पूसा कृषि मेला 2025 का आयोजन इस बार 22-24 फरवरी को किया जा रहा है। इस पूसा कृषि मेले में किसानों को कम कीमत पर खाद, बीज और कृषि उपकरण आदि मुहैय्या कराए जाएंगे।
पूसा कृषि मेला में पशुओं से संबंधी जानकारी भी काफी ज्यादा मिलती है। इस पूसा मेला में किसानों को जो बीज प्रदान किए जाएंगे उनकी जानकारी भारतीय कृषि अनुसंधान की तरफ से सार्वजनिक रूप से साझा कर डाली है।
PB 1847,PB 1692, PB 1509, PB 1885, PB 1718, PB 1886, PS 6 (1401), PB 1, PB 1985, PB 1979, P 2090, P 1824, PS 5 (2511), P SAMBHA 1850 आदि किस्में बाजार में उपलब्ध हैं।
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P - 1431, P VISHAL, P 1641
P - ARHAR 2018-1, P ARHAR 2017-4, PA 16
PUSA COMPOSITE 701
PUSA A5
PUSA SUKOMAL
PUSA SANEHA
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PUSA NAVEEN
KAGJI KLA
इनके अलावा सीजनल वेजिटेबल किट भी पूसा कृषि मेला 2025 में आपको उपलब्ध मिलेगी। साथ ही, आपको पूसा कृषि मेला में पशु प्रदर्शनी से लेकर अत्याधुनिक कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी देखने को मिलेगी।
पूसा कृषि मेले में किसानों को कृषि योजनाओं से संबंधित विस्तार से जानकारी दी जाएगी। इससे किसान सरकार की नवीन नीतियों व योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा सकेंगे।
मेले में विशेष रूप से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, सब्सिडी और कृषि ऋण से जुड़ी जानकारियां दी जाएंगी।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से लगाया जाने वाला “पूसा कृषि विज्ञान मेला 2025” किसानों के लिए बहुत ही आकर्षक होने वाला है।
इस पूसा कृषि मेला में आधुनिक खेती और उत्पादन बढ़ोतरी के साथ किसानों की आय बढ़ाने के बिंदुओं पर अधिक बल दिया जाएगा।
इस तीन दिवसीय मेले के दौरान कई सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिसमें किसानों को महत्वपूर्ण व उपयोगी जानकारी प्रदान की जाएगी।
पूसा कृषि मेले में उपरोक्त दिए गए बीज किसानों के लिए उपलब्ध मिलेंगे। किसान साथी 22-24 फरवरी को आयोजित होने वाले इस पूसा कृषि मेले में पहुँचकर काफी लाभ उठा सकते हैं।
मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से आर्थिक रूप से कमजोर किसानों को सुदृण बनाने के लिए नया कदम उठाया गया है।
मध्य प्रदेश सरकार राज्य के किसानों को कृषि में उपयोगी कृषि यंत्रों पर भारी अनुदान मुहैय्या करा रही है।
मध्य प्रदेश कृषि विभाग की तरफ से जारी की गई जानकारी के मुताबिक 18 फरवरी, 2025 तक पोर्टल पर आवेदन की अंतिम तिथि तय की गई है। सरकार की तरफ से एक दिन बाद यानी 19 फरवरी, 2025 को लॉटरी निकाली जाएगी।
पात्र किसान बड़ी आसानी से कृषि यंत्र खरीद सकते हैं। मध्यप्रदेश कृषि अभियांत्रिकी विभाग की कृषि यंत्र अनुदान योजना के अंतर्गत 50 से 60% प्रतिशत तक का अनुदान मिल रहा है।
योजना के अंतर्गत लघु एवं सीमांत किसानों को 50 से 60% और अन्य सभी वर्ग के किसानों के लिए 40 से 50% फीसद अनुदान मिलेगा।
यदि आप विभिन्न कृषि यंत्रों की खरीद या अनुदान के लिए आवेदन कर रहे हैं, तो आपको निर्धारित धनराशि का डिमांड ड्राफ्ट (DD) जमा करना होगा।
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अगर आपने पहले से रजिस्ट्रेशन किया है, तो आधार नंबर दर्ज करें और 'आधार सत्यापित करें' पर क्लिक करें।
अगर पहली बार आवेदन कर रहे हैं, तो 'कृषक का नवीन पंजीकरण' पर जाएं। नया पंजीकरण करने के लिए आधार नंबर दर्ज कर डिवाइस का चयन करें (जिससे सत्यापन होगा) और इसके बाद फिंगरप्रिंट स्कैन कर आवेदन पूरा हो जाएगा।
भारत की केंद्र और राज्य सरकारें समय समय पर किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं जारी करती रहती हैं।
सरकारें खेती-किसानी से संबंधित कई सारी चुनौतियों को कम करने के लिए सरकारें किसान हित में कदम उठाती रहती हैं।
राजस्थान सरकार द्वारा किसानों की सिंचाई संबंधी दिक्कतों को कम करने के लिए ‘मिनी स्प्रिंकलर संयंत्र योजना’ जारी की है।
योजना के अंतर्गत 70% से 75% फीसद अनुदान प्रदान किया जाएगा। लाभार्थी किसान को उसके अकाउंट में DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के जरिए पैसे भेजे जाएंगे।
मिनी स्प्रिंकलर संयंत्र योजना के द्वारा जल की बचत और फसलीय उपज में इजाफा दर्ज होगा।
इससे किसान कम खर्च में अच्छी सिंचाई कर उच्च गुणवत्ता की फसल हांसिल कर सकेंगे। परिणामस्वरूप, कृषकों की आय में वृद्धि होगी।
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आधिकारिक पोर्टल पर जाकर “पंजीकरण करवाना” विकल्प पर क्लिक करें। SSO पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करें (जन आधार या गूगल विकल्प का उपयोग करें )
जन आधार नंबर दर्ज करें और OTP सत्यापित कर पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करें। आइए जानते हैं, मिनी स्प्रिंकलर संयंत्र योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया के बारे में।
राजस्थान सरकार की मिनी स्प्रिंकलर संयंत्र योजना किसानों के लिए काफी कल्याणकारी योजना है। किसान योजना का फायदा उठाने के लिए जल्द से जल्द आवेदन कर सकते हैं।
भारत के किसानों को आर्थिक सुरक्षा और सम्मान देने के उद्देश्य से पीएम किसान सम्मान निधि योजना बीते कई वर्षों से चलाई जा रही है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-Kisan) के तहत पात्र किसानों को सालाना ₹6000 की आर्थिक सहायता दो-दो हजार रुपये की तीन किस्तों में चार महीने के समयांतराल पर दी जाती है।
बतादें, कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 19वीं किस्त को लेकर सरकार ने बड़ा ऐलान कर दिया है।
यह दो-दो हजार रुपये की तीन किस्तों में चार महीने के समयांतराल पर दी जाती है। किसान इस धनराशि का प्रयोग खाद, बीज आदि कृषि संबंधी कार्यों के लिए करते हैं।
भारत सरकार पीएम किसान सम्मान निधि योजना की समकुल 18 किस्तें जारी कर चुकी है। अब सरकार 19वीं किस्त को किसानों के खाते में भेजने का ऐलान कर चुकी है।
दरअसल, पीएम नरेंद्र मोदी 24 फरवरी 2025 को बिहार के भागलपुर से पीएम किसान की 19वीं किस्त जारी करने वाले हैं।
पीएम किसान सम्मान निधि योजना की आने वाली 19वीं किस्त निम्नलिखित तीन कामों को करने वाले किसानों को ही मिल पाएगी। जी हाँ, पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 19वीं किस्त का सभी किसान लाभ नहीं उठा सकेंगे।
अगर आप भी 19वीं किस्त के 2,000 रुपये पाना चाहते हैं, तो आज ही ये तीन काम जरूर पूरा करलें।
पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 19वीं किस्त का लाभ हांसिल करने के लिए ईकेवाईसी (eKYC) करवाना बहुत जरूरी है।
अगर आपने वक्त पर ई-केवाईसी नहीं कराया, तो आप योजना की अगली किस्त से वंचित रह सकते हैं। इसलिए 19वीं किस्त का लाभ पाने के लिए दिए गए 3 माध्यमों से अपनी ई-केवाईसी करवाकर योजना का लाभ उठाएं।
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किसान साथियों, उपरोक्त दिए गए तीन कार्यों के अतिरिक्त ऐसे किसान जिन्होंने अपनी भूमि रिकॉर्ड का सत्यापन नहीं करवाया है।
ऐसे किसानों को योजना का फायदा नहीं मिल सकेगा। साथ ही, इस योजना का फायदा लेने के लिए आपके एक्टिव बैंक अकाउंट को आधार से लिंक करवाना अनिवार्य है।
साथ ही, डीबीटी इनेबल करवाना भी जरूरी है। डीबीटी ऑफ रहने पर किस्त के पैसे उनके खाते में हस्तांतरित नहीं हो सकेंगे।
भारत सरकार की तरफ से किसानों को आर्थिक मजबूती देने के लिए पीएम किसान सम्मान निधि योजना चलाई जा रही है। पीएम किसान की 19वीं किस्त 24 फरवरी को किसनों के खातों में ट्रांसफर की जाएगी।
खेती-बाड़ी में आजकल बहुत सारे छोटे-बड़े कार्य आधुनिक कृषि यंत्रों की मदद से किए जाते हैं। कृषि क्षेत्र में कृषि यंत्रों के संचालन का काफी अच्छा-खासा दबदबा है।
पोटैटो डिगर भी आलू की खोदाई करने वाला बेहद ही शानदार उपकरण है। पोटैटो डिगर मशीन की सहायता से किसान कम समय में ज्यादा भूमि के आलू की खोदाई कर सकते हैं।
पोटैटो डिगर हर तरीका से आलू उत्पादक किसानों का फायदा करता है। आलू की खुदाई पोटैटो डिगर मशीन से करने पर आलू की खेती से किसानों को काफी शानदार लाभ मिलता है।
बिहार सरकार कृषि यांत्रिकरण योजना के तहत राज्य के किसानों को 75% प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है।
पोटैटो डिगर की कीमत की बात करें तो इसकी कीमत करीब 40 हजार से डेढ़ लाख रुपए तक रहती है। अलग-अलग कंपनियों की अलग-अलग कीमत होती है।
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पोटैटो डिगर मशीन की अगर समय-समय पर ग्रीसिंग और साफ-सफाई की जाए तो यह काफी लंबे समय तक चलती है।
बिहार कृषि विभाग के सचिव का कहना है, कि "राज्य सरकार की तरफ से इस वर्ष कृषि यांत्रिकरण योजना के अंतर्गत 186 करोड़ रुपए का अनुदान बहुत प्रकार के कृषि यंत्राें की खरीद और कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना पर किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है।
आधुनिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार कृषि यंत्रों पर सब्सिडी की राशि को बढ़ाती जा रही है।
आगामी वित्तीय वर्ष में 250 करोड़ रुपए से अधिक राशि का अनुदान किसानों को दिए जाने का प्रस्ताव है। किसानों को समय पर क्वालिटी युक्त कृषि यंत्र उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाना चाहिए।"
बिहार में कृषि यांत्रिकरण योजना के अंतर्गत किसानों को 75 प्रकार के कृषि यंत्रों पर भारी छूट मिल रही है।
योजना के अंतर्गत सामान्य किसानों को 40 प्रतिशत सब्सिडी, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के किसानों को 50 से 60 और 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है।
पोटैटो डिगर खरीदने वाले किसान राज्य के पोर्टल पर जारी सूची में अनुदान संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
पोटैटो डिगर के अलावा किसानों को कल्टीवेटर, डिस्क प्लाऊ, लेजर लैंड लेवलर मशीन, रीजर, पैडी ड्रम सीडर, हाथ से चलने वाला धान और गेहूं बुवाई यंत्र, आलू बुवाई की मशीन, रोटावेटर, दो प्रकार के पैडी ट्रांसप्लांटर, पावर टिलर, एमबी प्लाऊ, रेज्ड ब्लेड प्लांटर, मेजर थ्रेसर, आलू खुदाई मशीन और सिंचाई के पाइप आदि की खरीद पर छूट दी जा रही है।
साथ ही, हैप्पी सीडर, रोटरी स्लैशर, पैडी स्ट्रॉ चॉपर, जीरो टिलेज, रिपर, स्कवायर बेलर, सेल्फ प्रोपेल्ड रीपर, दो प्रकार के ब्रश कटर, स्ट्रा रीपर और तीन तरह के रीपर कम बाइंडर, रोटरी मल्चर, स्ट्रॉ बेलर और ट्रैक्टर से चलने वाले 6, 7 व 8 फीट के सुपर सीडर, स्प्रेयर, रॉकर स्प्रेयर, पावर स्प्रेयर, बूम स्प्रेयर व खाद डालने के लिए पोस्ट होल डीगर मशीन, चार प्रकार के चैफ कटर, पावर मेज थ्रेसर, फसल काटने के हाथ से इस्तेमाल किए जाने वाले औजार, अनाज रखने के लिए भंडारण और पावर वीडर पर अनुदान दिया जाता है।
इसके साथ ही थ्रेसर, मल्ट्रीक्रॉप थ्रेसर, धान का थ्रेसर, इलेक्ट्रिक वीडर और सेल्फ प्रोपेल्ड पावर पैडी वीडर पर भी अनुदान मिलता है।
इसी के साथ ही किसानों को मखाना पॉपिंग मशीन, मिनी दाल मिल, राइस मिल, मिनी तेल मिल, चेनसॉ, मोटर से चलने वाली आटा चक्की, हाथ से चलने वाली आटा चक्की, मोटर और पिस्टल से चलने वाली मशीन और इंजन से चलने वाली चाय पत्ती तोड़ने वाली मशीन पर भी भारी छूट दी जा रही है।
किसान बिहार सरकार की कृषि यांत्रिकरण योजना का लाभ उठाकर काफी कम कीमत पर पोटैटो डिगर मशीन सहित 75 तरह के कृषि यंत्र खरीद सकते हैं।
बिहार सरकार के उद्यान निदेशालय, कृषि विभाग की तरफ से पान विकास योजना जारी की गई है।
बिहार सरकार की इस शानदार योजना का मुख्य उद्देश्य मगही और देशी पान की खेती को प्रोत्साहन देना है।
राज्य सरकार की इस योजना की वजह से किसानों का आर्थिक सशक्तिकरण और आधुनिक तकनीकों के विषय में जानकारी मिलेगी।
पान विकास योजना के तहत पान उत्पादक किसानों को आर्थिक तौर पर सहयोग प्रदान किया जाएगा।
ऐसे में पान की खेती करने के इच्छुक किसानों के लिए यह बहुत ही शानदार अवसर है। पान की खेती कर के किसान काफी अच्छा खासा लाभ उठा सकते हैं।
पान विकास योजना के तहत 50% प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। इसमें इकाई लागत ₹70,500 प्रति 300m² और अनुदान लागत मूल्य का 50%, यानी अधिकतम ₹35,250 प्रति 300m² मिलेगा।
योजना का लाभ लेने हेतु रकवा सीमा न्यूनतम 100m² और अधिकतम 300m² होनी चाहिए।
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बिहार सरकार की तरफ से शुरू की गई पान विकास योजना का लाभ FPC (Farmer Producer Company) के सदस्य और व्यक्तिगत किसान दोनों उठा सकते हैं।
ऐसे किसान जो किसी किसान उत्पादक संगठन से जुड़े हैं या व्यक्तिगत रूप से पान की खेती करना चाहते हैं, वे दोनों ही इस योजना के लिए पात्र हैं।
पान विकास योजना के अंतर्गत पात्र किसानों का चयन लॉटरी प्रणाली के माध्यम से किया जाएगा। आवेदन करने वाले किसानों में से भाग्यशाली लाभुकों का चयन लॉटरी प्रणाली के माध्यम से किया जाएगा।
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पान विकास योजना के लिए इच्छुक किसान उद्यान निदेशालय, कृषि विभाग, बिहार आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
पान विकास योजना के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया को बेहद आसान बनाया गया है, इससे अधिकांश किसान इसका फायदा उठा सकते हैं।
पान विकास योजना के जरिए बिहार सरकार पान की खेती को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है। किसानों को पान की खेती पर छूट लेने के लिए जल्द से जल्द आवेदन करना होगा।
योजना में आवेदन करने के बाद किसानों छूट का फायदा उठाकर पान की खेती से अच्छा मुनाफा उठा सकते हैं।
भारत की केंद्र और राज्य सरकारों का सबसे बड़ा मकसद किसानों की आय को दोगुना करना है। इसके लिए हमेशा से सरकारें कल्याणकारी योजनाएं जारी करते रहते हैं।
अब इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से किसानों को सशक्त बनाने के लिए एक नई परियोजना की शुरुआत की है।
उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ग्रोथ एंड एंटरप्राइज इकोसिस्टम स्ट्रेंथनिंग (UP-AGREES) परियोजना की शुरुआत कर कृषि क्षेत्र को बेहतर बनाने की दिशा में कदम उठाया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उद्घाटन के दौरान कहा कि "उत्तर प्रदेश गेहूं, आलू, आम, अमरूद, मटर, मशरूम, तरबूज और शहद आदि के उत्पादन में देश में शीर्ष पर है।
योगी जी ने आगे कहा कि "देश के सब्जी उत्पादन में 15% और फल उत्पादन में 11% हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश की है।
UP-AGREES: 4 हजार करोड़ रुपये की यूपी एग्रीज परियोजना के लिए 2,737 करोड़ रुपये का लोन विश्व बैंक से मिला है, जबकि राज्य सरकार ने 1,166 करोड़ रुपये का अंशदान किया है"
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि "उत्तर प्रदेश में देश की करीब 17% जनसंख्या रहती है, वहीं खाद्यान्न उत्पादन में उत्तर प्रदेश का योगदान 23% से अधिक है। देश के खाद्यान्न निर्यात में उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है।
ऐसे में यूपी एग्रीज (UP-AGREES) परियोजना प्रदेश के निर्यात की संभावनाओं को आगे ले जाने में मील का पत्थर साबित होगी। यह किसानों और कृषि क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए अच्छी शुरुआत है।
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अगर हम योगी सरकार की इस परियोजना के प्रमुख मकसद की बात करें तो कृषि और कृषि से जुड़े क्षेत्रों को चिन्हित करना, प्रमुख फसलों की उत्पादकता में गुणात्मक वृद्धि, विशिष्ट कृषि उत्पादों को बढ़ावा देना, फसल तैयार होने के बाद प्रबंधन और बाजार समर्थन प्रणाली को विकसित करना है।
(UP-AGREES) परियोजना के पहले चरण में यूपी के आठ संभागों (कमिश्नरी) के 28 जिले चुने गये हैं। यह परियोजना की शुरुआत 2024-25 से और 2029-30 तक 6 सालों तक चलेगी।
आदित्यनाथ ने कहा कि "प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से उत्तर प्रदेश समग्र विकास के नए प्रतिमान स्थापित कर रहा है।
इनमें कृषि और इससे संबंधित क्षेत्र की प्रगति स्पष्ट रूप से देखने को मिल रही है। यह कार्यक्रम उसी अभियान का एक हिस्सा है।
मुख्यमंत्री जी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि "UP-AGREES प्रोजेक्ट के जरिए अन्नदाता किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होने की वजह से उनके परिवार के खुशहाल जीवन एवं उनकी उन्नति का मार्ग प्रशस्त होगा।"
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योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू की गई इस (UP-AGREES) परियोजना से किसानों को काफी हद तक आर्थिक तौर पर मजबूती मिलेगी और खाद्यान सुनिश्चित होगा।
कृषकों को बागवानी की तरफ प्रोत्साहित करने के लिए बिहार सरकार ने अहम कदम उठाया है।
बिहार सरकार की तरफ से किसानों को सब्जियों का उत्पादन करने पर भारी अनुदान देने की घोषणा कर ड़ाली है।
बतादें, कि बिहार सरकार की तरफ से किसानों को तरबूज, खरबूज, करेला, कद्दू, मिर्च, भिंडी, नेनुआ, बैंगन आदि बागवानी फसलों की खेती करने पर 75% फीसद यानी 1 हजार से 10 हजार तक की सब्सिडी मुहैय्या करा रही है।
इच्छुक किसान सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस नालंदा पहुँचकर अनुदानित राशि पर बीज हांसिल कर सकते हैं।
आवेदक किसान भाई बिहार के कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट www.horticulture.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन करें।
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जायद में सब्जियों की खेती कर किसान काफी अच्छी उपज और मुनाफा हांसिल कर सकते हैं। ऐसे में बागवानी करने वाले किसानों के लिए यह योजना काफी कल्याणकारी है। जल्द से जल्द आवेदन कर किसान योजना का लाभ उठाएं।
केंद्र और राज्य सरकारें हमेशा से किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाएं जारी करती रही हैं। योजनाओं का मुख्य उद्देश्य किसान को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाना होता है।
भारत सरकार किसानों को बागवानी की खेती करने के लिए प्रोत्साहन देने का कार्य करती हैं।
इसी कड़ी में बिहार सरकार ने बागवानी करने वाले किसानों के लिए नवीन और आधुनिक शेडनेट हाउस बनवाने पर भारी भरकम छूट प्रदान करने की घोषणा की है।
शेडनेट हाउस के माध्यम से किसान कई प्रकार की कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली बागवानी और फूलों की फसलों का उत्पादन कर सकते हैं।
शेडनेट हाउस जालीदार नेट के द्वारा बनाया गया एक ऐसा ढाँचा है जो फसल को समुचित मात्रा में धूप, नमी और हवा प्रदान करता है। शेडनेट की मदद से कृषकों को इन पौधों की सही से निगरानी और पैदावार में वृद्धि होती है।
बिहार सरकार द्वारा इस योजना के अंतर्गत किसानों को शेडनेट हाउस के लिए 50% फीसद छूट देने का निर्णय लिया गया है। किसानों को शेडनेट हाउस की कुल लागत का आधा हिस्सा बिहार सरकार द्वारा दिया जाएगा।
बिहार सरकार की इस योजना का उद्देश्य बाजार में मिलने वाली अच्छी कीमतों की फसलों जैसे जरबेरा, गुलाब और अन्य सब्जियों की खेती करने के लिए किसानों को बढ़ावा देना है।
यह योजना किसानों को अपने कृषि कार्य को बढ़ाने और बेहतर ढंग से कम लागत में अधिक पैदावार दिलाने में सहयोगी भूमिका निभाएगी।
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बिहार सरकार की तरफ से बागवानी कृषकों को मजबूत करने वाली इस योजना की जानकारी यह है, कि योजना के तहत आवेदन करने के लिए किसान बिहार सरकार के कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर पता कर सकते हैं।
सिर्फ इतना ही नहीं बिहार सरकार के कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर आपको आवेदन की प्रक्रिया, नियम और शर्तों से जुड़ी जरूरी जानकारी मिल जाएगी।
बिहार के मूल निवासी किसान जल्द से जल्द बिहार सरकार द्वारा दिए जा रहे शेडनेट हाउस स्थापना के लिए अनुदान का लाभ उठाएं और बागवानी फसलों का सुरक्षापूर्वक उत्पादन कर अच्छा मुनाफा भी हांसिल करें।
सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए काफी बड़ी खुशखबरी है। भारत के कई राज्यों में किसान बड़े पैमाने पर सोयाबीन की खेती करते हैं।
भारत सरकार ने महाराष्ट्र और राजस्थान के सोयाबीन उत्पादक किसानों को खरीद की समय-सीमा में बढोतरी कर किसानों को राहत दी है।
केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र राज्य के लिए सोयाबीन बिक्री की समय सीमा 31 जनवरी तक कर दी है।
वहीं, भारत सरकार ने राजस्थान सोयाबीन किसानों को इसकी बिक्री के लिए 4 फरवरी तक का समय दिया है।
भारत सरकार द्वारा प्राइस सपोर्ट स्कीम (PSS) के तहत 4,892 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीद की जा रही है। अब तक देशभर में 13.68 लाख टन सोयाबीन खरीदा गया है।
अगर हम सोयाबीन बिक्री की पहली समय सीमा की बात करें तो यह पहले क्रमशः 12 जनवरी और 15 जनवरी तक निर्धारित थी।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसको लेकर कहा कि "सरकार किसानों की मदद के लिए प्रतिबद्ध है और उनकी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है।
तेलंगाना से भी 25,000 टन की अतिरिक्त खरीद को मंजूरी दी गई है, जहां पहले ही 59,508 टन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा चुका है।"
किसान साथियों, अगर हम मीडिया रिपोर्ट्स की बात करें तो वर्तमान में भारतभर में सोयाबीन की समकुल खरीद 13.68 लाख टन तक होने की खबर सामने आई है।
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भारत के केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है, कि "खरीद प्रक्रिया की निगरानी और समीक्षा के लिए कृषि भवन में हर सोमवार को साप्ताहिक बैठकें आयोजित की जाऐंगी।
भारत में इन बैठकों के अंतर्गत फसल की स्थिति, खरीद की प्रगति, मूल्य प्रवृत्ति और मौसम की स्थिति का आंकलन किया जाएगा।"
भारत सरकार द्वारा उठाए गए इस सराहनीय कदम से निश्चित रूप से किसानों की दिक्कत कम होंगी।
किसानों को सोयाबीन की खेती करने के लिए काफी प्रोत्साहन मिलेगा। सोयाबीन किसानों के लिए यह फैसला बेहद सहायक और आर्थिक बल देने वाला है।
भारत सरकार कृषकों के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी लेकर आई है। केंद्र सरकार ने रबी फसलों के बीमा पंजीकरण की आखिरी तारीख को बढ़ाकर 15 जनवरी 2025 कर दिया है।
जानकारी के लिए बतादें, कि पहले अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2024 तक निर्धारित थी। परंतु, प्रतिकूल मौसम की स्थिति ना होने के चलते वर्तमान में कृषकों को बीमा पंजीकरण के लिए और ज्यादा वक्त मिल गया है।
इस फैसले से लाखों कृषकों को अपनी फसल का बीमा कराने का अवसर मिलेगा, जिससे वह प्राकृतिक आपदाओं और बाकी कई सारे जोखिमों से खुद की फसल को सुरक्षित रख पाएंगे।
कृषक भाइयों प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) और रबी सीजन 2024-25 के तहत ऋणी किसानों के लिए फसल बीमा पंजीकरण की अंतिम तिथि अब 15 जनवरी 2025 तक बढ़ा दी गई है।
इस निर्णय से लाखों किसान लाभान्वित होंगे, जो पहले निर्धारित अंतिम तिथि के अंतर्गत किसी भी कारणवश अपनी फसल बीमा की पंजीकरण प्रक्रिया पूर्ण नहीं करा सके थे।
वहीं, पोर्टल पर फसल बीमा पंजीकरण का डेटा अपलोड करने की आखिरी तारीख 30 जनवरी निर्धारित की गई है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 फरवरी 2020 को किसानों के लिए पीएम फसल बीमा योजना का शुभारंभ किया था।
इस योजना को लागू करने के पीछे का प्रमुख उद्देश्य किसानों को प्राकृतिक आपदा से फसलों के नुकसान के लिए वित्तीय मदद प्रदान करना है।
जैसा कि हम सब जानते हैं, कि आँधी, तूफान, तेज बरसात, अधिक तापमान, नमी और पाले जैसी स्थिति में कृषकों की फसल को काफी ज्यादा क्षति पहुँचती है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत इससे बचने के लिए कृषकों को काफी कम धनराशि देकर अपनी फसल का बीमा करवाने की सुविधा मिल जाती है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का फायदा लेने के लिए आवेदक के पास कुछ आवश्यक दस्तावेजों का होना अनिवार्य है।
पीएम फसल बीमा योजना का फायदा प्राप्त करने के लिए इच्छुक कृषक के पास आधार कार्ड, बैंक पासबुक, खसरा नंबर, बुवाई प्रमाण पत्र, गांव की पटवारी और भूमि से संबंधित सभी दस्तावेज होने अत्यंत जरूरी हैं।
फसल का बीमा करवाने के उपरांत कवरेज के अंतर्गत अगर बीमित फसल को किसी भी तरह की हानि पहुँचती है, तो इसकी पूरी भरपाई का जिम्मा बीमा कंपनी करती है।
पीएम फसल बीमा योजना के अंतर्गत अनाज, बाजरा, दालें, तिलहन और अन्य बागवानी फसलों को भी कवर किया जाता है।
बतादें, कि इसके अंतर्गत धान, गेंहू, कपास, गन्ना, जूट, अरहर, मसूर, मूंग, चना, उड़द, लोबिया, मटर, सोयाबीन, मूंगफली, बिनौला, सूरजमुखी, तिल, सरसों, एंडी, तोरिया, कुसुम, अलसी, नाइजर सीड़स, केला, अंगूर, सेब, आम, संतरा, अमरूद, लीची, पपीता, अनानास, चीकू, इलायची, हल्दी, आलू, प्याज, अदरक, टमाटर, मटर और फूलगोभी की फसल भी शम्मिलित है।
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पीएम फसल बीमा योजना के अंतर्गत इच्छुक कृषक फसल बीमा कराने के लिए आज ही अपने नजदीकी बैंक शाखा से संपर्क करें।
किसान भाई ज्यादा जानकारी पाने के लिए आप PMFBY की आधिकारिक वेबसाइट https://pmfby.gov.in पर विजिट कर सकते हैं अथवा 14447 पर कॉल कर संपर्क कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, आप व्हाट्सऐप चैट बॉट नंबर 7065514447 पर संदेश भेजकर भी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से संबंधी समस्त जानकारी हांसिल कर सकते हैं।
भारत सरकार ने नववर्ष के उपलक्ष्य में कृषकों को बड़ी खुशखबरी दी है। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) को वर्ष 2025-26 तक विस्तार देने का फैसला लिया है।
इसके साथ ही इन योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए 824.77 करोड़ रुपये का एक अलग से कोष भी आवंटित किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। आइए आगे इस लेख में जानते हैं सरकार द्वारा उठाए गए अहम कदमों के बारे में।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसको किसानों के लिए समर्पित एक महत्वपूर्ण निर्णय बताया है। उन्होंने कहा, “नए वर्ष का पहला निर्णय हमारे देश के करोड़ों किसान भाई-बहनों को समर्पित है।
हमने फसल बीमा के लिए आवंटन बढ़ाने को मंजूरी दी है। इससे अन्नदाताओं की फसलों को और अधिक सुरक्षा मिलेगी और उनकी चिंता भी कम होगी।”
भारत सरकार ने फसल बीमा योजना/Fasal Bima Yojana का दायरा बढ़ाकर 4 करोड़ और किसानों को इसमें शामिल करने का निर्णय लिया है। इससे अधिकांश कृषकों को फसल नुकसान के वक्त आर्थिक मदद मिल सकेगी।
इन योजनाओं के लिए 69,515 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह 2020-21 से 2024-25 के लिए निर्धारित 66,550 करोड़ रुपये से ज्यादा है।
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अगर यह अनुदान नहीं दिया जाता, तो बैग का मूल्य 1,525 रुपये तक पहुंच सकता था। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह फैसला किसानों को सहूलियत देने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरकों की बढ़ती कीमतों के भार को कम करने के लिए लिया गया है।
जानकारी के लिए बतादें, कि भारत सरकार ने फसल बीमा योजनाओं में तकनीकी नवाचार के लिए 824.77 करोड़ रुपये का कोष निर्धारित किया है। दरअसल, सरकार इसके अंतर्गत "यस-टेक" और "विंड्स" जैसी तकनीकी पहल लागू करेगी।
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जानकारी के लिए बतादें कि पूर्वोत्तर राज्यों के कृषकों को विशेष प्राथमिकता दी गई है। यहां केंद्र सरकार प्रीमियम अनुदान का 90% फीसद साझा करती है। 2024-25 को विंड्स के कार्यान्वयन का पहला वर्ष माना गया है।
भारत की पीएमएफबीवाई देश की सर्वोच्च फसल बीमा योजना है। इसके अंतर्गत फसलीय नुकसान अथवा क्षति से प्रभावित कृषकों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
केंद्र सरकार का कहना है, कि योजनाओं को कृषकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। 23 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इन योजनाओं को जारी कर रहे हैं।
इस फैसले से सरकार की किसानों के प्रति प्रतिबद्धता और उनकी दिक्क़त परेशानियों के निराकरण की दिशा में की जा रही कोशिशें स्पष्ट होती हैं। यह कदम भारतीय कृषि और किसानों के लिए एक नवीन दिशा प्रदान करेगा।
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