बिहार राज्य के कृषि मंत्री सह उपमुख्यमंत्री आजकल प्रदेश के कई जनपदों में किसान कल्याण संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत कृषकों से उनकी समस्याएं सुन रहे हैं। कृषकों की तरफ से साझा करने वाले सुझावों को मद्देनजर रखते हुए कृषि मंत्री ने एक नया आदेश जारी किया है।
बिहार कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा कृषि यांत्रिकरण योजना के अंतर्गत अनुदान भुगतान प्रक्रिया की समीक्षा कर जरूरी संशोधन करने की बात कह रहे हैं।
सीतामढ़ी और बक्सर में आयोजित किसान कल्याण संवाद एवं युवा किसान सम्मान समारोह के दौरान किसानों ने कृषि विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं से जुड़ी नीतियों पर सुझाव और समस्याएं साझा कीं। इसके पश्चात उपमुख्यमंत्री ने कृषि यंत्रों पर मिलने वाली सब्सिड़ी की प्रक्रिया में संशोधन करने का संकेत दिया है।
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर कृषि यांत्रिकरण योजना के अंतर्गत नियमों में परिवर्तन किए जाते रहे हैं।
अब एक बार फिर कृषि मंत्री द्वारा अनुदान भुगतान की प्रक्रिया की समीक्षा कर आवश्यक संशोधन करने की बात कही जा रही है। इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है, कि आने वाले समय में सरकार नए नियमों को लागू कर सकती है।
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कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा की तरफ से जब कृषि यंत्र विक्रेताओं से सुझाव मांगे गए, तो कार्यक्रम में उपस्थित विक्रेताओं ने अनुरोध किया कि कृषि यंत्रों के क्रय पर अनुदान का भुगतान वर्तमान में निर्माता को न करके सीधे विक्रेताओं को कराया जाए। विक्रेताओं का कहना था कि "इससे प्रक्रिया ज्यादा सरल और त्वरित होगी तथा किसानों को यंत्र प्राप्त करने में सुविधा होगी।"
विक्रेताओं की इस पर उपमुख्यमंत्री का कहना है, कि "इस मांग पर विभागीय स्तर पर विचार किया जाएगा और समीक्षा के बाद जरूरी सुधार किए जाएंगे, ताकि किसानों को किसी भी स्तर पर कठिनाई न हो।
कृषि यंत्रों पर मिलने वाली अनुदान राशि के नियम समय-समय पर बदलते रहे हैं। उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि "वित्तीय वर्ष 2015-16 तक कृषि यांत्रिकरण योजना के तहत विक्रेताओं को सीधे अनुदान का भुगतान किया जाता था।
इसके बाद वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2019-20 तक किसानों के बैंक खाते में सीधे अनुदान राशि भेजी जाने लगी। फिर वित्तीय वर्ष 2020-21 से किसानों को अनुदान राशि काटकर केवल कृषक अंश का भुगतान कर यंत्र क्रय करने की व्यवस्था लागू की गई, जिसमें सत्यापन के बाद शेष अनुदान राशि का भुगतान निर्माता को किया जाता है। इन सभी प्रक्रियाओं का उद्देश्य किसानों को पारदर्शी और सरल सुविधा प्रदान करना रहा है।"
बिहार सरकार किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए उनको भारी छूट पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराने का कार्य कर रही है। इससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा।
भारत में कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाता है। लाखों किसान अपनी आजीविका के लिए कृषि सहित पशुपालन पर भी निर्भर रहते हैं।
लेकिन अक्सर यह देखने को मिलता है, कि आर्थिक रूप से कमजोर कृषकों को पशुओं के लिए शेड बनाने में समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा, जिससे पशुओं की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
केंद्र सरकार ने मनरेगा योजना के तहत "पशु शेड योजना" जारी की है। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य जरूरतमंद पशुपालकों को पशुओं के लिए सुरक्षित और टिकाऊ शेड निर्माण में आर्थिक सहायता देना है।
इससे वे बेहतर ढ़ंग से पशुपालन कर सकें और अपनी आय को बढ़ा सकें। यह योजना ग्रामीण इलाकों में पशुपालन को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी मुहैय्या कराती है।
मनरेगा पशु शेड योजना के तहत किसानों को पशुओं के लिए शेड निर्माण पर 1.60 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता मिलती है। यह योजना पशुपालकों को आत्मनिर्भर बनाने और उनके पशुओं को बेहतर देखभाल व संरक्षित माहौल देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
सरकार की यह योजना विशेषकर उन किसानों के लिए है, जो अपनी जमीन पर पालतू पशुओं के लिए सुरक्षित और बेहतर शेड बनाना चाहते हैं।
योजना के तहत किसानों को शेड निर्माण में आने वाले खर्च का एक बड़ा हिस्सा सरकार द्वारा वहन किया जाएगा, जिससे उन्हें आर्थिक बोझ से राहत मिल सकेगी।
मनरेगा पशु शेड योजना के अंतर्गत कृषकों को 80,000 रुपये से लेकर 1 लाख 60 हजार रुपये तक की आर्थिक मदद प्रदान की जा रही है।
यह सहायता धनराशि पशु शेड निर्मित करना, हवादार छत, मजबूत फर्श, यूरिनल टैंक जैसे आवश्यक निर्माण कार्यों के लिए उपयोग में लाई जा सकती है।
मनरेगा पशु शेड योजना का प्रमुख उद्देश्य कृषकों को आत्मनिर्भर बनाना और उनके पशुपालन कार्य को सुव्यवस्थित करना है। शानदार शेड और सुविधाएं मिलने से पशुओं को गर्मी, बारिश और ठंड से सुरक्षा मिलेगी, जिससे उनकी उत्पादकता में काफी सुधार आएगा और किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी।
योजना का लाभ उठाने के लिए किसान के पास कम से कम 3 पालतू पशु होने चाहिए. अगर किसान के पास 3 से 6 पशु हैं तो उन्हें अधिकतम ₹1,60,000 तक की सहायता दी जाएगी. वहीं अगर किसी किसान के पास 4 पशु हैं, तो उन्हें ₹1,16,000 की आर्थिक मदद मिलेगी.
सरकार द्वारा तय की गई यह राशि शेड निर्माण, फर्श बिछाने और यूरिनल टैंक जैसे अन्य सहायक ढांचों के लिए इस्तेमाल की जा सकती है. इससे न केवल पशुओं की देखभाल में सुधार होगा, बल्कि उनका स्वास्थ्य और उत्पादकता भी बेहतर होगी.
सर्वप्रथम अपने समीपवर्ती बैंक या पंचायत कार्यालय से आवेदन फॉर्म हांसिल करें। फॉर्म में सभी जरूरी जानकारी सही-सही भरें। भरे हुए फॉर्म को संबंधित कार्यालय में जमा कर दें। इसके पश्चात आवेदन की जांच की जाएगी और पात्र पाए जाने पर आर्थिक मदद प्रदान की जाएगी।
योजना का लाभ लेने के लिए भूमि प्रमाण पत्र, पहचान पत्र, पशुओं की संख्या का प्रमाण आदि दस्तावेज जरूरी हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बिहार दौरे पर मधुबनी में पंचायती राज पर आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मखाना किसानों का मनोबल बढ़ाते हुए मखाना बोर्ड पर कहा कि मखाना, आज देश और दुनिया के लिए सुपरफूड है, लेकिन मिथिला की तो ये संस्कृति का हिस्सा है। इसी संस्कृति को ही हम यहां की समृद्धि का भी सूत्र बना रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, हमने मखाने को GI टैग दिया है यानी मखाना इसी धरती का उत्पाद है, इस पर अब आधिकारिक मुहर लग गई है।
मखाना रिसर्च सेंटर को भी नेशनल स्टेटस दिया गया है। बजट में जिस मखाना बोर्ड का ऐलान किया गया है, वो बनने से मखाना किसानों का भाग्य बदलेगा।
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि कुछ माह पूर्व भारत सरकार ने मखाना बोर्ड बनाने का निर्णय किया था। इससे बिहार, विशेषकर मिथिलांचल के हजारों मखाना किसानों को फायदा होगा। मखाना बोर्ड बनने से इस पर रिसर्च बढ़ने के साथ ही इसके व्यापार और कारोबार को भी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, देश में महिलाओं की आमदनी बढ़ाने के लिए, रोजगार-स्वरोजगार के नए अवसर बनाने के लिए सरकार मिशन मोड में कार्य कर रही है।
बिहार में चल रहे 'जीविका दीदी' कार्यक्रम से अनेक बहनों का जीवन बदला है। आज ही यहां बिहार की बहनों के स्वयं सहायता समूहों को करीब 1,000 करोड़ रुपये की मदद दी गई है। इससे बहनों के आर्थिक सशक्तिकरण को और बल मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, आज ही बिहार के करीब 1.5 लाख परिवार अपने नए पक्के घर में गृह प्रवेश कर रहे हैं। भारत भर के 15 लाख गरीब परिवारों को नए घरों के निर्माण के स्वीकृति पत्र भी दिए गए हैं। इनमें भी 3.5 लाख लाभार्थी हमारे बिहार के ही हैं।
आज ही लगभग 10 लाख गरीब परिवारों को उनके पक्के घर के लिए आर्थिक सहयोग भेजा गया है। इसमें बिहार के 80 हजार ग्रामीण परिवार और 1 लाख शहरी परिवार शामिल हैं।
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पीएम मोदी ने बिहार किसानों को मखाना बोर्ड निर्माण समेत कई सारी सौगातें दे ड़ाली हैं। पीएम मोदी का यह कदम बिहार किसानों के लिए काफी लाभकारी साबित होगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित वैज्ञानिक और वर्तमान में उप महानिदेशक (अनुसंधान) और निदेशक वैश्विक अनुसंधान कार्यक्रम, आईसीआरआईएसएटी, डॉ. मांगी लाल जाट को केंद्र सरकार के कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है।
प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों के एक पैनल के नेतृत्व में एक कठोर चयन प्रक्रिया के बाद कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) द्वारा प्रतिष्ठित नियुक्ति को मंजूरी दी गई।
चयन समिति की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव ने की और इसमें आईसीएआर के दो पूर्व महानिदेशक, भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर के निदेशक और वैज्ञानिक समुदाय के अन्य प्रमुख विशेषज्ञ शामिल थे।
डॉ. एम एल जाट कृषि प्रणाली विज्ञान में 25 वर्षों से अधिक का अनुभव लेकर आए हैं। इस नियुक्ति से पहले, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) में उप महानिदेशक (अनुसंधान) और वैश्विक अनुसंधान कार्यक्रम के निदेशक के रूप में कार्य किया, जहाँ उन्होंने लचीले खेत और खाद्य प्रणाली (RF & FS) कार्यक्रम का नेतृत्व किया।
उनका नेतृत्व पाँच शोध समूहों में फैला हुआ था- जलवायु अनुकूलन और शमन विज्ञान, भू-स्थानिक और बड़ा डेटा विज्ञान, डिजिटल कृषि, परिदृश्य, मृदा स्वास्थ्य और जल विज्ञान, और ICRISAT विकास केंद्र।
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विश्व स्तर पर सम्मानित सिस्टम एग्रोनॉमिस्ट, डॉ. एम एल जाट ने प्रमुख अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थानों में वरिष्ठ शोध और नेतृत्व की भूमिकाएँ निभाई हैं, जिसमें CGIAR में 13 साल - अंतर्राष्ट्रीय मक्का और गेहूं सुधार केंद्र (CIMMYT) में 12 साल और अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) में एक साल शामिल हैं।
उनके करियर की शुरुआत ICAR में 12 साल के कार्यकाल से हुई, जहाँ उन्होंने टिकाऊ खेती प्रणालियों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
दुनियाभर में मशहूर वैज्ञानिक डॉ. मांगी लाल जाट को डेयर का सचिव और आईसीएआर का महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है। डॉ. मांगी लाल जाट को 25 वर्षों से अधिक का कृषि संबंधी अनुभव है।
किसानों के सामने आजकल सबसे बड़ी समस्या निराश्रित पशुओं से अपनी फसल की सुरक्षा करना है। राजस्थान सरकार की तरफ से कृषकों के लिए 2025-26 की तारबंदी योजना में परिवर्तन किए गए हैं।
अब 1.5 हैक्टेयर जमीन होना आवश्यक नहीं है, किसान 0.5 हैक्टेयर जमीन पर भी अनुदान हांसिल कर सकते हैं। राजस्थान सरकार द्वारा 70% प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा।
कृषकों को फसलीय सुरक्षा देने और निराश्रित पशुओं से बचाव के लिए राजस्थान सरकार ने एक बार पुनः राहत देने की घोषणा की है।
प्रदेश के कृषि विभाग ने वर्ष 2025-26 के लिए कांटेदार/चैनलिंक तारबंदी योजना को लेकर नई गाइडलाइन जारी कर दी है। राजस्थान सरकार की इस योजना के अंतर्गत किसान कम जमीन पर भी सब्सिड़ी का फायदा उठा सकेंगे।
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वर्तमान में इस योजना के अंतर्गत भाग लेने के लिए एक ही स्थान पर न्यूनतम 1.5 हैक्टेयर भूमि होना जरूरी था। लेकिन, अब विभाग ने इस शर्त को शिथिल कर दिया है।
नई व्यवस्था के अनुसार व्यक्तिगत या समूह में तारबंदी करवाने वाले किसानों को अब केवल 0.5 हैक्टेयर यानी दो बीघा पक्की जमीन होने पर भी योजना का लाभ मिलेगा।
खबरों के मुताबिक, इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी फसलों की सुरक्षा के लिए प्रेरित करना और सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा देना है।
यदि 10 किसान मिलकर कम से कम 5 हैक्टेयर (20 बीघा) भूमि पर तारबंदी कराते हैं, तो प्रत्येक किसान को अधिकतम 400 रनिंग मीटर लंबाई की सीमा तक 56,000 रुपए की सब्सिड़ी धनराशि दी जाएगी। यह धनराशि कुल लागत का 70% प्रतिशत होगी।
खबरों के अनुसार, योजना का लाभ केवल समूह में नहीं बल्कि व्यक्तिगत रूप से भी लिया जा सकता है। यदि कोई लघु या सीमांत किसान 0.5 हैक्टेयर भूमि पर तारबंदी करवाता है, तो उसे 400 रनिंग मीटर लंबाई तक 48,000 रुपए की अनुदान राशि मिलेगी। साथ ही, सामान्य श्रेणी के किसानों को इसी स्थिति में 40,000 रुपए तक की सब्सिड़ी मिलेगी।
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राजस्थान सरकार ने इस योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया को अपनाया है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और किसानों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
इच्छुक अथवा पात्र किसान अपने नवीनतम संयुक्त नक्शा ट्रेस, जमाबंदी, जनआधार कार्ड और लघु-सीमांत प्रमाण पत्र के साथ समीपवर्ती ई-मित्र केंद्र या राज किसान साथी पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
जानकारी के लिए बतादें, कि सभी आवेदन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर स्वीकार किए जाएंगे। अतः जो जितना जल्दी आवेदन करेगा, वह उतना जल्दी लाभ का पात्र रहेगा।
तारबंदी का काम पूरा होने के बाद संबंधित कृषि पर्यवेक्षक भौतिक सत्यापन करेगा और यह विवरण पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।
सत्यापन की प्रक्रिया पूर्ण होते ही अनुदान की धनराशि सीधे किसानों के बैंक खातों में हस्तांतरित कर दी जाएगी।
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किसानों को तारबंदी में खर्च की गई धनराशि के सभी बिल जमा कराने पड़ेंगे। इसकी वजह से राजस्थान सरकार को यह सुनिश्चित करने में सहयोग मिलेगा कि अनुदान सही ढ़ंग से इस्तेमाल में लाया जा रहा है या नहीं।
राजस्थान सरकार की तरफ से किसानों को अपनी फसल की सुरक्षा के लिए मुहैय्या कराई जा रही सब्सिड़ी से किसानों में ख़ुशी की लहर है। अगर आप राजस्थान के निवासी हैं तो आप इस योजना का लाभ लेने के लिए जल्द से जल्द आवेदन कर सकते हैं।
किसान साथियों, जैसा कि हम सब जानते हैं कि किसान अपनी रबी सीजन की फसलों की कटाई करने में जुटे हुए हैं। बहुत सारे किसान अपनी गेंहू की फसल को बेचने के लिए मंडियों में पहुँच रहे हैं।
इन सभी बातों को ध्यान में रखकर आज 2 अप्रैल से पंजाब, हरियाणा और बिहार में भी गेहूं की सरकारी खरीद शुरू होने जा रही है। इन सभी राज्यों ने इसके लिए अपनी पूरी तैयारियां कर रखी हैं।
पंजाब के खाद्य वितरण और आपूर्ति मंत्री लालचंद कटारूचक ने सोमवार को जानकारी दी कि मंडियों में समस्त आवश्यक सुविधाओं का इंतजाम किया गया है।
केंद्र सरकार द्वारा चालू मार्केटिंग सीजन के लिए गेहूं का एमएसपी 2425 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।
पिछले माह से ही प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में सरकारी खरीद प्रारंभ हो चुकी है। इनमें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्य शामिल हैं।
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि 1 अप्रैल से पंजाब, हरियाणा और बिहार जैसे राज्यों में भी गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हो गई है। राज्य सरकारों की तरफ से इसके लिए बेहतरीन तैयारियां की गई हैं।
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बीते माह प्रारंभ हुई गेहूं की खरीद में मध्य प्रदेश और राजस्थान के किसानों को एमएसपी के अतिरिक्त बोनस का भी फायदा मिल रहा है। एमपी में किसानों को 175 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस मिल रहा है।
ऐसे में उन्हें प्रति क्विंटल 2600 रुपये का भाव मिल रहा है। राजस्थान में किसानों को 150 रुपये अतिरिक्त बोनस के रूप में मिल रहे हैं। गेंहू का मंडियों में कुल 2575 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिल रहा है।
उपरोक्त में बताए गए राज्यों ने 1 अप्रैल से गेंहू की खरीद शुरू करदी है। गेंहू खरीद से किसानों को लाभ कमाने में काफी राहत मिलेगी। भारत सरकार हमेशा से किसानों के हित में अहम कदम उठाती आई है।
भारत की केंद्र और राज्य सरकारें अपने अपने स्तर से किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को लेकर निरंतर कार्य कर रही हैं।
केंद्र सरकार हमेशा से किसानों की उन्नति और आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का हर संभव प्रयास कर रही है।
अब इसी कड़ी में खेती-किसानी के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में वित्त विधेयक पर चर्चा करते हुए कहा कि "वस्तु एवं सेवा कर (GST) को तर्कसंगत बनाने के लिए गठित मंत्रियों के समूह (GoM) द्वारा ड्रिप सिंचाई प्रणाली, उर्वरक और कीटनाशकों जैसे प्रमुख कृषि इनपुट पर जीएसटी कम करने के प्रस्ताव की समीक्षा की जा रही है।
सिर्फ इतना ही नहीं खाद्य क्षेत्र से जुड़े उत्पादों पर जीएसटी दरों का आकलन भी किया जा रहा है।"
देश के कई प्रमुख किसान संगठनों द्वारा कृषि उपकरणों और इनपुट पर जीएसटी पूरी तरह से समाप्त करने की मांग की है। इन समूहों में भारतीय किसान संघ (BKS) और अन्य किसान संगठनों भी शामिल हैं।
किसानों का कहना है, कि कृषि उपकरणों और इनपुट पर जीएसटी पूरी तरह से हटाने के परिणामस्वरूप यह किसानों के बड़े वित्तीय बोझ को कम करेगा, जिससे खेती की लागत में काफी गिरावट देखने को मिलेगी।
खेती की लागत कम करने के लिए इसको पूरी तरह से माफ किया जाना चाहिए। फलस्वरूप किसानों को इससे अधिक मुनाफा हांसिल हो सकेगा।
वित्त विधेयक, 2025 पर पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि "ट्रैक्टर, ड्रिप सिंचाई प्रणाली, उर्वरक और कीटनाशकों सहित कृषि इनपुट पर जीएसटी को शून्य करने के प्रस्ताव पर 17 सितंबर, 2021 को 45वीं जीएसटी परिषद की बैठक में चर्चा की गई थी, लेकिन उस समय इस पर सहमति नहीं बन पाई।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आगे कहा कि "अब मंत्रियों का समूह इस पर विचार कर रहा है, इसलिए इन मदों पर जीओएम द्वारा विचार किया जाएगा और वे इस पर निर्णय लेंगे।" बाद में लोकसभा ने वित्त विधेयक, 2025 पारित कर दिया।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आदेशानुसार कृषि उपकरणों और इनपुट पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कम करने के प्रस्ताव की मंत्रियों के एक समूह (जीओएम) द्वारा समीक्षा की जा रही है। किसान साथियों को इसकी वजह से कम लागत में अधिक लाभ हांसिल हो सकेगा।
उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक और राहत भरी खबर सामने आई है। योगी सरकार ने कृषकों की आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए जायद सीजन की 9 नई फसलों को फसल बीमा योजना और किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के दायरे में लाने का फैसला लिया है।
वर्तमान में उत्तर प्रदेश के किसान मूंगफली, मक्का, मूंग, उड़द, पपीता, लीची, तरबूज, खरबूज और आंवला जैसी फसलों के लिए भी बीमा योजना का लाभ प्राप्त कर सकेंगे। किसानों को इस पहल से मौसम और प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली क्षति से सहूलियत मिलेगी।
उत्तर प्रदेश सरकार के इस अहम फैसले का एक और बड़ा फायदा यह है, कि अगर किसान की फसल बारिश, सूखा, बाढ़ या ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित होती है, तो उन्हें बीमा योजना के अंतर्गत मुआवजा उपलब्ध कराया जाएगा।
उत्तर प्रदेश सरकार के इस कदम से किसानों को होने वाली आर्थिक हानि की भरपाई की जा सकेगी और वे सुरक्षित भविष्य की तरफ बढ़ सकेंगे।
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प्रदेश सरकार ने मखाना की खेती को भी बढ़ावा देने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मखाना को स्केल ऑफ फाइनेंस में शामिल कर इसे भी आसान ऋण योजना का हिस्सा बना दिया गया है।
अब किसान खरीफ और रबी की फसलों के साथ मखाना की खेती के लिए भी किफायती लोन प्राप्त कर सकेंगे। इस निर्णय से मखाना उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आमदनी में इजाफा होगा।
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के अंतर्गत इन फसलों को जोड़ने से किसानों को सस्ती ब्याज दर पर कर्ज मिलने का फायदा मिलेगा। विशेष रूप से समय पर ऋण चुकाने वाले कृषकों को 3% प्रतिशत तक अतिरिक्त ब्याज छूट प्रदान की जाएगी।
इसके अलावा, केंद्र सरकार ने KCC की क्रेडिट सीमा को बढ़ाकर ₹5 लाख कर दिया है, जिससे किसानों को खेती के लिए आर्थिक मजबूती मिलेगी और उनकी वित्तीय समस्याएं भी कम होंगी।
पशुपालन से जुड़े किसानों के लिए भी सरकार ने राहत देने वाले कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ-संवर्धन योजना के तहत गिर, साहीवाल, हरियाणा और थारपारकर नस्ल की गायों की यूनिट लगाने पर 40% प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाएगा।
योगी सरकार ने किसानों के हित में उपरोक्त काफी बेहतरीन कदम उठाऐ हैं। उत्तर प्रदेश के किसानों को इन कदमों से काफी हद तक आर्थिक मजबूती मिलेगी।
बिहार सरकार की तरफ से शहरी क्षेत्रों में छत पर बागवानी को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से फार्मिंग बेड और गमले की योजनाएं लागू की हैं, ताकि लोग ताजे फल, फूल और सब्जियों का उत्पादन कर सकें।
फार्मिंग बेड योजना में 75% प्रतिशत अनुदान मिलेगा और बची हुई धनराशि लाभार्थियों को स्वयं चुकानी पड़ेगी।
यह योजना का लाभ पटना, भागलपुर, गया और मुजफ्फरपुर के शहरी इलाकों को मुहैय्या कराया जा रहा है। इसके दो प्रमुख घटक हैं - फार्मिंग बेड योजना और गमले की योजना।
फार्मिंग बेड योजना के तहत 300 वर्ग फीट क्षेत्र में बागवानी के लिए ₹48,574 की लागत पर 75% यानी ₹36,430.50 का अनुदान मिलेगा। वहीं, गमले की योजना में प्रति इकाई ₹8,975 की लागत पर ₹6,731.25 का अनुदान दिया जाएगा।
जानकारी के लिए बतादें, कि इस योजना के अंतर्गत 78.6% सामान्य वर्ग, 20% अनुसूचित जाति, और 1.4% अनुसूचित जनजाति को शामिल किया जाएगा।
साथ ही, 30% प्रतिशत प्राथमिकता महिलाओं को दी जाएगी। ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं फार्मिंग बेड योजना और गमले की योजना क्या है ? इस योजना का कैसे मिलेगा लाभ?
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फार्मिंग बेड योजना के अंतर्गत छत पर खेती करने के लिए 300 वर्ग फीट जगह की जरूरत होती है। इस योजना की कुल लागत प्रति इकाई 48,574 रुपये है, जिसमें से सरकार 75% यानी 36,430.50 रुपये अनुदान के रूप में देती है। लाभार्थी को मात्र 12,143.50 रुपये का भुगतान करना होगा।
फार्मिंग बेड योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को उन्नत खेती के लिए आवश्यक सामग्री जैसे पोर्टेबल फार्मिंग सिस्टम, ऑर्गेनिक गार्डनिंग किट, फलदार पौधे, स्प्रेयर, ड्रिप सिस्टम और ऑन-साइट सपोर्ट जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
अपने मकान के मालिक इस योजना के अंतर्गत अधिकांश दो इकाइयों का फायदा प्राप्त कर सकते हैं। अपार्टमेंट के निवासियों को यह योजना सोसाइटी की अनुमति के बाद ही उपलब्ध होगी। वहीं, शैक्षणिक और अन्य संस्थानों को अधिकतम पांच इकाइयों तक का फायदा दिया जाएगा।
योजना के तहत लाभार्थियों को खेती से संबंधित सभी आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे, जिनमें शामिल हैं:
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अगर किसी के पास 300 वर्ग फीट की जगह नहीं है, तो वह गमले की योजना का लाभ उठा सकता है। गमले की योजना की कुल लागत प्रति इकाई 8,975 रुपये है, जिसमें 75% यानी 6,731.25 रुपये का अनुदान सरकार द्वारा दिया जाएगा। लाभार्थी को मात्र 2,243.75 रुपये का भुगतान करना पड़ेगा।
इस योजना के तहत लोगों को फलों, औषधीय पौधों, सजावटी पौधों और स्थायी फूलों के पौधों को लगाने का अवसर मिलेगा। एक लाभार्थी अधिकतम पांच यूनिट तक इस योजना का लाभ उठा सकता है। संस्थानों को इस योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा।
गमले की योजना के तहत लाभार्थियों को विभिन्न प्रकार के पौधे उगाने का अवसर मिलेगा। इनमें निम्नलिखित पौधे शामिल हैं:
अमरूद, आम, नींबू, चीकू, केला, सेब बेर (अधिकतम 5 पौधे)
पुदीना, तुलसी, एलोवेरा, अश्वगंधा, स्टीविया, करी पत्ता, लेमन ग्रास, वसक (अधिकतम 5 पौधे)
गुलाब, टैगोर, चमेली, हिबिस्कस, आलमोंडा, बोगनवेलिया (अधिकतम 10 पौधे)
अरेका पाम, मनी प्लांट, स्नेक प्लांट, क्रोटन, सिंगोनियम, क्रिसमस प्लांट (अधिकतम 10 पौधे)
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छत पर बागवानी योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक व्यक्ति बिहार सरकार के उद्यान निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर लिंक पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
आवेदन करने के बाद लाभार्थी को योजना के तहत अपनी अंश राशि यानी अपने भाग का पैसा जमा करना पड़ेगा। जैसे ही लाभार्थी की राशि संबंधित बैंक खाते में जमा होगी, आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
बिहार सरकार की इस सराहनीय पहल के मद्देनजर जारी की गई शहरी क्षेत्रों में बागवानी की वजह से गर्मियों में पर्यावरण का अधिक तापमान होने से बचेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल से मोटे अनाज को 'श्री अन्न' के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे किसानों को सीधा लाभ मिल रहा है।
बाजरे के समर्थन मूल्य में वृद्धि होने से किसानों की आय बढ़ी है और वे अधिक उत्साह के साथ इसकी खेती कर रहे हैं। सरकार की नीतियों और योजनाओं से बाजरा उत्पादन में वृद्धि होने की पूरी संभावना है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति और भी मजबूत होगी।
वहीं, राजस्थान विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मोटे अनाज को 'श्री अन्न' घोषित करने के बाद बाजरे के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी हुई है। इसका सीधा लाभ प्रदेश के किसानों को मिल रहा है।
मंत्री सुमित गोदारा ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा श्री अन्न (मोटे अनाज) को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं।
इसके तहत किसानों को जागरूक किया जा रहा है और उन्हें अधिक उपज के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि सरकार ने बाजरे के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि की है, जिससे किसानों को उचित दाम मिल रहे हैं।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने प्रश्नकाल के दौरान बताया कि बाजरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में पिछले दस वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
वर्ष 2014 में बाजरे का समर्थन मूल्य ₹1250 प्रति क्विंटल था, जो 2024 में बढ़कर ₹2625 प्रति क्विंटल हो गया है। वर्ष 2024-25 में विभिन्न राज्यों में बाजरे की खरीद इस प्रकार हुई है।
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मंत्री ने विधायक पब्बाराम विश्नोई के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बाजरे के उत्पादन के आंकड़े भी साझा किए।
हालांकि, उन्होंने साफ किया कि वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बाजरा खरीद के लिए कोई लक्ष्य तय नहीं किया गया था। और ना ही इस अवधि में MSP पर खरीद हुई।
सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि किसानों को उनकी पैदावार का सही मूल्य दिलाने के लिए बाजार आधारित तंत्र पर काफी जोर दिया जा रहा है।
बाजरे के समर्थन मूल्य में वृद्धि होने से किसानों की आय में भी बढ़ोतरी हुई है। राजस्थान के किसान बाजरे की खेती की तरफ काफी ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं। बाजरे की फसल से किसानों को निम्नलिखित लाभ होंगे।
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राजस्थान में बाजरा एक प्रमुख फसल है और इसे कम पानी वाले क्षेत्रों में भी आसानी से उगाया जा सकता है। राज्य सरकार किसानों को आधुनिक कृषि तकनीक और उन्नत बीजों की सुविधा प्रदान कर रही है, जिससे बाजरे के उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है।
राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलकर किसानों को श्री अन्न की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। इसके तहत विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें उन्नत बीज, सिंचाई की सुविधाएं और मार्केटिंग सपोर्ट शामिल हैं। इसके अतिरिक्त सरकार बाजरे के भंडारण और विपणन के लिए भी नई रणनीतियां तैयार कर रही हैं।
मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान सरकार ने समर्थन मूल्य में वृद्धि करके काफी अहम कदम उठाया है।
भारत की केंद्र और राज्य सरकारें किसानों की आमदनी को दोगुना करने के उद्देश्य से लगातार कोई न कोई कल्याणकारी योजना जारी करती रही हैं।
अब इसी कड़ी में कृषकों को सिंचाई सुविधा मुहैय्या कराने के मकसद से केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से विभिन्न प्रकार की योजनाएं जारी की जा रही हैं। बतादें कि बिहार सरकार द्वारा किसानों को खेत में नलकूप लगवाने की सुविधा प्रदान की जा रही है।
मुख्य बात यह है, कि नलकूप लगाने के लिए कृषकों को 50 से 80% प्रतिशत तक अनुदान का लाभ प्रदान किया जा रहा है।
इसकी वजह से किसान आधी या उससे भी कम कीमत पर नलकूप लगवाकर सिंचाई की सुविधा हांसिल कर सकते हैं। बिहार के इच्छुक किसान राज्य सरकार की नलकूप योजना के अंतर्गत आवेदन करके योजना का फायदा हांसिल कर सकते हैं।
किसानों को खेती के लिए सिंचाई की सुविधा मिल सके, इसके लिए राज्य सरकार की तरफ से नलकूप योजना 2025 के अंतर्गत आवेदन की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस योजना के तहत किसानों को सब्सिडी पर नलकूप लगाने की सुविधा दी जाती है।
नलकूप योजना के अंतर्गत श्रेणी वर्ग के मुताबिक किसानों को अलग–अलग अनुदान दिए जाने का प्रावधान है। योजना के अंतर्गत राज्य सरकार की तरफ से किसानों को अधिकतम 91,200 रुपए की सब्सिड़ी दी जाती है। ऐसी स्थिति में किसान सरकारी सब्सिडी का फायदा उठाकर कम खर्च में नलकूप लगवा सकते हैं।
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किसानों को श्रेणी वर्ग के आधार पर अलग-अलग अनुदान दिया जाता है। आइए जानते हैं, बिहार की नलकूप योजना के बारे में।
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि नलकूप योजना के तहत दक्षिण बिहार के किसानों को अधिक अनुदान राशि दी जाएगी, ऐसा इसलिए कि वहां नलकूप की गहराई अधिकतम 70 मीटर तक हो सकती है।
ऐसे में दक्षिण बिहार के किसानों को नलकूप कराने में खर्चा अधिक आएगा। इसलिए अनुदान भी अधिक दिया जा रहा है।
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बिहार सरकार की नलकूप योजना का फायदा मधुबनी, पूर्णिमा, सुपौल, दरभंगा, अररिया, कटियार, खगड़िया, सहरसा व किशनगंज जनपद के किसानों को दिया जाएगा। नलकूप योजना का फायदा रैयत और गैर रैयत दोनों ही तरह के किसान उठा सकते हैं।
यहां रैयत किसान से तात्पर्य उन किसानों से है, जो स्वयं की भूमि पर खेती कर रहे हैं और गैर रैयत किसान वह है जो दूसरे की जमीन पर खेती करते हैं। इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान के पास कम से कम 0.5 एकड़ की जमीन होना जरूरी है।
किसान नलकूप योजना 2025 के तहत लाभ हांसिल करने के लिए राज्य के किसानों को बिहार सरकार की आधिकारिक वेबसाइट https://horticulture.bihar.gov.in/ पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना पड़ेगा।
आवेदन के बाद जिले के इंजीनियर विशेषज्ञ, कृषि इंजीनियर, कृषि समन्वयक, कंपनी के प्रमाणित इंजीनियर सहित जिला बागवानी विकास समिति के अध्यक्ष आवेदन की जांच करेंगे और इसके बाद इसे जिला सहायक निदेशक उद्यान द्वारा संधारित किया जाएगा।
किसान साथियों, बिहार सरकार की इस नलकूप योजना से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप अपने निकटतम कृषि विभाग या उद्यान विभाग से भी संपर्क कर सकते हैं।
बिहार सरकार की इस नलकूप योजना के तहत दी जा रही अच्छी खासी अनुदान राशि से किसानों को सिंचाई की समस्या से छुटकारा मिलेगा। इसके साथ साथ किसान अपने खेत में खड़ी फसल से काफी अच्छी उपज हांसिल कर सकते हैं।
हरियाणा सरकार ने भी अब अपना बजट 2025–26 पेश कर दिया है। हरियाणा बजट 2025–26 में किसानों पर खास ध्यान दिया गया है।
इस बजट को हरियाणा के इतिहास का सबसे बड़ा बजट कहा जा रहा है। क्योंकि, हरियाणा सरकार ने इस बार 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट पेश किया है।
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने 2 लाख 5 हजार 17 करोड़ रुपए का बजट पेश किया है, जो 2024–25 के संशोधित अनुमान से 13.70% प्रतिशत ज्यादा है।
बजट की प्रमुख घोषणाओं में महिला किसानों को एक लाख रुपए का ऋण बिना ब्याज के प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा भी बजट में कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई हैं।
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लवणीय अथवा नमकीन जमीन को पुर्नजीवित किए जाने के चालू साल के 62,000 एकड़ के लक्ष्य को 1 लाख एकड़ करने का प्रस्ताव है।
मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत धान की खेती करने वाले किसानों की अनुदान राशि को 7,000 रुपए प्रति एकड़ से बढ़ाकर 8,000 रुपए प्रति एकड़ किया गया है।
गुरुग्राम में फूल मंडी के निर्माण का प्रस्ताव दिया गया है। गोहाना में एशिया की सबसे बड़ी मंडी बनाकर तैयार की जाएगी।
हरियाणा सरकार ने लाडो लक्ष्मी योजना के लिए 5000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। हरियाणा में यह योजना जल्द शुरू की जाएगी।
इस संबंध में सीएम सैनी ने कहा कि हमने महिलाओं को हर महीने 2100 रुपए की आर्थिक सहायता देने का वादा किया था। इसे हम लाडो लक्ष्मी योजना से पूरा करेंगे। योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
हरियाणा सरकार की तरफ से जारी किए गए बजट में किसानों को लेकर कई कल्याणकारी ऐलान किए गए हैं। हरियाणा सरकार के इन सराहनीय कदमों से निश्चित रूप से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा।
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