केंद्र और राज्य दोनों स्तर की सरकारें निरंतर किसानों की आय बढ़ाने की कवायद में जुटी हुई हैं।
किसान भाइयों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के उद्देश्य से सरकार की तरफ से किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं जारी की जा रही हैं, जिनका उन्हें फायदा भी मिल रहा है।
इसी क्रम में राज्य सरकार की तरफ से किसानों को उनकी फसल खरीद पर अच्छा-खासा बोनस भी दिया जा रहा है।
इससे उन्हें अपनी फसल बिक्री पर 3100 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी (MSP) दिया जाएगा, जिसमें बोनस के 800 रुपए भी शामिल होंगे।
इस तरह राज्य के किसानों को इस बार धान विक्रय करने पर केंद्र द्वारा निर्धारित एमएसपी 2300 रुपए के साथ 800 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बोनस दिया जाएगा।
इस धनराशि को राज्य के मुख्यमंत्री 8 दिसंबर को जारी करेंगे।
ओड़िशा राज्य के मुख्यमंत्री के अनुसार, किसानों को इनपुट सहयोग के रूप में प्रति क्विंटल धान पर 800 रुपए की अतिरिक्त धनराशि दी जाएगी,
क्योंकि राज्य के किसानों को अक्सर बाढ़, चक्रवात, सूखा और फसलों पर कीटों के आक्रमण जैसी आपदाओं से जुझना पड़ता है, जिससे फसल प्रभावित होती है।
इस समस्या को ध्यान में रखते हुए धान किसानों को इस बार 3100 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से भुगतान किया जाएगा।
धान के लिए 3100 रुपए प्रति क्विंटल की इस धनराशि में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी के रूप में 2300 रुपए और इनपुट सहायता के रूप में 800 रुपए शामिल हैं।
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ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने पिछले दिनों राज्य के किसानों के हित में बड़ा फैसला लेते हुए धान के लिए प्रति क्विंटल 800 रुपए की अतिरिक्त राशि देने का ऐलान किया था।
भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा-पत्र में ओडिशा के धान किसानों को 3100 रुपए प्रति क्विंटल देने का वादा किया था।
भाजपा सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा है, कि सरकार 8 दिसंबर को बरगढ़ जिले के सोहेला में राज्य स्तरीय किसान सम्मेलन आयोजित करेगी, जिसमें किसानों को प्रति क्विंटल 800 रुपए की अतिरिक्त राशि जारी की जाएगी।
किसान को एमएसपी के साथ इस अतिरिक्त राशि का भुगतान डीबीटी के जरिए से 48 घंटे के अंदर उनके बैंक खाते में हस्तांतरित कर दिया जाएगा।
ओडिशा सरकार की तरफ से किसानों के लिए लाभार्थी सीएम किसान योजना के साथ कालिया योजना शुरू की गई है। इसके लिए राज्य बजट में 1935 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
इस योजना के तहत तीन घटकों को शामिल किया है, जिसके तहत किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। यह तीन घटक इस प्रकार से हैं।
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ओड़िशा सरकार की योजना के इस घटक के अंतर्गत छोटे और सीमांत किसानों को खेती के लिए हर साल 4,000 रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
यह वित्तीय सहायता 2,000 रुपए प्रति फसल सीजन के अनुरूप वर्ष में दो बार दो किस्तों में दी जाएगी। इसमें पहली किस्त रबी फसल सीजन और दूसरी किस्त खरीफ फसल सीजन के लिए जारी की जाएगी।
इससे प्राप्त होने वाली किस्त से किसान खेती के लिए उर्वरक, बीज और कीटनाशकों जैसे कृषि इनपुट खरीद सकते हैं।
योजना के दूसरे घटक में भूमिहीन किसान जो बागवानी, पशुधन और मत्स्य पालन आधारित गतिविधियों से जुड़े हुए है, उन्हें इस घटक के तहत हर साल 12,500 रुपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
इस योजना के तहत छोटी बकरी पालन इकाइयां, डकरी इकाइयां, मिनी परत इकाइयां, मछुआरों के लिए मत्स्य पालन किट, मशरूम की खेती, शहद की मक्खियों को पालना, तसर की खेती, डेयरी फार्मिंग, दोहरे उद्देश्य वाली कम इनपुट प्रौद्योगिकी वाली पक्षी इकाइयों को शामिल किया गया है।
इस योजना का तीसरा घटक कृषि विद्या निधि योजना है, जिसके तहत योजना के लाभार्थियों के बच्चों को राज्य के एआईएसएचई कोड वाले सरकारी और निजी संस्थानों में इंजीनियरिंग, मेडिकल, नर्सिंग, कृषि और संबद्ध डिप्लोमा और आईटीआई में विभिन्न ट्रेडों जैसे- पेशेवर या तकनीकी पाठ्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय मदद दी जाती है।
ओडिशा सरकार ने भी अपने राज्य में पीएम किसान योजना लागू की हुई है। इसके तहत राज्य के किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ भी प्रदान किया जा रहा है।
इस योजना से जुड़े किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की किस्त का लाभ उपरोक्त योजना के लाभ के अलावा मिल रहा है।
ऐसे में उड़ीसा के किसानों को केंद्र की पीएम किसान योजना और राज्य की सीएम किसान योजना दोनों का लाभ प्रदान किया जा रहा है।
किसानों को उनकी फसल का बेहतर भाव मिल सके, इसके लिए राज्य सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं।
राज्य सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसल खरीदने के साथ ही अब किसानों के लिए ई-मंडी प्लेटफार्म (E-mandi platform) की सुविधा शुरू करने जा रही है।
इससे किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए मंडी में इंतजार नहीं करना होगा। इस सुविधा के शुरू होने से किसान घर बैठे अपनी फसल बेच सकेंगे।
राज्य सरकार का मानना है कि इस सुविधा से किसानों को उनकी फसल का बेहतर भाव मिल सकेगा।
दरअसल, राजस्थान सरकार की ओर से किसानों के लिए ऑनलाइन फसलों की खरीद की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए सरकार ई-मंडी प्लेटफार्म (E-mandi platform) की शुरुआत करने जा रही है।
राज्य सरकार ने इसके लिए अपने बजट 2024-25 में घोषणा की थी। इसके तहत ई-मंडी प्लेटफार्म की सुविधा किसानों को प्रदान करना भी शामिल है।
सरकार की ओर से संपूर्ण मंडी समिति की प्रक्रिया को ई-मंडी प्लेटफार्म के माध्यम से किए जाने के लिए आवक से लेकर जावक गेट पास की पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जाएगा।
इसमें मुख्य रूप से ई-ऑक्शन और ई-भुगतान प्रक्रिया को अपनाया जाएगा।
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राजस्थान के शासन सचिव कृषि एवं उद्यानिकी राजन विशाल के अनुसार प्रदेश की मंडियों को ई-प्लेटफार्म (E-mandi platform) के माध्यम से उनका डिजिटलीकरण (Digitalization) किया जाएगा।
इससे ई-ऑक्शन (E-auction) के माध्यम से व्यापारियों को किसी भी स्थान पर प्रत्यक्ष तोर पर मौजूद हुए बिना ही भाव लगाने का अवसर मिलेगा।
बजट घोषणा के क्रियान्वयन की कड़ी में मध्यप्रदेश में संचालित ई-मंडी प्लेटफार्म का अध्ययन करने के लिए राजस्थान राज्य कृषि विपणन विभाग के पांच अधिकारियों का दल उज्जैन एवं देवास मंडी के भ्रमण के लिए भेजा जाएगा।
अध्ययन दल द्वारा भ्रमण कर अर्जित सूचना एवं व्यवहारिक रूप से संचालित गतिविधियों को समझने और देखने के पश्चात मध्यप्रदेश की मंडियों में संचालित ई-मंडी प्लेटफार्म ई-अनुज्ञा, ई-मंडी, फार्मगेट को राज्य में लागू किए जाने के संबंध में सुझाव प्रस्तुत किया जाएगा।
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कृषि विपणन निदेशक राजेश चौहान ने अनुसार बजट घोषणा के क्रियान्वयन के लिए खेत से फसल खरीद की परिकल्पना को पूरा करने और नियमन व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए ई-मंडी प्लेटफार्म विकासित किया जाना प्रस्तावित है। इससे प्रदेश के किसानों और व्यापारियों को बेहतर विपणन सुविधाएं मिल सकेंगी।
ई-मंडी प्लेटफार्म (E-mandi platform) के विकसित होने से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि प्रदेश के किसान अपने खेत से राज्य की किसी भी मंडी में अपनी फसल को बेच सकेंगे।
इससे किसानों को उनकी फसल का उचित भाव हांसिल हो सकेगा।
वहीं, मंडी समिति को भी सभी प्रकार की सूचनाएं जैसे पंजीकृत व्यापार, मंडी में आने वाले किसान, मंडी शुल्क, भाव तथा आवक-जावक रिकॉर्ड एक ही स्थान पर उपलब्ध हो सकेगा।
ई-भुगतान (E-payment) की सरल प्रक्रिया से किसानों और व्यापारियों को सुगमता, मंडी रिकॉर्ड एवं नियमन की दृष्टि से अनियमितता कम हो सकेगी।
किसान खेत से अपनी फसल की पूर्ति तथा व्यापारी की मांग के आधार पर फैसला ले सकेंगे।
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अभी राजस्थान में किसानों के लिए अपनी फसल बेचने के लिए सहकारिता विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन पंजीकरण (Online Registration) की व्यवस्था है।
किसान यहां अपनी फसल बेचने के लिए सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक ऑनलाइन पंजीकरण करवा सकते हैं। एक किसान एक मोबाइन नंबर पर केवल एक पंजीकरण ही करवा सकता है।
वहीं किसान को अपनी कृषि भूमि से संबंधित तहसील स्थित खरीद केंद्र पर ही उत्पाद बेचना होगा। अन्य केंद्रों पर तुलाई का अनुरोध स्वीकार नहीं किया जाएगा।
अभी मूंग और मूंगफली के लिए पंजीयन किए जा रहे हैं। इसकी खरीद के लिए राज्य में 357 केंद्रों पर मूंग और 267 केंद्रों पर मूंगफली की खरीद की जाएगी।
खरीद की तारीख अभी घोषित नहीं की गई है लेकिन जल्द ही इसकी घोषणा की जाएगी। हालांकि 18 नवंबर से खरीद का प्रस्ताव है जिसे 90 दिन की अवधि के लिए रखा गया है।
केंद्र सरकार की ओर से हर साल रबी व खरीफ सीजन की बुवाई से पहले उनके न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) की घोषणा की जाती है।
केंद्र सरकार द्वारा इस खरीफ सीजन 2024 के लिए फसलों का एमएसपी (MSP) तय किया गया है, उसके अनुसार मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य 8682 रुपए प्रति क्विंटल और मूंगफली का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6783 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। प्रदेश के किसानों से इसी मूल्य पर मूंग व मूंगफली की खरीद की जाएगी।
भारत भर में रबी सीजन के प्रारंभ के साथ ही किसानों ने गेहूं की बुवाई की तैयारियां शुरू कर दी हैं। राज्य सरकार ने इस बार किसानों के हित में गेहूं के समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि का फैसला लिया है।
विगत वर्ष की तुलना में इस बार 150 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है, जो कि 2025-26 के सीजन में लागू होगा।
राज्य सरकार द्वारा निर्धारित इस नई दर से किसानों को उनकी मेहनत का और भी सही लाभ मिलेगा, जिससे वे ज्यादा उत्साह के साथ गेहूं की खेती कर सकेंगे।
इससे बिहार में खेती की लागत और आय के बीच बेहतर संतुलन बनेगा, जिससे किसानों की आमदनी को बढ़ाने में भी सहयोग मिलेगा।
बिहार सरकार द्वारा गेंहू के समर्थन मूल्य को बढ़ाने के बाद अब प्रदेश के किसान गेहूं 2,425 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेच सकेंगे।
बतादें, कि सरकारी खरीद केंद्रों पर किसानों से गेंहू खरीदा जाएगा। इसके अलावा, राज्य सरकार ने किसानों से बढ़े हुए समर्थन मूल्य का लाभ लेने के लिए किसानों से ज्यादा से ज्यादा गेहूं की बुवाई करने की अपील की है।
आपको बताते चलें कि, किसानों को गेंहू सरकारी केंद्रो पर बेचने के लिए पहले रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
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बिहार में रबी फसलों के लिए करीब 40 लाख हेक्टेयर क्षेत्र है, जिसमें से 26 लाख हेक्टेयर के आस-पास केवल गेहूं की बुवाई की जाती है।
इसके हिसाब से 50 फीसद से भी अधिक हिस्सें में किसान गेहूं की खेती करते हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में बिहार के किसानों को समर्थन मूल्य योजना लाभ मिलने वाला है।
इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान का कृषि विभाग के डीबीटी पोर्टल पर पंजीकरण कराना जरूरी होगा।
बिहार के कृषि विभाग के डीबीटी पोर्टल पर पंजीकरण करने पर ही किसान अपने नजदीकी सरकारी गेहूं खरीद केंद्र पर 2,425 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं बेच सकते हैं।
इसके 48 घंटों के अंदर बैंक खाते में पेमेंट हांसिल कर सकते हैं। ऐसे में राज्य सरकार ने जानकारी देते हुए बताया है,
कि FCI सभी राजस्व जिलों में सरकारी गेहूं खरीद केंद्र, बिहार सरकार प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, व्यापार मंडल हर पंचायत और ब्लॉक स्तर पर गेहूं खरीद केंद्र बनाए जाऐंगे।
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बिहार सरकार के डीबीटी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने के लिए किसान के पास आधार कार्ड नंबर, मोबाइल नंबर और जमीन का विवरण होना अनिवार्य है।
इनके बिना किसान का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा और वह सरकारी एमएसपी(MSP) रेट पर गेहूं नहीं बेच पाएंगे।
बिहार के किसानों के लिए गेहूं बेचने का पूरा काम ऑनलाइन कर दिया गया है। खेत का स्वामी या बटाईदार किसान डीबीटी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद धान या गेहूं बेच सकते हैं।
रजिस्ट्रेशन होने के बाद किसान को एक नंबर मिलता है, जिससे सहकारिता विभाग के पोर्टल पर आवेदन करना होगा। वहीं,
अगर किसी किसान का पहले से ही कृषि विभाग के डीबीटी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन हुआ है, तो उसे दोबारा करने की जरूरत नहीं है।
ऐसे में किसानों को पहले से मिले नंबर के माध्यम से ही सहकारिता विभाग के पोर्टल पर आवेदन करना है।
राज्य सरकार ने किसानों की आमदनी को बेहतर करने और कृषि क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक नई कवायद शुरू की है।
राज्य में पहली बार 'ब्याज अनुदान योजना 2024-25' के तहत किसानों को लंबे समय तक चलने वाले एग्री और गैर-एग्री लोन पर आकर्षक ब्याज अनुदान का लाभ दिया जाएगा।
राज्य सरकार की इस नवीन योजना के अंतर्गत कृषकों को 7% प्रतिशत ब्याज अनुदान देती है।
वहीं, गैर-कृषि ऋण पर 5% प्रतिशत तक ब्याज अनुदान देती है, जिससे किसान भाइयों को अपना ऋण चुकाने में काफी सहूलियत मिलती है।
साथ ही, कृषकों की आमदनी में भी निश्चित रूप से वृद्धि होती है।
राज्य सरकार की इस कल्याणकारी योजना का मकसद कृषकों को समय पर कर्ज चुकाने के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें अधिकतम वित्तीय सहयोग मुहैया कराना है।
राज्य सरकार ने इस योजना के अंतर्गत कुल 39.75 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। किसानों को इस बार 7% प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जाएगा,
जो कि समय पर कर्जा चुकाने वाले किसानों के लिए बड़ी राहत साबित हो सकता है। यानी कि किसान अब 4% प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान कर सकेंगे।
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ब्याज अनुदान योजना के अंतर्गत जो किसान सहकारिता बैंकों से कृषि और गैर-कृषि कर्ज लेते हैं और समय पर अपनी किस्तें चुकाते हैं,
उन्हें इस योजना का लाभ मिलेगा। अगर हम उदाहरण के तौर पर समझें तो यदि कोई किसान इस वर्ष 10 लाख रुपये का एग्री लोन लेता है
और उसे नियमित चुकाता है, तो उसे 7% ब्याज अनुदान के रूप में 68,231 रुपये की छूट मिलेगी।
इसी तरह, गैर-एग्री लोन के लिए भी 5% ब्याज अनुदान का प्रावधान किया गया है, जिससे किसानों को लगभग आधा ब्याज ही देना पड़ेगा।
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एग्री लोन के अंतर्गत किसान कृषि कार्यों जैसे पम्पसैट, ड्रिप सिंचाई, ट्रैक्टर, कृषि यंत्र, डेयरी, भेड़-बकरी पालन, मधुमक्खी पालन जैसे विभिन्न कार्यों के लिए ऋण ले सकते हैं।
वहीं गैर-एग्री लोन में सूक्ष्म एवं लघु उद्योग, स्वास्थ्य सेवा, उच्च शिक्षा और खेत पर आवास निर्माण के लिए भी लोन का प्रावधान है।
इस योजना के माध्यम से राजस्थान सरकार का उद्देश्य न केवल किसानों को वित्तीय मदद प्रदान करना है। साथ ही, किसानों को आत्मनिर्भर बनाना और कृषि क्षेत्र में सतत विकास को प्रोत्साहित करना है।
भारत में नवंबर का करीब आधा महीना बीतने को है। लेकिन, अभी तक उत्तर भारत में ठंड ने दस्तक नहीं दी है।
वहीं कुछ राज्य ऐसे हैं जहां कई दिनों से सुबह और शाम के समय हल्की ठंड महसूस की जा रही है।
भारत में इस वर्ष अच्छी खासी बारिश के बाद से अनुमान लगाया जा रहा है, कि इस बार जबरदस्त ठंड पड़ सकती है।
मौसम विभाग ने भारत के मौसम को लेकर कुछ जानकारी प्रदान की है। आइए ट्रैक्टरचॉइस के इस लेख में आगे हम जानेंगे अगले 5 दिन मौसम कैसा रहने वाला है।
मौसम विभाग के मुताबिक, 12 से 15 नवंबर के दौरान तमिलनाडु, पुडुचेरी, कराईकल, तटीय आंध्र प्रदेश, यनम और रायलसीमा के अलग-अलग स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश के साथ-साथ छिटपुट गरज और बिजली गिरने की संभावना है।
12 से 17 नवंबर के दौरान तमिलनाडु, 13 से 17 नवंबर के दौरान केरल, माहे, 12 से 13 नवंबर को रायलसीमा, 13 से 14 नवंबर को दक्षिण आंतरिक कर्नाटक और 12 से 14 नवंबर के दौरान तटीय आंध्र प्रदेश और यनम के विभिन्न इलाकों में छिटपुट से लेकर भारी बारिश हो सकती है।
भारतीय मौसम विभाग यानी आईएमडी के अनुसार, 12 और 15 नवंबर के दौरान पश्चिमी पंजाब के छिटपुट इलाकों में रात/सुबह के समय घने से बहुत घने कोहरे की स्थिति रहने की संभावना है। अगले 5 दिनों के दौरान हिमाचल प्रदेश के छिटपुट इलाकों में घना कोहरा रहेगा।
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भारत के मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, आज दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी के कई हिस्सों और पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी के आस-पास के इलाकों, श्रीलंका के तट और उससे दूर, तमिलनाडु के तटों और उससे दूर, मन्नार की खाड़ी और उससे सटे कोमोरिन क्षेत्र में 35-45 किमी प्रति घंटे की गति से हवा चलने की संभावना है। मछुआरों को इन इलाकों में न जाने की सलाह दी गई है।
आईएमडी के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में आज आसमान साफ रहने की संभावना है। सुबह के वक्त दक्षिण दिशा से 06 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल सकती है।
वहीं, सुबह के समय दिल्ली के कुछ इलाकों में धुंध या हल्का कोहरा छाया रह सकता है।
आईएमडी के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में शाम और रात के समय उत्तर-पश्चिम दिशा से 8 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की संभावना है और शाम या रात में धुंध छाई रह सकती है।
सोनालीका एक बेहद प्रतिष्ठित ट्रैक्टर निर्माता कंपनी है। किसान भाइयों में अभी गुजरे बड़े फेस्टिव सीजन के दौरान किसानों के लिए अधिकतम खुशी सुनिश्चित करते हुए, भारत के नंबर 1 ट्रैक्टर निर्यात ब्रांड सोनालीका ट्रैक्टर्स ने अक्टूबर 2024 में 20,056 ट्रैक्टरों की अब तक की सबसे अधिक मासिक बिक्री के रिकॉर्ड के साथ एक नया कीर्तिमान हांसिल किया है।
सोनालीका ट्रैक्टर्स के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा मासिक प्रदर्शन किसानों के लिए कस्टमाइज्ड ट्रैक्टर का मालिक बनना और टिकाऊ कृषि समृद्धि को अपनाना आसान बनाने के अपने मिशन के अनुरूप है। सोनालीका ने अक्टूबर 2024 में 20,056 ट्रैक्टरों की अब तक की सबसे अधिक मासिक बिक्री के साथ रिकॉर्ड फेस्टिव सीजन मनाया है।
सोनालीका ट्रैक्टर्स एक ऐसा भरोसेमंद ब्रांड बना हुआ है जो किसानों के बीच परिवर्तनकारी विकास को बढ़ावा दे रहा है और साथ ही सबसे शक्तिशाली हेवी-ड्यूटी ट्रैक्टरों के साथ कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ा रहा है।
सबसे बड़े त्यौहारी सीजन के दौरान, कंपनी की वार्षिक 'हैवी ड्यूटी धमाका' पेशकश ने किसानों को उचित मूल्य पर उन्नत तकनीक से चलने वाले ट्रैक्टरों का आश्वासन दिया और किसानों के लिए जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक महत्वपूर्ण सहायता तंत्र बन गया।
देश में अपने सबसे बड़े डीलरशिप नेटवर्क के साथ, कंपनी ने क्षेत्रीय किसानों की आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित सही उत्पाद प्लेसमेंट सुनिश्चित किया और हर ट्रैक्टर के साथ बेहतरीन प्रदर्शन की पेशकश करते हुए गुणवत्ता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पूरा किया।
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इस अभूतपूर्व उपलब्धि पर अपने विचार साझा करते हुए, इंटरनेशनल ट्रैक्टर्स लिमिटेड के संयुक्त प्रबंध निदेशक, श्री रमन मित्तल ने कहा, 'हम 20,056 ट्रैक्टरों की शानदार बिक्री के साथ पिछले सभी मासिक रिकॉर्ड को पार करते हुए रोमांचित हैं, जो हमारे कृषक समुदाय के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण है।
हमारी सबसे बड़ी प्रेरणा यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक किसान के पास सही ट्रैक्टर तक पहुँच हो - एक ऐसा ट्रैक्टर जो विश्वसनीय, अनुकूलित और उनकी ज़रूरतों के लिए विशिष्ट रूप से अनुकूल हो - जो स्थायी समृद्धि की ओर उनकी यात्रा का समर्थन करता हो।
जैसा कि हम वर्ष के इस मील के पत्थर के प्रदर्शन का जश्न मनाते हैं, यह उपलब्धि हर कदम पर किसानों को सशक्त बनाने के लिए तैयार किए गए बुद्धिमान, भारी-भरकम ट्रैक्टरों की अगली पीढ़ी को आगे बढ़ाने की हमारी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करती है।'
ट्रैक्टरचॉइस के इस लेख में हम आपको सबसे पहले धानुका समूह से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।
भारत की अग्रणी पौध संरक्षण कंपनियों में से एक धानुका समूह, बीएसई और एनएसई दोनों पर सार्वजनिक रूप से कारोबार करता है।
गुजरात, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में चार विनिर्माण इकाइयों के माध्यम से संचालित, धानुका के विस्तृत वितरण नेटवर्क में 41 गोदाम, 6,500 वितरक और लगभग 80,000 खुदरा विक्रेता शामिल हैं।
अत्याधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी को पेश करने वाली अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों के साथ, धानुका भारत भर में लगभग 10 मिलियन किसानों को सेवा प्रदान करता है,
जिसे 1,000 से अधिक तकनीकी-वाणिज्यिक कर्मचारियों के कुशल कार्यबल और एक मजबूत आरएंडडी डिवीजन द्वारा समर्थित किया जाता है।
धानुका एग्रीटेक एक बेहद प्रतिष्ठित कृषि संबंधी समूह है। यही वजह है, कि धानुका एग्रीटेक ने वित्तीय वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में काफी बढ़ोतरी की है।
परिचालन से राजस्व दूसरी तिमाही में पिछले वर्ष की तुलना में 5.9% बढ़कर 654.28 करोड़ रुपये हुआ।
साथ ही, EBITDA पिछले वर्ष की तुलना में 12.7% बढ़कर 159.58 करोड़ रुपये हुआ।
भारत की अग्रणी एग्रोकेमिकल कंपनियों में से एक धानुका एग्रीटेक ने वित्तीय वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही के लिए अपने वित्तीय परिणामों की घोषणा की, जिसमें प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों में मजबूत वृद्धि दर्ज की गई.
गुरुग्राम मुख्यालय वाली कंपनी ने वित्त वर्ष 2025 की दूसरी जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान 117.52 करोड़ रुपये का लाभ कमाया, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही से 15.5% अधिक है.
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धानुका एग्रीटेक के अध्यक्ष महेंद्र कुमार धानुका ने कंपनी के दूसरी तिमाही के प्रदर्शन पर विचार करते हुए कहा कि “हमारा Q2 प्रदर्शन हमारे पोर्टफोलियो की मजबूत मांग और इस महत्वपूर्ण कृषि मौसम के दौरान बाजार की जरूरतों को पूरा करने में हमारे रणनीतिक दृष्टिकोण दोनों को दर्शाता है।
मानसून के समय पर आगमन और हमारे सुव्यवस्थित वितरण ने हमारी आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत किया है और इस तिमाही में सकारात्मक वृद्धि को बढ़ावा दिया है।
आगे धानुका ने कहा, "बुवाई का मौसम मजबूत रहा है, जिसमें प्रमुख फसलों में पर्याप्त रकबा है, जैसा कि हमने अनुमान लगाया था।
सामान्य मानसून के पूर्वानुमान ने मजबूत मांग प्रक्षेपवक्र का समर्थन किया है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं,
हम अपने वितरण नेटवर्क और अपने ग्राहकों को मूल्य प्रदान करते हुए विकास को बनाए रखने और अपने EBITDA मार्जिन को मजबूत करने के लिए रणनीतिक रूप से तैयार हैं।"
नवाचार और किसान शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता धानुका एग्रीटेक भारतीय कृषि के लिए उन्नत तकनीकों को पेश करने में अग्रणी बना हुआ है।
कंपनी देशव्यापी पहलों के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षित करने और शिक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है, कृषि रसायन अनुप्रयोग पर सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करती है।
वैश्विक मानकों की तुलना में प्रति एकड़ कृषि रसायन उपयोग में अंतर को पाटने के धानुका के मिशन को इन कार्यक्रमों द्वारा मजबूत किया जाता है, जिससे उत्पादकता और टिकाऊ खेती काफी बढ़ती है।
भारत एक प्रमुख कृषि प्रधान देश है। विश्व में जनसँख्या के मामले में भारत दूसरे स्थान पर आता है।
घनी आबादी होने के बावजूद भी 60 से 70 प्रतिशत जनसँख्या प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है।
बहुत सारे राज्यों में खरीफ सीजन की फसल धान सहित अन्य फसलों की कटाई और बिक्री का कार्य चल रहा है।
ऐसे में सरकार की तरफ से फसल कटाई के कृषि यंत्रों/मशीनों पर कृषकों को अनुदान का लाभ प्रदान किया जा रहा है।
इसी कड़ी में राज्य सरकार की तरफ से कृषकों को धान काटने वाले चैन हार्वेस्टर की खरीद पर 55% प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है।
कृषि विभाग द्वारा जारी सूचना के अनुसार, राज्य में धान की फसल का अधिक क्षेत्राच्छादन अनुसार कुल 13 जिलों में कृषि यंत्र ट्रैक टाइप पैडी हार्वेस्टर हेतु किसानों से आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं।
इसके अंतर्गत राज्य के किसान ई-कृषि यंत्र अनुदान योजना पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं।
जिलेवार कृषि यंत्री की सूची देखने के लिए https://www.mpdage.org/Advertisement/e-krishi-DD_090921062243.pdf लिंक पर विजिट कर सकते हैं।
आवेदन की आखिरी तिथि 10 नवंबर निर्धारित की गई है। 11 नवंबर को लॉटरी द्वारा किसानों का चयन किया जाएगा और उन्हें सब्सिडी पर ट्रैक टाइप पैडी हार्वेस्टर मशीन उपलब्ध कराई जाएगी।
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प्रदेश सरकार के कृषि अभियांत्रिकी विभाग की ओर से ट्रैक हार्वेस्टर के लिए जिलेवार लक्ष्य जारी किए गए हैं,
जिसके तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामान्य वर्ग के किसानों को अलग-अलग अनुदान दिया जाएगा।
योजना के अंतर्गत लघु एवं सीमांत किसानों को 55% प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। वहीं अन्य वर्ग के किसानों को कृषि यंत्र की लागत पर 45% प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी।
कृषि यंत्र पर मिलने वाली सब्सिडी की सटीक जानकारी के लिए किसान योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर दिए गए सब्सिडी कैलकुलेटर की सहायता ले सकता है।
कृषि अभियांत्रिकी विभाग की ओर से धान काटने वाले चैन हार्वेस्टर पर अनुदान का लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदक को आवेदन के साथ 2 लाख रुपए का डिमांड ड्राफ्ट (DD) बनवाना होगा।
आवेदक को यह बैंक ड्राफ्ट या डीडी अपने स्वयं के बैंक खाते से अपने जिले के सहायक कृषि यंत्री के नाम से बनवाकर जमा कराना होगा।
साथ ही, बिना धरोहर धनराशि के आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा। ऐसे में आवेदन के साथ निर्धारित राशि का डीडी अवश्य लगाएं।
किसानों की सुविधा के लिए हमने खबर के अंत में जिलेवार कृषि यंत्री की सूची का लिंक दिया है, जिससे आप सुगमता से अपने जिले के कृषि यंत्री के नाम से डीडी बनाकर आवेदन कर सकेंगे।
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कृषि यंत्र अनुदान योजना के अंतर्गत आवेदन के लिए आवेदन करने वाले किसान का आधार कार्ड, आवेदक का जाति प्रमाण पत्र, आवेदक किसान के खेत के कागजात जिसमें बी-1 की कॉपी, आवेदक किसान का बैंक खाता विवरण, इसके लिए बैंक पासबुक की कॉपी, आवेदक का पासपोर्ट साइज फोटो, आवेदक का मोबाइल नंबर आदि महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जरूरत होती है।
राज्य सरकार की इस कृषि यंत्र अनुदान योजना के लिए कृषि यंत्र के लिए आवेदन हेतु लिंक https://farmer.mpdage.org/Registration/AadharVerification है।
सब्सिडी पर ट्रैक टाइप पैडी हार्वेस्टर मशीन लेने के इच्छुक किसान विभाग की वेबसाइट पोर्टल पर स्वयं ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
योजना की आधिकारिक वेबसाइट लिंक- https://farmer.mpdage.org/Home/Index है। वहीं जो किसान ऑनलाइन आवेदन करने में असमर्थ हैं,
वे अपने नजदीकी एमपी ऑनलाइन (MP Online) या सीएससी सेंटर (CSC Center) पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन से संबंधित अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं।
मखाने को सूखे फल की श्रेणी में रखा जाता है, जिसका रोजाना सेवन करना शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता है.
मखाना की खेती पर बिहार सरकार 75 फीसदी तक सब्सिडी प्रदान करती है। मखाना फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होता है, इसके अलावा इसमें कई महत्वपूर्ण तरह के मिनरल्स पाए जाते हैं।
ऐसे में यह हमें कई तरह के फायदे देते हैं, जिसके कारण इसको 'सुपरफूड' भी कहा जाता है।
मखाने को सूखे फल की श्रेणी में रखा जाता है, जिसका रोजाना सेवन करना शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता है।
मखाने में बहुत सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने में मदद करते हैं।
मखाना की खेती को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार 'मखाना विकास योजना' चला रही है। राज्य सरकार ने मखाने की खेती करने पर प्रति हेक्टेयर लागत 97,000 रुपये निर्धारित की है।
किसान भाइयों को 75% फीसद सब्सिडी यानी 72,750 रुपये की सब्सिडी सरकार की तरफ से दी जाएगी। इसका मतलब आपको अपनी जेब से सिर्फ 24,250 रुपये खर्च करने होंगे।
सूखे फल को फॉक्स नट्स के नाम से भी जाना जाता है, ये सफेद रंग के और आकार में काफी छोटे होते हैं।
विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर मखाना (Mahkana) खाने में बहुत ही स्वादिष्ट और कुरकुरे होते हैं। अगर मखाने की न्यूट्रिशन वैल्यू की बात करें तो इसमें 20% तक फाइबर और 12 ग्राम तक प्रोटीन होता है।
इसके अलावा मिनरल्स में 15% मैग्नीशियम, 10 फीसदी विटामिन 'बी', 10% फास्फोरस, 12% पोटेशियम और 5% आयरन होता है।
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अगर मखाना खाने के फायदे की बात करें तो फाइबर से भरपूर होने के कारण ये पाचन तंत्र को सुधारता है।
इसमें पर्याप्त मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड भी पाया जाता है, जो दिल को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
मखाने में अधिक मात्रा में मौजूद फाइबर और प्रोटीन वजन को कम करने और मधुमेह को नियंत्रित करने में लाभदायक होते हैं।
इसमें विटामिन 'B' और विटामिन 'E' भी पाए जाते हैं, जो त्वचा और बालों के लिए अच्छे होते हैं।
मखाने (Makhana) खाने से इतने सारे फायदे होने के कारण इसको सुपरफूड भी कहा जाता है। जो लोग मखाने खाने के फायदे जानते हैं, वो इसका रोजाना इस्तेमाल करते हैं।
आम तौर पर लोग इसको सुबह और शाम को स्नैक्स के रूप में खाते हैं। हालांकि, मखाने को सलाद, स्मूदी और मिठाई में भी मिलाकर खाया जाता है।
राजस्थान सरकार ने किसानों को सोलर पंप सेट लगवाने के लिए राजस्थान सरकार इंदिरा गांधी नहर परियोजना के अंतर्गत बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और अनूपगढ़ के किसानों को 60% फीसद तक की छूट का ऐलान किया है।
यदि आप राजस्थान के कृषक हैं, तो आपके लिए खुश खबरी है कि राजस्थान सरकार ने प्रदेश के 4 जनपद के किसानों के लिए सोलर पंप लगाने की योजना की शुरुआत की है।
राजस्थान कृषि विभाग के मुताबिक, इंदिरा गांधी नहर परियोजना के पहले चरण के कमांड क्षेत्र में राजस्थान जल क्षेत्र फिर से संरचना परियोजना के अंतर्गत किसानों के लिए 3, 5 और 7.5 एचपी के करीब 5 हजार ऑफ ग्रिड सोलर पंप प्लांट स्थापित करेगा।
राजस्थान सरकार की तरफ से चिंहित चार जिले बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और अनूपगढ़ हैं।
योजना के तहत किसानों को पंप लगवाने के लिए सरकार की तरफ से 60 फीसदी तक का अनुदान प्रदान किया जा रही है।
किसानों के हित का यह काम इंदिरा गांधी नहर परियोजना के अंतर्गत किया जा रहा है।
जल संसाधन विभाग के माध्यम से संचालित इस योजना का लाभ इन्दिरा गांधी नहर परियोजना के प्रथम चरण के कमांड क्षेत्र में किसानों को 60% सब्सिडी सब्सिडी देकर दिया जाएगा।
शेष 40% राशि संबंधित किसानों द्वारा दी जाएगी। किसान द्वारा वहन की जाने वाली लागत के लिए 30% राशि तक का बैंक लोन भी किसानों को दे रहा है।
इसके लिए कंपनी ने रोटोमग मोटर्स एंड कंट्रोल प्राइवेट लिमिटेड के साथ पैक्ट किया है। उन्होंने बताया कि जल्द ही पात्र किसानों की कृषि भूमि पर पंप स्थापित करने का काम शुरू होगा।
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जल संसाधन विभाग के अधीन है, योजना आरडब्ल्यूएसआरपीडी परियोजना में पंपों की लागत उद्यानिकी विभाग द्वारा संचालित पीएम कुसुम योजना से कम आएगी।
इस योजना में शामिल 12 प्रकार के पम्पों में से किसान अपनी जरूरत के अनुसार पंप लगवा सकेंगे।
योजना का फायदा पाने के लिए किसान जल संसाधन विभाग के संबंधित खंड कार्यालयों में अथवा कृषि विशेषज्ञ भूपेश अग्निहोत्री 8769933262 से दिए गए मोबाइल नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।
खेती किसानी को फायदे का व्यवसाय बनाए जाने की परिकल्पना को पूर्ण करने, कृषि हेतु उन्नत तकनीक का उपयोग करने, कृषकों की आय संवर्धन के उद्देश्य को पूर्ण करने एवं प्रदेश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सितंबर 2022 में मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना की शुरुआत की थी।
मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत किसानों को 2000 रुपये की 3 किस्त में सालाना 6000 रुपये दिए जाते हैं।
उन सभी किसानों को "पी.एम. किसान सम्मान निधि" के तहत सालाना 6000 रुपये का लाभ भी मिलता रहेगा, जिसके लिए संबंंधित पटवारी/तहसील कार्यालय में आवेदन प्रस्तुत किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का लाभ उठाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार की ओर से कुछ पात्रताएं निर्धारित की गई है। जैसे कि किसान होना अनिवार्य है।
आवेदक मध्यप्रदेश का स्थायी निवासी होना चाहिए। आवेदक को पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत पंजीकृत होना चाहिए।
आवेदक के पास कृषि योग्य भूमि होनी चाहिए, जिस पर वह खेती कर रहा हो। आवेदक गरीब किसान होना चाहिए। धनी किसानों को योजना का लाभ नहीं मिलता है।
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मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में आवेदन के समय पीएम किसान सम्मान निधि पंजीकरण संख्या, आधार कार्ड, कृषि भूमि से संबंधित दस्तावेज, निवास प्रमाण के लिए बिजली बिल, मूल निवास प्रमाण पत्र या मतदाता पहचान पत्र, मोबाइल नंबर, पासपोर्ट साइज फोटो, बैंक अकाउंट डिटेल
ऑनलाइन ऑफलाइन दोनों तरीकों से आवेदन की सुविधा
मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों तरीकों से आवेदन किया जा सकता है।
ऑनलाइन आवेदन के लिए आवेदकों को आधिकारिक वेबसाइट https://saara.mp.gov.in/ पर जाना होगा। इसके अलावा ऑफलाइन आवेदन प्रक्रिया में स्थानीय पटवारी कार्यालय से आवेदन पत्र प्राप्त कर सकते हैं।
आवेदन फार्म को भरकर आवश्यक दस्तावेज संलग्न करें और पटवारी के जमा करा दें। पटवारी आवश्यक जांच के बाद आवेदन को स्वीकृत करेगा।
अगर आप एक किसान हैं, तो आपके लिए एक बहुत अच्छी खबर है। क्योंकि, अब किसानों को ग्राम पंचायत स्तर पर ही मौसम पूर्वानुमान का पता लग सकेगा,
जिससे देशभर के 2.5 लाख से ज्यादा ग्राम पंचायतों के निवासियों को स्थानीय मौसम की सटीक जानकारी मिलेगी।
ये पहल किसानों को उनकी बुवाई और कटाई के वक्त को सही ढ़ंग से नियोजित करने और जलवायु संबंधी जोखिमों के लिए तैयार रहने में सहायता करेगी।
इस अवसर पर केंद्रीय पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा ग्राम पंचायत स्तर पर मौसम पूर्वानुमान का यह प्रयास भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में एक बड़ा योगदान देगा।
उन्होंने इस प्रणाली को ग्रामीण शासन और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में निर्णायक परिवर्तन का वाहक बताया, जिससे किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूक किया जा सकेगा।
यह पहल न केवल ग्रामीण नागरिकों को समय पर मौसम की जानकारी देगी, बल्कि बाढ़, सूखा और अनिश्चित मौसमी बदलावों से बचाव में भी सहायक सिद्ध होगी।
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केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मौसम पूर्वानुमान में हुए सुधार का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व को दिया है।
उन्होंने बताया कि एआई, मशीन लर्निंग और विस्तारित अवलोकन नेटवर्क जैसी उन्नत तकनीक इस प्रणाली को और भी ज्यादा बेहतर बना रही हैं।
IMD और पंचायती राज मंत्रालय के इस संयुक्त प्रयास से ग्रामीण क्षेत्रों में आपदा तैयारी और कृषि उत्पादन में सुधार की उम्मीद की जा रही है।
पंचायती राज राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि यह ग्रामीण भारत को स्मार्ट, सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
उन्होंने किसानों के जीवन पर इसके सकारात्मक प्रभाव को रेखांकित करते हुए पंचायत प्रतिनिधियों से अपील की कि वे इस मौसम पूर्वानुमान जानकारी का पूरी तरह से लाभ उठाएं और इसे ग्रामीण नागरिकों तक पहुँचाऐं।
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मौसम पूर्वानुमान डेटा अब मेरी पंचायत ऐप, ई-ग्राम स्वराज और ग्राम मानचित्र जैसे डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से पंचायत स्तर पर उपलब्ध होगा।
इन प्लेटफार्मों के माध्यम से पंचायतें परियोजना ट्रैकिंग, संसाधन प्रबंधन और स्थानिक नियोजन जैसे कार्यों में सुधार कर पाएंगी, जिससे ग्रामीण विकास में काफी गति आएगी।
इस कार्यक्रम के तहत 200 से अधिक पंचायत प्रतिनिधियों के लिए "ग्राम पंचायत स्तर पर मौसम पूर्वानुमान" पर एक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन भी किया गया,
जिसमें उन्हें मौसम पूर्वानुमान उपकरणों की समझ और उपयोग के व्यावहारिक प्रशिक्षण दिए गए। इससे उन्हें अपने-अपने क्षेत्रों में जलवायु अनुकूल सुधार लाने में काफी सहायता मिलेगी।
ग्राम पंचायत स्तर पर मौसम पूर्वानुमान प्रणाली का यह शुभारंभ ग्रामीण क्षेत्रों में सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
इससे न सिर्फ आपदा तैयारी में सुधार होगा, बल्कि कृषि और अन्य ग्रामीण गतिविधियों में भी सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेगा। इसके चलते ग्रामीण भारत की समृद्धि और प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा।
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