प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के आगरा में अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (सीआईपी) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (सीएसएआरसी) की स्थापना के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
सरकार द्वारा किए गए इस निवेश का मुख्य उद्देश्य आलू और शकरकंद की उत्पादकता, कटाई के बाद प्रबंधन और मूल्य संवर्धन में सुधार करके खाद्य और पोषण सुरक्षा, किसानों की आय और रोजगार सृजन को बढ़ाना है।
आलू, चावल, गेहूं और मक्का के बाद दुनिया की चौथी प्रमुख खाद्यान्न फसल है। भारत में आलू क्षेत्र में उत्पादन क्षेत्र, प्रसंस्करण क्षेत्र, पैकेजिंग, परिवहन, मार्केटिंग, मूल्य श्रृंखला आदि में महत्वपूर्ण रोजगार अवसर पैदा करने की क्षमता है।
इसलिए इस क्षेत्र में विशाल संभावनाओं का दोहन और अन्वेषण करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र का दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र सिंगना, आगरा, उत्तर प्रदेश में स्थापित किया जा रहा है।
सीएसएआरसी द्वारा विकसित आलू और शकरकंद की उच्च उपज देने वाली, पोषक तत्व वाली और जलवायु अनुकूल किस्में, विश्व स्तरीय विज्ञान और नवाचार के माध्यम से न केवल भारत में बल्कि दक्षिण एशिया क्षेत्र में भी आलू और शकरकंद क्षेत्र के सतत विकास में तेजी आएगी।
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केंद्र के इस तोहफे पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा आगरा में अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना को दी गई स्वीकृति अभिनंदनीय है।
भारत के सबसे बड़े आलू उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में इस केंद्र की स्थापना, खेती को तकनीक से, अन्न को अनुसंधान से और किसान को नवाचार से जोड़ने वाली सिद्ध होगी।
यह निर्णय खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के साथ-साथ कृषि आधारित रोजगार व कृषक-समृद्धि को भी नई दिशा देगा। कृषक कल्याण को समर्पित इस निर्णय हेतु उत्तर प्रदेश के सभी किसान साथियों की ओर से प्रधानमंत्री जी का हृदय से आभार!
प्रश्न : अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र का दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र कहाँ स्थापित किया जाएगा।
उत्तर : अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र का दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र सिंगना, आगरा, उत्तर प्रदेश में स्थापित किया जाएगा।
प्रश्न : आलू का दुनिया की प्रमुख खाद्यान्न फसलों में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर : आलू चावल, गेहूं और मक्का के बाद दुनिया की चौथी प्रमुख खाद्यान्न फसल है।
प्रश्न : आगरा में अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र खुलने से सबसे बड़ा क्या फायदा होगा ?
उत्तर : आगरा में अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र खुलने से रोजगार के विभिन्न अवसर पैदा होंगे।
बरसात की वजह से फसलें बर्बाद हो सकती हैं, विशेषकर जब बारिश सीमा से बहुत ज्यादा हो या समय पर बिल्कुल ना हो। इससे फसलों को काफी नुकसान हो सकता है, जैसे कि जड़ सड़न, फफूंद संक्रमण, जलभराव और मिट्टी का कटाव।
किसानों को अपनी फसलें बचाने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए, जैसे कि जल निकासी की व्यवस्था करना और फसल को सुखाना इत्यादि।
ट्रैक्टरचॉइस के इस लेख में आज हम जानेंगे बारिश से फसल पर होने वाले प्रभावों के बारे में। आइए जानते हैं, बारिश से होने वाले नुकसान और उनसे बचाव के उपायों के बारे में।
खेत में एक सीमा से ज्यादा बारिश होने की वजह से पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं, जिससे वह कमजोर हो जाती हैं और समाप्त भी हो सकती हैं।
खेत में ज्यादा बारिश की वजह से नमी बढ़ने के कारण फफूंद संक्रमण का संकट बढ़ जाता है, जिससे फसलें बर्बाद हो सकती हैं।
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खेत में अधिक बारिश की वजह से खेतों में पानी भर सकता है, जिससे फसलें डूब सकती हैं और नष्ट भी हो सकती हैं।
मूसलाधार बारिश की वजह से बड़े पैमाने पर मिट्टी का कटाव हो सकता है, जिसके चलते फसलें कमजोर हो सकती हैं और पोषक तत्वों की कमी भी हो सकती है।
सीमा से ज्यादा बारिश होने की वजह से फलों में सड़न की समस्या का सामना करना पड़ सकता है, विशेष रूप से आम और अन्य फलों में।
खेतों से पानी निकालने के लिए, जल निकासी की व्यवस्था करनी चाहिए।
यदि फसल भीग गई है, तो उसे सुखा लेना चाहिए ताकि फफूंद संक्रमण से बचाया जा सके।
किसानों को फसल बीमा कराना चाहिए ताकि उन्हें नुकसान की भरपाई हो सके।
यदि नुकसान बहुत ज्यादा है, तो किसानों को कृषि विभाग से संपर्क करना चाहिए।
प्रश्न : क्या अधिक बारिश से फसलों को नुकसान होता है ?
उत्तर : जी हाँ, अधिक बारिश होना भी फसल के लिए हानिकारक होती है।
प्रश्न : किसानों को बारिश से अपनी फसल की सुरक्षा करने के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर : किसानों को बारिश से फसल की सुरक्षा हेतु फसल बीमा जरूर करवाना चहिए।
प्रश्न : क्या अधिक बारिश से मृदा शक्ति का क्षरण होता है ?
उत्तर : जी हाँ, अधिक बर्षा होने की वजह से मिट्टी में कटाव आने लगता है और मृदा की शक्ति में गिरावट आती है।
बिहार सरकार ने मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए 2025-26 में एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत करोड़ों की योजना मंजूर की है।
किसानों को मधुमक्खी बक्सा, छत्ता और निष्कासन यंत्र पर अच्छा खासा अनुदान मिलेगा। परिणामस्वरूप इससे आमदनी में वृद्धि और कृषि उत्पादकता में निश्चित सुधार होगा।
उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री, बिहार विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि बिहार सरकार कृषि क्षेत्र के सतत विकास, किसानों की आय में वृद्धि तथा कृषि विविधीकरण को बढ़ावा देने हेतु लगातार कार्य कर रही है।
इसी कड़ी में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) के अंतर्गत मधुमक्खी पालन एवं मधु उत्पादन योजना को मंजूरी प्रदान की गई है।
मधुमक्खी पालन एवं मधु उत्पादन योजना के अंतर्गत कुल 10.30 करोड़ रुपये की राशि की निकासी एवं व्यय को स्वीकृति दी गई है।
इसका उद्देश्य किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित कर कृषि में परागण की प्रक्रिया को मजबूत करना, मधु उत्पादन को प्रोत्साहित करना तथा किसानों की आजीविका को सुदृढ़ बनाना है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना राज्य के सभी जिलों में लागू की जाएगी, जिससे व्यापक स्तर पर किसानों को इसका लाभ मिल सकेगा।
योजना के अंतर्गत किसानों को तीन प्रमुख घटकों मधुमक्खी बक्सा, मधुमक्खी छत्ता और मधु निष्कासन यंत्र एवं फूड ग्रेड कंटेनर पर 50% प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाएगा।
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मधुमक्खी बक्से की इकाई लागत 4000 रुपये है, जिस पर 2000 रुपये का अनुदान मिलेगा। मधुमक्खी छत्ते की लागत 2000 रुपये तय की गई है, जिस पर 1000 रुपये का अनुदान मिलेगा। वहीं, मधु निष्कासन यंत्र और दो फूड ग्रेड कंटेनर (प्रत्येक 30 किग्रा) की कुल लागत 20000 रुपये है, जिसमें किसानों को 10000 रुपये का अनुदान प्रदान किया जाएगा।
बिहार के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि समस्त उपकरण राष्ट्रीय बागवानी मिशन द्वारा निर्धारित गुणवत्ता मानकों के मुताबिक होंगे। मधुमक्खी बक्सों में ब्रुड चेंबर, क्वीन एक्सक्लूडर, इनर कवर, हनी चैंबर, टॉप कवर, स्टैंड एवं आठ फ्रेम होंगे।
वहीं, मधुमक्खी छत्तों में रानी, ड्रोन और वर्कर मधुमक्खियाँ, मोम और अन्य सहायक उपकरण दिए जाएंगे। इससे किसानों को आधुनिक तकनीकों से लैस किया जाएगा।
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सिन्हा ने बताया कि यह योजना न केवल मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देगी, बल्कि फसलों की उत्पादकता में सुधार लाकर किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी सहायक सिद्ध होगी।
मधु एवं इससे संबंधित उत्पादों के प्रसंस्करण से किसान अतिरिक्त आय अर्जित कर सकेंगे। यह पहल आत्मनिर्भर बिहार के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रश्न : मधुमक्खी पालन एवं मधु उत्पादन योजना के लिए कितने करोड़ मंजूर किए हैं।
उत्तर : मधुमक्खी पालन एवं मधु उत्पादन योजना के तहत 10.30 करोड़ की मंजूरी दी गई है।
प्रश्न : मधुमक्खी बक्सों के अंदर क्या-क्या होगा ?
उत्तर : मधुमक्खी बक्सों के अंदर ब्रुड चेंबर, क्वीन एक्सक्लूडर, इनर कवर, हनी चैंबर, टॉप कवर, स्टैंड एवं आठ फ्रेम होंगे।
प्रश्न : मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के फलस्वरूप अन्य और क्या लाभ होगा ?
उत्तर : मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने की वजह से फसल उत्पादकता में भी काफी सुधार होगा।
मुख्यमंत्री अवधिपार ब्याज राहत योजना बनी किसानों का सहारा, राजस्थान में 3,410 किसानों को अब तक मिली ब्याज राहत, बदल रही किस्मत, कर्ज से मुक्ति की राह: सहकारी बैंकों के 30 हजार से ज्यादा ऋणियों को मिलेगा लाभ।
राज्य सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री अवधिपार ब्याज राहत एक मुश्त समझौता योजना 2025-26 के तहत पात्र ऋणियों को उनकी कुल बकाया राशि का मात्र 25 प्रतिशत 30 जून तक जमा करवाकर शेष ब्याज की 100 प्रतिशत माफी का लाभ दिया जा रहा है। योजना का लाभ
राजस्थान सरकार द्वारा किसानों को राहत देने के उद्देश्य से शुरू की गई मुख्यमंत्री अवधिपार ब्याज राहत एकमुश्त समझौता योजना 2025-26 किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।
इस योजना के तहत अब तक 3,410 ऋणी सदस्यों को कुल 44 करोड़ रुपए के ब्याज की राहत प्रदान की जा चुकी है, जबकि ऋणियों द्वारा 33 करोड़ रुपए का मूलधन जमा कराया गया है।
भूमि विकास बैंक लिमिटेड की ओर से किसानों और लघु उद्यमियों के लिए मुख्यमंत्री अवधिपार ब्याज राहत एक मुश्त समझौता योजना 2025-26 लागू की गई है, जिससे सैकड़ों किसानों को करोड़ों रुपए की राहत मिलने जा रही है।
राजस्थान में काश्तकारों के लिए एक सुनहरा अवसर है। किसान समय पर मूलधन चुकाकर अब तक ब्याज से दबे हुए थे, उनके लिए यह योजना वरदान बनकर आई है।
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सहकारिता राज्य मंत्री गौतम कुमार दक ने जानकारी दी कि योजना के तहत यदि पात्र ऋणी सदस्य केवल मूलधन चुकाते हैं तो राज्य सरकार ब्याज में 100 प्रतिशत राहत देती है।
पूरे प्रदेश में 30,010 ऋणियों को इस योजना से लाभ मिलने की संभावना है, जिनसे 326 करोड़ रुपये मूलधन प्राप्त कर 534 करोड़ रुपए की ब्याज राहत दी जाएगी।
बलजीत मेव को मिला जीवन में नया संबल अलवर जिले के कठूमर तहसील के टिटपुरी गांव निवासी बलजीत मेव को इस योजना के तहत अब तक का सबसे बड़ा लाभ मिला है।
उन्होंने 18.61 लाख रुपए का मूलधन जमा कराकर 37.23 लाख रुपये ब्याज माफ कराया, जिससे 55.84 लाख रुपये के अवधिपार ऋण का निस्तारण हुआ।
पहले उनकी भूमि नीलामी में नहीं बिकने पर बैंक ने अपने नाम कर ली थी, लेकिन अब योजना के तहत उनकी जमीन फिर से उनके नाम हो गई है।
प्रश्न : मुख्यमंत्री अवधिपार ब्याज राहत योजना क्या है ?
उत्तर : मुख्यमंत्री अवधिपार ब्याज राहत योजना किसानों को ऋण पर लगने वाली ब्याज से 100% प्रतिशत राहत देने वाली राजस्थान सरकार की नई पहल है।
प्रश्न : मुख्यमंत्री अवधिपार ब्याज राहत योजना में आवेदन हेतु अंतिम तिथि क्या है ?
उत्तर : मुख्यमंत्री अवधिपार ब्याज राहत योजना में आवेदन की अंतिम 30 जून है।
प्रश्न : मुख्यमंत्री अवधिपार ब्याज राहत योजना का प्रमुख उद्देश्य क्या है ?
उत्तर : मुख्यमंत्री अवधिपार ब्याज राहत योजना का प्रमुख उद्देश्य किसानों को ब्याज की मार से बचाना है।
बिहार सरकार ने मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 4 करोड़ की योजना स्वीकृत की है। इस योजना से किसानों को आर्थिक सहायता मिलेगी, जिससे वे आधुनिक इकाइयाँ स्थापित कर सकेंगे।
यह पहल कृषि विविधीकरण, किसानों की आयवृद्धि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में मदद करेगी। उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री, बिहार विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि बिहार सरकार राज्य में कृषि के सतत विकास और किसानों की आयवृद्धि के लिए लगातार नवाचारों को प्रोत्साहित कर रही है।
बिहार सरकार द्वारा इसी कड़ी में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए वित्तीय वर्ष 2025-26 में ‘‘एकीकृत बागवानी विकास मिशन’’ के अंतर्गत मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 4 करोड़ रूपये की योजना को स्वीकृति प्रदान की गई है।
उन्होंने कहा कि यह योजना राज्य में मशरूम उत्पादन को संगठित और आधुनिक बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत निजी क्षेत्र में मशरूम उत्पादन से जुड़ी विभिन्न इकाइयों की स्थापना हेतु किसानों को वित्तीय सहायता दी जाएगी। इसमें वातानुकूलित मशरूम उत्पादन इकाई, कम्पोस्ट इकाई और स्पॉन इकाई शामिल हैं।
मशरूम उत्पादन एवं कम्पोस्ट इकाई की इकाई लागत 30 लाख रूपये निर्धारित की गई है, जिस पर 40 प्रतिशत यानी 12 लाख रूपये का सहायतानुदान दिया जाएगा।
स्पॉन इकाई के लिए 20 लाख रूपये की लागत पर 40 प्रतिशत यानी 8 लाख रूपये अनुदान निर्धारित है। इसके अतिरिक्त छोटे पैमाने पर उत्पादन के लिए 2 लाख रूपये की इकाई लागत पर 50 प्रतिशत यानी 1 लाख रूपये प्रति इकाई अनुदान दिया जाएगा।
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उन्होंने कहा कि योजना के क्रियान्वयन हेतु पात्र किसानों को डी॰बी॰टी॰ पोर्टल पर पंजीकरण कर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन “पहले आओ, पहले पाओ” के सिद्धांत पर स्वीकृत किए जाएंगे, जिससे पारदर्शिता बनी रहे और इच्छुक किसानों को समय पर लाभ मिल सके।
इससे किसानों को आधुनिक तकनीक अपनाकर मशरूम उत्पादन को एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में स्थापित करने का अवसर मिलेगा।
सिन्हा ने कहा कि बिहार सरकार की यह पहल न केवल मशरूम उत्पादन को प्रोत्साहित करेगी, बल्कि कृषि विविधीकरण को भी बढ़ावा देगी।
यह कदम राज्य के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने, उनकी आय में वृद्धि करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगा। साथ ही, यह बिहार को कृषि नवाचारों में अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में एक सशक्त पहल मानी जाएगी।
प्रश्न : स्पॉन इकाई पर कितना अनुदान दिया जा रहा है ?
उत्तर : स्पॉन इकाई के लिए 20 लाख रूपये की लागत पर 40 % प्रतिशत यानी 8 लाख रूपये अनुदान निर्धारित है।
प्रश्न : योजना के लिए आवेदन किस आधार पर किया जाएगा ?
उत्तर : योजना हेतु आवेदन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर किया जाएगा।
प्रश्न : सरकार का यह कदम उठाने का प्रमुख उद्देश्य क्या है ?
उत्तर : सरकार द्वारा मशरूम उत्पादन को लेकर यह कदम किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
भारत सरकार निरंतर खेती को आधुनिक और किसानों को मजबूत बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। इसी कड़ी में किसान ड्रोन योजना 2025 एक बड़ी कवायद है।
इस योजना के अंतर्गत किसानों को खेती के लिए ड्रोन मुहैया कराये जाएंगे, जिससे वे कीटनाशक छिड़काव, फसल की निगरानी और जमीन का सर्वे बड़ी सहजता से कर सकें।
किसान ड्रोन योजना 2025 केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई एक स्कीम है, जिसके तहत किसानों को ड्रोन खरीदने के लिए सब्सिडी दी जाती है। इस योजना का उद्देश्य खेती को स्मार्ट और तकनीकी रूप से सक्षम बनाना है, जिससे उत्पादन बढ़े और लागत घटे।
सरकार इस योजना के तहत किसानों को ड्रोन पर 40% से 50% तक की सब्सिडी दे रही है। कुछ विशेष श्रेणी के किसानों, जैसे अनुसूचित जाति/जनजाति, महिला किसान या FPO (Farmer Producer Organization) को 90% तक सब्सिडी मिल सकती है।
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ड्रोन का सही तरीके से उपयोग करने के लिए सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों में मुफ्त या रियायती दरों पर ट्रेनिंग दी जा रही है। यह ट्रेनिंग 5 से 10 दिनों की होती है, जिसमें किसानों को ड्रोन उड़ाने, रख-रखाव करने और फसल के अनुसार उपयोग करने की जानकारी दी जाती है।
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प्रश्न : किसान ड्रोन योजना क्या है ?
उत्तर : किसान ड्रोन योजना के अंतर्गत किसानों को खेती के लिए ड्रोन मुहैया कराये जाएंगे, जिससे वे कीटनाशक छिड़काव, फसल की निगरानी और जमीन का सर्वे बड़ी सहजता से कर सकें।
प्रश्न : किसान ड्रोन योजना के तहत कितना अनुदान मिलेगा ?
उत्तर : किसान ड्रोन योजना के तहत 50 से 90 प्रतिशत अनुदान मिलेगा।
प्रश्न : किसान ड्रोन योजना का सबसे बड़ा लाभ क्या होगा ?
उत्तर : युवा किसानों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करना किसान ड्रोन योजना का सबसे बड़ा लाभ होगा।
उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए लगातार कई कल्याणकारी योजनाएं जारी करती आ रही है।
किसानों को जैविक खेती को लेकर जागरूक करने के लिए राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत एक बीआरसी खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके लिए कृषकों से आवेदन भी आमंत्रित किये गए हैं।
उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए सबसे अच्छी खबर है। राज्य सरकार राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए बायो-इनपुट रिसोर्स सेंटर (BRC) खोलेगी।
यहां से किसान रसायनमुक्त खेती के तौर तरीके सीख सकेंगे। सेंटर पर पशुधन आधारित उत्पादनों की बिक्री होगी। इसके लिए योगी सरकार किसान को 1 लाख रुपये तक की सब्सिडी मुहैय्या कराएगी।
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के अनुसार, अधिकतम किसान रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करते हैं। रासायनिक खाद के दुष्प्रभाव को देखते हुए अब घरों में जैविक उत्पादों के सेवन का प्रचलन भी काफी बढ़ा है।
किसानों को जैविक खेती के प्रति जागरूक करने के लिए राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत एक बीआरसी खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
इसके लिए किसानों से आवेदन मांगे हैं और फिर एक किसान का बीआसी खोलने के लिए चयन किया जाएगा। इस केंद्र पर जैविक खाद व जैव कीटनाशक तैयार किया जाएगा। किसानों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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उद्यमी किसान या एफपीओ की ओर से बीआरसी स्थापित करने के लिए 2 किस्तों में 1 लाख रुपये का अनुदान दिया जाएगा। बीआरसी का चयन जिला स्तरीय समिति द्वारा किया जाएगा। जैविक खेती करने वाले अथवा इस क्षेत्र में अनुभव रखने वाले कृषकों के चुनाव में प्राथमिकता दी जाएगी।
बीआरसी पर जीवामृत, बीजामृत, घनजीवामृत, नीमास्त्र, आग्नेयास्त्र आदि जैविक उर्वरक व जैव कीटनाशकों की बिक्री होगी। इन उत्पादों के प्रयोग से मृदा स्वास्थ्य बेहतर होगा, रसायनों का प्रयोग कम होगा, रसायनों से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण में भी कमी आएगी।
प्रश्न : सरकार द्वारा जैविक उत्पादन को क्यों बढ़ावा दिया जा रहा है ?
उत्तर : खेती में अधिक रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से बढ़ती स्वास्थ्य समस्यायों को दूर करने के लिए सरकार जैविक उत्पादन को बढ़ावा दे रही है।
प्रश्न : सरकार बीआरसी स्थापित कराने के लिए कितना अनुदान प्रदान कर रही है ?
उत्तर : सरकार बीआरसी स्थापना के लिए 1 लाख रुपए की सब्सिड़ी प्रदान कर रही है।
प्रश्न : सरकार की तरफ से अनुदान पर स्थापित BRC पर इन उत्पादों की बिक्री मिलेगी
उत्तर : बीआरसी पर जीवामृत, बीजामृत, घनजीवामृत, नीमास्त्र, आग्नेयास्त्र आदि जैविक उर्वरक व जैव कीटनाशकों की बिक्री होगी।
महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के फार्म इक्विपमेंट सेक्टर (FES) ने इसकी घोषणा की है। महिंद्रा कंपनी ने घरेलू बिक्री में मजबूत वृद्धि दर्ज की, जो 38,914 ट्रैक्टर इकाइयों तक पहुंच गई, जो मई 2024 में बेची गई 35,237 इकाइयों के मुकाबले में 10% प्रतिशत अधिक है।
घरेलू बिक्री के साथ मई 2024 में बेची गई 37,109 इकाइयों के मुकाबले में मई 2025 के लिए महिंद्रा की कुल ट्रैक्टर बिक्री (घरेलू + निर्यात) 40,643 इकाइयों को छू गई, जो कुल मिलाकर 10% प्रतिशत का इजाफा दर्शाता है।
हालांकि, निर्यात प्रदर्शन में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई है। महिंद्रा ने मई 2025 में 1,729 ट्रैक्टरों का निर्यात किया, जो मई 2024 के दौरान निर्यात की गई 1,872 इकाइयों से 8% प्रतिशत कम है। आइए जानते हैं, महिंद्रा ट्रैक्टर्स की बिक्री से जुड़ी कुछ ख़ास जानकारी के बारे में।
वित्तीय वर्ष-दर-तारीख की अवधि (अप्रैल से मई 2025) में महिंद्रा ने अपना जबरदस्त प्रदर्शन जारी रखा है। महिंद्रा कंपनी ने घरेलू बाजार में 77,430 ट्रैक्टर की बिक्री की है। वहीं, पिछले साल इसी समयावधि में यह 71,042 यूनिट थी, जो 9% प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
मई 2025 में 3,267 इकाइयों की शिपिंग के साथ निर्यात में भी सुधार हुआ, जो मई 2024 में 3,106 इकाइयों से ऊपर है, जिससे निर्यात में 5% फीसद की वृद्धि हुई है। कुल मिलाकर, मई 2025 में कुल ट्रैक्टर की बिक्री 80,697 यूनिट तक पहुंच गई, जबकि पिछले वर्ष की 74,148 इकाइयों के मुकाबले में कुल मिलाकर 9% फीसद की वृद्धि हुई।
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”हमने मई'25 के दौरान घरेलू बाजार में 38,914 ट्रैक्टर बेचे हैं, जो पिछले साल की तुलना में 10% अधिक है। सामान्य से अधिक दक्षिण-पश्चिम मानसून का जल्दी आना खरीफ फसल की बुवाई के लिए एक अच्छा संकेत है।
धान के लिए भूमि की तैयारी पहले से ही चल रही है। धान और अन्य खरीफ फसलों के लिए MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) में बढ़ोतरी की मंजूरी से किसानों का विश्वास बढ़ेगा।
जलाशयों के बेहतर स्तर, सरकार द्वारा रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन की घोषणा और विभिन्न किसान केंद्रित योजनाओं के शुभारंभ के साथ, हम कृषि उत्पादकता में सुधार की उम्मीद करते हैं। इससे आने वाले महीनों में ट्रैक्टरों की मांग में सकारात्मक वृद्धि होगी। निर्यात बाजार में, हमने 1,729 ट्रैक्टर बेचे हैं।”
महिंद्रा ने मई 2025 और अब तक के वित्तीय वर्ष के लिए घरेलू ट्रैक्टर की बिक्री में ठोस वृद्धि दिखाई है। इस महीने निर्यात संख्या में मामूली गिरावट के बावजूद, समग्र दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है। अनुकूल मानसून पूर्वानुमान, MSP में बढ़ोतरी और मजबूत कृषि नीतियों जैसे कारकों से आने वाले महीनों में ट्रैक्टर की मांग मजबूत रहने की उम्मीद है।
प्रश्न : महिंद्रा ने मई 2025 में कुल कितने ट्रैक्टर्स बेचे हैं ?
उत्तर : मई 2025 में महिंद्रा ने 38,914 ट्रैक्टर बेचे, जो सालाना आधार पर 10% फीसद अधिक है।
प्रश्न : महिंद्रा की निर्यात समेत कुल कितने बेचे हैं ?
उत्तर : महिंद्रा ने निर्यात सहित कुल 40,643 ट्रैक्टर्स की बिक्री की है।
प्रश्न : महिंद्रा ट्रैक्टर्स की निर्यात बिक्री में क्या बदलाव आया है ?
उत्तर : मई 2025 में निर्यात बिक्री 8% फीसद घटकर 1,729 यूनिट रह गई।
मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार ने 32 लाख सोलर पंप किसानों को देने का लक्ष्य तय किया है। खास बात यह है कि इन सोलर पंपों पर किसानों को 90% तक की सब्सिडी दी जाएगी यानी किसानों को केवल 10% राशि देकर यह सोलर पंप मिल सकेंगे। इससे किसानों को महंगी बिजली और डीज़ल से छुटकारा मिलेगा और वे खुद सोलर एनर्जी से बिजली पैदा कर सकेंगे।
बतादें, कि मंदसौर जिले में हुए किसान मेले और कृषि समागम के दौरान मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस योजना की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रही है।
अब किसान खुद बिजली बनाएंगे, पंप चलाएंगे और अगर जरूरत से ज्यादा बिजली का उत्पादन होता है तो सरकार इसे खरीदेगी। इसका भुगतान भी किसानों को किया जाएगा।
सरकार द्वारा दिए जाने वाले सोलर पंप 2 HP से 5 HP तक की क्षमता के होंगे। इनका उपयोग किसान खेतों की सिंचाई, घरेलू बिजली उपयोग और अन्य कृषि कार्यों के लिए कर सकेंगे। इससे एक तरफ बिजली बिल का बोझ कम होगा और दूसरी तरफ अतिरिक्त आय का भी जरिया बनेगा।
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सीएम मोहन यादव ने बताया कि यह लक्ष्य अगले तीन वर्षों में पूरा किया जाएगा। किसानों को सिर्फ 10% राशि जमा करनी होगी, बाकी 90% सब्सिडी सरकार देगी। यह पहल न सिर्फ किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मददगार साबित होगी।
मध्य प्रदेश के किसान जो इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं, वे पीएम कुसुम योजना सी के तहत आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए आधिकारिक वेबसाइट (https://cmsolarpump.mp.gov.in/kusum_s) पर जाना होगा।
आवेदन के दौरान किसानों को एक निर्धारित रजिस्ट्रेशन शुल्क ऑनलाइन जमा करना होगा. हालांकि अभी तक आवेदन प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है, लेकिन सरकार जल्द ही रजिस्ट्रेशन की तिथि जारी करेगी।
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योजना से जुड़ने की इच्छा रखने वाले किसान अपने क्षेत्र के पावर कॉर्पोरेशन डिपार्टमेंट के जिला कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। वहां से योजना से जुड़ी सभी जानकारी और मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सकता है।
प्रश्न : प्रधानमंत्री कुसुम योजना क्या है ?
उत्तर : भारत सरकार द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री कुसुम योजना किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल है। इस योजना का उद्देश्य कृषि में रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा देना और किसानों को सिंचाई के लिए सस्ता व सतत समाधान देना है।
प्रश्न : प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत कितना अनुदान मिलता है ?
उत्तर : मध्य प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत किसानों को 90% तक सब्सिडी दी जाती है। इससे किसानों को बिजली और डीजल खर्च में राहत मिलेगी। आवेदन प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।
प्रश्न : मध्य प्रदेश सरकार ने कितने एचपी का सोलर पंप देने का ऐलान किया है ?
उत्तर : मध्य प्रदेश सरकार ने 2 से 5 हॉर्सपावर के सोलर पंप उपलब्ध कराने का ऐलान किया है।
किसानों को अब खेत से अपने प्रयोग के लिए मिट्टी खनन करने हेतु खनन विभाग में पंजीकरण कराना होगा। इसके लिए उन्हें विभागीय पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
अन्यथा उन पर कार्रवाई की जाएगी। किसान ऑनलाइन अनुमति लेकर स्वयं के खेतों से 100 घन मीटर तक मिट्टी का खनन कर उसका परिवहन कर सकते हैं। किसी दूसरे प्रदेश में यहां की मिट्टी ले जाने की अनुमति नहीं होगी।
जानकारी के लिए बतादें, कि भूतत्व व खनिकर्म निदेशालय, खनिज भवन, लखनऊ द्वारा किसानों के हित में साधारण मिट्टी के खनन व परिवहन के लिए विभागीय पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर पंजीकरण की प्रक्रिया अपनायी जाएगी। इसके लिए खनन योजना व अनुज्ञा की आवश्यकता नहीं होगी।
पंजीकरण करने से पहले किसानों को नाम, पता, मोबाइल नंबर भरकर लागिन बनाना होगा। इसके बाद प्रपत्र प्रदर्शित होगा, जिसमें आवेदक का नाम, मोबाइल नंबर साधारण मिट्टी की मात्रा, खतौनी, खनन का प्रयोजन, आवेदित खनन क्षेत्र का पूर्ण विवरण यथा जनपद, तहसील, ग्राम, गाटा नंबर, गंतव्य स्थान फीड करना अनिवार्य होगा।
उपरोक्त जानकारियों को भरकर किसान द्वारा आवेदन सबमिट करना होगा, जिसके पश्चात किसान का पोर्टल से स्वजनित पंजीकरण प्रमाण-पत्र हांसिल होगा। पंजीकरण प्रमाण पत्र ही परिवहन प्रपत्र के रूप मे मान्य होगा।
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किसी गाटा नंबर पर एक से अधिक खातेदार होने की दशा मे आवेदक के पक्ष में सह-खातेदारों की सहमति का शपथ पत्र अपलोड करने के साथ सह-खातेदारों के नाम को भी फीड करना होगा।
किसान द्वारा आवेदित साधारण मिट्टी की मात्रा के उपयोग के लिए जनित पंजीकरण प्रमाण-पत्र की वैधता दो सप्ताह होगी। जिलाधिकारी किसी समय पोर्टल पर प्रदर्शित पंजीकृत मामले की आवश्यकतानुसार जांच कर नियमानुसार कार्रवाई कर सकते हैं।
प्रश्न: मिट्टी खनन ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन क्या है ?
उत्तर : उत्तर प्रदेश के किसानों को अपनी जमीन से मिट्टी का उपयोग करने के लिए मिट्टी खनन ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होता है।
प्रश्न : मिट्टी खनन ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पत्र की वैधता कितनी होती है ?
उत्तर : मिट्टी खनन ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र की वैधता दो सप्ताह तक होती है।
प्रश्न : मिट्टी खनन ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के तहत किसान अपने खेत से कितनी मिट्टी उपयोग कर सकते हैं ?
उत्तर : मिट्टी खनन ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के तहत किसान अपनी जमीन से 100 घन मीटर तक मिट्टी खनन कर परिवहन कर सकते हैं।
भारत की केंद्र और राज्य सरकारें अपने अपने स्तर से देश के किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए कई नई योजनाएं चला रही हैं। इन्हीं योजनाओं में से एक किसान क्रेडिट कार्ड है।
किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किसानों को सरकार के द्वारा कम ब्याजदर पर बड़ी आसानी से लोन मुहैय्या कराया जाता है।
किसान क्रेडिट कार्ड किसानों को खेती और पशुपालन जैसे कार्यों के लिए सस्ती दर पर लोन देता है। आइए जानते हैं, किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने की संपूर्ण प्रक्रिया के बारे में।
किसान क्रेडिट कार्ड साल 1998 में किसान क्रेडिट कार्ड भारत सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा शुरू किया गया था।
किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए देश के किसान बीज, खाद, कीटनाशक, सिंचाई, फसल कटाई जैसे सभी जरूरी कामों को पूरा करने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
किसान क्रेडिट को एटीएम कार्ड की भांतिकिसान उपयोग कर सकते हैं और जब भी जरूरत पड़े वो इससे पैसा निकाल सकते हैं। KCC कार्डधारकों को फसल बीमा स्कीम का बेनेफिट्स भी मिलता है।
किसान क्रेडिड कार्ड के जरिए 1.6 लाख रुपये तक का लोन बिना किसी गारंटी के मिलता है। KCC के माध्यम से किसान को केवल 7% फीसद वार्षिक ब्याज पर ऋण आसानी से मिल सकता है।
इसके अतिरिक्त अगर कर्ज का समय पर भुगतान करेंगे तो ब्याज घटकर 4% फीसद तक हो सकता है। साफ है, कि बाकी सरकारी और प्राइवेट बैंक की तुलना में ब्याजदर काफी ज्यादा कम है।
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अब सवाल ये उठता है, कि आखिर किन लोगों को इसका लाभ मिलेगा। बतादें, कि इसका लाभ पाने वाला किसान खेती करने वाला होना चाहिए (स्वामित्व या किराये पर खेत हो सकता है) लाभार्थी किसान की उम्र 18 से 75 वर्ष तक होनी चाहिए।
किसान क्रेडिट कार्ड के लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड या वोटर ID, भूमि रिकॉर्ड, पासपोर्ट साइज फोटो, बैंक पासबुक की कॉपी और आवेदन पत्र जैसे जरूरी दस्तावेज चाहिए होंगे।
दस्तावेज पूरे होने पर आधिकारिक वेबसाइट (https://pmkisan.gov.in](https://pmkisan.gov.in) पर जाएं और KCC फॉर्म सेक्शन से फॉर्म डाउनलोड करके सारी जरूरी जानकारी और डाक्यूमेंट्स भरें। फिर इस फॉर्म को नजदीकी बैंक शाखा में जमा करें।
फॉर्म जमा करने के बाद बैंक अधिकारी डाक्यूमेंट्स की पूरी जांच करेंगे और प्रोसेस पूरा होने पर आपको कार्ड जारी किया जाएगा। अगर बैंक में आपने सही जानकारी के साथ डाक्यूमेंट्स दिए हैं, तो फिर आपको किसान क्रेडिट कार्ड 7 से 15 दिनों के अंदर जारी किया जा सकता है।
प्रश्न : किसान क्रेडिट कार्ड कब शुरू हुआ था ?
उत्तर : किसान क्रेडिट कार्ड सन 1998 में शुरू हुआ था।
प्रश्न : किसान क्रेडिट कार्ड की क्या विशेषता है ?
उत्तर : किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए बिना किसी गारंटी के 1.60 लाख का लोन मिलता है।
प्रश्न : किसान क्रेडिट कार्ड के लिए आयु सीमा क्या है ?
उत्तर : किसान क्रेडिट कार्ड के लिए लाभार्थी की उम्र 18 से 75 के बीच होनी चाहिए।
खरीफ फसलों के लिए ₹2.07 लाख करोड़ की MSP को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने विपणन सत्र 2025-26 के लिए 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दे दी है।
सरकार ने प्रोडक्शन कॉस्ट पर कम से कम 50% फीसद तक मुनाफा निर्धारित किया है। सरकार के इस कदम का लाभ धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, रागी, दलहन, तिलहन, कपास जैसी 14 फसलों के किसानों को मिलेगा।
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MSP निर्धारित करने में लागत, घरेलू व अंतरराष्ट्रीय कीमतों का ध्यान रखा गया है। फसलों के बीच कीमत संतुलन पर भी काफी ध्यान केंद्रित किया गया है। कृषि व गैर-कृषि के बीच व्यापारिक संतुलन भी है। पानी, जमीन का इस्तेमाल आदि।
सरकार ने विपणन सत्र 2025-26 के लिए खरीफ फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है, ताकि किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके।
पिछले साल की तुलना में एमएसपी में सबसे अधिक वृद्धि नाइजरसीड (820 रुपये प्रति क्विंटल) के लिए की गई है, इसके बाद रागी (596 रुपये प्रति क्विंटल), कपास (589 रुपये प्रति क्विंटल) और तिल (579 रुपये प्रति क्विंटल) के लिए एमएसपी में वृद्धि की गई है।
प्रश्न : सरकार ने खरीफ की कुल कितनी फसलों पर एमएसपी बढ़ाया है ?
उत्तर : सरकार ने खरीफ की कुल 14 फसलों पर एमएसपी बढ़ाया है ?
प्रश्न : सरकार ने सबसे ज्यादा एमएसपी किस फसल का बढ़ाया है ?
उत्तर : सरकार ने सबसे ज्यादा एमएसपी नाइजरसीड का बढ़ाया है।
प्रश्न : सरकार ने प्रोडक्शन कॉस्ट पर कम से कम कितना मुनाफा तय किया है ?
उत्तर : सरकार ने प्रोडक्शन कॉस्ट पर कम से कम 50% फीसद तक मुनाफा निर्धारित किया है।
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