भारत के अलग-अलग राज्यों में किसान बड़े पैमाने पर अलग अलग फसलों का उत्पादन कर सकते हैं। भारतीय कृषि बाजार में ट्रैक्टर एक बेहद महत्वपूर्ण कृषि यंत्र है, जो किसानों को समय पर उनके कृषि कार्यों को संपन्न करने में मदद करता है। अब ऐसे में हर एक किसान को अपने कृषि कार्य हेतु निजी ट्रैक्टर के साथ साथ कृषि उपकरणों की भी जरूरत होती है।
भारतीय कृषि को सुगम बनाने के लिए कृषि उपकरण के क्षेत्र में रोज नए आविष्कार हो रहे हैं। ऐसे में सरकार के द्वारा समय के साथ साथ खेती में आधुनिक मशीनीकरण को काफी बढ़ावा मिला है। मोहन सरकार खेती में उपयोग होने वाले 3 आधुनिक कृषि यंत्रों पर अनुदान प्रदान कर रही है। इसके लिए कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय ने आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी है।
राज्य के सभी जिलों के किसानों के लिए ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर 3 प्रमुख कृषि यंत्रों हेतु आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। सरकार का उद्देश्य आधुनिक कृषि उपकरणों को अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाना है। इन यंत्रों की सहायता से किसानों को जुताई, बीज बोने और फसल प्रसंस्करण के काम में काफी सुविधा मिल सकेगी।
कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय भोपाल (मध्यप्रदेश) की ओर से जिन 3 कृषि यंत्रों पर सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा है। इन सभी यंत्रों पर किसानों को सरकारी अनुदान (सब्सिडी) उपलब्ध कराया जाएगा। यह योजना प्रदेश के सभी जिलों के किसानों के लिए लागू की गई है।
ये भी पढ़े: मध्यप्रदेश सरकार की कृषि यंत्र अनुदान योजना की जानकारी
कृषि यंत्रों के लिए आवेदन 1 नवंबर 2025 से 11 नवंबर 2025 तक किए जा सकते हैं। किसानों को आवेदन ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर ऑनलाइन करना होगा। संचालनालय ने स्पष्ट किया है कि प्राप्त आवेदनों के आधार पर ही लक्ष्य निर्धारण किया जाएगा। इसलिए जो किसान समय पर आवेदन करेंगे, उन्हें चयन प्रक्रिया में प्राथमिकता दी जाएगी।
आवेदन के साथ किसानों को धरोहर राशि के रूप में डिमांड ड्राफ्ट (DD) जमा करना अनिवार्य किया गया है। यह डीडी किसान के स्वयं के बैंक खाते से बनाई जानी चाहिए और संबंधित जिले के सहायक कृषि यंत्री के नाम से देय होगी। धरोहर राशि के बिना किए गए आवेदन मान्य नहीं माने जाएंगे। किस कृषि यंत्र के लिए कितनी राशि का डिमांड ड्राफ्ट बनवाना है उसका विवरण इस प्रकार से है।
ये भी पढ़े: टॉप 9 कृषि यंत्रों पर सरकारी सब्सिडी | किसानों के लिए भारी छूट 2025
इन आधुनिक यंत्रों के उपयोग से किसानों की उत्पादकता बढ़ेगी और श्रम व लागत दोनों में कमी आएगी। रेज्ड बेड प्लांटर से खेतों में बीजों की समान गहराई और उचित दूरी सुनिश्चित होती है, जिससे फसल बेहतर उगती है। ग्राउंड नट डिकार्टीकेटर मूंगफली के छिलके को शक्तिचालित तरीके से अलग करता है, जिससे दानों की गुणवत्ता बनी रहती है और समय की बचत होती है। वहीं डी-स्टोनर या ग्रेडिएंट सेपरेटर अनाज या बीजों से पत्थर और मिट्टी को अलग करने में मदद करता है, जिससे साफ और उच्च गुणवत्ता वाला उत्पाद मिलता है।
कृषि अभियांत्रिकी विभाग की ओर से चलाई जा रही ई–कृषि यंत्र अनुदान योजना के तहत आवेदन करते समय किसानों को कुछ जरूरी दस्तावेजों की आवश्यकता होगी, वे दस्तावेज इस प्रकार से हैं:-
ई–कृषि यंत्र अनुदान योजना के तहत प्रदेश के किसानों को इस योजना की आधिकारिक वेबसाइट पोर्टल dbt.mpdage.org पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन की अंतिम तारीख 11 नवंबर 2025 है। ऐसे में किसान 11 नवंबर 2025 से पहले आवेदन करें और सब्सिडी का लाभ उठाएं।
योजना व आवेदन से संबंधित अधिक जानकारी के लिए किसान भाई अपने जिले के कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा योजना की अधिकारिक वेबसाइट पर भी विजिट करके जानकारी ले सकते हैं।
प्रश्न: ई–कृषि यंत्र अनुदान योजना किस राज्य में लागू की गई है ?
उत्तर: मध्य प्रदेश
प्रश्न: इस योजना को कौन-सा विभाग संचालित कर रहा है ?
उत्तर: कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय
प्रश्न: इस योजना के तहत किसानों को कितने कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जा रहा है ?
उत्तर: 3 कृषि यंत्र
प्रश्न: योजना के तहत आवेदन की तिथि क्या निर्धारित की गई है ?
उत्तर: 1 नवंबर से 11 नवंबर 2025
प्रश्न: किस कृषि यंत्र पर ₹6,000 का डिमांड ड्राफ्ट बनवाना आवश्यक है ?
उत्तर: रेज्ड बेड प्लांटर विथ इन्कलाइंड प्लेट प्लांटर एंड शेपर
कृषि को तकनीक के साथ जोड़ने और युवाओं को आधुनिक खेती के प्रति प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने हाईटेक खेती प्रशिक्षण योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत चयनित 5 हजार युवा कृषकों को देश के विभिन्न राज्यों में प्रशिक्षण और भ्रमण के लिए भेजा जाएगा।
यह कार्यक्रम नॉलेज एन्हांसमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत चलाया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों की क्षमता में वृद्धि और कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों को अपनाने को बढ़ावा देना है।
परियोजना निदेशक एवं कृषि उप निदेशक डॉ. सुभाष चन्द्र डूडी ने बताया कि जिले को सामान्य श्रेणी में दो अंतरराज्यीय कृषक प्रशिक्षण और एक अंतरराज्यीय कृषक भ्रमण कार्यक्रम का लक्ष्य प्राप्त हुआ है। प्रत्येक दल में 40 युवा कृषक (आयु 18 से 50 वर्ष) शामिल किए जाएंगे।
प्रशिक्षण की अवधि अधिकतम 7 दिन (यात्रा सहित) होगी। इस दौरान किसानों को न केवल प्रशिक्षण मिलेगा, बल्कि वे विभिन्न राज्यों में जाकर सफल कृषि मॉडल को प्रत्यक्ष रूप से देख और समझ सकेंगे।
ये भी पढ़ें: किसान इन कृषि तकनीकों से खेती कर कृषि उत्पादन को बढ़ा सकते हैं
डॉ. डूडी के अनुसार, प्रशिक्षण कार्यक्रम में किसानों को उन्नत कृषि, डेयरी एवं पशुपालन, मत्स्य पालन, हाईटेक उद्यानिकी (ग्रीन हाउस और फ्लोरिकल्चर), खाद्य प्रसंस्करण, जैविक खेती, फसल कटाई उपरांत प्रबंधन तकनीक, जल उपयोग दक्षता और कपास जिंनिंग प्रक्रिया जैसे विषयों पर जानकारी दी जाएगी।
राज्य के बाहर होने वाले इन प्रशिक्षणों में विशेषज्ञों द्वारा व्यावहारिक ज्ञान और आधुनिक तकनीकी तरीकों का प्रदर्शन भी किया जाएगा। स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार अन्य प्रासंगिक विषयों को भी प्रशिक्षण में शामिल किया जा सकेगा।
प्रगतिशील कृषक जो कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन या कृषि प्रसंस्करण जैसी गतिविधियों में कार्यरत हैं, वे आवेदन के पात्र होंगे। राज्य या जिला स्तर पर पुरस्कार प्राप्त कृषकों और महिला कृषकों को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि पिछले तीन वर्षों में किसी विभागीय योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले कृषकों की पुनरावृत्ति न हो।
ये भी पढ़ें: मनरेगा पशु शेड योजना के तहत भारी छूट, जानें सबकुछ
युवा कृषक अपने आवेदन ई-मित्र केंद्र, राजकिसान साथी पोर्टल या राज किसान सुविधा मोबाइल ऐप के माध्यम से जनआधार नंबर का उपयोग कर ऑनलाइन जमा कर सकते हैं।
यदि ऐप मॉड्यूल सक्रिय नहीं है, तो इच्छुक किसान उप निदेशक कृषि एवं पदेन परियोजना निदेशक आत्मा, हनुमानगढ़ कार्यालय के माध्यम से ऑफलाइन आवेदन भी कर सकते हैं।
आवेदन पत्र में किसान का नाम, आयु, शिक्षा, मोबाइल नंबर, आधार नंबर, जनआधार नंबर, पूर्ण पता और कृषि गतिविधियों का विवरण भरना अनिवार्य है। आवेदन की अंतिम तिथि 15 नवम्बर 2025 निर्धारित की गई है।
प्राप्त आवेदनों की जांच के बाद चयन कृषि संयुक्त निदेशक (वि.) की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जाएगा। पात्र कृषकों की सूची अंतिम रूप से जारी होने के बाद प्रशिक्षण कार्यक्रम तय समय पर आयोजित किए जाएंगे।
यह योजना उन युवा किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है जो आधुनिक खेती, जैविक उत्पादन, ड्रिप सिंचाई, और खाद्य प्रसंस्करण जैसी नई तकनीकों को सीखना चाहते हैं। इससे न केवल उनकी उत्पादकता बढ़ेगी बल्कि वे आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से सशक्त भी बनेंगे।
प्रश्न: हाईटेक खेती प्रशिक्षण योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर: किसानों को आधुनिक खेती तकनीकों से जोड़ना
प्रश्न: इस योजना के तहत कितने युवा कृषकों को प्रशिक्षण और भ्रमण के लिए भेजा जाएगा ?
उत्तर: 5 हजार
प्रश्न: यह कार्यक्रम किस योजना के अंतर्गत चलाया जा रहा है ?
उत्तर: ज्ञान संवर्धन कार्यक्रम
प्रश्न: प्रत्येक प्रशिक्षण दल में कितने युवा कृषक शामिल किए जाएंगे ?
उत्तर: 40
प्रश्न: प्रशिक्षण की अवधि कितनी होगी (यात्रा सहित) ?
उत्तर: 7 दिन
सरकार किसानों की आर्थिक दशा सुधारने के लिए ऐसी सरकारी योजना लेकर आई है, जिसकी मदद से किसान भाइयों को डबल मुनाफा होने वाला है।
दरअसल, केंद्र सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) और दूसरी ओर राज्य सरकार मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत किसानों को डबल धनराशि सीधे उनके बैंक खाते में भेजेगी।
इससे किसानों को बड़ा फायदा होगा और वे इस योजना की मदद से अच्छे उपकरण खरीदकर अपनी खेती को और भी बेहतर कर पाएंगे और अपनी कमाई भी दोगुनी कर सकेंगे।
पीएम किसान योजना का लाभ छोटे और सीमांत किसान ही उठा सकते हैं, जिसमें किसानों को सहायता राशि ₹6,000 प्रतिवर्ष तीन किस्तों में सीधे किसान भाइयों के खाते में (DBT) के माध्यम से भेजी जाती है। सरकार की इस सहायता से लाखों किसानों को फायदा हो रहा है और वे आत्मनिर्भर किसान बन रहे हैं तथा खेती की लागत में भी काफी सुधार कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना की शुरुआत सितंबर 2020 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा की गई थी। इस योजना का लाभ केवल उन किसानों को मिलता है जो पहले से ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ ले रहे हैं और राशि प्राप्त कर रहे हैं।
इस योजना के तहत किसानों को हर साल ₹6,000 की राशि मुहैया कराई जाती है, जो तीन किस्तों के रूप में सीधे किसान भाइयों के खाते में भेजी जाती है। इस योजना का फायदा लाखों किसानों को मिल रहा है।
पीएम किसान योजना की सूची में शामिल किसान इस सरकारी योजना का फायदा उठा सकते हैं। लेकिन, किसान को मध्य प्रदेश का स्थायी निवासी होना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही, किसान के पास कृषि योग्य भूमि भी होनी अति आवश्यक है, तभी वह इस योजना के लिए पात्र होंगे।
मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत किसानों को वर्ष में ₹6,000 की रकम मुहैया कराई जाती है, जो ₹2,000 की तीन किस्तों में डायरेक्ट बैंक खातों में बड़े ही आसान तरीके से भेज दी जाती है।
ये भी पढ़ें: खुशखबरी: योगी सरकार का राज्य के किसानों के लिए बेहद हितकारी फैसला
मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का फायदा सभी किसानों को नहीं मिलेगा। इस योजना के लिए सरकार ने कुछ नियम लागू किए हैं, जो इस प्रकार हैं–
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में किसानों को प्रति वर्ष ₹6,000 मिलते हैं और वहीं मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में भी प्रति वर्ष ₹6,000 की राशि मिलती है। यानी किसानों को कुल सहायता राशि प्रति वर्ष लगभग ₹12,000 मिलेगी। इसी प्रकार किसानों को होगा डबल फायदा।
प्रश्न: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-KISAN) के तहत किसानों को प्रति वर्ष कितनी राशि दी जाती है ?
उत्तर: ₹6,000 रूपये।
प्रश्न: पीएम किसान योजना की राशि किसानों को कितनी किस्तों में दी जाती है ?
उत्तर: 3 किस्तों में।
प्रश्न: मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना की शुरुआत कब हुई थी ?
उत्तर: वर्ष 2020 में।
प्रश्न: मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना किस राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई थी ?
उत्तर: मध्य प्रदेश।
प्रश्न: मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का लाभ किन किसानों को मिलता है ?
उत्तर: ऐसे किसान जो प्रधानमंत्री किसान योजना के लाभार्थी हैं।
गुजरात सरकार ने राज्य के किसानों को राहत देते हुए 9 नवंबर से खरीफ फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर शुरू करने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) के तहत की जा रही इस पहल के अंतर्गत सरकार लगभग ₹15,000 करोड़ की कृषि उपज खरीदेगी।
गुजरात सरकार ने राज्य भर में 300 से अधिक खरीद केंद्र स्थापित किए हैं, जहां किसान अपनी उपज बेच सकेंगे। इस योजना के अंतर्गत मूंगफली, मूंग, उड़द और सोयाबीन की खरीद की जाएगी। खरीद केंद्रों पर पंजीकरण, तौल, भुगतान और भंडारण की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन और पारदर्शी होगी। किसानों को फसल बेचने के 48 घंटे के भीतर भुगतान किए जाने का प्रावधान है।
सरकार द्वारा जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार खरीफ 2025 के लिए समर्थन मूल्य इस प्रकार तय किए गए हैं:-
पिछले वर्ष की तुलना में इस बार मूंगफली के MSP में ₹480, उड़द में ₹400 और सोयाबीन में ₹436 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। इससे किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय सुधार होगा।
ये भी पढ़ें: उड़द की खेती से जुड़ी संपूर्ण जानकारी
मूंगफली का उत्पादन राज्य में अधिक होने के कारण, सरकार ने निर्णय लिया है कि प्रत्येक किसान से अधिकतम 120 मन मूंगफली की खरीद की जाएगी। यह व्यवस्था अधिक किसानों को MSP का लाभ देने के उद्देश्य से की गई है।
खरीद केंद्रों पर पंजीकरण, तौल, भुगतान और भंडारण की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन और पारदर्शी होगी। किसानों को फसल बेचने के 48 घंटे के भीतर भुगतान किए जाने का प्रावधान है।
राज्य में अगस्त-सितंबर के दौरान असमय बारिश से लगभग 16,000 गांवों में फसलों को नुकसान हुआ था। सरकार पहले ही ₹947 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा कर चुकी है।
हाल ही में फिर से हुई बारिश से कुछ जिलों में नुकसान बढ़ने पर राज्य सरकार ने नया सर्वेक्षण शुरू किया है और एक व्यापक राहत पैकेज की तैयारी चल रही है।
ये भी पढ़ें: भारत में बाढ़ से फसलें बर्बाद | सरकार देगी किसानों को राहत
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि MSP पर फसल खरीद प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी हो और किसी भी स्तर पर बिचौलियों की भूमिका न हो। उन्होंने कहा, “सरकार किसानों की मेहनत का पूरा मूल्य दिलाने और उनकी आय को सुरक्षा प्रदान करने के लिए हर संभव कदम उठाएगी।”
प्रश्न: गुजरात सरकार द्वारा खरीफ फसलों की खरीद किस तारीख से शुरू की जाएगी ?
उत्तर: 9 नवंबर से
प्रश्न: यह खरीफ फसलों की खरीद किस योजना के तहत की जा रही है ?
उत्तर: प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA)
प्रश्न: सरकार इस पहल के तहत लगभग कितनी राशि की कृषि उपज खरीदेगी ?
उत्तर: ₹15,000 करोड़
प्रश्न: राज्य में कितने खरीद केंद्र स्थापित किए गए हैं ?
उत्तर: 300 से अधिक
प्रश्न: कौन-कौन सी फसलों की खरीद MSP पर की जाएगी ?
उत्तर: मूंगफली, मूंग, उड़द और सोयाबीन
प्रश्न: खरीद केंद्रों पर किसानों को भुगतान कितने समय के भीतर किया जाएगा ?
उत्तर: फसल बेचने के 48 घंटे के भीतर
आईसीआरए की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2025 में भारत के ट्रैक्टर बाजार में जोरदार वापसी हुई, जिसमें थोक बिक्री में साल-दर-साल 45% और खुदरा बिक्री में 4% की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि अच्छी मानसूनी बारिश, सकारात्मक कृषि भावना और त्योहारी सीजन से पहले डीलरों द्वारा अधिक स्टॉकिंग के कारण हुई है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने 2025 के दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान दीर्घकालिक औसत वर्षा का 108% होने की सूचना दी है। असमान वितरण के बावजूद, वर्षा ने मजबूत कृषि उत्पादन को बढ़ावा दिया। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 2024-25 के लिए खरीफ में 7.9% और रबी फसल उत्पादन में 4.5% की वृद्धि दर्ज की, जिससे कृषि आय और ग्रामीण तरलता में सुधार हुआ।
आईसीआरए ने कहा कि "अनुकूल मानसून और किसानों की सकारात्मक धारणा ने ट्रैक्टरों की माँग को सीधे तौर पर बढ़ावा दिया है।" सितंबर में ट्रैक्टरों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को घटाकर 5% कर दिए जाने के बाद, त्योहारी सीज़न से पहले डीलरों ने स्टॉक बढ़ा दिया। कर में कटौती से आने वाले महीनों में बिक्री में और वृद्धि होने की उम्मीद है, जिसे ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती खपत का समर्थन प्राप्त है।
ये भी पढ़ें: किसान इन कृषि तकनीकों से खेती कर कृषि उत्पादन को बढ़ा सकते हैं
वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में ट्रैक्टरों की थोक बिक्री में 18.8% की वृद्धि हुई, जिसके कारण आईसीआरए ने अपने विकास पूर्वानुमान को पहले के 4-7% अनुमान से बढ़ाकर 8-10% कर दिया है। उद्योग ने वित्त वर्ष 2025 में पहले ही 7% की वृद्धि हासिल कर ली थी।
आईसीआरए को उम्मीद है, कि 1 अप्रैल, 2026 को TREM V उत्सर्जन मानदंड लागू होने से पहले खरीदार ट्रैक्टरों की खरीदारी कर लेंगे, जिससे ट्रैक्टरों की माँग में अल्पकालिक वृद्धि होगी। किसान और डीलर आगामी अनुपालन वाले मॉडलों की कीमतों में बढ़ोतरी से बचने के लिए पहले से ही खरीदारी कर सकते हैं।
आईसीआरए ने कहा कि ट्रैक्टर निर्माताओं से उच्च बिक्री मात्रा, स्थिर इनपुट लागत और परिचालन दक्षता के बल पर मजबूत वित्तीय स्थिति बनाए रखने की उम्मीद है। इस क्षेत्र का कम ऋण स्तर और मजबूत तरलता इसकी आर्थिक स्थिरता को और अधिक सशक्त करेगी।
अनुकूल मौसम, नीतिगत समर्थन और नियामक समय के मिश्रण के साथ, आईसीआरए का मानना है, कि ट्रैक्टर उद्योग वित्त वर्ष 2026 में मजबूत वृद्धि के लिए तैयार है। बढ़ती कृषि आय और लचीली ग्रामीण माँग भारत के कृषि क्षेत्र में गति बनाए रखेगी।
प्रश्न: ट्रैक्टर उद्योग की आर्थिक स्थिरता को कौन-से दो कारक सशक्त करते हैं ?
उत्तर: कम ऋण स्तर और मजबूत तरलता (liquidity)।
प्रश्न: आईसीआरए का समग्र परिप्रेक्ष्य क्या है ?
उत्तर: वित्त वर्ष 2026 में ट्रैक्टर उद्योग के लिए परिदृश्य सकारात्मक रहेगा, अनुकूल मौसम और ग्रामीण माँग के कारण मजबूत वृद्धि की संभावना है।
प्रश्न: आईसीआरए रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती खपत को किससे समर्थन मिला ?
उत्तर: कर में कटौती और किसानों की बढ़ती आय से।
प्रश्न: वित्त वर्ष 2025 में ट्रैक्टर उद्योग ने कितनी वृद्धि हासिल की थी ?
उत्तर: 7%।
प्रश्न: "आईसीआरए" का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर: Investment Information and Credit Rating Agency of India Limited।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 21वीं किस्त नवंबर 2025 की शुरुआत में जारी होने की संभावना है। योग्य किसानों के खातों में ₹2,000 ट्रांसफर किए जाएंगे। सरकार ने राज्यों को e-KYC और आधार सीडिंग जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं, ताकि भुगतान में देरी न हो।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 21वीं किस्त का बेसब्री से इंतजार कर रहे करोड़ों किसानों के लिए अब खुशखबरी आने वाली है। लंबे समय से किसान इस योजना की अगली किस्त की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जो दिवाली से लेकर छठ पर्व तक भी जारी रहा है। अब नवंबर की शुरुआत होते ही किसानों के मन में एक ही सवाल उठ रहा है, कि आखिर उनके खाते में ₹2,000 की अगली किस्त कब आएगी।
पीएम किसान की 21वीं किस्त को लेकर सरकार की तरफ से तैयारियाँ पूरी होने के संकेत मिल रहे हैं। किसानों के खाते में यह धनराशि जल्द ही हस्तांतरित की जा सकती है। हालांकि, आधिकारिक घोषणा का इंतजार अभी भी जारी है, लेकिन उम्मीद की जा रही है, कि इस बार किसानों का इंतजार ज्यादा लंबा नहीं होगा।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-Kisan) योजना केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है, जो देश के छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इस योजना के तहत किसानों को हर साल ₹6,000 की वित्तीय मदद दी जाती है, जो तीन समान किस्तों में सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जाती है। इसका उद्देश्य किसानों की आय को स्थिर बनाना और खेती से जुड़े खर्चों में मदद करना है।
यह धनराशि 2,000-2,000 रुपये की तीन किस्तों में दी जाती है, जिससे किसानों को हर चार महीने में सहायता मिलती रही। इस योजना का लाभ केवल उन्हीं किसानों को दिया जाता है, जिनकी भूमि 2 हेक्टेयर या उससे कम है और जिन्होंने e-KYC, आधार सीडिंग और बैंक लिंकिंग की प्रक्रिया पूरी कर ली है।
ये भी पढ़े: पीएम किसान 21वीं क़िस्त जारी: जम्मू-कश्मीर सहित 4 राज्यों को राहत
किसान पिछले कई महीनों से इस 21वीं किस्त का इंतजार कर रहे हैं। पहले उम्मीद की जा रही थी कि यह राशि दिवाली से पहले आ जाएगी, लेकिन तकनीकी कारणों और राज्यवार वेरिफिकेशन प्रक्रिया की वजह से इसमें थोड़ा विलंब हो गया है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार, कई राज्यों से डेटा अपडेट आने में देर हो रही है। साथ ही, सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है, कि केवल पात्र किसानों को ही यह लाभ मिले। इस कारण ई-केवाईसी और आधार वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी हाल ही में बताया कि अगली किस्त जल्द जारी की जाएगी और सभी राज्य सरकारों को किसानों की जानकारी अपडेट करने के लिए कहा गया है।
सरकार ने कुछ राज्यों में पहले ही 21वीं किस्त जारी कर दी है। इन राज्यों में पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के किसानों को पहले ही ₹2,000 की राशि उनके खातों में प्राप्त हो चुकी है। इन राज्यों में विशेष राहत कार्यक्रमों के तहत भुगतान पहले जारी किया गया था। बाकी राज्यों में सरकार ने प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली है और नवंबर के पहले सप्ताह में राशि भेजने की संभावना जताई जा रही है।
प्रश्न: इस योजना का लाभ किन किसानों को दिया जाता है ?
उत्तर: जिनकी भूमि 2 हेक्टेयर या उससे कम है और जिन्होंने e-KYC, आधार सीडिंग व बैंक लिंकिंग पूरी कर ली है।
प्रश्न: 21वीं किस्त में देरी का मुख्य कारण क्या बताया गया है ?
उत्तर: तकनीकी कारण और राज्यवार डेटा वेरिफिकेशन प्रक्रिया में देरी।
प्रश्न: किन राज्यों के किसानों को 21वीं किस्त पहले ही मिल चुकी है ?
उत्तर: पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर।
प्रश्न: पीएम किसान योजना के तहत राशि किसानों को किस माध्यम से दी जाती है ?
उत्तर: सीधे उनके बैंक खातों में (DBT - Direct Benefit Transfer) के माध्यम से।
सोनालिका ट्रैक्टर्स ने अक्टूबर 2025 में 27,028 इकाइयों की अपनी अब तक की सबसे अधिक मासिक बिक्री दर्ज की, जिसने ट्रैक्टर उद्योग में एक नया मानक स्थापित किया। यह उपलब्धि ब्रांड की निरंतर वृद्धि और सोनालीका के उन्नत कृषि समाधानों में किसानों के दृढ़ विश्वास को दर्शाती है।
सोनालिका कंपनी ने 34.8% की समग्र वृद्धि दर्ज की, जो उद्योग की औसत वृद्धि से 2.3 गुना अधिक है। सोनालीका ने इस महीने के दौरान 2.2 प्रतिशत अंकों की अपनी सर्वोच्च बाजार हिस्सेदारी भी हासिल की।
अक्टूबर 2025 में सोनालीका का अब तक का सबसे अधिक उत्पादन, डिलीवरी और बिलिंग भी देखी गई, जो किसानों को कुशलतापूर्वक सेवा प्रदान करने के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। ब्रांड ने इस उपलब्धि का श्रेय अपनी टीम के सहयोग और कड़ी मेहनत के साथ-साथ भारत के कृषक समुदाय के दृढ़ विश्वास और समर्थन को दिया।
डिलीवर किया गया प्रत्येक सोनालीका ट्रैक्टर सशक्तिकरण का प्रतीक है, जिसे कृषि उत्पादकता बढ़ाने और किसानों को दीर्घकालिक सफलता प्राप्त करने में मदद करने के लिए बनाया गया है।
सोनालीका ट्रैक्टर्स भारत की सर्वश्रेष्ठ और अग्रणी ट्रैक्टर निर्माता कंपनियों में से एक है, जो अपनी उन्नत, विश्वसनीय और प्रदर्शन-आधारित मशीनों के लिए बेहद मशहूर है। देश भर में अपनी मजबूत उपस्थिति के साथ, सोनालीका नवाचार और भारतीय कृषि की गहरी समझ के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने का कार्य जारी रखे हुए हैं।
ये भी पढ़ें: सोनालिका ट्रैक्टर्स अपनी इन खूबियों से किसानों के दिल पर राज करते हैं
सोनालीका ट्रैक्टर्स ने अक्टूबर 2025 में 27,028 यूनिट्स की रिकॉर्ड बिक्री दर्ज कर नया उद्योग मानक स्थापित किया। कंपनी की बिक्री में 34.8% की शानदार वृद्धि हुई, जो उद्योग औसत से 2.3 गुना अधिक है। इस दौरान सोनालीका ने अपनी सर्वोच्च 2.2% बाजार हिस्सेदारी भी हांसिल की। यह प्रदर्शन किसानों के मजबूत विश्वास और कंपनी की नवाचार क्षमता का प्रतीक है।
प्रश्न: सोनालीका ट्रैक्टर्स ने अक्टूबर 2025 में कितनी यूनिट्स की बिक्री दर्ज की ?
उत्तर: 27,028 यूनिट्स।
प्रश्न: अक्टूबर 2025 में सोनालीका ट्रैक्टर्स की बिक्री में कितनी प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई ?
उत्तर: 34.8% की समग्र वृद्धि।
प्रश्न: सोनालीका की वृद्धि दर उद्योग की औसत वृद्धि से कितनी गुना अधिक रही ?
उत्तर: 2.3 गुना अधिक।
प्रश्न: अक्टूबर 2025 में सोनालीका ट्रैक्टर्स ने कितनी बाजार हिस्सेदारी हासिल की ?
उत्तर: 2.2 प्रतिशत अंकों की सर्वोच्च बाजार हिस्सेदारी।
प्रश्न: अक्टूबर 2025 में सोनालीका ने किन क्षेत्रों में रिकॉर्ड प्रदर्शन किया ?
उत्तर: उत्पादन, डिलीवरी और बिलिंग — तीनों में रिकॉर्ड स्तर पर प्रदर्शन।
भारत के घरेलू ट्रैक्टर उद्योग ने अक्टूबर 2025 में ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर रुझान और त्योहारी मांग के दम पर 14.84% की स्थिर वृद्धि दर्ज की। उद्योग के आंकड़ों के अनुसार, कुल थोक बिक्री 1,66,145 इकाई तक पहुँच गई, जो अक्टूबर 2024 में 1,44,675 इकाई थी। जहाँ अधिकांश प्रमुख निर्माताओं ने साल-दर-साल मजबूत बिक्री वृद्धि दर्ज की, वहीं कुछ ने बाजार हिस्सेदारी पर मामूली दबाव देखा।
महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह ने अक्टूबर 2025 में 72,071 ट्रैक्टरों की बिक्री के साथ अपनी अग्रणी स्थिति बरकरार रखी, जबकि एक साल पहले यह संख्या 64,326 थी, जो 12.04% की वृद्धि दर्शाती है। हालाँकि, इसकी बाजार हिस्सेदारी अक्टूबर 2024 के 44.46% से घटकर अक्टूबर 2025 में 43.38% रह गई, जो 1.08 प्रतिशत अंकों की गिरावट है।
टैफे समूह ने अक्टूबर 2025 में 29,234 इकाइयाँ बेचीं, जो अक्टूबर 2024 में 25,014 इकाइयों से 16.87% अधिक है। इसकी बाजार हिस्सेदारी 0.31 प्रतिशत अंकों की वृद्धि के साथ 17.29% से बढ़कर 17.60% हो गई।
सोनालीका ट्रैक्टर्स ने 24,781 इकाइयों की बिक्री के साथ प्रभावशाली प्रदर्शन किया, जो अक्टूबर 2024 में 18,002 इकाइयों की बिक्री से 37.66% की तीव्र वृद्धि दर्शाता है। इसकी बाजार हिस्सेदारी 12.44% से बढ़कर 14.92% हो गई, जो 2.47 प्रतिशत अंकों की वृद्धि है, जो इस महीने सभी ब्रांडों में सबसे अधिक है। कंपनी का रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन इसके नए मॉडलों की निरंतर मांग और व्यापक ग्रामीण नेटवर्क के कारण संभव हुआ।
ये भी पढ़ें: भारत में 50 HP से कम के टॉप 5 ट्रैक्टर – कीमत और फीचर्स
एस्कॉर्ट्स कुबोटा लिमिटेड ने अक्टूबर 2025 में 18,423 इकाइयों की बिक्री दर्ज की, जबकि अक्टूबर 2024 में यह संख्या 17,839 थी। इस प्रकार, कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 3.27% की वृद्धि दर्शाती है। सकारात्मक बिक्री वृद्धि के बावजूद, इसकी बाजार हिस्सेदारी 12.33% से घटकर 11.09% रह गई, जो 1.24 प्रतिशत अंकों की गिरावट है। ब्रांड को अपनी मुख्य हॉर्सपावर रेंज में दबाव का सामना करना पड़ा, हालाँकि इसके यूटिलिटी और एडवांस्ड सेगमेंट ट्रैक्टरों का प्रदर्शन अच्छा बना हुआ है।
जॉन डीरे ने अक्टूबर 2025 में 11,893 इकाइयों की बिक्री दर्ज की, जो अक्टूबर 2024 की 11,483 इकाइयों की तुलना में 3.57% अधिक है। कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 7.94% से घटकर 7.16% रह गई, जो 0.78 प्रतिशत अंकों की गिरावट है, जो बढ़ती प्रतिस्पर्धा और उच्च हॉर्सपावर श्रेणियों में मांग में मामूली सुधार का संकेत है।
न्यू हॉलैंड ने अक्टूबर 2025 में 7,105 ट्रैक्टर बेचे, जो एक साल पहले 5,744 ट्रैक्टरों से 23.69% अधिक है। इसकी बाजार हिस्सेदारी 0.31 प्रतिशत बढ़कर 3.97% से 4.28% हो गई।
वीएसटी टिलर्स ने अक्टूबर 2025 में 525 ट्रैक्टर बेचे, जो अक्टूबर 2024 में 502 ट्रैक्टरों से बढ़कर 4.58% की वृद्धि दर्शाता है। इसकी बाजार हिस्सेदारी 0.35% से घटकर 0.32% हो गई, जो 0.03 प्रतिशत अंकों की मामूली गिरावट है। कंपनी संतुलित खुदरा बिक्री के साथ कॉम्पैक्ट ट्रैक्टर सेगमेंट में स्थिर स्थिति बनाए हुए है।
ये भी पढ़ें: भारत में बिकने वाले टॉप 5 इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर्स की जानकारी
इंडो फार्म ने 548 ट्रैक्टर बेचे, जो एक साल पहले 485 ट्रैक्टरों से 12.99% अधिक है। इसकी बाजार हिस्सेदारी 0.34% से घटकर 0.33% हो गई, जो 0.01 प्रतिशत कम है। कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद, ब्रांड चुनिंदा क्षेत्रीय बाज़ारों में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।
एसडीएफ ट्रैक्टर्स ने अक्टूबर 2025 में 110 ट्रैक्टर बेचे, जो पिछले साल की 97 इकाइयों से 13.40% अधिक है। इसकी बाज़ार हिस्सेदारी 0.07% पर अपरिवर्तित रही, जो इसके सीमित उत्पाद पोर्टफोलियो में स्थिर प्रदर्शन को दर्शाता है।
कैप्टन ट्रैक्टर्स ने छोटे ब्रांडों में सबसे तेज़ उछाल दिखाया, अक्टूबर 2025 में 443 ट्रैक्टर बेचे, जबकि अक्टूबर 2024 में 267 ट्रैक्टर बेचे गए थे, जो 65.92% की मज़बूत वृद्धि दर्शाता है। कंपनी की बाज़ार हिस्सेदारी 0.18% से बढ़कर 0.27% हो गई, जो 0.08 प्रतिशत की वृद्धि है, जो कॉम्पैक्ट ट्रैक्टर श्रेणी में इसकी बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाता है।
प्रीत ट्रैक्टर्स ने अक्टूबर 2025 में 680 ट्रैक्टर बेचे, जो अक्टूबर 2024 में 546 ट्रैक्टर बेचे गए थे, और 24.54% की वृद्धि दर्ज की। इसकी बाजार हिस्सेदारी 0.38% से बढ़कर 0.41% हो गई, जो उत्तरी राज्यों में बेहतर प्रदर्शन को दर्शाता है।
एसी ट्रैक्टर्स एकमात्र निर्माता था जिसकी बिक्री में गिरावट देखी गई, अक्टूबर 2025 में इसकी बिक्री 332 इकाई रही, जबकि अक्टूबर 2024 में यह 370 इकाई थी, जो 10.27% की गिरावट दर्शाता है। इसकी बाजार हिस्सेदारी 0.26% से घटकर 0.20% हो गई, जो 0.06 प्रतिशत की गिरावट है, जो बिक्री की मात्रा बनाए रखने में निरंतर चुनौतियों का संकेत है।
प्रश्न: अक्टूबर 2025 में भारत के ट्रैक्टर उद्योग ने कितनी वृद्धि दर्ज की ?
उत्तर: 14.84% की वृद्धि।
प्रश्न: अक्टूबर 2025 में कुल ट्रैक्टर बिक्री कितनी रही ?
उत्तर: 1,66,145 यूनिट्स।
प्रश्न: अक्टूबर 2024 में कुल ट्रैक्टर बिक्री कितनी थी ?
उत्तर: 1,44,675 यूनिट्स।
प्रश्न: ट्रैक्टर उद्योग में वृद्धि का मुख्य कारण क्या रहा ?
उत्तर: ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर रुझान और त्योहारी मांग।
भारत की अग्रणी कृषि उपकरण निर्माता कंपनी एस्कॉर्ट्स कुबोटा लिमिटेड (Escorts Kubota Ltd.) ने अक्टूबर 2025 में 18,798 ट्रैक्टरों की बिक्री दर्ज की है, जो पिछले वर्ष अक्टूबर 2024 में बेची गई 18,110 यूनिट्स के मुकाबले में 3.8% की बढ़ोतरी को दिखाता है।
यह कंपनी के इतिहास की अब तक की सबसे अधिक मासिक बिक्री है, जो इसके मजबूत प्रदर्शन और बाजार में बढ़ते भरोसे को दिखाता है।
एस्कॉर्ट्स कुबोटा की तरफ से जानकारी साझा करते हुए बताया कि अक्टूबर 2025 में 18,423 ट्रैक्टरों की घरेलू बिक्री हुई, जबकि अक्टूबर 2024 में यह संख्या 17,839 यूनिट्स की थी। इस प्रकार घरेलू बिक्री में 3.3% की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
एस्कॉर्ट्स कुबोटा के अनुसार इस वृद्धि में प्रमुख योगदान त्योहारी सीजन की शुरुआती मांग, ग्रामीण बाजार की मजबूती, सरकारी योजनाओं के समर्थन, कम जीएसटी दरों और अनुकूल कृषि परिस्थितियों का रहा। कंपनी का कहना है कि मानसून की बेहतर स्थिति और फसलों के अच्छे दामों ने किसानों की क्रय शक्ति बढ़ाई है, जिससे ट्रैक्टरों की बिक्री को प्रोत्साहन मिला है।
ये भी पढ़ें: एस्कॉर्ट्स कुबोटा ने सितंबर 2025 की सेल्स रिपोर्ट में शानदार वृद्धि दर्ज की
घरेलू बिक्री के साथ-साथ कंपनी ने निर्यात बाजार में भी शानदार प्रदर्शन किया है। अक्टूबर 2025 में एस्कॉर्ट्स कुबोटा ने 375 ट्रैक्टरों का निर्यात किया, जबकि अक्टूबर 2024 में यह डेटा 271 यूनिट्स का था।
इस प्रकार कंपनी ने निर्यात में 38.4% की बढ़ोतरी दर्ज की। कंपनी ने बताया कि यह उछाल अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ती मांग और नए विदेशी बाजारों में विस्तार का परिणाम है।
अक्टूबर 2025 में एस्कॉर्ट्स कुबोटा लिमिटेड ने कुल 18,798 ट्रैक्टरों की बिक्री दर्ज की, जो पिछले वर्ष अक्टूबर 2024 की 18,110 यूनिट्स की तुलना में 3.8% अधिक है। इनमें से घरेलू बाजार में कंपनी ने 18,423 ट्रैक्टर बेचे, जबकि पिछले वर्ष इसी महीने यह आंकड़ा 17,839 यूनिट्स का था — यानी घरेलू बिक्री में 3.3% की वृद्धि हुई।
वहीं, निर्यात के क्षेत्र में कंपनी का प्रदर्शन और भी मजबूत रहा, जहां अक्टूबर 2025 में 375 ट्रैक्टरों का निर्यात किया गया, जो अक्टूबर 2024 के 271 यूनिट्स की तुलना में 38.4% की उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्शाता है।
ये भी पढ़ें: एस्कॉर्ट्स कुबोटा की अगस्त 2025 की सेल्स रिपोर्ट जारी
वित्त वर्ष 2025-26 के पहले सात महीनों (अप्रैल से अक्टूबर 2025) के दौरान एस्कॉर्ट्स कुबोटा ने 83,256 ट्रैक्टरों की कुल बिक्री दर्ज की, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में कंपनी ने 74,475 ट्रैक्टर बेचे थे। यानी कुल मिलाकर 11.8% की वृद्धि दर्ज की गई। इनमें से घरेलू बिक्री 79,600 यूनिट रही, जो पिछले वर्ष की तुलना में 10.5% अधिक है, जबकि निर्यात बिक्री 48.7% बढ़कर 3,656 यूनिट तक पहुंच गई। यह डेटा कंपनी की स्थानीय और वैश्विक दोनों बाजारों में मजबूत स्थिति को दिखाता है।
एस्कॉर्ट्स कुबोटा लिमिटेड (ईकेएल) भारत की सबसे पुरानी और विश्वसनीय इंजीनियरिंग कंपनियों में से एक है, जिसके पास आठ दशकों से अधिक का निर्माण अनुभव है।
कंपनी फार्मट्रैक, पॉवरट्रैक और कुबोटा ब्रांड के तहत ट्रैक्टर बनाती है और कृषि मशीनरी के साथ-साथ निर्माण उपकरण क्षेत्र में भी सक्रिय है। ईकेएल का उद्देश्य भारत के कृषि और अवसंरचना क्षेत्र में प्रगति को गति देना है।
कंपनी लगातार नवाचार, तकनीकी उत्कृष्टता और लागत दक्षता पर ध्यान केंद्रित कर किसानों की उत्पादकता और जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए काम कर रही है।
प्रश्न: अक्टूबर 2025 में एस्कॉर्ट्स कुबोटा लिमिटेड ने कुल कितने ट्रैक्टरों की बिक्री दर्ज की ?
उत्तर: 18,798 ट्रैक्टर।
प्रश्न: अक्टूबर 2024 की तुलना में अक्टूबर 2025 में एस्कॉर्ट्स कुबोटा की कुल बिक्री में कितनी प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई ?
उत्तर: 3.8% की वृद्धि।
प्रश्न: घरेलू बाजार में अक्टूबर 2025 में कितने ट्रैक्टर बेचे गए ?
उत्तर: 18,423 ट्रैक्टर।
प्रश्न: घरेलू बिक्री में कितनी प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई ?
उत्तर: 3.3% की बढ़ोतरी।
प्रश्न: निर्यात बाजार में अक्टूबर 2025 में एस्कॉर्ट्स कुबोटा ने कितने ट्रैक्टरों का निर्यात किया ?
उत्तर: 375 ट्रैक्टर।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 2025-26 पेराई सत्र में गन्ना किसानों को बड़ा तोहफ़ा दिया है। सरकार ने गन्ने के राज्य परामर्श मूल्य (SAP) में ₹30 प्रति क्विंटल की वृद्धि की घोषणा की है।
अब अगेती किस्म ₹400/क्विंटल और सामान्य किस्म ₹390/क्विंटल में खरीदी जाएगी। इस निर्णय से प्रदेश के करोड़ों गन्ना किसानों को लगभग ₹3,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ मिलेगा।
यह योगी सरकार के कार्यकाल में चौथी बार है जब गन्ने का भाव बढ़ाया गया है। किसानों की आय बढ़ाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम।
गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि योगी सरकार किसानों की मेहनत का सम्मान करना अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानती है।
सरकार का लक्ष्य है, किसानों को उनकी उपज का समय पर और पारदर्शी भुगतान मिले। अब गन्ने का पूरा भुगतान डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) से किसानों के खातों में जाएगा। बिना बिचौलियों, बिना भ्रष्टाचार, सीधे किसान के हाथ में उसका हक।
ये भी पढ़ें: बिहार सरकार की गन्ना यंत्रीकरण योजना 2025 की महत्वपूर्ण जानकारी
योगी सरकार के अब तक के कार्यकाल में गन्ना किसानों को ₹2,90,225 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है, जबकि 2007 से 2017 के बीच पिछली सरकारों ने मिलकर ₹1,47,346 करोड़ रुपये ही दिए थे। इस तरह सिर्फ साढ़े आठ सालों में ₹1,42,879 करोड़ रुपये अधिक भुगतान यह बताता है, कि सरकार की प्राथमिकता किसान और उसकी खुशहाली है।
आज प्रदेश में 122 सक्रिय चीनी मिलें चल रही हैं। पिछली सरकारों में जहाँ 21 मिलें सस्ते में बेच दी गई थीं, वहीं योगी सरकार ने 4 नई मिलें स्थापित कीं, 6 बंद मिलों को फिर से चालू किया और 42 मिलों की क्षमता बढ़ाई जिससे हजारों रोजगार और उत्पादन क्षमता में भारी बढ़ोतरी हुई। इस दौरान ₹12,000 करोड़ से अधिक का नया निवेश आया है, जिसने उद्योग को नई जान दी है। प्रदेश अब देश का दूसरा सबसे बड़ा शुगर प्रोड्यूसर बन चुका है।
सरकार की ‘स्मार्ट गन्ना किसान’ पहल ने गन्ना विभाग में पारदर्शिता और तकनीकी सुधार का नया युग शुरू किया है। अब क्षेत्र पंजीकरण से लेकर सप्लाई स्लिप तक सबकुछ ऑनलाइन ! किसानों को सप्लाई स्लिप सीधे मोबाइल पर और भुगतान सीधे बैंक खाते में। इस मॉडल को केंद्र सरकार ने आदर्श पहल के रूप में मान्यता दी है। अब किसान स्मार्ट भी है और सशक्त भी !
गन्ने से केवल चीनी नहीं, अब ऊर्जा भी बनेगी। राज्य में इथेनॉल उत्पादन 41 करोड़ लीटर से बढ़कर 182 करोड़ लीटर पहुँच गया है।
ये भी पढ़ें: जानें गन्ने की Co 0238 किस्म की सम्पूर्ण जानकारी
अब किसान को मिल रही है अतिरिक्त आमदनी, और देश को मिल रही है स्वच्छ ऊर्जा। CBG (कम्प्रेस्ड बायोगैस) प्लांट के ज़रिए हर बूंद का उपयोग यह है “गन्ने से हरित क्रांति” की दिशा में बड़ा कदम।
उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती ने नया इतिहास रचते हुए अब रकबा 20 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 29.51 लाख हेक्टेयर हो गया है। आधुनिक तकनीक, बेहतर बीज और सिंचाई सुविधाओं ने किसान की उपज और प्रदेश की समृद्धि दोनों को बढ़ाया है।
योगी सरकार के किसान-हितैषी फैसलों से उत्तर प्रदेश आज भारत का शुगर और इथेनॉल हब बनने की ओर बढ़ रहा है। हर खेत में मेहनत, हर हाथ में मजबूती और हर गन्ने में छुपा है नए उत्तर प्रदेश का मीठा भविष्य। किसान खुशहाल, उत्तर प्रदेश मालामाल गन्ने की मिठास में झलकती है विकास की मिठास।
नागपुर में हजारों किसानों ने कर्जमाफी की मांग को लेकर सभी हाईवे को जाम कर दिया है। किसानों ने फडणवीस सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि अगर मांगें नहीं मानी गईं तो ट्रेनें भी रोकी जाएंगी।
महाराष्ट्र के नागपुर में किसानों का गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा है। यहां प्रहार जनशक्ति पार्टी के प्रमुख और पूर्व विधायक ओमप्रकाश कड़ू उर्फ बच्चू कड़ू के नेतृत्व में करीब 15,000 किसानों ने मंगलवार दोपहर से नागपुर में एनएच-44 (वर्धा रोड) पर जोरदार प्रदर्शन करते हुए हाईवे जाम कर दिया।
ये किसान कर्जमाफी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। ‘सात बारा कोरा करो’ (हमारा कर्ज साफ करो) के नारों से गूंजते इस आंदोलन का नजारा दिल्ली बॉर्डर पर हुए 2020 के किसान आंदोलन जैसा था।
कड़ू ने बताया कि उन्होंने राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के मुंबई बुलावे को ठुकरा दिया है। उन्होंने कहा, ‘हम यहीं सड़क पर डेरा डालेंगे। मंत्री और अधिकारी खुद यहां आएं बात करने जब तक कर्जमाफी नहीं होगी, हम नहीं हटेंगे।’ कड़ू ने यह भी ऐलान किया कि बुधवार से और किसान, खासकर महिलाएं, आंदोलन में शामिल होंगी।
उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो ट्रेनें भी रोकी जाएंगी और राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा। प्रदर्शन स्थल जमठा फ्लाईओवर के पास चुना गया, जो समृद्धि एक्सप्रेसवे का एंट्री पॉइंट है और उत्तर-दक्षिण व पूर्व-पश्चिम दिशा से आने वाले यातायात का जंक्शन है।
किसान कर्ज माफी और कृषि नीतियों में सुधार की मांग को लेकर नागपुर में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के निवास की ओर मार्च करने की कोशिश कर रहे हैं। स्थिति को देखते हुए पुलिस ने पूरे शहर में नाकाबंदी कर दी है और सुरक्षा बलों की अतिरिक्त तैनाती की गई है। किसानों का आरोप है कि फडणवीस ने चुनाव के दौरान कर्जमाफी का वादा किया था, लेकिन अब तक उसे पूरा नहीं किया।
स्वाभिमानी पक्ष के नेता रविकांत तुपकर ने भावनात्मक भाषण देते हुए कहा कि ‘अगर किसानों की कर्जमाफी के लिए कुछ मंत्रियों को सबक सिखाना पड़े, तो गलत नहीं।’ कड़ू ने भी अपने पुराने बयान पर कायम रहते हुए कहा, ‘परभणी के किसान सचिन जाधव ने आत्महत्या कर ली और उनकी गर्भवती पत्नी ने भी जान दे दी।
मैंने गुस्से में कहा था कि ऐसे हालात में विधायकों को सबक सिखाना चाहिए- इसमें गलत क्या है ?’ उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा, ‘राज्य के पास हाईवे, मेट्रो और फ्लाईओवर के लिए पैसे हैं, लेकिन किसानों की कर्जमाफी के लिए नहीं।’
कोल्हापुर के हत्कनंगले से पूर्व सांसद और शेतकरी स्वाभिमानी पक्ष के नेता राजू शेट्टी ने भी आंदोलन को समर्थन देते हुए उपमुख्यमंत्री अजित पवार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘जब फडणवीस ने कर्जमाफी की घोषणा की थी, तब अजीत पवार क्या कर रहे थे ? अब वे कहते हैं कि राज्य की आर्थिक हालत ठीक नहीं फिर उस समय फंड कहां से आया ?’
उन्होंने कहा कि सरकार अमेरिका से कपास आयात कर रही है, जिससे भारतीय किसानों को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘अगर सोयाबीन के निर्यात को भी खोला जाए तो किसानों को उचित दाम मिल सकता है।’
प्रश्न: नागपुर में किसानों ने किस प्रमुख मांग को लेकर हाईवे जाम किया ?
उत्तर: किसानों ने कर्जमाफी (Loan Waiver) की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
प्रश्न: नागपुर में किसानों के इस आंदोलन का नेतृत्व किसने किया ?
उत्तर: ओमप्रकाश कड़ू (बच्चू कड़ू) — प्रहार जनशक्ति पार्टी के प्रमुख और पूर्व विधायक
प्रश्न: इस आंदोलन में लगभग कितने किसान शामिल हुए थे ?
उत्तर: लगभग 15,000 किसान
प्रश्न: किस राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highway) पर किसानों ने जाम लगाया ?
उत्तर: एनएच-44 (वर्धा रोड) पर
प्रश्न: किस नारे से आंदोलन स्थल गूंज उठा ?
उत्तर: “सात बारा कोरा करो” (हमारा कर्ज साफ करो)
महिंद्रा ने नया ग्राउंडनट थ्रेशर लॉन्च किया है, जो उपयोग में आसान, किफायती और ट्रैक्टर-संचालित है। यह मूंगफली को सटीक थ्रेसिंग के साथ बेहतर गुणवत्ता, कम बर्बादी और अधिक उत्पादन प्रदान करता है। गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए उपयुक्त, यह थ्रेशर समय बचाने और मजदूरों पर निर्भरता कम करने में सहयोग करता है।
दुनिया की सबसे बड़ी ट्रैक्टर विनिर्माता और भारत के सबसे बड़े कृषि उपकरण निर्माताओं में से एक, महिंद्रा एंड महिंद्रा ने एक नया मूंगफली थ्रेशर लॉन्च किया है। उपयोगकर्ता के अनुकूल और किफायती डिज़ाइन वाले इस नए मूंगफली थ्रेशर को चलाना आसान है और इसके लिए किसी विशेष कौशल की आवश्यकता नहीं है।
ट्रैक्टर से चलने वाला यह नया थ्रेशर प्रेसिजन (सटीक) थ्रेसिंग के लिए तैयार किया गया है, जो मूंगफली को उनकी फलियों से ठीक से अलग करता है। इस तरह मूंगफली की बेहतर गुणवत्ता मिलती है, समय की काफी बचत तथा न्यूनतम बर्बादी होती है और अधिकतम उत्पादन हांसिल होता है।
गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मूंगफली किसानों के लिए उपयुक्त, महिंद्रा का यह नया मूंगफली थ्रेशर दक्ष और मजबूत है। यह आकार में छोटा है और इसका एर्गोनॉमिक डिज़ाइन किसानों को रोज़मर्रा के काम आसानी से करने और मज़दूरों पर निर्भरता कम कर बचत करने में मदद करता है।
नए थ्रेशर से ट्रैक्टर का उपयोग बेहतर होता है और मूंगफली की फसल की कटाई के लिए सुविधाजनक समय-सारिणी सुनिश्चित करता है, जिससे किसान अपनी सुविधा के अनुरूप कटाई और थ्रेशिंग कर सकते हैं।
महिंद्रा का नया मूंगफली थ्रेशर अनाज की गुणवत्ता और नुकसान की वास्तविक समय पर निगरानी की सुविधा प्रदान करता है। ताकि तत्काल हस्तक्षेप किया जा सके और बर्बादी तथा खेत में छूट जाने वाले अवशेष को कम किया जा सके। नया थ्रेशर विशेष रूप से उन जगहों पर फायदेमंद है जहां जल्दी कटाई और देर से थ्रेशिंग जोखिम को कम करने में मदद करती है।
ये भी पढ़ें: फसल कटाई की कुछ महत्वपूर्ण मशीनें इस प्रकार हैं
आज, महिंद्रा के पास थ्रेशर खंड में सबसे विस्तृत और सबसे बहुमुखी उत्पाद पोर्टफोलियो है, जिसमें 30 से अधिक थ्रेशर मॉडल हैं। इनका निर्माण विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों, फसल के प्रकारों और ग्राहक वर्गों के आधार पर किया गया है, जो नवोन्मेष, समावेश और कृषि सशक्तिकरण के लिए महिंद्रा की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
महिंद्रा ने एक दशक से भी पहले धान और गेहूं के लिए तैयार किए गए दो मॉडलों के साथ थ्रेशर खंड में कदम रखा था। ये शुरुआती पेशकशें भारतीय किसानों की तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए थीं, जिन्हें कटाई के बाद के काम के लिए विश्वसनीय, कुशल और क्षेत्र-विशिष्ट समाधानों की जरूरत थी। इसके बाद कंपनी ने धीरे-धीरे अपने पोर्टफोलियो में 12 मॉडल शामिल किये, जिनमें से प्रत्येक को धान और गेहूं की फसल श्रेणियों में विविध क्षेत्रीय आवश्यकताओं और ग्राहकों की प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया गया था।
महिंद्रा फार्म इक्विपमेंट बिजनेस की वाईस प्रेसिडेंट (उपाध्यक्ष) और बिज़नेस हेड (व्यापार प्रमुख) – फार्म मशीनरी एवं प्रिसिजन फार्मिंग, डॉ. अनुषा कोथंदरमन ने नए लॉन्च पर अपनी टिप्पणी में कहा, “महिंद्रा को नया मूंगफली थ्रेशर लॉन्च करते हुए बेहद खुशी हो रही है। यह एक ऐसा उत्पाद है, जिसकी कल्पना मूंगफली किसानों के साथ मिलकर एक ऐसे मशीनीकरण समाधान के लिए की गई है, जो समय पर कटाई के लिए सुविधाजनक है।
मूंगफली की फसल की मूल्य श्रृंखला में और वृद्धि करता है। 30 से अधिक थ्रेशरों की हमारी बढ़ती श्रृंखला के साथ, यह लॉन्च हमारे कृषि मशीनरी व्यवसाय के माध्यम से नवोन्मेष और कृषि सशक्तिकरण के हमारे निरंतर प्रयास को दर्शाता है। नया थ्रेशर गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश स्थित विशिष्ट महिंद्रा फार्म मशीनरी आउटलेट और चुनिंदा महिंद्रा ट्रैक्टर डीलरशिप पर खरीदने के लिए उपलब्ध है।”
नया थ्रेशर गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में विशिष्ट महिंद्रा फार्म मशीनरी आउटलेट और चुनिंदा महिंद्रा ट्रैक्टर डीलरशिप पर उपलब्ध है। हर थ्रेशर पर एक सीजन की वारंटी और असली स्पेयर पार्ट्स की आसान उपलब्धता सुनिश्चित होती है।
प्रश्न: महिंद्रा ने हाल ही में कौन-सी नई कृषि मशीन लॉन्च की है ?
उत्तर: महिंद्रा ने नया ग्राउंडनट (मूंगफली) थ्रेशर लॉन्च किया है।
प्रश्न: महिंद्रा का नया ग्राउंडनट थ्रेशर किससे संचालित होता है ?
उत्तर: यह ट्रैक्टर-संचालित (tractor-operated) मशीन है।
प्रश्न: यह थ्रेशर किन राज्यों के किसानों के लिए उपयुक्त है ?
उत्तर: गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मूंगफली किसानों के लिए।
प्रश्न: महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी का कृषि उपकरण क्षेत्र में स्थान क्या है ?
उत्तर: यह दुनिया की सबसे बड़ी ट्रैक्टर निर्माता और भारत की अग्रणी कृषि उपकरण निर्माता कंपनियों में से एक है।
Real Stories, Real Results
Tractorchoice मेरे लिए एक गेम-चेंजर साबित हुआ है ! मैं एक विश्वसनीय ऑनलाइन प्लेटफार्म की तलाश में था जहाँ से मैं एक नया ट्रैक्टर खरीद सकूँ, Tractorchoice मेरी उम्मीदों पर खरा उतरा है ।
Sundar Singh
Farmer
Tractorchoice के साथ मुझे अपने पुराने को बेचने में काफी आसानी हुई । इस प्लेटफ़ॉर्म की मदद से मैंने अपने ट्रैक्टर को सूचीबद्ध किया, और बहुत की कम समय में, मेरे पास कई enquiry आ गई थीं।
Rameshawar Dayal Sharma
Farmer
ट्रैक्टर की सर्विस कराने के लिए एक विश्वसनीय स्थान खोजने में मुझे पहले बहुत कठिनाई होता था, लेकिन जब मैंने tractorchoice के बारे में जाना, तब से मेरी ये समस्या हल हो गई ।
Sanjay
Farmer
I had a fantastic experience using TractorChoice to buy a new tractor. The platform had an extensive range of top brands, and the buying process was smooth
Puneet Srivastav
Farmer