 और चूरू में 9,819 फर्जी रजिस्ट्रेशन पाए गए।
राजफेड ने ऐसे सभी टोकन निरस्त कर दिए हैं और वास्तविक किसानों के लिए खरीद सीमा तक नए रजिस्ट्रेशन किए जाएंगे।
इस बार MSP पर खरीद किसानों की आधार आधारित बायोमेट्रिक पहचान के माध्यम से होगी। OTP के जरिए खरीद की सुविधा उपलब्ध नहीं रहेगी। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार NAFED और NCCF की ओर से 90 दिनों के भीतर खरीद पूरी की जाएगी।
सहकारिता मंत्री ने राजफेड को सभी खरीद केंद्रों पर जरूरी व्यवस्थाएं समय पर पूरा करने के निर्देश दिए हैं, ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
प्रश्न: राजस्थान में MSP पर खरीफ फसलों की खरीद कब से शुरू होगी?
उत्तर: राजस्थान में MSP पर खरीफ फसलों की खरीद 24 नवंबर से शुरू होगी।
प्रश्न: राज्य में किन फसलों की MSP पर खरीद की जाएगी ?
उत्तर: मूंग, उड़द, सोयाबीन और मूंगफली।
प्रश्न: MSP खरीद के लिए अब तक कितने किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है?
उत्तर: अब तक 3,12,796 से अधिक किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
प्रश्न: केंद्र सरकार ने मूंग का MSP कितना निर्धारित किया है ?
उत्तर: केंद्र सरकार ने मूंग का MSP 8,768 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
प्रश्न: मूंगफली का समर्थन मूल्य (MSP) कितना है ?
उत्तर: मूंगफली का समर्थन मूल्य (MSP) 7,263 रुपये प्रति क्विंटल है।
किसानों और ग्रामीण उद्यमियों को प्रोत्साहित करने और उन्हें व्यवसाय खोलने के लिए सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन (PMFME) योजना के तहत विभिन्न खाद्य प्रसंस्करण यूनिट्स की स्थापना पर अनुदान दिया जा रहा है।
इस योजना के तहत किसान और उद्यमी यदि आटा चक्की, मसाला चक्की, डेयरी प्रोडक्ट यूनिट, पापड़, अचार, नमकीन यूनिट, गुड़ घाना, टमाटर केचप, अदरक सोंठ, आलू चिप्स जैसी किसी भी खाद्य प्रसंस्करण यूनिट (इकाई) की स्थापना करते हैं, तो उन्हें लागत का 35% या अधिकतम 10 लाख रुपए तक की सब्सिडी दी जाएगी।
यदि आप भी किसान या उद्यमी हैं और अपना व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो यह योजना आपके लिए बहुत काम की साबित हो सकती है। आज हम आपको इस योजना की जानकारी दे रहे हैं, ताकि आप भी इस योजना का लाभ उठाकर अपना स्वयं का व्यवसाय स्थापित करके अच्छी कमाई कर सकें, तो आइए जानते हैं, इसके बारे में।
उद्यानिकी विभाग, छिंदवाड़ा के उप संचालक द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक यह योजना आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत चलाई जा रही है, जिसका उद्देश्य छोटे-मध्यम स्तर के किसानों, ग्रामीण महिलाओं, स्व-सहायता समूहों और स्थानीय उद्यमियों को अपने स्वयं के प्रसंस्करण उद्योग शुरू करने के लिए प्रेरित करना है। आज के समय में कृषि क्षेत्र में वैल्यू एडिशन की मांग तेजी से बढ़ी है, ऐसे में खाद्य प्रसंस्करण यूनिट शुरू करना किसानों के लिए कमाई का बड़ा साधन बन सकता है।
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PMFME योजना का लक्ष्य किसानों और सूक्ष्म उद्यमियों को तकनीकी मार्गदर्शन, ब्रांडिंग-मार्केटिंग सहायता और वित्तीय सहायता देना है। इस योजना के तहत यदि कोई किसान या उद्यमी अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने, नया यूनिट लगाने या पहले से चल रही यूनिट को अपग्रेड करना चाहता है, तो सरकार उससे जुड़ी लागत का एक हिस्सा अनुदान के रूप में प्रदान करती है।
उदाहरण के तौर पर, यदि किसी किसान को आटा चक्की लगानी है और उसके लिए 25 से 30 लाख रुपए की लागत आती है, तो उसे करीब 8 से 10 लाख रुपए तक की सहायता दी जा सकती है। इससे किसान पर आर्थिक बोझ कम होता है और व्यवसाय शुरू करने में आसानी मिलती है।
पीएमएफएमई (PMFME) योजना के तहत उपकरणों की खरीद के अलावा पैकेजिंग, ग्रेडिंग, मशीनरी के आधुनिकीकरण और उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी पर भी अनुदान मिलता है। ग्रामीण इलाकों में इन उद्योगों की स्थापना से स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है और किसानों को अपनी फसल का बेहतर मूल्य प्राप्त होता है।
उप संचालक उद्यान ने बताया कि इस योजना के तहत आटा चक्की, मसाला चक्की, आलू चिप्स यूनिट, टमाटर केचप उत्पादन यूनिट, अदरक का सोंठ पाउडर, लहसुन पाउडर, पापड़, बरी, नमकीन, मिठाई, डेयरी प्रोडक्ट यूनिट, पशु आहार निर्माण यूनिट, गुड़ घाना, जूस फैक्ट्री और अन्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए अनुदान दिया जाता है। इस योजना की सहायता से किसान कृषि उपज को सीधे बाजार में कच्चे रूप में बेचने की बजाय प्रोसेस्ड रूप में बेचकर दुगुना–तिगुना मुनाफा कमा सकते हैं।
उद्यमी और किसान इस योजना के लिए जिले के उद्यानिकी विभाग के मैदानी स्टाफ, ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी, वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी या जिला कार्यालय से संपर्क कर आवेदन की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा, विभाग द्वारा अधिक जानकारी और सहायता के लिए नियुक्त जिला रिसोर्स पर्सन (DRP) के मोबाइल नंबर भी जारी किए गए हैं, जो इस प्रकार से हैं, आप इन नंबरों पर भी जानकारी ले सकते हैं।
ये अधिकारी आवेदन प्रक्रिया, आवश्यक दस्तावेज, पात्रता और यूनिट लगाने से जुड़ी सभी तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराएंगे। आवेदन की प्रक्रिया सरल बनाई गई है ताकि अधिक से अधिक किसान और ग्रामीण उद्यमी इस योजना का लाभ उठा सकें।
सरकार की मंशा है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाए, इसलिए इस योजना का लाभ महिला स्व-सहायता समूह (SHG) भी ले सकते हैं। SHG के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण यूनिट स्थापित करने पर समूह की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और गांव में रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं।
सरकार की ओर से दी जा रही 10 लाख रुपए तक की सब्सिडी उन किसानों के लिए सुनहरा मौका है जो खेती के साथ अपना छोटा उद्योग शुरू करना चाहते हैं। प्रसंस्करण यूनिट लगाने से आय के नए स्रोत बनते हैं और उनकी फसल का वैल्यू एडिशन होता है। इस योजना के जरिये किसान स्थानीय स्तर पर उत्पादों की मार्केटिंग, पैकेजिंग और ब्रांडिंग करके अपने उत्पादों को बड़े बाजार तक पहुंचा सकते हैं। पीएमएफएमई (PMFME) योजना ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने का एक प्रभावी माध्यम बनकर उभर रही है। इससे किसान व छोटे उद्यमी लाभ उठा सकते हैं।
किसानों और ग्रामीण उद्यमियों को स्वावलंबी बनाने के लिए सरकार लगातार विभिन्न योजनाएँ चला रही है। इसी क्रम में उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन (PMFME) योजना के तहत विभिन्न खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना पर अनुदान उपलब्ध करा रहा है। इस योजना का उद्देश्य किसानों, स्व-सहायता समूहों और ग्रामीण युवाओं को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
अगर कोई किसान या उद्यमी आटा चक्की, मसाला चक्की, डेयरी प्रोडक्ट यूनिट, नमकीन, पापड़, अचार, टमाटर केचप, गुड़ घाना, आलू चिप्स या अन्य खाद्य प्रसंस्करण यूनिट लगाता है, तो इस योजना के तहत सरकार लागत का 35 प्रतिशत या अधिकतम 10 लाख रुपए तक की सब्सिडी देती है। इससे किसानों पर आर्थिक बोझ कम होता है और उद्योग लगाने की राह आसान हो जाती है। उदाहरणस्वरूप, यदि किसी यूनिट की लागत 25–30 लाख रुपये है, तो लगभग 8–10 लाख रुपये तक की सहायता मिल सकती है।
उद्यानिकी विभाग, छिंदवाड़ा के अनुसार यह योजना आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत चलाई जा रही है, जिसका लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में वैल्यू एडिशन बढ़ाकर किसानों की आय में वृद्धि करना है। आज कृषि उत्पादों के प्रोसेसिंग की मांग तेजी से बढ़ रही है, ऐसे में प्रसंस्करण यूनिट लगाना एक लाभदायक व्यवसाय साबित हो सकता है। यूनिट लगाने के अलावा उत्पादन क्षमता बढ़ाने, मशीनरी के आधुनिकीकरण, पैकेजिंग और ग्रेडिंग पर भी अनुदान मिलता है।
आटा चक्की, मसाला चक्की, पशु आहार निर्माण, डेयरी उत्पाद, पापड़-बड़ी, मिठाई, फलों के रस, गुड़ प्रसंस्करण और अन्य खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को योजना में शामिल किया गया है। इससे किसान फसल को कच्चे स्वरूप में बेचने के बजाय प्रोसेस्ड रूप में बेचकर दुगुना-तिगुना लाभ कमा सकते हैं। इससे ग्रामीण इलाकों में रोजगार भी बढ़ता है और स्थानीय कृषि उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग को बढ़ावा मिलता है।
योजना के लिए आवेदन जिले के उद्यानिकी विभाग, ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी, वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी या जिला कार्यालय के माध्यम से किया जा सकता है। साथ ही अधिक जानकारी के लिए विभाग द्वारा नियुक्त जिला रिसोर्स पर्सन (DRP) से संपर्क भी किया जा सकता है:-
ये अधिकारी आवेदन प्रक्रिया, दस्तावेज़ों, पात्रता और मशीनरी स्थापना से जुड़ी तकनीकी सहायता उपलब्ध कराते हैं।
यह योजना महिला स्व-सहायता समूहों (SHG) के लिए भी बड़ा अवसर है। समूहों द्वारा यूनिट लगाने से आर्थिक सशक्तिकरण बढ़ता है और गांव में रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं। सरकार की ओर से दी जा रही 10 लाख रुपए तक की सब्सिडी उन किसानों और उद्यमियों के लिए महत्वपूर्ण अवसर है, जो खेती के साथ अपना उद्योग शुरू करना चाहते हैं।
कुल मिलाकर, PMFME योजना ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने का एक प्रभावी माध्यम बनकर उभर रही है। इससे किसान न केवल अपनी फसल का बेहतर मूल्य प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि स्थानीय स्तर पर उत्पाद तैयार कर उन्हें बड़े बाजारों तक पहुंचा सकते हैं।
प्रश्न: PMFME योजना का पूर्ण नाम क्या है ?
उत्तर: PMFME योजना का पूरा नाम प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना है।
प्रश्न: PMFME योजना किस अभियान के अंतर्गत संचालित की जाती है ?
उत्तर: PMFME योजना आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत संचालित की जाती है।
प्रश्न: योजना के तहत कितना अनुदान मिल सकता है ?
उत्तर: अगर किसी खाद्य प्रसंस्करण यूनिट की लागत 25–30 लाख रुपये हो तो लगभग 8-10 लाख रुपये या लागत का 35% तक अनुदान मिल जाएगा।
प्रश्न: PMFME योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर: योजना का उद्देश्य किसानों और सूक्ष्म उद्यमियों को खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए वित्तीय, तकनीकी और विपणन सहायता प्रदान करना है।
भारत में कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने और छोटे किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त करने के उद्देश्य से भारत सरकार कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। इन्हीं महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक है प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Yojana), जिसकी शुरुआत वर्ष 2019 में की गई थी। इस योजना के माध्यम से सरकार देश के पात्र किसानों को हर वर्ष 6,000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करती है, जिसे दो-दो हजार की तीन किस्तों में सीधे बैंक खाते में भेजा जाता है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 21वीं किस्त 19 नवंबर 2025 को जारी होगी, जिससे 9 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा। योजना के तहत सालाना 6,000 रुपये तीन किस्तों में दिए जाते हैं। नियमों के अनुसार पति और पत्नी दोनों एक साथ लाभ नहीं ले सकते; परिवार में केवल उस सदस्य को लाभ मिलता है जिसके नाम कृषि भूमि दर्ज हो। किस्त पाने के लिए ई-केवाईसी और भूलेख सत्यापन अनिवार्य है।
इस सहायता का उद्देश्य किसानों को खेती के दौरान आने वाली छोटी-मोटी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने में मदद करना है, ताकि वे खेती की निरंतरता बनाए रख सकें। वर्तमान समय में देश के करोड़ों किसान इस योजना का लाभ लेकर अपने जीवन और कृषि कार्यों में सुधार कर रहे हैं।
सरकार ने घोषणा की है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 21वीं किस्त 19 नवंबर 2025 को जारी की जाएगी। लंबे समय से किसान इस किस्त का इंतजार कर रहे थे, और अब उनका यह इंतजार खत्म होने वाला है। इस बार सरकार द्वारा लगभग 9 करोड़ किसानों के बैंक खातों में 18 हजार करोड़ रुपये की राशि ट्रांसफर की जाएगी।
हर वर्ष की तरह इस बार भी सरकार लाभार्थियों के खातों में सीधे डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से किस्त भेजेगी, जिससे पारदर्शिता बनी रहती है। PM Kisan Yojana की किस्त जारी होने से देशभर में छोटे और सीमांत किसानों को राहत मिलेगी, और वे रबी सीजन के कार्यों में इस राशि का उपयोग कर सकेंगे।
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अक्सर किसानों के मन में यह सवाल उठता है कि क्या परिवार में किसान पति और पत्नी दोनों इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं और लाभ प्राप्त कर सकते हैं ?
योजना के नियमों के अनुसार पति और पत्नी दोनों एक साथ PM Kisan Yojana का लाभ नहीं ले सकते। यह योजना प्रति परिवार आधारित है, न कि व्यक्तिगत आधार पर।
PM Kisan Yojana में पति-पत्नी दोनों को लाभ न देने का कारण यह है कि योजना का उद्देश्य अधिक से अधिक परिवारों को सहायता प्रदान करना है, न कि एक ही परिवार को दोहरी सहायता देना।
यदि पति और पत्नी दोनों को लाभ मिलने लगे, तो एक ही परिवार में जमीन की स्थिति चाहे वही हो, लेकिन सहायता की मात्रा दो गुना हो जाएगी। इससे उन परिवारों के साथ असमानता होगी जिनके पास कृषि भूमि कम है या सीमांत किसान हैं। इसलिए योजना में पारिवारिक आधार का नियम रखा गया है।
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केंद्र सरकार द्वारा योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए पात्रता के अहम मानदंड तय किए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-
21वीं किस्त प्राप्त करने के लिए किसानों को एक और महत्वपूर्ण नियम का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है, कि PM Kisan Yojana का लाभ तभी मिलेगा जब किसान अपनी ई-केवाईसी (e-KYC) और भूलेख सत्यापन (Land Record Verification) पूरा कर लेंगे।
यदि किसान समय रहते e-KYC नहीं कराते हैं तो उनकी किस्त रोक दी जाती है। लाभार्थी की स्थिति "Pending" दिखने लगती है। बैंक खाते में पैसा ट्रांसफर नहीं किया जाता। इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपने नजदीकी CSC केंद्र, ऑनलाइन पोर्टल या PM Kisan ऐप के माध्यम से समय पर e-KYC पूरा करें।
PM Kisan Yojana देश में सबसे लोकप्रिय कृषि योजनाओं में से एक बन चुकी है। इसके पीछे कई कारण हैं-
सरकार लगातार इस योजना को और पारदर्शी और सुलभ बनाने के लिए कदम उठा रही है, ताकि अधिक से अधिक किसानों को लाभ मिल सके।
प्रश्न: पीएम किसान योजना की 21वीं किस्त कब जारी होगी ?
उत्तर: 19 नवंबर 2025
प्रश्न: PM Kisan Yojana के तहत हर वर्ष किसान को कितनी आर्थिक सहायता मिलती है ?
उत्तर: ₹6,000
प्रश्न: PM किसान की 21वीं किस्त से कितने किसानों को लाभ मिलने वाला है ?
उत्तर: 9 करोड़
लाड़ली बहनों के लिए राहतभरी खबर सामने आई है। मध्यप्रदेश कैबिनेट ने मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत मिलने वाली सहायता राशि में बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है। आगे इस लेख में जानेंगें - कितना हुआ इजाफा और कब तक आएगी नई किस्त की धनराशि।
मध्यप्रदेश सरकार ने लाड़ली बहना योजना की लाभार्थी महिलाओं को काफी बड़ी खुशखबरी दी है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोमवार को राज्य सचिवालय में हुई कैबिनेट मीटिंग के दौरान एक महत्वपूर्ण फैसले को मंजूरी दी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के तहत महिलाओं को मिलने वाली धनराशि में वृद्धि की जाएगी और जल्द ही यह बढ़ी हुई राशि लाभार्थी बहनों के खातों में भेजी जाएगी।
लाड़ली बहना योजना का लाभ वही महिलाएं उठा सकती हैं, जिनके परिवार की वार्षिक आय ₹2.5 लाख से अधिक न हो। जिनके घर का कोई भी सदस्य सरकारी नौकरी में न हो। जिनके घर में किसी व्यक्ति को पेंशन मिल रही है, वे महिलाएं इस योजना की पात्र नहीं होंगी। वहीं, राज्य की विवाहित, विधवा, तलाकशुदा या परित्यक्ता महिलाएं इस योजना की पात्र हैं और वे इसका पूरा लाभ उठा सकती हैं।
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लाड़ली बहना योजना की शुरुआत मार्च 2023 में ₹1,000 मासिक स्टाइपेंड के साथ की गई थी। इसके बाद सितंबर 2023 में इस राशि को बढ़ाकर ₹1,250 कर दिया गया था। अब सरकार ने इसमें ₹250 की और बढ़ोतरी करते हुए इस राशि को ₹1,500 प्रति माह कर दिया है। सरकार इस संशोधित राशि को नवंबर 2024 से लागू करेगी।
मीडिया खबरों के मुताबिक, नवंबर महीने की पहली ₹1,500 की किस्त 12 तारीख को सिवनी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान जारी की जा सकती है। इस बार लगभग 1.26 करोड़ बहनों के खातों में यह बढ़ी हुई धनराशि हस्तांतरित की जाएगी, जिससे बड़ी संख्या में महिलाओं को सीधा लाभ मिलेगा।
ध्यान दें - जिन महिलाओं ने अभी तक ई-KYC की प्रक्रिया को पूरा नहीं किया है, उनके खातों में यह धनराशि नहीं भेजी जाएगी। इसलिए सभी पात्र महिलाएं शीघ्रता से अपनी ई-KYC की प्रक्रिया को पूरी कर लें।
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लाड़ली बहना योजना का प्रमुख लक्ष्य राज्य की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना है, ताकि वे किसी पर निर्भर न रहें। इस योजना की राशि से महिलाएं छोटे व्यवसाय या स्वरोजगार की शुरुआत कर सकती हैं और अपने परिवार का पालन-पोषण बेहतर तरीके से कर सकती हैं।
मध्य प्रदेश सरकार का कहना है, कि इस योजना की धनराशि वर्ष 2028 तक बढ़ाकर ₹3,000 प्रति माह कर दी जाएगी। इस घोषणा से लाखों महिलाओं के चेहरों पर खुशी की चमक लौट आई है।
प्रश्न: लाड़ली बहना योजना की शुरुआत कब की गई थी ?
उत्तर: मार्च 2023
प्रश्न: योजना की शुरुआत में महिलाओं को प्रति माह कितनी राशि दी जाती थी ?
उत्तर: ₹1,000
प्रश्न: सितंबर 2023 में लाड़ली बहना योजना की राशि बढ़ाकर कितनी की गई थी ?
उत्तर: ₹1,250
प्रश्न: मध्य प्रदेश सरकार ने अब इस योजना की सहायता राशि बढ़ाकर कितनी कर दी है ?
उत्तर: ₹1,500
प्रश्न: बढ़ी हुई ₹1,500 की धनराशि किस महीने से लागू होगी ?
उत्तर: नवंबर 2024
भारत की नामचीन और अग्रणी ट्रैक्टर निर्माता कंपनी सोनालिका ट्रैक्टर ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। कंपनी के बांग्लादेशी वितरक एसीआई मोटर्स लिमिटेड (ACI Motors Ltd) ने महज एक ही दिन में 350 ट्रैक्टरों की डिलीवरी कर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है। यह उपलब्धि मात्र चार घंटे में हासिल की गई, जो कृषि क्षेत्र में एक नई मिसाल बन चुकी है। यह ऐतिहासिक समारोह दिनाजपुर, बांग्लादेश में आयोजित हुआ, जिसका थीम था “Sonalikar Bisshojoy” — यानी सोनालिका की विश्व विजय।
सोनालिकर बिसजॉय थीम पर इस समारोह में हजारों किसानों और डीलरों ने हिस्सा लिया। यह आयोजन सिर्फ ट्रैक्टर डिलीवरी का कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह प्रगति, साझेदारी और उत्पादकता का भी उत्सव था।
सोनालिका की इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया कि भारतीय तकनीक और नवाचार अब वैश्विक मंच पर भी मजबूती से अपनी छाप छोड़ रहे हैं। कंपनी का यह कहना है, कि यह सफलता केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि किसानों के विश्वास, मेहनत और उनकी जरूरतों को समझने की यात्रा का परिणाम है।
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सोनालिका ट्रैक्टर पिछले पांच सालों से लगातार बांग्लादेश का नंबर-1 ट्रैक्टर ब्रांड है। कंपनी का बाजार हिस्सा 50% प्रतिशत से भी ज्यादा है। यह अपने 30 से 75 हॉर्सपावर (HP) के हेवी-ड्यूटी ट्रैक्टर बांग्लादेश को निर्यात करती है। खास बात यह है, कि इन ट्रैक्टरों को वहां की मिट्टी और फसलों की जरूरतों को ध्यान में रखकर कस्टमाइज किया जाता है। इन ट्रैक्टरों की मजबूती, माइलेज और आधुनिक तकनीक की वजह से यह बांग्लादेशी किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हैं।
हर सोनालिका ट्रैक्टर भारत के होशियारपुर (पंजाब) स्थित दुनिया के सबसे बड़े इंटीग्रेटेड ट्रैक्टर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में तैयार किया जाता है। यहां हर दो मिनट में एक नया ट्रैक्टर तैयार किया जाता है। यह संयंत्र ना सिर्फ अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित है, बल्कि इसमें गुणवत्ता नियंत्रण के सख्त मानदंडों का पालन किया जाता है। यह वही जगह है, जहां से भारत की मिट्टी की महक अब विश्वभर के खेतों तक पहुंच रही है।
इस उपलब्धि पर अपने विचार साझा करते हुए, डॉ. दीपक मित्तल, मैनेजिंग डायरेक्टर, इंटरनेशनल ट्रैक्टर्स लिमिटेड, ने कहा, "सोनालीका की विरासत इस दृढ़ विश्वास से प्रेरित है कि भारत की श्रेष्ठता दुनिया को प्रेरित कर सकती है और इसलिए सोनालीका का प्रत्येक ट्रैक्टर भारत की किफायती इंजीनियरिंग विशेषज्ञता और ब्रांड की अदम्य भावना का प्रतीक है, जो दुनिया भर में लाखों सपनों को ताकत प्रदान करती है। बांग्लादेश के हमारे डिस्ट्रीब्यूटर ए सी आई मोटर्स द्वारा हासिल किया गया यह नया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड, हमारे सफर में विश्वास रखने वाले हर किसान और हर साथी के प्रति हमारा आभार है। सोनालीका परिवार का प्रत्येक सदस्य आज गर्वित है, और हम दुनिया भर के किसानों को सशक्त बनाने के अपने मिशन पर कायम हैं।"
इस अवसर पर बोलते हुए, श्री गौरव सक्सेना, डायरेक्टर एंड सीईओ - इंटरनेशनल बिज़नेस, आई टी एल, ने कहा, "बांग्लादेश में हमारे डिस्ट्रीब्यूटर ए सी आई मोटर्स लिमिटेड द्वारा हासिल की गई एक दिन में अब तक की सबसे बड़ी डिलीवरी का नया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्शाता है कि कैसे विश्वास, ग्राहक-केंद्रितता और उद्देश्य एक साथ मिलकर प्रभावशाली रहते हैं। सोनालीका के लिए, परिवर्तन का अर्थ है प्रत्येक किसान, प्रत्येक पार्टनर और प्रत्येक समुदाय का उत्थान करना, जिनकी हम भारतीय इनोवेशन के साथ सेवा करते हैं। भारतीय धरती से विश्व मंच तक की हमारी यात्रा हमारे मूल्यों और प्रत्येक किसान का सम्मान करने वाले नवाचार के साथ कृषि में परिवर्तन जारी रखने के वादे से प्रेरित है।"
सोनालीका ट्रैक्टर्स ने बांग्लादेश में ए सी आई मोटर्स लिमिटेड के साथ पिछले 18 वर्षों की साझेदारी में हेवी ड्यूटी ट्रैक्टरों द्वारा अपने नेतृत्व को लगातार मजबूत किया है। कंपनी पिछले 5 वर्षों से बांग्लादेश में नंबर 1 ट्रैक्टर ब्रांड के रूप में मज़बूती से बनी हुई है और उद्योग में 50% से अधिक मार्किट शेयर भी हासिल किया है। सोनालीका बांग्लादेश को 30-75 एच पी की रेंज में अपने हैवी ड्यूटी ट्रैक्टरों का एक्सपोर्ट करती है, जिन्हें देश के किसानों की फसल और मिट्टी की जरूरतों के अनुसार अनुकूलित किया जाता है। प्रत्येक सोनालीका ट्रैक्टर कंपनी के होशियारपुर, पंजाब में दुनिया के सबसे बड़े एकीकृत ट्रैक्टर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में बनाया जाता है| ये प्लांट हाई क्वालिटी स्टैण्डर्ड के साथ 2 मिनट में एक नया हेवी ड्यूटी ट्रैक्टर तैयार करता है।
सोनालिका की यह उपलब्धि सिर्फ कंपनी की नहीं, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ मिशन की वैश्विक सफलता है। इस रिकॉर्ड के साथ भारत ने दुनिया को यह दिखाया है कि जब संकल्प, गुणवत्ता और नवाचार एक साथ चलते हैं, तो सीमाएं मायने नहीं रखतीं।
आज सोनालिका सिर्फ एक ट्रैक्टर ब्रांड नहीं, बल्कि किसानों की उम्मीद और आत्मनिर्भर कृषि का प्रतीक बन चुकी है। बांग्लादेश में बना यह रिकॉर्ड आने वाले समय में कई अन्य देशों के लिए प्रेरणा बनेगा कि भारतीय तकनीक अब सिर्फ प्रतिस्पर्धा नहीं करती — वह नेतृत्व करती है।
प्रश्न : सोनालिका ट्रैक्टर के किस वितरक ने बांग्लादेश में एक ही दिन में 350 ट्रैक्टरों की डिलीवरी की ?
उत्तर: एसीआई मोटर्स लिमिटेड (ACI Motors Ltd)
प्रश्न: सोनालिका ट्रैक्टर द्वारा यह विश्व रिकॉर्ड कितने घंटे में बनाया गया ?
उत्तर: 4 घंटे में
प्रश्न: यह ऐतिहासिक आयोजन किस स्थान पर हुआ था ?
उत्तर: दिनाजपुर
प्रश्न: सोनालिका द्वारा आयोजित इस समारोह की थीम क्या थी ?
उत्तर: Sonalikar Bisshojoy (सोनालिका की विश्व विजय)
प्रश्न: सोनालिका ट्रैक्टर बांग्लादेश में कितने हॉर्सपावर (HP) के ट्रैक्टर निर्यात करती है ?
उत्तर: 30 से 75 HP
उत्तर प्रदेश में यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) तेजी से भारत के अगले प्रमुख ट्रैक्टर निर्माण केंद्र के रूप में उभर कर सामने आ रहा है।
वैश्विक कृषि मशीनरी अग्रणी न्यू हॉलैंड एग्रीकल्चर ने YEIDA द्वारा आवंटित 100 एकड़ भूमि पर एक अत्याधुनिक ट्रैक्टर संयंत्र बनाने के लिए ₹5000 करोड़ के बड़े निवेश की घोषणा की है।
इस परियोजना को केवल एक महीने के अंदर ही सरकारी मंजूरी मिल गई, जो राज्य की तेज औद्योगिक विकास के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
यह क्षेत्र शीर्ष ट्रैक्टर निर्माताओं के लिए एक आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। एस्कॉर्ट्स कुबोटा पहले ही ₹4,500 करोड़ के निवेश से 190 एकड़ में अपनी इकाई स्थापित कर रहा है, जबकि सोनालीका ट्रैक्टर्स ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। ये सभी परियोजनाएँ मिलकर गौतमबुद्ध नगर को ट्रैक्टर और कृषि-मशीनरी उत्पादन के लिए भारत के अग्रणी केंद्र में बदल रही हैं।
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इन नई विनिर्माण इकाइयों से इंजीनियरों और मशीन ऑपरेटरों से लेकर ट्रांसपोर्टरों और स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं तक, हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की आशा है। यह विकास एमएसएमई, ऑटो पार्ट निर्माताओं और विक्रेताओं को भी सहयोग प्रदान करेगा, जिससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को काफी मजबूती मिलेगी।
निवेश की यह लहर भारत के "मेक इन इंडिया" मिशन को और अधिक बढ़ावा देगी, क्योंकि यहाँ उत्पादित ट्रैक्टर घरेलू माँग और निर्यात बाजार, दोनों की पूर्ति करेंगे। यह भारत को कृषि उपकरण निर्माण में वैश्विक अग्रणी के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है।
नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे और समर्पित माल ढुलाई गलियारे के निकट स्थित, YEIDA सड़कों, रसद और उपयोगिताओं में तेज़ी से बुनियादी ढाँचे के उन्नयन के लिए तैयार है। बढ़ती औद्योगिक गतिविधि से क्षेत्र में और अधिक वैश्विक निवेशकों और संबद्ध उद्योगों के आकर्षित होने की उम्मीद है।
प्रश्न: YEIDA किस राज्य में स्थित है ?
उत्तर: उत्तर प्रदेश
प्रश्न: न्यू हॉलैंड एग्रीकल्चर ने YEIDA क्षेत्र में कितनी भूमि पर अपना नया संयंत्र स्थापित करने की घोषणा की है ?
उत्तर: 100 एकड़
प्रश्न: न्यू हॉलैंड का कुल निवेश कितना है ?
उत्तर: ₹5000 करोड़
प्रश्न: न्यू हॉलैंड की परियोजना को सरकारी मंजूरी कितने समय में मिली ?
उत्तर: 1 महीने में
प्रश्न: YEIDA क्षेत्र में एस्कॉर्ट्स कुबोटा कितने एकड़ भूमि पर अपनी इकाई स्थापित कर रही है ?
उत्तर: 190 एकड़
किसानों की सिंचाई लागत को कम करने और उन्हें ऊर्जा के वैकल्पिक साधन मुहैय्या कराने के मकसद से केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर प्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM-KUSUM) के अंतर्गत सोलर पंप लगाने को बढ़ावा दे रही हैं। इस योजना के तहत किसानों को खेत में सोलर पंप लगवाने के लिए मोटे अनुदान का फायदा प्रदान किया जा रहा है।
अब ऐसी स्थिति में किसान इस योजना के अंतर्गत सोलर पंप लगवाकर 24 घंटे सिंचाई की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य किसानों को सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई प्रणाली उपलब्ध कराना है, ताकि वे महंगी बिजली और डीजल पर निर्भरता से मुक्त हो सकें।
अब सरकार ने योजना में किसानों के लिए नवीन राहत की घोषणा की है। सौर ऊर्जा पंप संयंत्रों पर जीएसटी दर 12% प्रतिशत से घटाकर 5% प्रतिशत कर दी गई है। जीएसटी में इस कटौती से किसानों को सोलर पंप की स्थापना पर 4,209 से 7,811 रुपए तक की सीधी बचत होगी।
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केंद्र सरकार की इस पहल से किसानों को सोलर पंप अब पहले की तुलना में काफी कम कीमत पर उपलब्ध होंगे। सरकार का लक्ष्य है, कि अधिक से अधिक किसान अपने खेतों में सौर ऊर्जा संयंत्र लगवाएं, जिससे सिंचाई लागत घटे और कृषि उत्पादन बढ़े।
राजस्थान सरकार ने भी इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश में 3 HP, 5 HP और 7.5 HP क्षमता वाले सोलर पंप संयंत्रों की स्थापना पर किसानों को 60% प्रतिशत तक का अनुदान (सब्सिडी) दिया जा रहा है।
योजना के तहत अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के किसानों को 45,000 रुपए तक का अतिरिक्त अनुदान प्रदान किया जा रहा है। इसके अलावा किसान अपनी शेष लागत के लिए 30% प्रतिशत तक का ऋण बैंक से प्राप्त कर सकते हैं। इस तरह किसान को स्वयं केवल 10 प्रतिशत राशि जमा करनी होती है, जिसके बाद वह अपने खेत में सौर ऊर्जा पंप संयंत्र की स्थापना करा सकता है।
उद्यान विभाग, झालावाड़ के उप निदेशक सुभाष शर्मा ने बताया कि सरकार द्वारा जीएसटी दर घटाने के निर्णय से किसानों की आर्थिक भार में काफी कमी आएगी। उन्होंने कहा कि अब किसान अपनी हिस्से की राशि नई दरों के अनुसार कम लागत पर जमा करा सकेंगे और सोलर पंप लगवाने की प्रक्रिया तेजी से पूरी कर सकेंगे।
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सौर ऊर्जा पंप संयंत्र की स्थापना के बाद किसान को सिंचाई के लिए अब बिजली कनेक्शन का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इससे किसानों को दिन के समय फसलों की सिंचाई करने की सुविधा मिलेगी और उत्पादन क्षमता में सुधार होगा। डीजल और बिजली खर्च में कमी आने से खेती की लागत घटेगी और किसान की आमदनी बढ़ेगी।
केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि अगले कुछ वर्षों में देशभर के लाखों किसानों तक सौर ऊर्जा पंप पहुंचाए जाएं। यह पहल “डबल इनकम” (किसानों की आय दोगुनी करने) के लक्ष्य को भी सशक्त करेगी।
राजस्थान के किसान पीएम कुसुम योजना के तहत सोलर पंप के लिए राज किसान पोर्टल (rajkisan.rajasthan.gov.in) पर स्वयं या ई-मित्र केंद्र के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करते समय किसानों को निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होगी जिसमें जन आधार कार्ड, जमाबंदी की प्रमाणित कॉपी, सिंचाई स्रोत प्रमाण पत्र, बैंक खाता विवरण और आवश्यक श्रेणी प्रमाण पत्र (यदि लागू हो) शामिल हैं।
अधिकारी ने बताया कि जो किसान पहले से आवेदन कर चुके हैं, वे अपनी हिस्सा राशि शीघ्र जमा करवाकर पंप स्थापना कार्य पूरा करें। यदि किसान निर्धारित समय में राशि जमा नहीं कराते हैं, तो उनकी प्राथमिकता निरस्त कर दी जाएगी और अवसर नए आवेदकों को प्रदान किया जाएगा।
पीएम कुसुम योजना से ना केवल सिंचाई की सुविधा आसान होगी, बल्कि किसान ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में भी कदम बढ़ा सकेंगे। सौर पंपों से जल निकासी में किसी प्रकार की बाधा नहीं होती और यह पर्यावरण के लिए भी काफी अनुकूल है। बतादें, कि पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत जीएसटी दर में कमी और अनुदान की सुविधा से किसानों को अब सोलर पंप पहले से कहीं अधिक सस्ते मिल सकेंगे।
यह कदम किसानों को सिंचाई में आत्मनिर्भर बनाकर उनकी खेती को आर्थिक रूप से अधिक सशक्त करेगा। योजना के संबंध में अधिक जानकारी या मार्गदर्शन के लिए किसान अपने नजदीकी उद्यान विभाग कार्यालय, सहायक कृषि अधिकारी या कृषि पर्यवेक्षक (उद्यानिकी) से संपर्क कर सकते हैं।
प्रश्न 1. प्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM-KUSUM) का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर: किसानों को सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई प्रणाली उपलब्ध कराना
प्रश्न: हाल ही में सौर ऊर्जा पंप संयंत्रों पर जीएसटी दर कितने प्रतिशत से घटाकर कितनी की गई है ?
उत्तर: 12% से 5%
प्रश्न: जीएसटी दर में कटौती से किसानों को सोलर पंप पर लगभग कितनी सीधी बचत होगी ?
उत्तर: ₹4,209 से ₹7,811 तक
प्रश्न: राजस्थान में 3 HP, 5 HP और 7.5 HP क्षमता वाले सोलर पंप संयंत्रों पर कितने प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है ?
उत्तर: 60%
प्रश्न: एससी-एसटी वर्ग के किसानों को योजना के तहत कितनी अतिरिक्त राशि का अनुदान दिया जा रहा है?
उत्तर: ₹45,000
प्रश्न: किसान अपनी शेष लागत के लिए कितने प्रतिशत तक का ऋण बैंक से प्राप्त कर सकते हैं?
उत्तर: 30%
ट्रैक्टर निर्माताओं ने सरकार से 25-50 एचपी ट्रैक्टरों के लिए TREM-V उत्सर्जन मानदंडों के कार्यान्वयन को 2028 तक स्थगित करने का अनुरोध किया है। नए मानक अगले साल लागू होने की उम्मीद है, लेकिन उद्योग का कहना है कि उच्च उत्पादन लागत और तकनीकी चुनौतियों के कारण छोटे ट्रैक्टरों को इसके अनुकूल होने के लिए अधिक समय की आवश्यकता है।
प्रस्तावित TREM-V मानदंडों का उद्देश्य कण और नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन को कम करना है। जहाँ 50 एचपी से अधिक क्षमता वाले ट्रैक्टर पहले से ही TREM-IV मानकों को पूरा करते हैं, वहीं कम एचपी वाले ट्रैक्टर अभी भी पुराने TREM-IIIA मानदंडों का पालन करते हैं।
महिंद्रा एंड महिंद्रा के राजेश जेजुरिकर सहित उद्योग के नेताओं ने कहा कि ट्रैक्टर और मशीनीकरण संघ (TMA) ने किसानों के लिए किफायती समाधान सुनिश्चित करने के लिए 2028 की समय-सीमा का सुझाव दिया है।
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विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि जल्द कार्यान्वयन से ट्रैक्टरों की कीमतें बढ़ सकती हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में सर्विसिंग मुश्किल हो सकती है। एस्कॉर्ट्स कुबोटा के भारत मदान ने आगाह किया कि उन्नत उत्सर्जन प्रणालियों से लागत बढ़ेगी और कुशल मैकेनिकों की आवश्यकता होगी, जो गाँवों में दुर्लभ हैं।
उद्योग सरकार के साथ एक व्यावहारिक परिवर्तन योजना पर विचार-विमर्श जारी रखे हुए है, जो छोटे और सीमांत किसानों पर बोझ डाले बिना स्वच्छ प्रौद्योगिकी सुनिश्चित करे।
प्रश्न: ट्रैक्टर निर्माताओं ने सरकार से किस वर्ष तक TREM-V उत्सर्जन मानदंड स्थगित करने का अनुरोध किया है ?
उत्तर: 2028
प्रश्न: TREM-V मानदंड किन ट्रैक्टरों पर लागू किए जाने की बात है ?
उत्तर: 25–50 HP
प्रश्न: नए TREM-V उत्सर्जन मानक का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर: उत्सर्जन को कम करना
प्रश्न: 50 एचपी से अधिक क्षमता वाले ट्रैक्टर वर्तमान में किस मानक का पालन करते हैं ?
उत्तर: TREM-IV
प्रश्न: कम एचपी वाले ट्रैक्टर वर्तमान में किस उत्सर्जन मानदंड का पालन कर रहे हैं ?
उत्तर: TREM-IIIA
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Tractorchoice मेरे लिए एक गेम-चेंजर साबित हुआ है ! मैं एक विश्वसनीय ऑनलाइन प्लेटफार्म की तलाश में था जहाँ से मैं एक नया ट्रैक्टर खरीद सकूँ, Tractorchoice मेरी उम्मीदों पर खरा उतरा है ।
Sundar Singh
Farmer
Tractorchoice के साथ मुझे अपने पुराने को बेचने में काफी आसानी हुई । इस प्लेटफ़ॉर्म की मदद से मैंने अपने ट्रैक्टर को सूचीबद्ध किया, और बहुत की कम समय में, मेरे पास कई enquiry आ गई थीं।
Rameshawar Dayal Sharma
Farmer
ट्रैक्टर की सर्विस कराने के लिए एक विश्वसनीय स्थान खोजने में मुझे पहले बहुत कठिनाई होता था, लेकिन जब मैंने tractorchoice के बारे में जाना, तब से मेरी ये समस्या हल हो गई ।
Sanjay
Farmer
I had a fantastic experience using TractorChoice to buy a new tractor. The platform had an extensive range of top brands, and the buying process was smooth
Puneet Srivastav
Farmer