महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के फार्म इक्विपमेंट सेक्टर (FES) ने इसकी घोषणा की है। महिंद्रा कंपनी ने घरेलू बिक्री में मजबूत वृद्धि दर्ज की, जो 38,914 ट्रैक्टर इकाइयों तक पहुंच गई, जो मई 2024 में बेची गई 35,237 इकाइयों के मुकाबले में 10% प्रतिशत अधिक है।
घरेलू बिक्री के साथ मई 2024 में बेची गई 37,109 इकाइयों के मुकाबले में मई 2025 के लिए महिंद्रा की कुल ट्रैक्टर बिक्री (घरेलू + निर्यात) 40,643 इकाइयों को छू गई, जो कुल मिलाकर 10% प्रतिशत का इजाफा दर्शाता है।
हालांकि, निर्यात प्रदर्शन में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई है। महिंद्रा ने मई 2025 में 1,729 ट्रैक्टरों का निर्यात किया, जो मई 2024 के दौरान निर्यात की गई 1,872 इकाइयों से 8% प्रतिशत कम है। आइए जानते हैं, महिंद्रा ट्रैक्टर्स की बिक्री से जुड़ी कुछ ख़ास जानकारी के बारे में।
वित्तीय वर्ष-दर-तारीख की अवधि (अप्रैल से मई 2025) में महिंद्रा ने अपना जबरदस्त प्रदर्शन जारी रखा है। महिंद्रा कंपनी ने घरेलू बाजार में 77,430 ट्रैक्टर की बिक्री की है। वहीं, पिछले साल इसी समयावधि में यह 71,042 यूनिट थी, जो 9% प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
मई 2025 में 3,267 इकाइयों की शिपिंग के साथ निर्यात में भी सुधार हुआ, जो मई 2024 में 3,106 इकाइयों से ऊपर है, जिससे निर्यात में 5% फीसद की वृद्धि हुई है। कुल मिलाकर, मई 2025 में कुल ट्रैक्टर की बिक्री 80,697 यूनिट तक पहुंच गई, जबकि पिछले वर्ष की 74,148 इकाइयों के मुकाबले में कुल मिलाकर 9% फीसद की वृद्धि हुई।
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”हमने मई'25 के दौरान घरेलू बाजार में 38,914 ट्रैक्टर बेचे हैं, जो पिछले साल की तुलना में 10% अधिक है। सामान्य से अधिक दक्षिण-पश्चिम मानसून का जल्दी आना खरीफ फसल की बुवाई के लिए एक अच्छा संकेत है।
धान के लिए भूमि की तैयारी पहले से ही चल रही है। धान और अन्य खरीफ फसलों के लिए MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) में बढ़ोतरी की मंजूरी से किसानों का विश्वास बढ़ेगा।
जलाशयों के बेहतर स्तर, सरकार द्वारा रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन की घोषणा और विभिन्न किसान केंद्रित योजनाओं के शुभारंभ के साथ, हम कृषि उत्पादकता में सुधार की उम्मीद करते हैं। इससे आने वाले महीनों में ट्रैक्टरों की मांग में सकारात्मक वृद्धि होगी। निर्यात बाजार में, हमने 1,729 ट्रैक्टर बेचे हैं।”
महिंद्रा ने मई 2025 और अब तक के वित्तीय वर्ष के लिए घरेलू ट्रैक्टर की बिक्री में ठोस वृद्धि दिखाई है। इस महीने निर्यात संख्या में मामूली गिरावट के बावजूद, समग्र दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है। अनुकूल मानसून पूर्वानुमान, MSP में बढ़ोतरी और मजबूत कृषि नीतियों जैसे कारकों से आने वाले महीनों में ट्रैक्टर की मांग मजबूत रहने की उम्मीद है।
प्रश्न : महिंद्रा ने मई 2025 में कुल कितने ट्रैक्टर्स बेचे हैं ?
उत्तर : मई 2025 में महिंद्रा ने 38,914 ट्रैक्टर बेचे, जो सालाना आधार पर 10% फीसद अधिक है।
प्रश्न : महिंद्रा की निर्यात समेत कुल कितने बेचे हैं ?
उत्तर : महिंद्रा ने निर्यात सहित कुल 40,643 ट्रैक्टर्स की बिक्री की है।
प्रश्न : महिंद्रा ट्रैक्टर्स की निर्यात बिक्री में क्या बदलाव आया है ?
उत्तर : मई 2025 में निर्यात बिक्री 8% फीसद घटकर 1,729 यूनिट रह गई।
मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार ने 32 लाख सोलर पंप किसानों को देने का लक्ष्य तय किया है। खास बात यह है कि इन सोलर पंपों पर किसानों को 90% तक की सब्सिडी दी जाएगी यानी किसानों को केवल 10% राशि देकर यह सोलर पंप मिल सकेंगे। इससे किसानों को महंगी बिजली और डीज़ल से छुटकारा मिलेगा और वे खुद सोलर एनर्जी से बिजली पैदा कर सकेंगे।
बतादें, कि मंदसौर जिले में हुए किसान मेले और कृषि समागम के दौरान मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस योजना की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रही है।
अब किसान खुद बिजली बनाएंगे, पंप चलाएंगे और अगर जरूरत से ज्यादा बिजली का उत्पादन होता है तो सरकार इसे खरीदेगी। इसका भुगतान भी किसानों को किया जाएगा।
सरकार द्वारा दिए जाने वाले सोलर पंप 2 HP से 5 HP तक की क्षमता के होंगे। इनका उपयोग किसान खेतों की सिंचाई, घरेलू बिजली उपयोग और अन्य कृषि कार्यों के लिए कर सकेंगे। इससे एक तरफ बिजली बिल का बोझ कम होगा और दूसरी तरफ अतिरिक्त आय का भी जरिया बनेगा।
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सीएम मोहन यादव ने बताया कि यह लक्ष्य अगले तीन वर्षों में पूरा किया जाएगा। किसानों को सिर्फ 10% राशि जमा करनी होगी, बाकी 90% सब्सिडी सरकार देगी। यह पहल न सिर्फ किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मददगार साबित होगी।
मध्य प्रदेश के किसान जो इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं, वे पीएम कुसुम योजना सी के तहत आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए आधिकारिक वेबसाइट (https://cmsolarpump.mp.gov.in/kusum_s) पर जाना होगा।
आवेदन के दौरान किसानों को एक निर्धारित रजिस्ट्रेशन शुल्क ऑनलाइन जमा करना होगा. हालांकि अभी तक आवेदन प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है, लेकिन सरकार जल्द ही रजिस्ट्रेशन की तिथि जारी करेगी।
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योजना से जुड़ने की इच्छा रखने वाले किसान अपने क्षेत्र के पावर कॉर्पोरेशन डिपार्टमेंट के जिला कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। वहां से योजना से जुड़ी सभी जानकारी और मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सकता है।
प्रश्न : प्रधानमंत्री कुसुम योजना क्या है ?
उत्तर : भारत सरकार द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री कुसुम योजना किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल है। इस योजना का उद्देश्य कृषि में रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा देना और किसानों को सिंचाई के लिए सस्ता व सतत समाधान देना है।
प्रश्न : प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत कितना अनुदान मिलता है ?
उत्तर : मध्य प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत किसानों को 90% तक सब्सिडी दी जाती है। इससे किसानों को बिजली और डीजल खर्च में राहत मिलेगी। आवेदन प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।
प्रश्न : मध्य प्रदेश सरकार ने कितने एचपी का सोलर पंप देने का ऐलान किया है ?
उत्तर : मध्य प्रदेश सरकार ने 2 से 5 हॉर्सपावर के सोलर पंप उपलब्ध कराने का ऐलान किया है।
किसानों को अब खेत से अपने प्रयोग के लिए मिट्टी खनन करने हेतु खनन विभाग में पंजीकरण कराना होगा। इसके लिए उन्हें विभागीय पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
अन्यथा उन पर कार्रवाई की जाएगी। किसान ऑनलाइन अनुमति लेकर स्वयं के खेतों से 100 घन मीटर तक मिट्टी का खनन कर उसका परिवहन कर सकते हैं। किसी दूसरे प्रदेश में यहां की मिट्टी ले जाने की अनुमति नहीं होगी।
जानकारी के लिए बतादें, कि भूतत्व व खनिकर्म निदेशालय, खनिज भवन, लखनऊ द्वारा किसानों के हित में साधारण मिट्टी के खनन व परिवहन के लिए विभागीय पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर पंजीकरण की प्रक्रिया अपनायी जाएगी। इसके लिए खनन योजना व अनुज्ञा की आवश्यकता नहीं होगी।
पंजीकरण करने से पहले किसानों को नाम, पता, मोबाइल नंबर भरकर लागिन बनाना होगा। इसके बाद प्रपत्र प्रदर्शित होगा, जिसमें आवेदक का नाम, मोबाइल नंबर साधारण मिट्टी की मात्रा, खतौनी, खनन का प्रयोजन, आवेदित खनन क्षेत्र का पूर्ण विवरण यथा जनपद, तहसील, ग्राम, गाटा नंबर, गंतव्य स्थान फीड करना अनिवार्य होगा।
उपरोक्त जानकारियों को भरकर किसान द्वारा आवेदन सबमिट करना होगा, जिसके पश्चात किसान का पोर्टल से स्वजनित पंजीकरण प्रमाण-पत्र हांसिल होगा। पंजीकरण प्रमाण पत्र ही परिवहन प्रपत्र के रूप मे मान्य होगा।
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किसी गाटा नंबर पर एक से अधिक खातेदार होने की दशा मे आवेदक के पक्ष में सह-खातेदारों की सहमति का शपथ पत्र अपलोड करने के साथ सह-खातेदारों के नाम को भी फीड करना होगा।
किसान द्वारा आवेदित साधारण मिट्टी की मात्रा के उपयोग के लिए जनित पंजीकरण प्रमाण-पत्र की वैधता दो सप्ताह होगी। जिलाधिकारी किसी समय पोर्टल पर प्रदर्शित पंजीकृत मामले की आवश्यकतानुसार जांच कर नियमानुसार कार्रवाई कर सकते हैं।
प्रश्न: मिट्टी खनन ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन क्या है ?
उत्तर : उत्तर प्रदेश के किसानों को अपनी जमीन से मिट्टी का उपयोग करने के लिए मिट्टी खनन ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होता है।
प्रश्न : मिट्टी खनन ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पत्र की वैधता कितनी होती है ?
उत्तर : मिट्टी खनन ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र की वैधता दो सप्ताह तक होती है।
प्रश्न : मिट्टी खनन ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के तहत किसान अपने खेत से कितनी मिट्टी उपयोग कर सकते हैं ?
उत्तर : मिट्टी खनन ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के तहत किसान अपनी जमीन से 100 घन मीटर तक मिट्टी खनन कर परिवहन कर सकते हैं।
भारत की केंद्र और राज्य सरकारें अपने अपने स्तर से देश के किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए कई नई योजनाएं चला रही हैं। इन्हीं योजनाओं में से एक किसान क्रेडिट कार्ड है।
किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किसानों को सरकार के द्वारा कम ब्याजदर पर बड़ी आसानी से लोन मुहैय्या कराया जाता है।
किसान क्रेडिट कार्ड किसानों को खेती और पशुपालन जैसे कार्यों के लिए सस्ती दर पर लोन देता है। आइए जानते हैं, किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने की संपूर्ण प्रक्रिया के बारे में।
किसान क्रेडिट कार्ड साल 1998 में किसान क्रेडिट कार्ड भारत सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा शुरू किया गया था।
किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए देश के किसान बीज, खाद, कीटनाशक, सिंचाई, फसल कटाई जैसे सभी जरूरी कामों को पूरा करने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
किसान क्रेडिट को एटीएम कार्ड की भांतिकिसान उपयोग कर सकते हैं और जब भी जरूरत पड़े वो इससे पैसा निकाल सकते हैं। KCC कार्डधारकों को फसल बीमा स्कीम का बेनेफिट्स भी मिलता है।
किसान क्रेडिड कार्ड के जरिए 1.6 लाख रुपये तक का लोन बिना किसी गारंटी के मिलता है। KCC के माध्यम से किसान को केवल 7% फीसद वार्षिक ब्याज पर ऋण आसानी से मिल सकता है।
इसके अतिरिक्त अगर कर्ज का समय पर भुगतान करेंगे तो ब्याज घटकर 4% फीसद तक हो सकता है। साफ है, कि बाकी सरकारी और प्राइवेट बैंक की तुलना में ब्याजदर काफी ज्यादा कम है।
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अब सवाल ये उठता है, कि आखिर किन लोगों को इसका लाभ मिलेगा। बतादें, कि इसका लाभ पाने वाला किसान खेती करने वाला होना चाहिए (स्वामित्व या किराये पर खेत हो सकता है) लाभार्थी किसान की उम्र 18 से 75 वर्ष तक होनी चाहिए।
किसान क्रेडिट कार्ड के लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड या वोटर ID, भूमि रिकॉर्ड, पासपोर्ट साइज फोटो, बैंक पासबुक की कॉपी और आवेदन पत्र जैसे जरूरी दस्तावेज चाहिए होंगे।
दस्तावेज पूरे होने पर आधिकारिक वेबसाइट (https://pmkisan.gov.in](https://pmkisan.gov.in) पर जाएं और KCC फॉर्म सेक्शन से फॉर्म डाउनलोड करके सारी जरूरी जानकारी और डाक्यूमेंट्स भरें। फिर इस फॉर्म को नजदीकी बैंक शाखा में जमा करें।
फॉर्म जमा करने के बाद बैंक अधिकारी डाक्यूमेंट्स की पूरी जांच करेंगे और प्रोसेस पूरा होने पर आपको कार्ड जारी किया जाएगा। अगर बैंक में आपने सही जानकारी के साथ डाक्यूमेंट्स दिए हैं, तो फिर आपको किसान क्रेडिट कार्ड 7 से 15 दिनों के अंदर जारी किया जा सकता है।
प्रश्न : किसान क्रेडिट कार्ड कब शुरू हुआ था ?
उत्तर : किसान क्रेडिट कार्ड सन 1998 में शुरू हुआ था।
प्रश्न : किसान क्रेडिट कार्ड की क्या विशेषता है ?
उत्तर : किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए बिना किसी गारंटी के 1.60 लाख का लोन मिलता है।
प्रश्न : किसान क्रेडिट कार्ड के लिए आयु सीमा क्या है ?
उत्तर : किसान क्रेडिट कार्ड के लिए लाभार्थी की उम्र 18 से 75 के बीच होनी चाहिए।
खरीफ फसलों के लिए ₹2.07 लाख करोड़ की MSP को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने विपणन सत्र 2025-26 के लिए 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दे दी है।
सरकार ने प्रोडक्शन कॉस्ट पर कम से कम 50% फीसद तक मुनाफा निर्धारित किया है। सरकार के इस कदम का लाभ धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, रागी, दलहन, तिलहन, कपास जैसी 14 फसलों के किसानों को मिलेगा।
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MSP निर्धारित करने में लागत, घरेलू व अंतरराष्ट्रीय कीमतों का ध्यान रखा गया है। फसलों के बीच कीमत संतुलन पर भी काफी ध्यान केंद्रित किया गया है। कृषि व गैर-कृषि के बीच व्यापारिक संतुलन भी है। पानी, जमीन का इस्तेमाल आदि।
सरकार ने विपणन सत्र 2025-26 के लिए खरीफ फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है, ताकि किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके।
पिछले साल की तुलना में एमएसपी में सबसे अधिक वृद्धि नाइजरसीड (820 रुपये प्रति क्विंटल) के लिए की गई है, इसके बाद रागी (596 रुपये प्रति क्विंटल), कपास (589 रुपये प्रति क्विंटल) और तिल (579 रुपये प्रति क्विंटल) के लिए एमएसपी में वृद्धि की गई है।
प्रश्न : सरकार ने खरीफ की कुल कितनी फसलों पर एमएसपी बढ़ाया है ?
उत्तर : सरकार ने खरीफ की कुल 14 फसलों पर एमएसपी बढ़ाया है ?
प्रश्न : सरकार ने सबसे ज्यादा एमएसपी किस फसल का बढ़ाया है ?
उत्तर : सरकार ने सबसे ज्यादा एमएसपी नाइजरसीड का बढ़ाया है।
प्रश्न : सरकार ने प्रोडक्शन कॉस्ट पर कम से कम कितना मुनाफा तय किया है ?
उत्तर : सरकार ने प्रोडक्शन कॉस्ट पर कम से कम 50% फीसद तक मुनाफा निर्धारित किया है।
हरियाणा सरकार ने प्रदेश में हरित खाद को प्रोत्साहन देने और कृषकों की रासायनिक खाद पर निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से एक योजना का ऐलान किया है।
राज्य सरकार की इस योजना के अंतर्गत अब जो किसान अपनी जमीन पर ढेंचा हरित खाद के तौर पर उगाएंगे, उन्हें सरकार की तरफ से नकद प्रोत्साहन धनराशि प्रदान की जाएगी। यह धनराशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजी जाएगी।
यह योजना पहली बार प्रदेशभर में लागू की जा रही है, जिससे हजारों किसानों को फायदा मिलेगा। ढेंचा एक फलीदार फसल है, जिसकी कटाई से पहले मिट्टी में जोतकर जैविक खाद तैयार की जाती है।
यह फसल की उर्वरता बढ़ाने में भी काफी मददगार साबित होती है। क्योंकि ये नाइट्रोजन स्थिरीकरण करती हैं और नाइट्रोजन की आपूर्ति करती हैं। विशेषज्ञों का कहना है, कि इससे मिट्टी की संरचना अच्छी होती है और ज्यादा समय तक उत्पादकता बनी रहती है।
ढेंचा की खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ 1,000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी। उन्होंने बताया कि ढेंचा एक प्राकृतिक खाद है, जो मृदा की उर्वरता बढ़ाने, नमी बनाए रखने और उत्पादन लागत को कम करने में मददगार साबित होता है।
यह योजना मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसान-केंद्रित दृष्टिकोण को धरातल पर उतारने की दिशा में एक शानदार प्रयास है।
राज्य सरकार का मकसद इस योजना के माध्यम से किसानों को डिजिटल प्रणाली से जोड़ना और सरकारी फायदों को पारदर्शी व सहज ढंग से उनके घर तक पहुंचाना है।
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किसान अपनी ढेंचा फसल की फोटो 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' पोर्टल पर समय रहते अपलोड करें। इसके बिना योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा।
सरकार ने राज्य के 22 जिलों में 4 लाख एकड़ भूमि पर फसल विविधिकरण का लक्ष्य रखा है, जिसमें ढेंचा की फसल को प्रमुखता दी जा रही है। इस योजना से अनुमानित 3 लाख से अधिक किसानों को फायदा मिलेगा।
प्रश्न: योजना का लाभ कौन-से किसानों को दिया जाएगा ?
उत्तर: जो किसान अपनी जमीन पर ढेंचा हरित खाद के तौर पर उगाएंगे, उन्हें सरकार की तरफ से नकद प्रोत्साहन धनराशि प्रदान की जाएगी।
प्रश्न: योजना के अंतर्गत कितनी प्रोत्साहन राशि दी जा रही है ?
उत्तर: योजना के अंतर्गत 1000 रुपए की नकद प्रोत्साहन धनराशि दी जा रही है।
प्रश्न: योजना का लाभ कितने किसानों को दिया जाएगा ?
उत्तर: योजना का लाभ लगभग 3 लाख किसानों को दिया जाएगा।
किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से कृषि यंत्र अनुदान योजना (Krishi Yantra Anudan Yojana) के तहत किसानों को न्यूमेटिक प्लांटर (Pneumatic Planter) समेत हैप्पी सीडर (Happy Seeder) व सुपर सीडर (Super Seeder) पर सब्सिडी (Subsidy) का लाभ प्रदान किया जा रहा है।
कृषि यंत्र अनुदान योजना के तहत मध्यप्रदेश सरकार की ओर से किसानों को 40 से 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। यह सब्सिडी अलग–अलग कृषि यंत्रों के लागत मूल्य पर दी जाती है।
योजना के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व लघु एवं सीमांत किसानों को 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। वहीं सामान्य वर्ग के किसानों को 40 प्रतिशत तक अनुदान का लाभ प्रदान किया जाता है।
कृषि यंत्रों पर मिलने वाली सब्सिडी की सटीक जानकारी के लिए किसान, ई–कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल (E–krishi Yantra Anudan Portal) पर उपलब्ध कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं।
किसानों को आवेदन के साथ निर्धारित राशि का डिमांड ड्राफ्ट (Demand Draft/DD) लगाना जरूरी होगा। यह डिमांड ड्राफ्ट किसानों को अपने जिले के सहायक कृषि यंत्री के नाम से बनवाना होगा।
बिना डिमांड ड्राफ्ट के आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा और न ही निर्धारित राशि से कम का डिमांड ड्राफ्ट मान्य होगा और बिना उस पर विचार किए, आपका आवेदन निरस्त कर दिया जाएगा।
ऐसे में आवेदन करने वाले किसान विभाग द्वारा निर्धारित की गई राशि का ही डिमांड ड्राफ्ट जरूर लगाए। योजना के तहत किस कृषि यंत्र के लिए कितनी राशि की धरोहर राशि का डिमांड ड्राफ्ट बनवाना है, इसका विवरण इस प्रकार है:
1 | न्यूमेटिक प्लांटर | 10,000 रुपए (DD) |
2 | हैप्पी सीडर | 4,500 रुपए (DD) |
3 | सुपर सीडर | 4,500 रुपए DD |
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योजना लाभ लेने के लिए निम्नलिखित कागज होने बेहद जरूरी
ऐसे किसान जो कि पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं, वे (E–Krishi Yantra Anudan Portal) के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं और जो किसान रजिस्टर्ड नहीं है, उन्हें पहले एमपी ऑनलाइन (MP Online) या सीएससी (CSC) के माध्यम से अपना पंजीयन कराना होगा। इसके बाद ही वे पोर्टल पर कृषि यंत्रों के लिए आवेदन कर सकेंगे।
जानकारी के लिए बतादें, कि मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से योजना के अंतर्गत राज्य के कृषकों से अनुदान पर कृषि यंत्र के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं।
कृषि विभाग मध्यप्रदेश के कृषि अभियांंत्रिकी विभाग द्वारा मांगे गए आवेदन से संबंधित अधिक जानकारी के लिए किसान, विभागीय वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं। इसके अलावा अपने क्षेत्र के कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं।
प्रश्न: योजना के लिए आधिकारिक वेबसाइट लिंक क्या है ?
उत्तर: योजना के लिए आधिकारिक वेबसाइट लिंक – https://farmer.mpdage.org/Home/Index है।
प्रश्न: योजना के अंतर्गत आवेदन करने हेतु लिंक क्या है ?
उत्तर: योजना के अंतर्गत आवेदन करने हेतु इस https://farmer.mpdage.org/Registration/AadharVerification लिंक पर विजिट करें।
प्रश्न: जिलेवार सहायक कृषि यंत्री की सूची के लिए लिंक क्या है ?
उत्तर: जिलेवार सहायक कृषि यंत्री की सूची के लिए इस https://www.mpdage.org/Advertisement/e-krishi-DD_090921062243.pdf लिंक पर जाऐं।
हिमाचल सरकार प्राकृतिक रूप से उगाए गए गेहूं की खरीद पहले ही शुरू हो चुकी है। राज्य सरकार किसानों को उनकी उपज को शानदार एमएसपी पर खरीद रही है।
हिमाचल सरकार राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने कृषि विभाग के अधिकारियों को हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण और व्यापक प्रयास करने के निर्देश दिए हैं।
कृषि विभाग की बैठक की अध्यक्षता करते हुए सुखू ने कहा कि विभाग के सभी अधिकारियों को किसानों तक पहुंचना चाहिए और उन्हें प्राकृतिक खेती अपनाने के साथ-साथ इसके प्रमाणीकरण की सुविधा प्रदान करने में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करनी चाहिए।
सीएम सुक्खू ने कहा कि प्राकृतिक खेती के तहत किसानों का पंजीकरण सुनिश्चित करने के लिए पंचायतवार शिविर आयोजित करने के भी निर्देश दिए हैं।
उन्होंने कहा कि ठोस परिणाम प्राप्त करने के लिए प्रत्येक स्तर पर इस संबंध में जवाबदेही तय की जाएगी। उन्होंने एपीएमसी अध्यक्षों को इस दिशा में किसानों को सक्रिय रूप से प्रेरित करने और उनकी सहायता करने के निर्देश दिए।
उन्होंने सभी एपीएमसी को प्राकृतिक रूप से उगाए गए गेहूं (Wheat), मक्का (Maize) और कच्ची हल्दी (Turmeric) की खरीद के लिए उच्च श्रेणी के साइलो स्थापित करने के लिए भी दिशा निर्देश किए।
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सीएम ने कहा, प्राकृतिक रूप से उगाए गए गेहूं की खरीद पहले ही शुरू हो चुकी है और राज्य सरकार किसानों को उनकी उपज के लिए 60 रुपये प्रति किलोग्राम का एमएसपी (MSP) प्रदान कर रही है।
सुक्खू ने कृषि विभाग को प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए।
प्राकृतिक खेती से उगाई गेहूं, मक्का और कच्ची हल्दी की खरीद के लिए हाई एंड साइलो (उन्नत अनाज भंडार) बनाए जाएंगे।
इसके लिए सभी कृषि उत्पाद मंडी समितियों (APMC) को निर्देश दिए गए हैं। सीएम ने प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को उच्च गुणवत्ता के बीज दिलाने को भी कहा।
सीएम ने कहा कृषि विभाग, जाइका और आत्मा परियोजनाओं के सभी अधिकारियों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए किसानों को जरूरी जानकारी दी जानी चाहिए।
उन्होंने अधिकारियों को प्राकृतिक खेती करने वाले वाले किसानों के लिए प्रमाणीकरण प्रक्रिया आसान बनाने के निर्देश दिए। प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के पंजीकरण के लिए पंचायतों में शिविर लगाए जाएंगे।
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प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकारी फार्मों को सुदृढ़ करने के मद्देनजर कृषि विभाग ने जिला कांगड़ा में भट्टू फार्म, जिला सिरमौर के भगाणी फार्म और जिला सोलन में वेरटी-बोच फार्म स्थापित किए हैं। प्रदेश में इस तरह के और भी आदर्श फार्म स्थापित किए जाएंगे।
प्रश्न: प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए हिमाचल सरकार ने क्या कदम उठाया है ?
उत्तर: प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए हिमाचल कृषि विभाग ने जिला कांगड़ा में भट्टू फार्म, जिला सिरमौर के भगाणी फार्म और जिला सोलन में वेरटी-बोच फार्म स्थापित किए हैं।
प्रश्न: हिमाचल प्रदेश सरकार कितने रुपये प्रति किलोग्राम एमएसपी प्रदान कर रही है ?
उत्तर: हिमाचल प्रदेश सरकार प्राकृतिक रूप से उगाए गए गेंहू की एमएसपी 60 रुपए किलोग्राम दे रही है।
प्रश्न: हिमाचल प्रदेश सरकार की तरफ से बीज को लेकर क्या निर्देश दिए गए हैं ?
उत्तर: हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए हैं।
किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए भारत की केंद्र और राज्य सरकार निरंतर कदम उठा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने बागवानी के विस्तार, स्थानीय प्रसंस्करण को समर्थन तथा वैश्विक बाजार तक पहुंच बनाने के लिए विभिन्न योजनाएं प्रारंभ की हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है, कि उसने निर्यात को बढ़ावा देने और खाद्य एवं पोषण संबंधी जरूरतों को सुरक्षित करने के लिए राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को बदलने को एक बहुआयामी रणनीति शुरू की है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने बागवानी के विस्तार, स्थानीय प्रसंस्करण को समर्थन तथा वैश्विक बाजार तक पहुंच बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।
एक बयान के मुताबिक, देश की श्रम शक्ति का करीब 40% फीसदी हिस्सा कृषि क्षेत्र में समायोजित है। फिर भी प्रच्छन्न बेरोजगारी इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या है। किसान परंपरागत खेती की जगह स्थानीय तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार की मांग के अनुसार खेती करें, यही इस समस्या का प्रभावी हल है।
बयान में कहा गया है कि इसमें फलों व सब्जियों की खेती को बढ़ावा देना शामिल है, जो न केवल पारंपरिक खेती की तुलना में दो से ढाई गुना अधिक आय प्रदान करता है, बल्कि श्रम-प्रधान प्रकृति के कारण काफी अधिक रोजगार भी उत्पन्न करता है। इसके अलावा किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को ‘बोनस’ प्रदान करने का दृष्टिकोण स्वाभाविक रूप से खाद्य व पोषण सुरक्षा को बढ़ाता है।
श्रम बाहुल्य खेती होने के कारण इनमें श्रम शक्ति का भी बेहतर समायोजन होता है। इनसे मिलने वाली खाद्य एवं पोषण सुरक्षा ‘बोनस’ के बराबर है।
यही वजह है कि राज्य सरकार का सब्जी और बागवानी की खेती, इनके प्रसंस्करण और निर्यात पर खासा जोर है। इसके लिए सरकार कई योजनाएं भी चला रही है।
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राज्य सरकार के मुताबिक, अगर स्थानीय स्तर पर सब्जी और फलों की प्रसंस्करण इकाइयां लगा दी जाएं तो फलों और सब्जियों की नर्सरी, पौधरोपण, परिपक्व फलों एवं सब्जियों की तुड़ाई, ग्रेडिंग, पैकिंग, लोडिंग, अनलोडिंग और विपणन तक मिलने वाले रोजगार की संख्या कई गुना हो जाएगी।
फलों और सब्जियों की खेती, उसकी उत्पादकता एवं गुणवत्ता सुधारकर किसानों को स्थानीय बाजार में या निर्यात बढ़ाकर बेहतर दाम दिलवाने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए प्रसंस्करण पर खासा ध्यान है। सरकार का लक्ष्य हर जिले में छोटी-बड़ी एक हजार प्रसंस्करण इकाइयां लगाने का है।
प्रधानमंत्री खाद्य उन्नयन योजना के तहत इकाई लगाने वाले लाभार्थी को 35 फीसदी अनुदान पर 30 लाख रुपये तक का लोन उपलब्ध कराया जाता है।
अभी तक करीब 17 हजार प्रसंस्करण इकाइयां लग भी चुकी हैं। इकाई अगर किसी महिला की है और वह इसके लिए सोलर प्लांट लगवाना चाहती है तो उसपर सरकार उसे 90 फीसदी तक का अनुदान देती है।
फूलों और सब्जियों की खेती के लिए बाराबंकी के त्रिवेदीगंज में सात हेक्टेयर जमीन में ‘इंडो डच सेंटर फॉर एक्सिलेंस’ खोला जाएगा।
इसके लिए नीदरलैंड के विशेषज्ञों के साथ बैठक में दोनों पक्षों में सहमति भी बन चुकी है। इस केंद्र में शोध कार्य होंगे तथा प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
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उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार फलों एवं सब्जियों का निर्यात बढ़ाने के लिए बुनियादी सुविधाएं विकसित कर रही हैं।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष संजीव पुरी ने हाल ही में आय-उन्मुख खेती और अंतरराष्ट्रीय मांग के आधार पर उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया था।
प्रश्न: प्रधानमंत्री खाद्य उन्नयन योजना के तहत अनुदान पर कितना ऋण मिलेगा ?
उत्तर: प्रधानमंत्री खाद्य उन्नयन योजना के तहत इकाई लगाने वाले लाभार्थी को 35% प्रतिशत अनुदान पर 30 लाख रुपये तक का लोन मुहैय्या कराया जाता है।
प्रश्न: भारत की कितने प्रतिशत श्रम शक्ति कृषि क्षेत्र में समायोजित है ?
उत्तर: भारत की लगभग 40% प्रतिशत श्रम शक्ति कृषि क्षेत्र में समायोजित है।
प्रश्न: अब तक कुल कितनी प्रसंस्करण इकाइयां लगाई जा चुकी हैं ?
उत्तर: अब तक लगभग 17 हजार प्रसंस्करण इकाइयां लगाई जा चुकी हैं।
भारत के करोड़ों असंगठित श्रमिकों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने एक बेहतरीन पेंशन योजना की शुरुआत की है, जिसका नाम प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना (PM-SYM) है।
प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए एक स्वैच्छिक पेंशन योजना है, जिसमें 60 वर्ष की आयु के बाद 3,000 रुपए मासिक पेंशन मिलती है। यह योजना मजदूरों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है और सरकार भी निवेश के बराबर अंशदान करती है।
यह योजना उन मेहनतकश लोगों के लिए है जो दिन-रात मेहनत करके अपने परिवार का पेट पालते हैं। लेकिन, बुजुर्ग होने पर उनके पास आमदनी का कोई स्थायी जरिया नहीं होता है। ऐसे में यह योजना एक मजबूत आर्थिक सहारा बन सकती है।
प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना का उद्देश्य असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों को 60 साल की उम्र के बाद हर महीने 3,000 रुपए पेंशन देने का है, ताकि बुजुर्ग अवस्था में उन्हें आर्थिक तंगी का सामना न करना पड़े।
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प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना का लाभ असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले वे लोग उठा सकते हैं, जिनकी मासिक आय 15,000 रुपए या उससे कम है।
इसमें घरेलू कामगार, रेहड़ी-पटरी वाले, रिक्शा चालक, मिड-डे मील वर्कर, निर्माण स्थल पर मजदूरी करने वाले, ईंट भट्ठा मजदूर, मोची, धोबी, कूड़ा बीनने वाले, बीड़ी और हथकरघा उद्योग में काम करने वाले, भूमिहीन कृषि मजदूर, चमड़ा मजदूर और ऑडियो-विजुअल से जुड़े कामगार शामिल हैं।
प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना स्वैच्छिक है यानी इसमें शामिल होना पूरी तरह से आपकी मर्जी पर निर्भर करता है। साथ ही, यह एक अंशदायी योजना है यानी जितना योगदान आप हर महीने करेंगे, उतना ही सरकार भी आपके खाते में जमा करेगी।
प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना में निवेश राशि आपकी उम्र के आधार पर निर्धारित होती है। अगर आप 18 साल की आयु में योजना से जुड़ते हैं, तो आपको हर महीने सिर्फ 55 रुपए जमा करने होंगे।
वहीं, 25 वर्ष की उम्र में यह राशि 80 रुपए, 30 वर्ष पर 100 रुपए, 35 वर्ष पर 150 रुपए और 40 वर्ष की उम्र में अधिकतम 200 रुपए प्रतिमाह देनी होती है।
प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना की खास बात यह है, कि जितनी धनराशि आप जमा करते हैं, उतनी ही धनराशि केंद्र सरकार भी आपके पेंशन खाते में जमा करती है, जिससे आपके वृद्धावस्था के लिए एक मजबूत पेंशन फंड तैयार होता है।
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60 साल की उम्र पूरी होने के बाद आपको हर माह 3,000 रुपए की पेंशन मिलेगी। अगर इस योजना में शामिल व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो उसकी पत्नी या पति को आधी धनराशि पारिवारिक पेंशन के तौर पर मिलेगी।
लाभार्थी की उम्र 18 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए। मासिक आय 15,000 रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए। आयकरदाता को योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा।
EPFO, ESIC या NPS जैसी किसी अन्य पेंशन योजना में पहले से शामिल न हो। आधार कार्ड, मोबाइल नंबर और IFSC सहित बचत बैंक खाता या जनधन खाता होना चाहिए।
योजना हेतु पंजीकरण के लिए निकटतम कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) पर जाएं। आधार कार्ड और बैंक खाता विवरण (IFSC कोड सहित) साथ ले जाएं। वहां पर ऑपरेटर आपके दस्तावेजों की जांच कर रजिस्ट्रेशन करेगा।
इसके बाद एक श्रम योगी पेंशन कार्ड जारी किया जाएगा। निवेश राशि आपके बैंक खाते से ऑटो डेबिट की सुविधा के जरिए कटेगी।
भारत में करोड़ों लोग असंगठित क्षेत्र में कार्य करते हैं, जिन्हें न तो भविष्य निधि का फायदा मिलता है और न ही कोई सामाजिक सुरक्षा। ऐसे में प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना बुजुर्ग होने पर इन श्रमिकों को सम्मान से जीने की सुविधा प्रदान करती है।
यह योजना ना केवल वृद्धावस्था में वित्तीय मदद देती है, बल्कि देश की उन्नति में योगदान देने वाले मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा की भावना भी प्रदान करती है।
प्रश्न: पीएम श्रम योगी मानधन योजना का लाभ किस आयु में मिलेगा ?
उत्तर: योजना का लाभ 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को मिलेगा।
प्रश्न: पीएम श्रम योगी मानधन योजना का सबसे बड़ा लाभ क्या है ?
उत्तर: पीएम श्रम योगी मानधन योजना बुजुर्ग श्रमिकों को सम्मान से जीने की सुविधा प्रदान करती है।
प्रश्न: पीएम श्रम योगी मानधन योजना के लिए अधिकतम मासिक आय कितनी होनी चाहिए ?
उत्तर: योजना का लाभ लेने के लिए आपकी मासिक आय 15000 रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए।
समय के साथ हर क्षेत्र की तरह कृषि में भी काफी आधुनिक परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। कृषि में आज कल आधुनिक कृषि उपकरणों के साथ साथ ड्रोन का भी काफी बड़े पैमाने पर सफल उपयोग किया जा रहा है।
भारत की केंद्र और राज्य सरकारें अपने स्तर से किसानों की आय बढ़ाने और लागत को कम करने के लिए निरंतर कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने का काम कर रही हैं।
वर्तमान में बिहार सरकार ने "कृषि ड्रोन योजना" के अंतर्गत 2025-26 में 56,050 एकड़ भूमि पर ड्रोन से कीटनाशी व उर्वरक छिड़काव का लक्ष्य रखा है।
इससे खेती सस्ती, तेज और लाभकारी होगी, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी और कृषि में तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि कार्यों में ड्रोन के उपयोग से खेती के परंपरागत तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव आ रहा है। ड्रोन तकनीक की सहायता से न केवल समय की बचत होती है, बल्कि लागत में भी उल्लेखनीय कमी आती है।
एक ड्रोन मात्र 10 से 12 मिनट में 1 एकड़ भूमि पर छिड़काव कर सकता है। एक उड़ान में ड्रोन 10 लीटर कीटनाशी, फफूंदनाशी अथवा तरल उर्वरक लेकर उड़ान भर सकता है, जिससे छिड़काव की प्रक्रिया और अधिक प्रभावी होती है।
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बिहार सरकार की तरफ से वर्ष 2024-25 में राज्य के 27,666 एकड़ फसल क्षेत्र पर ड्रोन के माध्यम से छिड़काव किया गया था। आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 में इस लक्ष्य को बढ़ाकर 56,050 एकड़ किया गया है।
योजना के अंतर्गत किसानों को प्रति एकड़ अधिकतम ₹240 या छिड़काव शुल्क का 50% अनुदान प्रदान किया जाएगा। एक किसान अधिकतम 15 एकड़ क्षेत्र के लिए तथा दो बार ड्रोन छिड़काव हेतु अनुदान का लाभ प्राप्त कर सकता है।
ड्रोन से छिड़काव के माध्यम से एनपीके कनसोर्टिया, नैनो यूरिया, नैनो डीएपी, सूक्ष्म पोषक तत्व सहित अन्य तरल उर्वरकों का प्रयोग कर फसलों की गुणवत्ता एवं उत्पादकता में वृद्धि की जा सकती है। ड्रोन के उपयोग से समय, श्रम, कीटनाशी और पानी की बचत होती है, जिससे पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम किया जा सकेगा।
यह पहल किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगी एवं उन्हें तकनीकी रूप से सक्षम बनाएगी। राज्य सरकार का यह प्रयास टिकाऊ कृषि, पर्यावरणीय संतुलन एवं स्मार्ट खेती को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे जहां एक ओर कृषि लागत में कमी आएगी, वहीं दूसरी ओर उत्पादन एवं किसानों की आमदनी में वृद्धि होगी।
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उप मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि कार्यों में ड्रोन के उपयोग से खेती के परंपरागत तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव आ रहा है। ड्रोन तकनीक की सहायता से न केवल समय की बचत होती है, बल्कि लागत में भी उल्लेखनीय कमी आती है।
एक ड्रोन मात्र 10 से 12 मिनट में 1 एकड़ भूमि पर छिड़काव कर सकता है। एक उड़ान में ड्रोन 10 लीटर कीटनाशी, फफूंदनाशी अथवा तरल उर्वरक लेकर उड़ान भर सकता है, जिससे छिड़काव की प्रक्रिया और अधिक प्रभावी होती है।
प्रश्न: कृषि में ड्रोन के उपयोग से क्या फायदा होगा ?
उत्तर: कृषि में ड्रोन तकनीक की सहायता से समय की बचत होती है, बल्कि लागत में भी उल्लेखनीय कमी आती है।
प्रश्न: ड्रोन कितनी देर में कितना छिड़काव कर सकता है ?
उत्तर: किसान एक ड्रोन की मदद से महज 10 से 12 मिनट में 1 एकड़ भूमि पर छिड़काव कर सकता है।
प्रश्न: ड्रोन की मदद से किसान एक बार में कितना कीटनाशक लेकर उड़ सकता है ?
उत्तर: एक उड़ान में ड्रोन 10 लीटर कीटनाशी, फफूंदनाशी अथवा तरल उर्वरक लेकर उड़ान भर सकता है।
भारतभर के विभिन्न राज्यों में अगले कुछ दिनों तक मौसम का मिजाज बदला-बदला सा रहेगा। जहां एक ओर कुछ जगहों पर भारी बारिश से राहत मिल सकती है, वहीं दूसरी तरफ कई इलाकों में गर्मी और लू परेशान करेगी।
अब ऐसी स्थिति में भारत मौसम विज्ञान विभाग ने पूर्वोत्तर भारत, दक्षिण भारत और कुछ मैदानी इलाकों में भारी बारिश, आंधी-तूफान, तेज हवाओं और गर्मी को लेकर अलर्ट जारी किया है।
13 मई को मेघालय में कहीं-कहीं अत्यधिक भारी बारिश (Extremely Heavy Rainfall) की संभावना है।
13 मई को बहुत भारी वर्षा हो सकती है।
13 से 16 मई तक भारी बारिश के साथ तेज हवाओं का अनुमान।
13 से 16 मई तक बारिश, जिसमें 13 तारीख को बहुत भारी वर्षा हो सकती है।
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13 से 16 मई के बीच भारी बारिश और गरज के साथ छींटे पड़ने की संभावना।
बिजली और 30-40 किमी/घंटा की हवाओं के साथ आंधी: अंडमान निकोबार, आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, ओडिशा, तमिलनाडु, विदर्भ।
बिजली और 40-50 किमी/घंटा की तेज हवाएं: छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा आदि में 13 से 16 मई तक।
50-60 किमी/घंटा की हवाओं वाला थंडरस्क्वॉल: महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, असम-मेघालय, सब-हिमालयी पश्चिम बंगाल में 13 से 15 मई के दौरान।
प्रश्न: किन राज्यों में हीटवेव अलर्ट जारी किया गया है ?
उत्तर: बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम में कुछ इलाकों में लू जैसी स्थिति बन सकती है।
प्रश्न: देश कौन-से हिस्सों में गर्म मौसम रहेगा ?
उत्तर: झारखंड, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में गर्मी के साथ उमस बढ़ेगी। साथ ही, उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में रात का तापमान सामान्य से अधिक रहेगा।
प्रश्न: समुद्री इलाकों के लिए क्या अलर्ट जारी किया गया है ?
उत्तर: मौसम विभाग के अनुसार, सोमालिया तट, श्रीलंका तट, कोमोरिन क्षेत्र और दक्षिण अंडमान सागर में 45-55 किमी/घंटा की तेज़ हवाओं के साथ स्क्वॉली मौसम बने रहने की संभावना है। मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है।
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