भारत में कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने और छोटे किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त करने के उद्देश्य से भारत सरकार कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। इन्हीं महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक है प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Yojana), जिसकी शुरुआत वर्ष 2019 में की गई थी। इस योजना के माध्यम से सरकार देश के पात्र किसानों को हर वर्ष 6,000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करती है, जिसे दो-दो हजार की तीन किस्तों में सीधे बैंक खाते में भेजा जाता है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 21वीं किस्त 19 नवंबर 2025 को जारी होगी, जिससे 9 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा। योजना के तहत सालाना 6,000 रुपये तीन किस्तों में दिए जाते हैं। नियमों के अनुसार पति और पत्नी दोनों एक साथ लाभ नहीं ले सकते; परिवार में केवल उस सदस्य को लाभ मिलता है जिसके नाम कृषि भूमि दर्ज हो। किस्त पाने के लिए ई-केवाईसी और भूलेख सत्यापन अनिवार्य है।
इस सहायता का उद्देश्य किसानों को खेती के दौरान आने वाली छोटी-मोटी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने में मदद करना है, ताकि वे खेती की निरंतरता बनाए रख सकें। वर्तमान समय में देश के करोड़ों किसान इस योजना का लाभ लेकर अपने जीवन और कृषि कार्यों में सुधार कर रहे हैं।
सरकार ने घोषणा की है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 21वीं किस्त 19 नवंबर 2025 को जारी की जाएगी। लंबे समय से किसान इस किस्त का इंतजार कर रहे थे, और अब उनका यह इंतजार खत्म होने वाला है। इस बार सरकार द्वारा लगभग 9 करोड़ किसानों के बैंक खातों में 18 हजार करोड़ रुपये की राशि ट्रांसफर की जाएगी।
हर वर्ष की तरह इस बार भी सरकार लाभार्थियों के खातों में सीधे डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से किस्त भेजेगी, जिससे पारदर्शिता बनी रहती है। PM Kisan Yojana की किस्त जारी होने से देशभर में छोटे और सीमांत किसानों को राहत मिलेगी, और वे रबी सीजन के कार्यों में इस राशि का उपयोग कर सकेंगे।
ये भी पढ़ें: पीएम किसान 21वीं किस्त: बाढ़ प्रभावित किसानों को राहत
अक्सर किसानों के मन में यह सवाल उठता है कि क्या परिवार में किसान पति और पत्नी दोनों इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं और लाभ प्राप्त कर सकते हैं ?
योजना के नियमों के अनुसार पति और पत्नी दोनों एक साथ PM Kisan Yojana का लाभ नहीं ले सकते। यह योजना प्रति परिवार आधारित है, न कि व्यक्तिगत आधार पर।
PM Kisan Yojana में पति-पत्नी दोनों को लाभ न देने का कारण यह है कि योजना का उद्देश्य अधिक से अधिक परिवारों को सहायता प्रदान करना है, न कि एक ही परिवार को दोहरी सहायता देना।
यदि पति और पत्नी दोनों को लाभ मिलने लगे, तो एक ही परिवार में जमीन की स्थिति चाहे वही हो, लेकिन सहायता की मात्रा दो गुना हो जाएगी। इससे उन परिवारों के साथ असमानता होगी जिनके पास कृषि भूमि कम है या सीमांत किसान हैं। इसलिए योजना में पारिवारिक आधार का नियम रखा गया है।
ये भी पढ़ें: PM किसान और मुख्यमंत्री योजना से किसानों को मिलेगा डबल लाभ
केंद्र सरकार द्वारा योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए पात्रता के अहम मानदंड तय किए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-
21वीं किस्त प्राप्त करने के लिए किसानों को एक और महत्वपूर्ण नियम का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है, कि PM Kisan Yojana का लाभ तभी मिलेगा जब किसान अपनी ई-केवाईसी (e-KYC) और भूलेख सत्यापन (Land Record Verification) पूरा कर लेंगे।
यदि किसान समय रहते e-KYC नहीं कराते हैं तो उनकी किस्त रोक दी जाती है। लाभार्थी की स्थिति "Pending" दिखने लगती है। बैंक खाते में पैसा ट्रांसफर नहीं किया जाता। इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपने नजदीकी CSC केंद्र, ऑनलाइन पोर्टल या PM Kisan ऐप के माध्यम से समय पर e-KYC पूरा करें।
PM Kisan Yojana देश में सबसे लोकप्रिय कृषि योजनाओं में से एक बन चुकी है। इसके पीछे कई कारण हैं-
सरकार लगातार इस योजना को और पारदर्शी और सुलभ बनाने के लिए कदम उठा रही है, ताकि अधिक से अधिक किसानों को लाभ मिल सके।
प्रश्न: पीएम किसान योजना की 21वीं किस्त कब जारी होगी ?
उत्तर: 19 नवंबर 2025
प्रश्न: PM Kisan Yojana के तहत हर वर्ष किसान को कितनी आर्थिक सहायता मिलती है ?
उत्तर: ₹6,000
प्रश्न: PM किसान की 21वीं किस्त से कितने किसानों को लाभ मिलने वाला है ?
उत्तर: 9 करोड़
लाड़ली बहनों के लिए राहतभरी खबर सामने आई है। मध्यप्रदेश कैबिनेट ने मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत मिलने वाली सहायता राशि में बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है। आगे इस लेख में जानेंगें - कितना हुआ इजाफा और कब तक आएगी नई किस्त की धनराशि।
मध्यप्रदेश सरकार ने लाड़ली बहना योजना की लाभार्थी महिलाओं को काफी बड़ी खुशखबरी दी है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोमवार को राज्य सचिवालय में हुई कैबिनेट मीटिंग के दौरान एक महत्वपूर्ण फैसले को मंजूरी दी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के तहत महिलाओं को मिलने वाली धनराशि में वृद्धि की जाएगी और जल्द ही यह बढ़ी हुई राशि लाभार्थी बहनों के खातों में भेजी जाएगी।
लाड़ली बहना योजना का लाभ वही महिलाएं उठा सकती हैं, जिनके परिवार की वार्षिक आय ₹2.5 लाख से अधिक न हो। जिनके घर का कोई भी सदस्य सरकारी नौकरी में न हो। जिनके घर में किसी व्यक्ति को पेंशन मिल रही है, वे महिलाएं इस योजना की पात्र नहीं होंगी। वहीं, राज्य की विवाहित, विधवा, तलाकशुदा या परित्यक्ता महिलाएं इस योजना की पात्र हैं और वे इसका पूरा लाभ उठा सकती हैं।
ये भी पढ़ें: PM किसान और मुख्यमंत्री योजना से किसानों को मिलेगा डबल लाभ
लाड़ली बहना योजना की शुरुआत मार्च 2023 में ₹1,000 मासिक स्टाइपेंड के साथ की गई थी। इसके बाद सितंबर 2023 में इस राशि को बढ़ाकर ₹1,250 कर दिया गया था। अब सरकार ने इसमें ₹250 की और बढ़ोतरी करते हुए इस राशि को ₹1,500 प्रति माह कर दिया है। सरकार इस संशोधित राशि को नवंबर 2024 से लागू करेगी।
मीडिया खबरों के मुताबिक, नवंबर महीने की पहली ₹1,500 की किस्त 12 तारीख को सिवनी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान जारी की जा सकती है। इस बार लगभग 1.26 करोड़ बहनों के खातों में यह बढ़ी हुई धनराशि हस्तांतरित की जाएगी, जिससे बड़ी संख्या में महिलाओं को सीधा लाभ मिलेगा।
ध्यान दें - जिन महिलाओं ने अभी तक ई-KYC की प्रक्रिया को पूरा नहीं किया है, उनके खातों में यह धनराशि नहीं भेजी जाएगी। इसलिए सभी पात्र महिलाएं शीघ्रता से अपनी ई-KYC की प्रक्रिया को पूरी कर लें।
ये भी पढ़ें: लाड़ली बहना योजना की 28वीं किस्त की तारीख और नाम चेक करें
लाड़ली बहना योजना का प्रमुख लक्ष्य राज्य की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना है, ताकि वे किसी पर निर्भर न रहें। इस योजना की राशि से महिलाएं छोटे व्यवसाय या स्वरोजगार की शुरुआत कर सकती हैं और अपने परिवार का पालन-पोषण बेहतर तरीके से कर सकती हैं।
मध्य प्रदेश सरकार का कहना है, कि इस योजना की धनराशि वर्ष 2028 तक बढ़ाकर ₹3,000 प्रति माह कर दी जाएगी। इस घोषणा से लाखों महिलाओं के चेहरों पर खुशी की चमक लौट आई है।
प्रश्न: लाड़ली बहना योजना की शुरुआत कब की गई थी ?
उत्तर: मार्च 2023
प्रश्न: योजना की शुरुआत में महिलाओं को प्रति माह कितनी राशि दी जाती थी ?
उत्तर: ₹1,000
प्रश्न: सितंबर 2023 में लाड़ली बहना योजना की राशि बढ़ाकर कितनी की गई थी ?
उत्तर: ₹1,250
प्रश्न: मध्य प्रदेश सरकार ने अब इस योजना की सहायता राशि बढ़ाकर कितनी कर दी है ?
उत्तर: ₹1,500
प्रश्न: बढ़ी हुई ₹1,500 की धनराशि किस महीने से लागू होगी ?
उत्तर: नवंबर 2024
भारत की नामचीन और अग्रणी ट्रैक्टर निर्माता कंपनी सोनालिका ट्रैक्टर ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। कंपनी के बांग्लादेशी वितरक एसीआई मोटर्स लिमिटेड (ACI Motors Ltd) ने महज एक ही दिन में 350 ट्रैक्टरों की डिलीवरी कर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है। यह उपलब्धि मात्र चार घंटे में हासिल की गई, जो कृषि क्षेत्र में एक नई मिसाल बन चुकी है। यह ऐतिहासिक समारोह दिनाजपुर, बांग्लादेश में आयोजित हुआ, जिसका थीम था “Sonalikar Bisshojoy” — यानी सोनालिका की विश्व विजय।
सोनालिकर बिसजॉय थीम पर इस समारोह में हजारों किसानों और डीलरों ने हिस्सा लिया। यह आयोजन सिर्फ ट्रैक्टर डिलीवरी का कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह प्रगति, साझेदारी और उत्पादकता का भी उत्सव था।
सोनालिका की इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया कि भारतीय तकनीक और नवाचार अब वैश्विक मंच पर भी मजबूती से अपनी छाप छोड़ रहे हैं। कंपनी का यह कहना है, कि यह सफलता केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि किसानों के विश्वास, मेहनत और उनकी जरूरतों को समझने की यात्रा का परिणाम है।
ये भी पढ़ें: सोनालिका ट्रैक्टर्स की रिकॉर्ड बिक्री | अक्टूबर 2025 रिपोर्ट
सोनालिका ट्रैक्टर पिछले पांच सालों से लगातार बांग्लादेश का नंबर-1 ट्रैक्टर ब्रांड है। कंपनी का बाजार हिस्सा 50% प्रतिशत से भी ज्यादा है। यह अपने 30 से 75 हॉर्सपावर (HP) के हेवी-ड्यूटी ट्रैक्टर बांग्लादेश को निर्यात करती है। खास बात यह है, कि इन ट्रैक्टरों को वहां की मिट्टी और फसलों की जरूरतों को ध्यान में रखकर कस्टमाइज किया जाता है। इन ट्रैक्टरों की मजबूती, माइलेज और आधुनिक तकनीक की वजह से यह बांग्लादेशी किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हैं।
हर सोनालिका ट्रैक्टर भारत के होशियारपुर (पंजाब) स्थित दुनिया के सबसे बड़े इंटीग्रेटेड ट्रैक्टर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में तैयार किया जाता है। यहां हर दो मिनट में एक नया ट्रैक्टर तैयार किया जाता है। यह संयंत्र ना सिर्फ अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित है, बल्कि इसमें गुणवत्ता नियंत्रण के सख्त मानदंडों का पालन किया जाता है। यह वही जगह है, जहां से भारत की मिट्टी की महक अब विश्वभर के खेतों तक पहुंच रही है।
इस उपलब्धि पर अपने विचार साझा करते हुए, डॉ. दीपक मित्तल, मैनेजिंग डायरेक्टर, इंटरनेशनल ट्रैक्टर्स लिमिटेड, ने कहा, "सोनालीका की विरासत इस दृढ़ विश्वास से प्रेरित है कि भारत की श्रेष्ठता दुनिया को प्रेरित कर सकती है और इसलिए सोनालीका का प्रत्येक ट्रैक्टर भारत की किफायती इंजीनियरिंग विशेषज्ञता और ब्रांड की अदम्य भावना का प्रतीक है, जो दुनिया भर में लाखों सपनों को ताकत प्रदान करती है। बांग्लादेश के हमारे डिस्ट्रीब्यूटर ए सी आई मोटर्स द्वारा हासिल किया गया यह नया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड, हमारे सफर में विश्वास रखने वाले हर किसान और हर साथी के प्रति हमारा आभार है। सोनालीका परिवार का प्रत्येक सदस्य आज गर्वित है, और हम दुनिया भर के किसानों को सशक्त बनाने के अपने मिशन पर कायम हैं।"
इस अवसर पर बोलते हुए, श्री गौरव सक्सेना, डायरेक्टर एंड सीईओ - इंटरनेशनल बिज़नेस, आई टी एल, ने कहा, "बांग्लादेश में हमारे डिस्ट्रीब्यूटर ए सी आई मोटर्स लिमिटेड द्वारा हासिल की गई एक दिन में अब तक की सबसे बड़ी डिलीवरी का नया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्शाता है कि कैसे विश्वास, ग्राहक-केंद्रितता और उद्देश्य एक साथ मिलकर प्रभावशाली रहते हैं। सोनालीका के लिए, परिवर्तन का अर्थ है प्रत्येक किसान, प्रत्येक पार्टनर और प्रत्येक समुदाय का उत्थान करना, जिनकी हम भारतीय इनोवेशन के साथ सेवा करते हैं। भारतीय धरती से विश्व मंच तक की हमारी यात्रा हमारे मूल्यों और प्रत्येक किसान का सम्मान करने वाले नवाचार के साथ कृषि में परिवर्तन जारी रखने के वादे से प्रेरित है।"
सोनालीका ट्रैक्टर्स ने बांग्लादेश में ए सी आई मोटर्स लिमिटेड के साथ पिछले 18 वर्षों की साझेदारी में हेवी ड्यूटी ट्रैक्टरों द्वारा अपने नेतृत्व को लगातार मजबूत किया है। कंपनी पिछले 5 वर्षों से बांग्लादेश में नंबर 1 ट्रैक्टर ब्रांड के रूप में मज़बूती से बनी हुई है और उद्योग में 50% से अधिक मार्किट शेयर भी हासिल किया है। सोनालीका बांग्लादेश को 30-75 एच पी की रेंज में अपने हैवी ड्यूटी ट्रैक्टरों का एक्सपोर्ट करती है, जिन्हें देश के किसानों की फसल और मिट्टी की जरूरतों के अनुसार अनुकूलित किया जाता है। प्रत्येक सोनालीका ट्रैक्टर कंपनी के होशियारपुर, पंजाब में दुनिया के सबसे बड़े एकीकृत ट्रैक्टर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में बनाया जाता है| ये प्लांट हाई क्वालिटी स्टैण्डर्ड के साथ 2 मिनट में एक नया हेवी ड्यूटी ट्रैक्टर तैयार करता है।
सोनालिका की यह उपलब्धि सिर्फ कंपनी की नहीं, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ मिशन की वैश्विक सफलता है। इस रिकॉर्ड के साथ भारत ने दुनिया को यह दिखाया है कि जब संकल्प, गुणवत्ता और नवाचार एक साथ चलते हैं, तो सीमाएं मायने नहीं रखतीं।
आज सोनालिका सिर्फ एक ट्रैक्टर ब्रांड नहीं, बल्कि किसानों की उम्मीद और आत्मनिर्भर कृषि का प्रतीक बन चुकी है। बांग्लादेश में बना यह रिकॉर्ड आने वाले समय में कई अन्य देशों के लिए प्रेरणा बनेगा कि भारतीय तकनीक अब सिर्फ प्रतिस्पर्धा नहीं करती — वह नेतृत्व करती है।
प्रश्न : सोनालिका ट्रैक्टर के किस वितरक ने बांग्लादेश में एक ही दिन में 350 ट्रैक्टरों की डिलीवरी की ?
उत्तर: एसीआई मोटर्स लिमिटेड (ACI Motors Ltd)
प्रश्न: सोनालिका ट्रैक्टर द्वारा यह विश्व रिकॉर्ड कितने घंटे में बनाया गया ?
उत्तर: 4 घंटे में
प्रश्न: यह ऐतिहासिक आयोजन किस स्थान पर हुआ था ?
उत्तर: दिनाजपुर
प्रश्न: सोनालिका द्वारा आयोजित इस समारोह की थीम क्या थी ?
उत्तर: Sonalikar Bisshojoy (सोनालिका की विश्व विजय)
प्रश्न: सोनालिका ट्रैक्टर बांग्लादेश में कितने हॉर्सपावर (HP) के ट्रैक्टर निर्यात करती है ?
उत्तर: 30 से 75 HP
उत्तर प्रदेश में यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) तेजी से भारत के अगले प्रमुख ट्रैक्टर निर्माण केंद्र के रूप में उभर कर सामने आ रहा है।
वैश्विक कृषि मशीनरी अग्रणी न्यू हॉलैंड एग्रीकल्चर ने YEIDA द्वारा आवंटित 100 एकड़ भूमि पर एक अत्याधुनिक ट्रैक्टर संयंत्र बनाने के लिए ₹5000 करोड़ के बड़े निवेश की घोषणा की है।
इस परियोजना को केवल एक महीने के अंदर ही सरकारी मंजूरी मिल गई, जो राज्य की तेज औद्योगिक विकास के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
यह क्षेत्र शीर्ष ट्रैक्टर निर्माताओं के लिए एक आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। एस्कॉर्ट्स कुबोटा पहले ही ₹4,500 करोड़ के निवेश से 190 एकड़ में अपनी इकाई स्थापित कर रहा है, जबकि सोनालीका ट्रैक्टर्स ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। ये सभी परियोजनाएँ मिलकर गौतमबुद्ध नगर को ट्रैक्टर और कृषि-मशीनरी उत्पादन के लिए भारत के अग्रणी केंद्र में बदल रही हैं।
ये भी पढ़ें: खुशखबरी: एस्कॉर्ट्स कुबोटा यूपी में खोलेगा ट्रैक्टर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट
इन नई विनिर्माण इकाइयों से इंजीनियरों और मशीन ऑपरेटरों से लेकर ट्रांसपोर्टरों और स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं तक, हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की आशा है। यह विकास एमएसएमई, ऑटो पार्ट निर्माताओं और विक्रेताओं को भी सहयोग प्रदान करेगा, जिससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को काफी मजबूती मिलेगी।
निवेश की यह लहर भारत के "मेक इन इंडिया" मिशन को और अधिक बढ़ावा देगी, क्योंकि यहाँ उत्पादित ट्रैक्टर घरेलू माँग और निर्यात बाजार, दोनों की पूर्ति करेंगे। यह भारत को कृषि उपकरण निर्माण में वैश्विक अग्रणी के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है।
नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे और समर्पित माल ढुलाई गलियारे के निकट स्थित, YEIDA सड़कों, रसद और उपयोगिताओं में तेज़ी से बुनियादी ढाँचे के उन्नयन के लिए तैयार है। बढ़ती औद्योगिक गतिविधि से क्षेत्र में और अधिक वैश्विक निवेशकों और संबद्ध उद्योगों के आकर्षित होने की उम्मीद है।
प्रश्न: YEIDA किस राज्य में स्थित है ?
उत्तर: उत्तर प्रदेश
प्रश्न: न्यू हॉलैंड एग्रीकल्चर ने YEIDA क्षेत्र में कितनी भूमि पर अपना नया संयंत्र स्थापित करने की घोषणा की है ?
उत्तर: 100 एकड़
प्रश्न: न्यू हॉलैंड का कुल निवेश कितना है ?
उत्तर: ₹5000 करोड़
प्रश्न: न्यू हॉलैंड की परियोजना को सरकारी मंजूरी कितने समय में मिली ?
उत्तर: 1 महीने में
प्रश्न: YEIDA क्षेत्र में एस्कॉर्ट्स कुबोटा कितने एकड़ भूमि पर अपनी इकाई स्थापित कर रही है ?
उत्तर: 190 एकड़
किसानों की सिंचाई लागत को कम करने और उन्हें ऊर्जा के वैकल्पिक साधन मुहैय्या कराने के मकसद से केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर प्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM-KUSUM) के अंतर्गत सोलर पंप लगाने को बढ़ावा दे रही हैं। इस योजना के तहत किसानों को खेत में सोलर पंप लगवाने के लिए मोटे अनुदान का फायदा प्रदान किया जा रहा है।
अब ऐसी स्थिति में किसान इस योजना के अंतर्गत सोलर पंप लगवाकर 24 घंटे सिंचाई की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य किसानों को सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई प्रणाली उपलब्ध कराना है, ताकि वे महंगी बिजली और डीजल पर निर्भरता से मुक्त हो सकें।
अब सरकार ने योजना में किसानों के लिए नवीन राहत की घोषणा की है। सौर ऊर्जा पंप संयंत्रों पर जीएसटी दर 12% प्रतिशत से घटाकर 5% प्रतिशत कर दी गई है। जीएसटी में इस कटौती से किसानों को सोलर पंप की स्थापना पर 4,209 से 7,811 रुपए तक की सीधी बचत होगी।
ये भी पढ़े: किसानों को सोलर पंप लगवाने पर 90% प्रतिशत तक अनुदान
केंद्र सरकार की इस पहल से किसानों को सोलर पंप अब पहले की तुलना में काफी कम कीमत पर उपलब्ध होंगे। सरकार का लक्ष्य है, कि अधिक से अधिक किसान अपने खेतों में सौर ऊर्जा संयंत्र लगवाएं, जिससे सिंचाई लागत घटे और कृषि उत्पादन बढ़े।
राजस्थान सरकार ने भी इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश में 3 HP, 5 HP और 7.5 HP क्षमता वाले सोलर पंप संयंत्रों की स्थापना पर किसानों को 60% प्रतिशत तक का अनुदान (सब्सिडी) दिया जा रहा है।
योजना के तहत अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के किसानों को 45,000 रुपए तक का अतिरिक्त अनुदान प्रदान किया जा रहा है। इसके अलावा किसान अपनी शेष लागत के लिए 30% प्रतिशत तक का ऋण बैंक से प्राप्त कर सकते हैं। इस तरह किसान को स्वयं केवल 10 प्रतिशत राशि जमा करनी होती है, जिसके बाद वह अपने खेत में सौर ऊर्जा पंप संयंत्र की स्थापना करा सकता है।
उद्यान विभाग, झालावाड़ के उप निदेशक सुभाष शर्मा ने बताया कि सरकार द्वारा जीएसटी दर घटाने के निर्णय से किसानों की आर्थिक भार में काफी कमी आएगी। उन्होंने कहा कि अब किसान अपनी हिस्से की राशि नई दरों के अनुसार कम लागत पर जमा करा सकेंगे और सोलर पंप लगवाने की प्रक्रिया तेजी से पूरी कर सकेंगे।
ये भी पढ़े: इस राज्य के किसानों को सोलर पंप सेट लगवाने के लिए मिल रहा अनुदान
सौर ऊर्जा पंप संयंत्र की स्थापना के बाद किसान को सिंचाई के लिए अब बिजली कनेक्शन का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इससे किसानों को दिन के समय फसलों की सिंचाई करने की सुविधा मिलेगी और उत्पादन क्षमता में सुधार होगा। डीजल और बिजली खर्च में कमी आने से खेती की लागत घटेगी और किसान की आमदनी बढ़ेगी।
केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि अगले कुछ वर्षों में देशभर के लाखों किसानों तक सौर ऊर्जा पंप पहुंचाए जाएं। यह पहल “डबल इनकम” (किसानों की आय दोगुनी करने) के लक्ष्य को भी सशक्त करेगी।
राजस्थान के किसान पीएम कुसुम योजना के तहत सोलर पंप के लिए राज किसान पोर्टल (rajkisan.rajasthan.gov.in) पर स्वयं या ई-मित्र केंद्र के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करते समय किसानों को निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होगी जिसमें जन आधार कार्ड, जमाबंदी की प्रमाणित कॉपी, सिंचाई स्रोत प्रमाण पत्र, बैंक खाता विवरण और आवश्यक श्रेणी प्रमाण पत्र (यदि लागू हो) शामिल हैं।
अधिकारी ने बताया कि जो किसान पहले से आवेदन कर चुके हैं, वे अपनी हिस्सा राशि शीघ्र जमा करवाकर पंप स्थापना कार्य पूरा करें। यदि किसान निर्धारित समय में राशि जमा नहीं कराते हैं, तो उनकी प्राथमिकता निरस्त कर दी जाएगी और अवसर नए आवेदकों को प्रदान किया जाएगा।
पीएम कुसुम योजना से ना केवल सिंचाई की सुविधा आसान होगी, बल्कि किसान ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में भी कदम बढ़ा सकेंगे। सौर पंपों से जल निकासी में किसी प्रकार की बाधा नहीं होती और यह पर्यावरण के लिए भी काफी अनुकूल है। बतादें, कि पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत जीएसटी दर में कमी और अनुदान की सुविधा से किसानों को अब सोलर पंप पहले से कहीं अधिक सस्ते मिल सकेंगे।
यह कदम किसानों को सिंचाई में आत्मनिर्भर बनाकर उनकी खेती को आर्थिक रूप से अधिक सशक्त करेगा। योजना के संबंध में अधिक जानकारी या मार्गदर्शन के लिए किसान अपने नजदीकी उद्यान विभाग कार्यालय, सहायक कृषि अधिकारी या कृषि पर्यवेक्षक (उद्यानिकी) से संपर्क कर सकते हैं।
प्रश्न 1. प्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM-KUSUM) का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर: किसानों को सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई प्रणाली उपलब्ध कराना
प्रश्न: हाल ही में सौर ऊर्जा पंप संयंत्रों पर जीएसटी दर कितने प्रतिशत से घटाकर कितनी की गई है ?
उत्तर: 12% से 5%
प्रश्न: जीएसटी दर में कटौती से किसानों को सोलर पंप पर लगभग कितनी सीधी बचत होगी ?
उत्तर: ₹4,209 से ₹7,811 तक
प्रश्न: राजस्थान में 3 HP, 5 HP और 7.5 HP क्षमता वाले सोलर पंप संयंत्रों पर कितने प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है ?
उत्तर: 60%
प्रश्न: एससी-एसटी वर्ग के किसानों को योजना के तहत कितनी अतिरिक्त राशि का अनुदान दिया जा रहा है?
उत्तर: ₹45,000
प्रश्न: किसान अपनी शेष लागत के लिए कितने प्रतिशत तक का ऋण बैंक से प्राप्त कर सकते हैं?
उत्तर: 30%
ट्रैक्टर निर्माताओं ने सरकार से 25-50 एचपी ट्रैक्टरों के लिए TREM-V उत्सर्जन मानदंडों के कार्यान्वयन को 2028 तक स्थगित करने का अनुरोध किया है। नए मानक अगले साल लागू होने की उम्मीद है, लेकिन उद्योग का कहना है कि उच्च उत्पादन लागत और तकनीकी चुनौतियों के कारण छोटे ट्रैक्टरों को इसके अनुकूल होने के लिए अधिक समय की आवश्यकता है।
प्रस्तावित TREM-V मानदंडों का उद्देश्य कण और नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन को कम करना है। जहाँ 50 एचपी से अधिक क्षमता वाले ट्रैक्टर पहले से ही TREM-IV मानकों को पूरा करते हैं, वहीं कम एचपी वाले ट्रैक्टर अभी भी पुराने TREM-IIIA मानदंडों का पालन करते हैं।
महिंद्रा एंड महिंद्रा के राजेश जेजुरिकर सहित उद्योग के नेताओं ने कहा कि ट्रैक्टर और मशीनीकरण संघ (TMA) ने किसानों के लिए किफायती समाधान सुनिश्चित करने के लिए 2028 की समय-सीमा का सुझाव दिया है।
ये भी पढ़ें: John Deere 5075E TREM-IV - Features, Specification, Price and Mileage
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि जल्द कार्यान्वयन से ट्रैक्टरों की कीमतें बढ़ सकती हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में सर्विसिंग मुश्किल हो सकती है। एस्कॉर्ट्स कुबोटा के भारत मदान ने आगाह किया कि उन्नत उत्सर्जन प्रणालियों से लागत बढ़ेगी और कुशल मैकेनिकों की आवश्यकता होगी, जो गाँवों में दुर्लभ हैं।
उद्योग सरकार के साथ एक व्यावहारिक परिवर्तन योजना पर विचार-विमर्श जारी रखे हुए है, जो छोटे और सीमांत किसानों पर बोझ डाले बिना स्वच्छ प्रौद्योगिकी सुनिश्चित करे।
प्रश्न: ट्रैक्टर निर्माताओं ने सरकार से किस वर्ष तक TREM-V उत्सर्जन मानदंड स्थगित करने का अनुरोध किया है ?
उत्तर: 2028
प्रश्न: TREM-V मानदंड किन ट्रैक्टरों पर लागू किए जाने की बात है ?
उत्तर: 25–50 HP
प्रश्न: नए TREM-V उत्सर्जन मानक का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर: उत्सर्जन को कम करना
प्रश्न: 50 एचपी से अधिक क्षमता वाले ट्रैक्टर वर्तमान में किस मानक का पालन करते हैं ?
उत्तर: TREM-IV
प्रश्न: कम एचपी वाले ट्रैक्टर वर्तमान में किस उत्सर्जन मानदंड का पालन कर रहे हैं ?
उत्तर: TREM-IIIA
भारत के घरेलू ट्रैक्टर उद्योग ने अक्टूबर 2025 में ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर रुझान और त्योहारी मांग के दम पर 14.84% की स्थिर वृद्धि दर्ज की। उद्योग के आंकड़ों के अनुसार, कुल थोक बिक्री 1,66,145 इकाई तक पहुँच गई, जो अक्टूबर 2024 में 1,44,675 इकाई थी। जहाँ अधिकांश प्रमुख निर्माताओं ने साल-दर-साल मजबूत बिक्री वृद्धि दर्ज की, वहीं कुछ ने बाजार हिस्सेदारी पर मामूली दबाव देखा।
महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह ने अक्टूबर 2025 में 72,071 ट्रैक्टरों की बिक्री के साथ अपनी अग्रणी स्थिति बरकरार रखी, जबकि एक साल पहले यह संख्या 64,326 थी, जो 12.04% की वृद्धि दर्शाती है। हालाँकि, इसकी बाजार हिस्सेदारी अक्टूबर 2024 के 44.46% से घटकर अक्टूबर 2025 में 43.38% रह गई, जो 1.08 प्रतिशत अंकों की गिरावट है।
टैफे समूह ने अक्टूबर 2025 में 29,234 इकाइयाँ बेचीं, जो अक्टूबर 2024 में 25,014 इकाइयों से 16.87% अधिक है। इसकी बाजार हिस्सेदारी 0.31 प्रतिशत अंकों की वृद्धि के साथ 17.29% से बढ़कर 17.60% हो गई।
सोनालीका ट्रैक्टर्स ने 24,781 इकाइयों की बिक्री के साथ प्रभावशाली प्रदर्शन किया, जो अक्टूबर 2024 में 18,002 इकाइयों की बिक्री से 37.66% की तीव्र वृद्धि दर्शाता है। इसकी बाजार हिस्सेदारी 12.44% से बढ़कर 14.92% हो गई, जो 2.47 प्रतिशत अंकों की वृद्धि है, जो इस महीने सभी ब्रांडों में सबसे अधिक है। कंपनी का रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन इसके नए मॉडलों की निरंतर मांग और व्यापक ग्रामीण नेटवर्क के कारण संभव हुआ।
एस्कॉर्ट्स कुबोटा लिमिटेड ने अक्टूबर 2025 में 18,423 इकाइयों की बिक्री दर्ज की, जबकि अक्टूबर 2024 में यह संख्या 17,839 थी। इस प्रकार, कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 3.27% की वृद्धि दर्शाती है। सकारात्मक बिक्री वृद्धि के बावजूद, इसकी बाजार हिस्सेदारी 12.33% से घटकर 11.09% रह गई, जो 1.24 प्रतिशत अंकों की गिरावट है। ब्रांड को अपनी मुख्य हॉर्सपावर रेंज में दबाव का सामना करना पड़ा, हालाँकि इसके यूटिलिटी और एडवांस्ड सेगमेंट ट्रैक्टरों का प्रदर्शन अच्छा बना हुआ है।
जॉन डीरे ने अक्टूबर 2025 में 11,893 इकाइयों की बिक्री दर्ज की, जो अक्टूबर 2024 की 11,483 इकाइयों की तुलना में 3.57% अधिक है। कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 7.94% से घटकर 7.16% रह गई, जो 0.78 प्रतिशत अंकों की गिरावट है, जो बढ़ती प्रतिस्पर्धा और उच्च हॉर्सपावर श्रेणियों में मांग में मामूली सुधार का संकेत है।
न्यू हॉलैंड ने अक्टूबर 2025 में 7,105 ट्रैक्टर बेचे, जो एक साल पहले 5,744 ट्रैक्टरों से 23.69% अधिक है। इसकी बाजार हिस्सेदारी 0.31 प्रतिशत बढ़कर 3.97% से 4.28% हो गई।
वीएसटी टिलर्स ने अक्टूबर 2025 में 525 ट्रैक्टर बेचे, जो अक्टूबर 2024 में 502 ट्रैक्टरों से बढ़कर 4.58% की वृद्धि दर्शाता है। इसकी बाजार हिस्सेदारी 0.35% से घटकर 0.32% हो गई, जो 0.03 प्रतिशत अंकों की मामूली गिरावट है। कंपनी संतुलित खुदरा बिक्री के साथ कॉम्पैक्ट ट्रैक्टर सेगमेंट में स्थिर स्थिति बनाए हुए है।
इंडो फार्म ने 548 ट्रैक्टर बेचे, जो एक साल पहले 485 ट्रैक्टरों से 12.99% अधिक है। इसकी बाजार हिस्सेदारी 0.34% से घटकर 0.33% हो गई, जो 0.01 प्रतिशत कम है। कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद, ब्रांड चुनिंदा क्षेत्रीय बाज़ारों में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।
एसडीएफ ट्रैक्टर्स ने अक्टूबर 2025 में 110 ट्रैक्टर बेचे, जो पिछले साल की 97 इकाइयों से 13.40% अधिक है। इसकी बाज़ार हिस्सेदारी 0.07% पर अपरिवर्तित रही, जो इसके सीमित उत्पाद पोर्टफोलियो में स्थिर प्रदर्शन को दर्शाता है।
कैप्टन ट्रैक्टर्स ने छोटे ब्रांडों में सबसे तेज़ उछाल दिखाया, अक्टूबर 2025 में 443 ट्रैक्टर बेचे, जबकि अक्टूबर 2024 में 267 ट्रैक्टर बेचे गए थे, जो 65.92% की मज़बूत वृद्धि दर्शाता है। कंपनी की बाज़ार हिस्सेदारी 0.18% से बढ़कर 0.27% हो गई, जो 0.08 प्रतिशत की वृद्धि है, जो कॉम्पैक्ट ट्रैक्टर श्रेणी में इसकी बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाता है।
प्रीत ट्रैक्टर्स ने अक्टूबर 2025 में 680 ट्रैक्टर बेचे, जो अक्टूबर 2024 में 546 ट्रैक्टर बेचे गए थे, और 24.54% की वृद्धि दर्ज की। इसकी बाजार हिस्सेदारी 0.38% से बढ़कर 0.41% हो गई, जो उत्तरी राज्यों में बेहतर प्रदर्शन को दर्शाता है।
एसी ट्रैक्टर्स एकमात्र निर्माता था जिसकी बिक्री में गिरावट देखी गई, अक्टूबर 2025 में इसकी बिक्री 332 इकाई रही, जबकि अक्टूबर 2024 में यह 370 इकाई थी, जो 10.27% की गिरावट दर्शाता है। इसकी बाजार हिस्सेदारी 0.26% से घटकर 0.20% हो गई, जो 0.06 प्रतिशत की गिरावट है, जो बिक्री की मात्रा बनाए रखने में निरंतर चुनौतियों का संकेत है।
प्रश्न: अक्टूबर 2025 में भारत के ट्रैक्टर उद्योग ने कितनी वृद्धि दर्ज की ?
उत्तर: 14.84% की वृद्धि।
प्रश्न: अक्टूबर 2025 में कुल ट्रैक्टर बिक्री कितनी रही ?
उत्तर: 1,66,145 यूनिट्स।
प्रश्न: अक्टूबर 2024 में कुल ट्रैक्टर बिक्री कितनी थी ?
उत्तर: 1,44,675 यूनिट्स।
प्रश्न: ट्रैक्टर उद्योग में वृद्धि का मुख्य कारण क्या रहा ?
उत्तर: ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर रुझान और त्योहारी मांग।
भारत के अलग-अलग राज्यों में किसान बड़े पैमाने पर अलग अलग फसलों का उत्पादन कर सकते हैं। भारतीय कृषि बाजार में ट्रैक्टर एक बेहद महत्वपूर्ण कृषि यंत्र है, जो किसानों को समय पर उनके कृषि कार्यों को संपन्न करने में मदद करता है। अब ऐसे में हर एक किसान को अपने कृषि कार्य हेतु निजी ट्रैक्टर के साथ साथ कृषि उपकरणों की भी जरूरत होती है।
भारतीय कृषि को सुगम बनाने के लिए कृषि उपकरण के क्षेत्र में रोज नए आविष्कार हो रहे हैं। ऐसे में सरकार के द्वारा समय के साथ साथ खेती में आधुनिक मशीनीकरण को काफी बढ़ावा मिला है। मोहन सरकार खेती में उपयोग होने वाले 3 आधुनिक कृषि यंत्रों पर अनुदान प्रदान कर रही है। इसके लिए कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय ने आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी है।
राज्य के सभी जिलों के किसानों के लिए ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर 3 प्रमुख कृषि यंत्रों हेतु आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। सरकार का उद्देश्य आधुनिक कृषि उपकरणों को अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाना है। इन यंत्रों की सहायता से किसानों को जुताई, बीज बोने और फसल प्रसंस्करण के काम में काफी सुविधा मिल सकेगी।
कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय भोपाल (मध्यप्रदेश) की ओर से जिन 3 कृषि यंत्रों पर सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा है। इन सभी यंत्रों पर किसानों को सरकारी अनुदान (सब्सिडी) उपलब्ध कराया जाएगा। यह योजना प्रदेश के सभी जिलों के किसानों के लिए लागू की गई है।
ये भी पढ़े: मध्यप्रदेश सरकार की कृषि यंत्र अनुदान योजना की जानकारी
कृषि यंत्रों के लिए आवेदन 1 नवंबर 2025 से 11 नवंबर 2025 तक किए जा सकते हैं। किसानों को आवेदन ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर ऑनलाइन करना होगा। संचालनालय ने स्पष्ट किया है कि प्राप्त आवेदनों के आधार पर ही लक्ष्य निर्धारण किया जाएगा। इसलिए जो किसान समय पर आवेदन करेंगे, उन्हें चयन प्रक्रिया में प्राथमिकता दी जाएगी।
आवेदन के साथ किसानों को धरोहर राशि के रूप में डिमांड ड्राफ्ट (DD) जमा करना अनिवार्य किया गया है। यह डीडी किसान के स्वयं के बैंक खाते से बनाई जानी चाहिए और संबंधित जिले के सहायक कृषि यंत्री के नाम से देय होगी। धरोहर राशि के बिना किए गए आवेदन मान्य नहीं माने जाएंगे। किस कृषि यंत्र के लिए कितनी राशि का डिमांड ड्राफ्ट बनवाना है उसका विवरण इस प्रकार से है।
ये भी पढ़े: टॉप 9 कृषि यंत्रों पर सरकारी सब्सिडी | किसानों के लिए भारी छूट 2025
इन आधुनिक यंत्रों के उपयोग से किसानों की उत्पादकता बढ़ेगी और श्रम व लागत दोनों में कमी आएगी। रेज्ड बेड प्लांटर से खेतों में बीजों की समान गहराई और उचित दूरी सुनिश्चित होती है, जिससे फसल बेहतर उगती है। ग्राउंड नट डिकार्टीकेटर मूंगफली के छिलके को शक्तिचालित तरीके से अलग करता है, जिससे दानों की गुणवत्ता बनी रहती है और समय की बचत होती है। वहीं डी-स्टोनर या ग्रेडिएंट सेपरेटर अनाज या बीजों से पत्थर और मिट्टी को अलग करने में मदद करता है, जिससे साफ और उच्च गुणवत्ता वाला उत्पाद मिलता है।
कृषि अभियांत्रिकी विभाग की ओर से चलाई जा रही ई–कृषि यंत्र अनुदान योजना के तहत आवेदन करते समय किसानों को कुछ जरूरी दस्तावेजों की आवश्यकता होगी, वे दस्तावेज इस प्रकार से हैं:-
ई–कृषि यंत्र अनुदान योजना के तहत प्रदेश के किसानों को इस योजना की आधिकारिक वेबसाइट पोर्टल dbt.mpdage.org पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन की अंतिम तारीख 11 नवंबर 2025 है। ऐसे में किसान 11 नवंबर 2025 से पहले आवेदन करें और सब्सिडी का लाभ उठाएं।
योजना व आवेदन से संबंधित अधिक जानकारी के लिए किसान भाई अपने जिले के कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा योजना की अधिकारिक वेबसाइट पर भी विजिट करके जानकारी ले सकते हैं।
प्रश्न: ई–कृषि यंत्र अनुदान योजना किस राज्य में लागू की गई है ?
उत्तर: मध्य प्रदेश
प्रश्न: इस योजना को कौन-सा विभाग संचालित कर रहा है ?
उत्तर: कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय
प्रश्न: इस योजना के तहत किसानों को कितने कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जा रहा है ?
उत्तर: 3 कृषि यंत्र
प्रश्न: योजना के तहत आवेदन की तिथि क्या निर्धारित की गई है ?
उत्तर: 1 नवंबर से 11 नवंबर 2025
प्रश्न: किस कृषि यंत्र पर ₹6,000 का डिमांड ड्राफ्ट बनवाना आवश्यक है ?
उत्तर: रेज्ड बेड प्लांटर विथ इन्कलाइंड प्लेट प्लांटर एंड शेपर
कृषि को तकनीक के साथ जोड़ने और युवाओं को आधुनिक खेती के प्रति प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने हाईटेक खेती प्रशिक्षण योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत चयनित 5 हजार युवा कृषकों को देश के विभिन्न राज्यों में प्रशिक्षण और भ्रमण के लिए भेजा जाएगा।
यह कार्यक्रम नॉलेज एन्हांसमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत चलाया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों की क्षमता में वृद्धि और कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों को अपनाने को बढ़ावा देना है।
परियोजना निदेशक एवं कृषि उप निदेशक डॉ. सुभाष चन्द्र डूडी ने बताया कि जिले को सामान्य श्रेणी में दो अंतरराज्यीय कृषक प्रशिक्षण और एक अंतरराज्यीय कृषक भ्रमण कार्यक्रम का लक्ष्य प्राप्त हुआ है। प्रत्येक दल में 40 युवा कृषक (आयु 18 से 50 वर्ष) शामिल किए जाएंगे।
प्रशिक्षण की अवधि अधिकतम 7 दिन (यात्रा सहित) होगी। इस दौरान किसानों को न केवल प्रशिक्षण मिलेगा, बल्कि वे विभिन्न राज्यों में जाकर सफल कृषि मॉडल को प्रत्यक्ष रूप से देख और समझ सकेंगे।
ये भी पढ़ें: किसान इन कृषि तकनीकों से खेती कर कृषि उत्पादन को बढ़ा सकते हैं
डॉ. डूडी के अनुसार, प्रशिक्षण कार्यक्रम में किसानों को उन्नत कृषि, डेयरी एवं पशुपालन, मत्स्य पालन, हाईटेक उद्यानिकी (ग्रीन हाउस और फ्लोरिकल्चर), खाद्य प्रसंस्करण, जैविक खेती, फसल कटाई उपरांत प्रबंधन तकनीक, जल उपयोग दक्षता और कपास जिंनिंग प्रक्रिया जैसे विषयों पर जानकारी दी जाएगी।
राज्य के बाहर होने वाले इन प्रशिक्षणों में विशेषज्ञों द्वारा व्यावहारिक ज्ञान और आधुनिक तकनीकी तरीकों का प्रदर्शन भी किया जाएगा। स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार अन्य प्रासंगिक विषयों को भी प्रशिक्षण में शामिल किया जा सकेगा।
प्रगतिशील कृषक जो कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन या कृषि प्रसंस्करण जैसी गतिविधियों में कार्यरत हैं, वे आवेदन के पात्र होंगे। राज्य या जिला स्तर पर पुरस्कार प्राप्त कृषकों और महिला कृषकों को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि पिछले तीन वर्षों में किसी विभागीय योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले कृषकों की पुनरावृत्ति न हो।
ये भी पढ़ें: मनरेगा पशु शेड योजना के तहत भारी छूट, जानें सबकुछ
युवा कृषक अपने आवेदन ई-मित्र केंद्र, राजकिसान साथी पोर्टल या राज किसान सुविधा मोबाइल ऐप के माध्यम से जनआधार नंबर का उपयोग कर ऑनलाइन जमा कर सकते हैं।
यदि ऐप मॉड्यूल सक्रिय नहीं है, तो इच्छुक किसान उप निदेशक कृषि एवं पदेन परियोजना निदेशक आत्मा, हनुमानगढ़ कार्यालय के माध्यम से ऑफलाइन आवेदन भी कर सकते हैं।
आवेदन पत्र में किसान का नाम, आयु, शिक्षा, मोबाइल नंबर, आधार नंबर, जनआधार नंबर, पूर्ण पता और कृषि गतिविधियों का विवरण भरना अनिवार्य है। आवेदन की अंतिम तिथि 15 नवम्बर 2025 निर्धारित की गई है।
प्राप्त आवेदनों की जांच के बाद चयन कृषि संयुक्त निदेशक (वि.) की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जाएगा। पात्र कृषकों की सूची अंतिम रूप से जारी होने के बाद प्रशिक्षण कार्यक्रम तय समय पर आयोजित किए जाएंगे।
यह योजना उन युवा किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है जो आधुनिक खेती, जैविक उत्पादन, ड्रिप सिंचाई, और खाद्य प्रसंस्करण जैसी नई तकनीकों को सीखना चाहते हैं। इससे न केवल उनकी उत्पादकता बढ़ेगी बल्कि वे आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से सशक्त भी बनेंगे।
प्रश्न: हाईटेक खेती प्रशिक्षण योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर: किसानों को आधुनिक खेती तकनीकों से जोड़ना
प्रश्न: इस योजना के तहत कितने युवा कृषकों को प्रशिक्षण और भ्रमण के लिए भेजा जाएगा ?
उत्तर: 5 हजार
प्रश्न: यह कार्यक्रम किस योजना के अंतर्गत चलाया जा रहा है ?
उत्तर: ज्ञान संवर्धन कार्यक्रम
प्रश्न: प्रत्येक प्रशिक्षण दल में कितने युवा कृषक शामिल किए जाएंगे ?
उत्तर: 40
प्रश्न: प्रशिक्षण की अवधि कितनी होगी (यात्रा सहित) ?
उत्तर: 7 दिन
सरकार किसानों की आर्थिक दशा सुधारने के लिए ऐसी सरकारी योजना लेकर आई है, जिसकी मदद से किसान भाइयों को डबल मुनाफा होने वाला है।
दरअसल, केंद्र सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) और दूसरी ओर राज्य सरकार मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत किसानों को डबल धनराशि सीधे उनके बैंक खाते में भेजेगी।
इससे किसानों को बड़ा फायदा होगा और वे इस योजना की मदद से अच्छे उपकरण खरीदकर अपनी खेती को और भी बेहतर कर पाएंगे और अपनी कमाई भी दोगुनी कर सकेंगे।
पीएम किसान योजना का लाभ छोटे और सीमांत किसान ही उठा सकते हैं, जिसमें किसानों को सहायता राशि ₹6,000 प्रतिवर्ष तीन किस्तों में सीधे किसान भाइयों के खाते में (DBT) के माध्यम से भेजी जाती है। सरकार की इस सहायता से लाखों किसानों को फायदा हो रहा है और वे आत्मनिर्भर किसान बन रहे हैं तथा खेती की लागत में भी काफी सुधार कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना की शुरुआत सितंबर 2020 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा की गई थी। इस योजना का लाभ केवल उन किसानों को मिलता है जो पहले से ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ ले रहे हैं और राशि प्राप्त कर रहे हैं।
इस योजना के तहत किसानों को हर साल ₹6,000 की राशि मुहैया कराई जाती है, जो तीन किस्तों के रूप में सीधे किसान भाइयों के खाते में भेजी जाती है। इस योजना का फायदा लाखों किसानों को मिल रहा है।
पीएम किसान योजना की सूची में शामिल किसान इस सरकारी योजना का फायदा उठा सकते हैं। लेकिन, किसान को मध्य प्रदेश का स्थायी निवासी होना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही, किसान के पास कृषि योग्य भूमि भी होनी अति आवश्यक है, तभी वह इस योजना के लिए पात्र होंगे।
मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत किसानों को वर्ष में ₹6,000 की रकम मुहैया कराई जाती है, जो ₹2,000 की तीन किस्तों में डायरेक्ट बैंक खातों में बड़े ही आसान तरीके से भेज दी जाती है।
ये भी पढ़ें: खुशखबरी: योगी सरकार का राज्य के किसानों के लिए बेहद हितकारी फैसला
मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का फायदा सभी किसानों को नहीं मिलेगा। इस योजना के लिए सरकार ने कुछ नियम लागू किए हैं, जो इस प्रकार हैं–
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में किसानों को प्रति वर्ष ₹6,000 मिलते हैं और वहीं मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में भी प्रति वर्ष ₹6,000 की राशि मिलती है। यानी किसानों को कुल सहायता राशि प्रति वर्ष लगभग ₹12,000 मिलेगी। इसी प्रकार किसानों को होगा डबल फायदा।
प्रश्न: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-KISAN) के तहत किसानों को प्रति वर्ष कितनी राशि दी जाती है ?
उत्तर: ₹6,000 रूपये।
प्रश्न: पीएम किसान योजना की राशि किसानों को कितनी किस्तों में दी जाती है ?
उत्तर: 3 किस्तों में।
प्रश्न: मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना की शुरुआत कब हुई थी ?
उत्तर: वर्ष 2020 में।
प्रश्न: मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना किस राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई थी ?
उत्तर: मध्य प्रदेश।
प्रश्न: मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का लाभ किन किसानों को मिलता है ?
उत्तर: ऐसे किसान जो प्रधानमंत्री किसान योजना के लाभार्थी हैं।
गुजरात सरकार ने राज्य के किसानों को राहत देते हुए 9 नवंबर से खरीफ फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर शुरू करने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) के तहत की जा रही इस पहल के अंतर्गत सरकार लगभग ₹15,000 करोड़ की कृषि उपज खरीदेगी।
गुजरात सरकार ने राज्य भर में 300 से अधिक खरीद केंद्र स्थापित किए हैं, जहां किसान अपनी उपज बेच सकेंगे। इस योजना के अंतर्गत मूंगफली, मूंग, उड़द और सोयाबीन की खरीद की जाएगी। खरीद केंद्रों पर पंजीकरण, तौल, भुगतान और भंडारण की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन और पारदर्शी होगी। किसानों को फसल बेचने के 48 घंटे के भीतर भुगतान किए जाने का प्रावधान है।
सरकार द्वारा जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार खरीफ 2025 के लिए समर्थन मूल्य इस प्रकार तय किए गए हैं:-
पिछले वर्ष की तुलना में इस बार मूंगफली के MSP में ₹480, उड़द में ₹400 और सोयाबीन में ₹436 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। इससे किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय सुधार होगा।
ये भी पढ़ें: उड़द की खेती से जुड़ी संपूर्ण जानकारी
मूंगफली का उत्पादन राज्य में अधिक होने के कारण, सरकार ने निर्णय लिया है कि प्रत्येक किसान से अधिकतम 120 मन मूंगफली की खरीद की जाएगी। यह व्यवस्था अधिक किसानों को MSP का लाभ देने के उद्देश्य से की गई है।
खरीद केंद्रों पर पंजीकरण, तौल, भुगतान और भंडारण की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन और पारदर्शी होगी। किसानों को फसल बेचने के 48 घंटे के भीतर भुगतान किए जाने का प्रावधान है।
राज्य में अगस्त-सितंबर के दौरान असमय बारिश से लगभग 16,000 गांवों में फसलों को नुकसान हुआ था। सरकार पहले ही ₹947 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा कर चुकी है।
हाल ही में फिर से हुई बारिश से कुछ जिलों में नुकसान बढ़ने पर राज्य सरकार ने नया सर्वेक्षण शुरू किया है और एक व्यापक राहत पैकेज की तैयारी चल रही है।
ये भी पढ़ें: भारत में बाढ़ से फसलें बर्बाद | सरकार देगी किसानों को राहत
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि MSP पर फसल खरीद प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी हो और किसी भी स्तर पर बिचौलियों की भूमिका न हो। उन्होंने कहा, “सरकार किसानों की मेहनत का पूरा मूल्य दिलाने और उनकी आय को सुरक्षा प्रदान करने के लिए हर संभव कदम उठाएगी।”
प्रश्न: गुजरात सरकार द्वारा खरीफ फसलों की खरीद किस तारीख से शुरू की जाएगी ?
उत्तर: 9 नवंबर से
प्रश्न: यह खरीफ फसलों की खरीद किस योजना के तहत की जा रही है ?
उत्तर: प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA)
प्रश्न: सरकार इस पहल के तहत लगभग कितनी राशि की कृषि उपज खरीदेगी ?
उत्तर: ₹15,000 करोड़
प्रश्न: राज्य में कितने खरीद केंद्र स्थापित किए गए हैं ?
उत्तर: 300 से अधिक
प्रश्न: कौन-कौन सी फसलों की खरीद MSP पर की जाएगी ?
उत्तर: मूंगफली, मूंग, उड़द और सोयाबीन
प्रश्न: खरीद केंद्रों पर किसानों को भुगतान कितने समय के भीतर किया जाएगा ?
उत्तर: फसल बेचने के 48 घंटे के भीतर
आईसीआरए की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2025 में भारत के ट्रैक्टर बाजार में जोरदार वापसी हुई, जिसमें थोक बिक्री में साल-दर-साल 45% और खुदरा बिक्री में 4% की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि अच्छी मानसूनी बारिश, सकारात्मक कृषि भावना और त्योहारी सीजन से पहले डीलरों द्वारा अधिक स्टॉकिंग के कारण हुई है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने 2025 के दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान दीर्घकालिक औसत वर्षा का 108% होने की सूचना दी है। असमान वितरण के बावजूद, वर्षा ने मजबूत कृषि उत्पादन को बढ़ावा दिया। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 2024-25 के लिए खरीफ में 7.9% और रबी फसल उत्पादन में 4.5% की वृद्धि दर्ज की, जिससे कृषि आय और ग्रामीण तरलता में सुधार हुआ।
आईसीआरए ने कहा कि "अनुकूल मानसून और किसानों की सकारात्मक धारणा ने ट्रैक्टरों की माँग को सीधे तौर पर बढ़ावा दिया है।" सितंबर में ट्रैक्टरों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को घटाकर 5% कर दिए जाने के बाद, त्योहारी सीज़न से पहले डीलरों ने स्टॉक बढ़ा दिया। कर में कटौती से आने वाले महीनों में बिक्री में और वृद्धि होने की उम्मीद है, जिसे ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती खपत का समर्थन प्राप्त है।
ये भी पढ़ें: किसान इन कृषि तकनीकों से खेती कर कृषि उत्पादन को बढ़ा सकते हैं
वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में ट्रैक्टरों की थोक बिक्री में 18.8% की वृद्धि हुई, जिसके कारण आईसीआरए ने अपने विकास पूर्वानुमान को पहले के 4-7% अनुमान से बढ़ाकर 8-10% कर दिया है। उद्योग ने वित्त वर्ष 2025 में पहले ही 7% की वृद्धि हासिल कर ली थी।
आईसीआरए को उम्मीद है, कि 1 अप्रैल, 2026 को TREM V उत्सर्जन मानदंड लागू होने से पहले खरीदार ट्रैक्टरों की खरीदारी कर लेंगे, जिससे ट्रैक्टरों की माँग में अल्पकालिक वृद्धि होगी। किसान और डीलर आगामी अनुपालन वाले मॉडलों की कीमतों में बढ़ोतरी से बचने के लिए पहले से ही खरीदारी कर सकते हैं।
आईसीआरए ने कहा कि ट्रैक्टर निर्माताओं से उच्च बिक्री मात्रा, स्थिर इनपुट लागत और परिचालन दक्षता के बल पर मजबूत वित्तीय स्थिति बनाए रखने की उम्मीद है। इस क्षेत्र का कम ऋण स्तर और मजबूत तरलता इसकी आर्थिक स्थिरता को और अधिक सशक्त करेगी।
अनुकूल मौसम, नीतिगत समर्थन और नियामक समय के मिश्रण के साथ, आईसीआरए का मानना है, कि ट्रैक्टर उद्योग वित्त वर्ष 2026 में मजबूत वृद्धि के लिए तैयार है। बढ़ती कृषि आय और लचीली ग्रामीण माँग भारत के कृषि क्षेत्र में गति बनाए रखेगी।
प्रश्न: ट्रैक्टर उद्योग की आर्थिक स्थिरता को कौन-से दो कारक सशक्त करते हैं ?
उत्तर: कम ऋण स्तर और मजबूत तरलता (liquidity)।
प्रश्न: आईसीआरए का समग्र परिप्रेक्ष्य क्या है ?
उत्तर: वित्त वर्ष 2026 में ट्रैक्टर उद्योग के लिए परिदृश्य सकारात्मक रहेगा, अनुकूल मौसम और ग्रामीण माँग के कारण मजबूत वृद्धि की संभावना है।
प्रश्न: आईसीआरए रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती खपत को किससे समर्थन मिला ?
उत्तर: कर में कटौती और किसानों की बढ़ती आय से।
प्रश्न: वित्त वर्ष 2025 में ट्रैक्टर उद्योग ने कितनी वृद्धि हासिल की थी ?
उत्तर: 7%।
प्रश्न: "आईसीआरए" का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर: Investment Information and Credit Rating Agency of India Limited।
Real Stories, Real Results
Tractorchoice मेरे लिए एक गेम-चेंजर साबित हुआ है ! मैं एक विश्वसनीय ऑनलाइन प्लेटफार्म की तलाश में था जहाँ से मैं एक नया ट्रैक्टर खरीद सकूँ, Tractorchoice मेरी उम्मीदों पर खरा उतरा है ।
Sundar Singh
Farmer
Tractorchoice के साथ मुझे अपने पुराने को बेचने में काफी आसानी हुई । इस प्लेटफ़ॉर्म की मदद से मैंने अपने ट्रैक्टर को सूचीबद्ध किया, और बहुत की कम समय में, मेरे पास कई enquiry आ गई थीं।
Rameshawar Dayal Sharma
Farmer
ट्रैक्टर की सर्विस कराने के लिए एक विश्वसनीय स्थान खोजने में मुझे पहले बहुत कठिनाई होता था, लेकिन जब मैंने tractorchoice के बारे में जाना, तब से मेरी ये समस्या हल हो गई ।
Sanjay
Farmer
I had a fantastic experience using TractorChoice to buy a new tractor. The platform had an extensive range of top brands, and the buying process was smooth
Puneet Srivastav
Farmer