भारत सरकार ने 22 सितंबर 2025 से ट्रैक्टर व कृषि उपकरणों पर GST दर को 12% प्रतिशत से घटाकर 5% प्रतिशत करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है।
इससे किसानों को नए ट्रैक्टर खरीदने के लिए बड़ी राहत मिली है। इसके साथ ही ट्रैक्टर कंपनियों और कृषि उपकरण बनाने वाले मैन्युफैक्चरर्स को भी फायदा मिलेगा।
GST कम होने के बाद ट्रैक्टरों की कीमतों में सीधा 7% प्रतिशत तक की गिरावट आ रही है। उदाहरण के तौर पर Swaraj 744 XT (50 HP) ट्रैक्टर की कीमत पहले 7.39 से 7.95 लाख के बीच थी, जो अब लगभग 7.00 से 7.55 लाख तक आ सकती है। इसी तरह महिंद्रा व अन्य ट्रैक्टरों में भी 50,000 से 1,00,000 रुपये तक की कमी देखने को मिल रही है।
महिंद्रा युवराज 215 NXT | 15 | 3.29 लाख - 3.09 लाख | बचत 20000 |
सोनालिका DI 745 | 50 | 7 लाख - 6.56 लाख | बचत 44000 |
स्वराज 744 XT | 45 | 7 लाख - 6.56 लाख | बचत 44000 |
जॉन डियर 5310 | 55 | 9.5 लाख - 8.9 लाख | बचत 60000 |
फार्मट्रैक 60 पावरमैक्स | 55 | 8.1 लाख - 7.59 लाख | बचत 51000 |
महिंद्रा युवो 575 DI | 47 | 7.6 लाख - 7.13 लाख | बचत 47000 |
न्यू हॉलैंड 3630 TX | 50 | 9.4 लाख - 8.81 लाख | बचत 59000 |
नए GST परिवर्तन के बाद छोटे और सीमांत किसानों के लिए ट्रैक्टर खरीदना पहले के मुकाबले में काफी आसान हो जाएगा। ट्रैक्टर और इसके कल-पुर्जों पर लंबे समय से हाई टैक्स के कारण किसानों की लागत बढ़ जाती थी।
अब एक ही फैसले से न केवल ट्रैक्टर बल्कि टायर, हाइड्रॉलिक पंप और स्पेयर पार्ट्स तक सस्ते हो गये हैं इसका असर उन्हीं किसानों पर सबसे ज्यादा पड़ेगा, जिनके पास सीमित भूमि है और जो खेती के लिए आधुनिक मशीनरी अपनाना चाहते हैं।
जीएसटी की नवीन दरों के बाद ट्रैक्टर निर्माता कंपनियों की बिक्री बढ़ने की संभावना है। गेहूं, धान, सब्जी और गन्ना जैसी फसलों की बुवाई में ट्रैक्टरों का उपयोग काफी बढ़ेगा।
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है, कि वित्त वर्ष 2026 में भारतीय ट्रैक्टर बाजार में 4-7 प्रतिशत का अतिरिक्त वृद्धि देखी जा सकती है, जिससे रोजगार भी बढ़ेगा और किसानों की आय में सुधार होगा।
प्रश्न : जीएसटी 2.0 में ट्रैक्टर्स पर कितना जीएसटी कम हुआ है ?
उत्तर : भारत सरकार ने 22 सितंबर 2025 से ट्रैक्टर व कृषि उपकरणों पर GST दर को 12% प्रतिशत से घटाकर 5% प्रतिशत करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है।
प्रश्न : जीएसटी कट से किसानों को क्या लाभ हुआ ?
उत्तर : अब किसानों को ट्रैक्टर खरीदने के लिए अधिक कर ना देते हुए कम टैक्स भरना पड़ेगा, जिससे किसानों की क्रय शक्ति बढ़ेगी।
प्रश्न : जीएसटी में हुए बदलाव से ट्रैक्टर बिक्री पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर : जीएसटी में हुए बदलाव से ट्रैक्टर बिक्री पर काफी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा।
मध्यप्रदेश के धार जनपद में किसानों, बुनकरों और टेक्सटाइल उद्योग के लिए ऐतिहासिक अवसर प्रारंभ होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को धार जिले के बदनावर तहसील के भैसोला गांव में देश के पहले पीएम मित्रा पार्क (PM MITRA Park) का शिलान्यास करेंगे।
यह मेगा टेक्सटाइल पार्क ‘फार्म टू फैशन’ मॉडल पर आधारित होगा, जिसमें कच्चे कपास से लेकर रेडीमेड वस्त्रों तक की पूरी रेंज एक ही परिसर में विकसित की जाएगी।
प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस परियोजना को कपास उत्पादक किसानों के लिए एक बड़ा वरदान बताया है।
उन्होंने कहा कि धार, झाबुआ, खरगोन, उज्जैन और बड़वानी जैसे जिलों में पहले से ही कपास का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है, लेकिन किसानों को उचित दाम और स्थायी बाजार की कमी खलती रही है।
पीएम मित्रा पार्क इस कमी को दूर करेगा। यहां पर कपास की प्रोसेसिंग से लेकर गारमेंट निर्माण तक की सभी इकाइयां स्थापित की जाएंगी, जिससे किसानों को अपने उत्पाद के लिए स्थानीय स्तर पर खरीदार मिलेंगे और उन्हें अधिक मूल्य भी प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री के अनुसार, इस टेक्सटाइल पार्क से करीब 3 लाख लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे, जिनमें से 1 लाख लोग प्रत्यक्ष रूप से और 2 लाख अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़ सकेंगे।
यह न केवल युवाओं के लिए रोजगार का बड़ा जरिया बनेगा, बल्कि महिलाएं और छोटे स्टार्टअप्स भी इसमें शामिल होकर अपनी भूमिका निभा सकेंगे।
टेक्सटाइल सेक्टर देश का एक प्रमुख रोजगारदाता क्षेत्र है और इस पार्क के माध्यम से मध्यप्रदेश इस क्षेत्र में एक राष्ट्रीय हब के रूप में उभरने की ओर अग्रसर होगा।
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यह पार्क देश के वस्त्र उद्योग को एक नई दिशा देगा। 'फार्म टू फैशन' की अवधारणा के तहत यहां धागा निर्माण, बुनाई, रंगाई, डिजाइनिंग और गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग सभी प्रक्रियाएं एक ही स्थान पर संचालित की जाएंगी।
इससे न केवल उत्पादन की लागत घटेगी, बल्कि पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और गुणवत्ता भी सुनिश्चित की जा सकेगी। इस पार्क की स्थापना से भारत के टेक्सटाइल सेक्टर की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भागीदारी और भी मजबूत होगी, जिससे निर्यात में वृद्धि और विदेशी मुद्रा अर्जन के नए रास्ते खुलेंगे।
सरकार ने इस मेगा परियोजना के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। संपर्क मार्ग, एप्रोच रोड, बिजली, पानी और सुरक्षा व्यवस्था सहित सभी आवश्यक सुविधाओं को तेजी से तैयार किया गया है।
आयोजन स्थल का लेआउट भी तैयार है। इस परियोजना को लेकर देश-विदेश के निवेशकों की रुचि भी तेजी से बढ़ रही है। टेक्सटाइल और गारमेंट उद्योग से जुड़े कई बड़े समूह यहां निवेश की योजना बना रहे हैं।
इससे प्रदेश में औद्योगिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा और धार जैसे पिछड़े क्षेत्र में संतुलित क्षेत्रीय विकास संभव होगा।
इस परियोजना में स्थानीय युवाओं को स्किल डवलपमेंट के माध्यम से प्रशिक्षित कर रोजगार के लिए तैयार किया जाएगा। इसके अलावा महिलाओं के लिए विशेष रोजगार योजनाएं भी प्रस्तावित हैं।
इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और आजीविका के स्थायी स्रोत तैयार होंगे। पीएम मित्रा पार्क, कपास उत्पादक किसानों के लिए केवल एक उद्योग नहीं, बल्कि समृद्धि का माध्यम बनने जा रहा है।
प्रश्न : पीएम मित्रा पार्क क्या है ?
उत्तर : यह पार्क देश के वस्त्र उद्योग को एक नई दिशा देगा। 'फार्म टू फैशन' की अवधारणा के तहत यहां धागा निर्माण, बुनाई, रंगाई, डिजाइनिंग और गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग सभी प्रक्रियाएं एक ही स्थान पर संचालित की जाएंगी।
प्रश्न : पीएम मित्रा पार्क का शिलान्यास कब और कौन करेगा ?
उत्तर : पीएम मोदी 17 सितंबर को धार जिले के बदनावर तहसील के भैसोला गांव में देश के पहले पीएम मित्रा पार्क का शिलान्यास करेंगे।
प्रश्न : पीएम मित्रा पार्क की वजह से रोजगार के कितने अवसर प्राप्त होंगे ?
उत्तर : पीएम मित्रा पार्क की वजह से रोजगार के लगभग 3 लाख अवसर प्राप्त होंगे।
लाडली बहनों का सितंबर महीने का इंतजार खत्म हो गया है। लाडली बहना योजना की 28वीं किस्त का पैसा कब आएगा, इसकी तारीख की जानकारी सामने आ गई है।
मध्य प्रदेश की लाडली बहनों के लिए सितंबर महीने की खुशखबरी आ गई है। मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना की 28वीं किस्त का पैसा कब आएगा, इसकी तारीख के बारे में जानकारी मिल गई है।
मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव इस बार झाबुआ जिले से लाडली बहना योजना का पैसा 1.26 करोड़ महिलाओं के खाते में ट्रांसफर करेंगे।
पिछले महीने अगस्त में लाडली बहनों को रक्षाबंधन के शगुन के रूप में 250 रुपये अलग से मिले थे और उनके खाते में 1500 रुपये आए थे। लेकिन इस महीने 28वीं किस्त के रूप में पहले की तरह 1250 रुपये मिलेंगे।
महिलाओं के खाते में पैसा भेजने के लिए सरकार को हर महीने करीब 1550 करोड़ रुपये खर्च करने होते हैं।
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आपके खाते में 1250 रुपये आएंगे या नहीं, इसका पता आप आज ही लगा सकती हैं। इसके लिए लाडली बहना योजना के पोर्टल पर जाएं और 'आवेदन एवं भुगतान की स्थिति' पर क्लिक करें। यहां अपने रजिस्ट्रेशन नंबर या समग्र आईडी और ओटीपी से अपना नाम चेक कर सकती हैं।
लाड़ली बहना योजना की लाभार्थी सूची से लगातार अपात्रों के नाम हटाए जा रहे हैं। इसलिए यह जरूरी है, कि सभी महिलाएं अपना नाम सूची में चेक करें। नीचे बताए गए स्टेप्स को फॉलो करके आप आसानी से जांच कर सकती हैं:-
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लाडली बहना योजना के लिए 1500 रुपये कब से मिलने शुरू होंगे ? इस पर मुख्यमंत्री मोहन यादव पहले ही अपडेट दे चुके हैं। महिलाओं का 1500 रुपये का इंतजार जल्द ही खत्म होने वाला है।
सीएम मोहन यादव के मुताबिक भाई दूज से 1500 रुपये हर महीने मिलना शुरू हो जाएंगे। इस बार भाई दूज अगले ही महीने 23 अक्टूबर को है।
इस बात की पूरी संभावना है कि लाडली बहना योजना की 29वीं किस्त के रूप में महिलाओं को 1500 रुपये मिलना शुरू हो जाए। लाडली बहना योजना की 27वीं किस्त पिछले महीने 7 अगस्त को ही मिल गई थी।
रक्षाबंधन के मौके पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 1.26 करोड़ महिलाओं के खाते में 1250 रुपये की किस्त और 250 रुपये रक्षाबंधन का शगुन एक साथ भेज दिया था।
प्रश्न : लाड़ली बहना योजना के तहत कितनी आर्थिक मदद मिलती है ?
उत्तर : मध्य प्रदेश द्वारा लाड़ली बहना योजना के तहत 1250 रुपये की आर्थिक मदद मिलती है ?
प्रश्न : क्या लाड़ली बहना योजना की किस्त सहायता राशि बढ़ने वाली है ?
उत्तर : हाँ, मध्य प्रदेश सरकार ने लाड़ली बहना योजना की किस्त में 23 अक्टूबर से 250 रुपए की बढ़ोतरी की पूरी संभावना है।
प्रश्न : लाड़ली बहना योजना की शुरुआत कब हुई थी ?
उत्तर : मध्य प्रदेश सरकार ने 28 जनवरी, 2023 को सम्पूर्ण मध्य प्रदेश में "मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना" लागू करने की घोषणा की थी।
खेती-बाड़ी को आसान और मुनाफे का साधन बनाने के लिए सरकार समय-समय पर नई योजनाएं और अनुदान की सुविधा देती रहती है। इस बार किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। अब पराली प्रबंधन को लेकर किसानों को महंगे कृषि यंत्र खरीदने में बड़ी राहत दी जा रही है।
दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार किसानों को पराली जलाने से रोकने और खेतों की उर्वरा शक्ति बनाए रखने के लिए आकर्षक अनुदान उपलब्ध करा रही हैं। इनमें सबसे खास सुपर सीडर मशीन है।
यह मशीन किसानों को पराली के प्रबंधन के साथ-साथ गेहूं की बुवाई करने में भी मदद करती है। सरकार ने इस पर 1 लाख 20 हजार रुपये का अनुदान देने की घोषणा की है। साथ ही जीएसटी स्लैब में कटौती होने के बाद अब इन मशीनों की कीमत पहले से भी कम हो गई है।
सुपर सीडर एक आधुनिक कृषि यंत्र है, जो खेतों में पराली को मिट्टी में मिलाकर गेहूं की बुवाई करने में मदद करता है। पहले इस मशीन की कीमत लगभग 2 लाख 70 हजार रुपये थी, लेकिन हाल ही में केंद्र सरकार ने जीएसटी दर को 12% प्रतिशत से घटाकर 5% प्रतिशत कर दिया है।
इस बदलाव से मशीन की कीमत कम होकर अब 2 लाख 53 हजार 125 रुपये रह गई है। इस पर सरकार की तरफ से 1 लाख 20 हजार रुपये का अनुदान मिलने के बाद किसान को यह मशीन केवल 1 लाख 33 हजार रुपये में मिल जाएगी। इससे किसानों को पराली प्रबंधन आसान और सस्ता हो जाएगा।
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पराली जलाने से खेतों की उर्वरा शक्ति कम होती है और उपयोगी मित्र कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। साथ ही, पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
ऐसे में सरकार लगातार किसानों से अपील कर रही है कि वे पराली को न जलाएं और इसकी जगह पराली प्रबंधन यंत्रों का उपयोग करें। सुपर सीडर और अन्य मशीनें न सिर्फ खेत की उर्वरा शक्ति को बचाती हैं, बल्कि समय और श्रम की भी बचत करती हैं।
सिर्फ सुपर सीडर ही नहीं, बल्कि अन्य पराली प्रबंधन यंत्रों पर भी सरकार की ओर से अनुदान दिया जा रहा है। हैप्पी सीडर और स्मार्ट सीडर - 85,000 रुपये अनुदान, मल्चर- 90,000 रुपये अनुदान, जी-टील सीड ड्रिल - 50% अनुदान, बेलर (15 लाख का) - 6 लाख 60 हजार रुपये अनुदान, स्लेसर - 27,500 रुपये अनुदान, रिवर्सिबल प्लग - 50% अनुदान, स्ट्रा रीपर (3 लाख का) - 1 लाख 50 हजार रुपये अनुदान, रीपर कम बाइंडर (5 लाख का) - 2 लाख रुपये अनुदान और हे-रेक (3 से 4 लाख तक की मशीन) - 50% अनुदान है। इन योजनाओं के तहत किसानों को अब महंगे कृषि यंत्र भी सस्ती दरों पर उपलब्ध हो रहे हैं।
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किसानों को इन यंत्रों का लाभ पाने के लिए अब ज्यादा भाग-दौड़ नहीं करनी पड़ेगी। ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल के माध्यम से किसान घर बैठे ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
जिला प्रशासन और कृषि विभाग भी किसानों को इस योजना के बारे में जागरूक कर रहे हैं। श्योपुर जिले के कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट अर्पित वर्मा ने किसानों से अपील की है कि वे इन योजनाओं का लाभ उठाकर जिले को पराली मुक्त बनाने में योगदान दें।
प्रश्न : किसानों को इससे क्या फायदे मिलेंगे ?
उत्तर : खेतों की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी। पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण से बचाव होगा। आधुनिक मशीनों से समय और श्रम की बचत होगी। बुवाई और फसल उत्पादन की प्रक्रिया सरल होगी। सरकारी अनुदान से महंगी मशीनें भी सस्ती दरों पर मिल सकेंगी।
प्रश्न : किसानों को सुपर सीडर पर कितना अनुदान मिल रहा है ?
उत्तर : सुपर सीडर पर 1.20 लाख रुपये की सब्सिडी मिलेगी, जिससे इसकी कीमत घटकर मात्र 1.33 लाख रह जाएगी।
प्रश्न : किसानों को सुपर सीडर पर अनुदान देने का क्या उद्देश्य है ?
उत्तर : पराली प्रबंधन के उद्देश्य से किसानों को महंगे कृषि यंत्रों की खरीद पर बड़ी राहत दी जा रही है।
केंद्र सरकार ने कृषि और डेयरी सेक्टर में बड़े जीएसटी सुधार किए हैं, जिन्हें कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐतिहासिक और क्रांतिकारी बताया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में लिए गए इस फैसले से खेती-किसानी, पशुपालन और डेयरी क्षेत्र में सीधा फायदा होगा। किसानों और डेयरी उत्पादकों ने भी इस फैसले पर खुशी जताई है।
ट्रैक्टर और उनके पार्ट्स और कृषि उपकरणों पर जीएसटी कम कर दिया गया है। 1800 सीसी से कम इंजन वाले ट्रैक्टर पर अब केवल 5% जीएसटी लगेगा। ट्रैक्टर के टायर, ट्यूब, हाइड्रोलिक पंप और अन्य पार्ट्स पर टैक्स 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है।
उदाहरण के तौर पर, 35 एचपी का ट्रैक्टर जो पहले ₹6,50,000 में मिलता था, अब ₹6,09,000 में मिलेगा। यानी किसान को ₹41,000 की बचत होगी। वहीं 75 एचपी ट्रैक्टर पर किसानों को ₹63,000 तक की बचत होगी।
अमोनिया, सल्फ्यूरिक एसिड और नाइट्रिक एसिड पर जीएसटी 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है।इससे उर्वरकों की कीमत घटेगी और किसानों की लागत कम होगी। इसके अलावा 12 बायो-पेस्टीसाइड्स और कई माइक्रोन्यूट्रिएंट्स पर टैक्स 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा और मिट्टी की गुणवत्ता सुधरेगी।
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फलों, सब्जियों, मेवों और उनके प्रोसेस्ड उत्पादों पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% किया गया है। इससे किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे, कोल्ड स्टोरेज की मांग बढ़ेगी और फूड प्रोसेसिंग सेक्टर को मजबूती मिलेगी।
दूध और पनीर पर अब जीएसटी शून्य हो गया है। मक्खन और घी पर टैक्स 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। दूध रखने के लिए इस्तेमाल होने वाले स्टील और एल्युमिनियम के डिब्बों पर भी टैक्स 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। इससे डेयरी किसानों को सीधा लाभ होगा।
सरकार ने कई महत्वपूर्ण कृषि उपकरणों और मशीनों पर जीएसटी की दरों में बड़ी कटौती की है। पहले जो उपकरण महंगे लगते थे, अब वे काफी सस्ते हो गए हैं। आइए जानते हैं, किन चीजों पर कितना टैक्स कम किया गया है।
मान लीजिए, एक ट्रैक्टर की कीमत ₹6.25 लाख है। पहले 12% जीएसटी लगता था यानी ₹75,000 का टैक्स। अब सिर्फ 5% यानी ₹31,250 देना होगा। यानी किसान को ₹43,750 की सीधी बचत होगी। इसी तरह अन्य उपकरणों पर भी हजारों रुपये की बचत होगी।
प्रश्न : जीएसटी की दर में कटौती के बाद अब ट्रैक्टर पर कितनी छूट मिलेगी ?
उत्तर : बतादें, कि 1800 सीसी से कम इंजन वाले ट्रैक्टर पर अब केवल 5% जीएसटी लगेगा। ट्रैक्टर के टायर, ट्यूब, हाइड्रोलिक पंप और अन्य पार्ट्स पर टैक्स 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है।
प्रश्न : जीएसटी कम होने से अब ट्रैक्टर की खरीद पर कितने रुपये की बचत होगी ?
उत्तर : किसान को ₹6.25 लाख रूपये के ट्रैक्टर की खरीद पर लगभग ₹43,750 की सीधी बचत होगी।
प्रश्न : क्या जीएसटी में कटौती के बाद ट्रैक्टर्स की बिक्री बढ़ेगी ?
उत्तर : हाँ, बिल्कुल जीएसटी में कटौती के बाद ट्रैक्टर्स की बिक्री में उछाल देखने को मिलेगा।
पीएम किसान योजना की 21वीं किस्त का इंतजार किसानों को दिवाली और छठ से पहले है। अब तक 20 किस्तों में करोड़ों किसानों को 2,000 रुपये मिल चुके हैं। चुनाव और त्योहारों को देखते हुए संभावना है कि सरकार अक्टूबर 2025 में अगली किस्त किसानों के खातों में भेज सकती है।
भारतभर के किसानों के लिए सबसे बड़ी खुशखबरी पीएम किसान योजना (PM-KISAN) से जुड़ी हो सकती है। हर साल इस योजना के तहत किसानों के खाते में ₹6000 तीन किस्तों में सीधे ट्रांसफर किए जाते हैं।
अब तक 20 किस्तें जारी की जा चुकी हैं और लाखों किसान इससे लाभान्वित हो चुके हैं। आखिरी यानी 20वीं किस्त 2 अगस्त 2025 को जारी हुई थी, जिससे 9.71 करोड़ से ज्यादा किसानों को ₹2000 की राशि मिली है।
अब किसानों को 21वीं किस्त का इंतजार है। दिवाली और छठ जैसे बड़े त्योहार सामने हैं और बिहार में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि अगली किस्त समय से किसानों के खातों में पहुंच सकती है।
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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-KISAN) की घोषणा फरवरी 2019 में हुई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक सहायता देना है। इसके तहत भूमि रखने वाले किसानों के आधार से जुड़े बैंक खातों में हर साल ₹6000 की राशि तीन बराबर किस्तों में दी जाती है।
इस तरह किसानों को हर चार महीने में ₹2000 का सहारा मिलता है। यह राशि सीधे बैंक खाते में डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के जरिए भेजी जाती है, जिससे किसी भी तरह की बिचौलागिरी या भ्रष्टाचार की संभावना नहीं रहती।
पिछले छह सालों में यह योजना किसानों के लिए राहत का बड़ा जरिया बनी है। अब तक कुल 20 किस्तें जारी हो चुकी हैं और करोड़ों किसानों को इसका फायदा मिला है।
2019 में पहली बार इस योजना की शुरुआत के बाद से ही किसानों को नियमित अंतराल पर किस्त मिलती रही है। शुरुआती सालों में कुछ दिक्कतें जैसे आधार सीडिंग और बैंक खाता लिंकिंग की वजह से देरी हुई, लेकिन अब प्रक्रिया सरल और सुगम हो चुकी है। 2025 तक आते-आते लगभग 10 करोड़ किसानों को इसका लाभ लगातार मिल रहा है।
इस साल अक्टूबर-नवंबर 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में आचार संहिता लागू होने से पहले केंद्र सरकार किसानों को राहत देने के लिए 21वीं किस्त जारी कर सकती है।
बिहार में करीब 75.81 लाख किसान इस योजना के लाभार्थी हैं। अकेले पिछली किस्त (20वीं किस्त) में ही बिहार के किसानों को बड़ी संख्या में लाभ हुआ।
30 सितंबर को चुनाव आयोग बिहार की वोटर लिस्ट जारी करेगा और उसके बाद कभी भी चुनावी तारीखों का ऐलान हो सकता है।
चुनाव की घोषणा के बाद आचार संहिता लागू हो जाएगी, और तब किसी तरह की नई घोषणा नहीं हो पाएगी। इसी वजह से माना जा रहा है कि दिवाली (20 अक्टूबर) और छठ महापर्व से पहले ही किसानों को यह किस्त मिल सकती है।
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भारत में त्योहारों का समय खासकर किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस बार दिवाली 20 अक्टूबर को है और छठ पर्व उसके तुरंत बाद मनाया जाएगा। ऐसे मौके पर सरकार किसानों को आर्थिक सहायता देकर उन्हें बड़ी राहत दे सकती है।
पिछली किस्त यानी 20वीं किस्त में 9.71 करोड़ किसानों को ₹2000 की राशि मिली थी। इस बार भी संख्या लगभग इतनी ही रहने की संभावना है।
केंद्र सरकार ने अब आधार और बैंक अकाउंट लिंकिंग को अनिवार्य कर दिया है। कुछ किसान तकनीकी कारणों से बाहर हो सकते हैं, लेकिन कुल लाभार्थियों की संख्या 9.5 से 9.8 करोड़ के बीच रहेगी। बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में किसानों की संख्या सबसे ज्यादा है।
प्रश्न : पीएम किसान सम्मान निधि की 21 वीं किस्त कब जारी हो सकती है ?
उत्तर : सरकार किसानों को दिवाली से पहले पीएम किसान की 21वीं किस्त ट्रांसफर कर सकती है।
प्रश्न : पीएम किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत कब हुई थी।
उत्तर : भारत सरकार ने 2019 में पीएम किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की थी।
प्रश्न : पीएम किसान सम्मान निधि में कितनी आर्थिक मदद मिलती है ?
उत्तर : पीएम किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को वार्षिक 6 हजार रूपये की मदद मिलती है।
पशुपालन विभाग ने “सेक्स सॉर्टेड सीमेन तकनीक” शुरू की है, जिससे कृत्रिम गर्भाधान में 90% तक बछिया पैदा होगी। मात्र ₹100 में मिलने वाली इस सेवा से किसान उन्नत नस्ल की गाय-भैंस पाल सकेंगे। इससे दूध उत्पादन बढ़ेगा और किसानों की आय 3-5 साल में कई गुना तक बढ़ सकती है।
पशुपालन और डेयरी विभाग ने किसानों की आय बढ़ाने और दूध उत्पादन में सुधार करने के लिए एक नई तकनीक की शुरुआत की है, जिसे “सेक्स सॉर्टेड सीमेन तकनीक” कहा जाता है। इस तकनीक से कृत्रिम गर्भाधान के दौरान लगभग 90% मादा यानी बछिया पैदा होती हैं।
आमतौर पर सामान्य गर्भाधान से 50-50 प्रतिशत नर और मादा बच्चे होते हैं, लेकिन इस तकनीक से बछिया पैदा होने की संभावना कहीं ज्यादा है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है, कि किसान उन्नत नस्ल की गाय पाल सकते हैं, जो ज्यादा दूध देती हैं।
इससे दूध उत्पादन में इजाफा और किसानों की आमदनी तीन से पांच वर्ष में कई गुना तक बढ़ सकती है। खास बात यह है, कि इस तकनीक का खर्च बहुत कम है।
मात्र ₹100 में किसान इसका लाभ उठा सकते हैं। यही कारण है कि यह तकनीक किसानों के लिए बहुत फायदेमंद और आसान साबित हो रही है।
यह तकनीक असल में कृत्रिम गर्भाधान का एक आधुनिक तरीका है। इसमें सीमेन (वीर्य) को इस तरह से तैयार किया जाता है कि उससे पैदा होने वाली संतान में लगभग 90% संभावना मादा यानी बछिया की होती है। इससे किसान अधिक दूध देने वाली गायें-भैंसें पाल सकते हैं।
आजकल कृषि में नर बछड़े का उपयोग कम होता है और यह अक्सर किसानों पर बोझ बन जाते हैं, इसलिए यह तकनीक किसानों की असली समस्या का समाधान है।
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किसान अपनी गाय-भैंस के हीट में आने पर नजदीकी पशु चिकित्सालय, पशु औषधालय, पशु उपकेंद्र या पशु चिकित्सक से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा, मोबाइल वेटरनरी यूनिट “पशुधन संजीवनी 1962” पर कॉल करके घर पर भी सेवा मंगाई जा सकती है।
ग्राम पंचायतों में प्रशिक्षित गौ-सेवक, मैत्री कार्यकर्ता और कृत्रिम गर्भाधान करने वाले निजी डॉक्टर भी यह सुविधा किसानों तक पहुंचा रहे हैं।
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जब पशु हीट में आता है, तो उसे बांधकर रखना चाहिए। अगर सुबह हीट आती है, तो शाम को गर्भाधान कराना चाहिए। अगर रात में हीट आती है, तो अगले दिन सुबह से दोपहर तक गर्भाधान करवाना आवश्यक है।
समय पर गर्भाधान कराने से तकनीक का अधिकतम लाभ मिलता है और बछिया पैदा होने की संभावना और ज्यादा बढ़ जाती है।
पहले की सामान्य तकनीक से उत्पन्न हुए नर बछड़े किसानों के लिए ज्यादा उपयोगी नहीं होते थे और अक्सर बोझ साबित होते थे। दूसरी तरफ बछिया पालने से दूध उत्पादन में बढ़ोतरी और किसानों को नियमित आय मिलती है।
इस तकनीक से ना सिर्फ किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी बल्कि देश में दूध उत्पादन भी काफी बड़े पैमाने पर बढ़ेगा।
प्रश्न : सेक्स शॉटेड सीमन तकनीक से किसानों को क्या फायदा होता है ?
उत्तर : पशुपालन और डेयरी विभाग ने किसानों की आय बढ़ाने और दूध उत्पादन में सुधार करने के लिए एक नई तकनीक की शुरुआत की है, जिसे “सेक्स सॉर्टेड सीमेन तकनीक” कहा जाता है। इस तकनीक से कृत्रिम गर्भाधान के दौरान लगभग 90% मादा यानी बछिया पैदा होती हैं।
प्रश्न : किसानों को सेक्स शॉटेड सीमन तकनीक की सेवा कितने रूपये में मिलेगी ?
उत्तर : सेक्स शॉटेड सीमन की सेवा आपको मात्र ₹100 में मिलेगी, जिससे किसान उन्नत नस्ल की गाय-भैंस पाल सकेंगे।
प्रश्न : सेक्स शॉटेड सीमन तकनीक क्यों जरूरी है ?
उत्तर : पहले की सामान्य तकनीक से उत्पन्न हुए नर बछड़े किसानों के लिए ज्यादा उपयोगी नहीं होते थे और अक्सर बोझ साबित होते थे। दूसरी तरफ बछिया पालने से दूध उत्पादन में बढ़ोतरी और किसानों को नियमित आय मिलती है।
पंजाब में बाढ़ का कहर लगातार जारी है। अब तक 43 लोगों की जान जा चुकी है और तीन लोग लापता हैं। राज्य के सभी 23 जिले बाढ़ की चपेट में हैं, जिससे 1948 गांव प्रभावित हुए हैं।
करीब 3,84,000 लोग इस आपदा से प्रभावित हुए हैं, जिनमें से 21,929 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। खेती को सबसे बड़ा नुकसान हुआ है, जहां 1,72,000 हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई है। राज्य की बासमती फसल को भारी क्षति पहुंची है, और अनुमानित नुकसान लगभग ₹600 करोड़ का है।
पंजाब बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए गायक-अभिनेता दिलजीत दोसांझ ने गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर गुरदासपुर और अमृतसर के 10 गांवों को गोद लिया है, जहां उनकी टीम भोजन, पानी और चिकित्सा के लिए मदद पहुंचा रही है।
मंकीरत औलख के बारे में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, उन्होंने पंजाब बाढ़ पीड़ितों के लिए कोई विशेष सहायता नहीं की है, जबकि पंजाब के बहुत सारे अन्य कलाकारों ने भी राहत कार्यों में बढ़चढ़कर योगदान दिया है।
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दिलजीत दोसांझ ने पंजाब के गुरदासपुर और अमृतसर जिलों के 10 सबसे बुरी तरह प्रभावित गांवों को गोद लिया है। भोजन, पानी और चिकित्सा सहायता की टीम इन गांवों के बाढ़ पीड़ितों तक भोजन, पानी और चिकित्सा से जुड़ी आवश्यक चीजें पहुंचाने के लिए गैर-सरकारी संगठनों और स्थानीय प्रशासन के साथ कार्य कर रही है।
दिलजीत दोसांझ पीड़ितों के पुनर्वास और दीर्घकालिक पुनर्निर्माण के लिए भी योजना बना रहे हैं। उन्होंने एक भावुक वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने पीड़ितों के साथ खड़े होने का वादा किया है और उन्हें जल्द ही पटरी पर लौटने का भरोसा दिलाया है।
मंकीरत औलख ने सितंबर 2025 में पंजाब में आई बाढ़ के बाद किसानों सहित बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए ₹5 करोड़ और 100 ट्रैक्टर दान किए हैं।
उन्होंने खुद भी बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की है और राहत प्रयासों में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया है, जिसमें राहत सामग्री पहुंचाना भी शम्मिलित है। उनका यह कदम बाढ़ से प्रभावित किसानों और परिवारों के लिए काफी बड़ी मदद है।
मंकीरत औलख ने पंजाब में बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए ₹5 करोड़ का योगदान दिया है। किसानों को खेती और अन्य कार्यों के लिए 100 ट्रैक्टर दान करने की भी घोषणा की है।
राहत कार्यों में सक्रिय भागीदारी के तहत मंकीरत खुद बाढ़ प्रभावित इलाकों में गए हैं और खालसा एड जैसे संगठनों के साथ मिलकर जरूरतमंदों तक राहत सामग्री पहुँचाने में मदद की है।
मंकीरत औलख ने बाढ़ पीड़ितों के लिए नए घर बनाने की बात भी कही है, जो उनके बड़े दिल को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि पंजाब और वहां रहने वाला हर व्यक्ति उनका परिवार है और वह एक पंजाबी बेटे के तौर पर अपने परिवार के साथ खड़े हैं।
एक्ट्रेस सोनम बाजवा ने इंस्टाग्राम पर लिखा कि वह बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए हर संभव कोशिश कर रही हैं। उन्होंने लिखा कि इस मुश्किल घड़ी में, मैं पंजाब और बाढ़ से प्रभावित सभी लोगों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं।
उन्होंने लिखा... वहां से आ रही तस्वीरें और कहानियां वाकई दिल दहला देने वाली हैं, लेकिन जो चीज मुझे उम्मीद देती है, वह है पंजाब की हमेशा दिखाई गई एकता और दृढ़ता की भावना।
मैं जमीनी स्तर पर बचाव दल के रूप में सक्रिय रूप से काम कर रहे संगठनों को दान देकर अपनी ओर से मदद कर रही हूं, और मैं आपसे भी विनम्रतापूर्वक आग्रह करती हूं कि आप भी अपना योगदान दें।
हर योगदान, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो, किसी के जीवन में इस समय बड़ा बदलाव ला सकता है। आइए, इस मुश्किल घड़ी में एकजुट होकर पंजाब के साथ खड़े हों। - एक्ट्रेस सोनम बाजवा
इस मुश्किल समय में कई अन्य कलाकारों ने भी मदद का हाथ बढ़ाया है। इनमें एमी विर्क ने 200 घरों को गोद लिया, गुरु रंधावा ने राशन और पानी बांटा और सोनू सूद का हर संभव मदद का ऐलान शामिल हैं।
प्रश्न : पंजाब राज्य में कितने हैक्टेयर जमीन बाढ़ से प्रभावित हुई है ?
उत्तर : पंजाब में बाढ़ के कहर से खेती को सबसे बड़ा नुकसान हुआ है, जहां 1,72,000 हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई है। राज्य की बासमती फसल को भारी क्षति पहुंची है और अनुमानित नुकसान लगभग ₹600 करोड़ का है।
प्रश्न : दिलजीत दोसांझ ने पंजाब में बाढ़ पीड़ित किसानों की मदद के लिए क्या किया है ?
उत्तर : दिलजीत दोसांझ ने पंजाब के गुरदासपुर और अमृतसर जिलों के 10 सबसे बुरी तरह प्रभावित गांवों को गोद लिया है।
प्रश्न : मंकीरत औलख ने पंजाब में बाढ़ पीड़ित किसानों की मदद के लिए क्या किया है ?
उत्तर : मंकीरत औलख ने पंजाब में बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए ₹5 करोड़ का योगदान दिया है। किसानों को खेती और अन्य कार्यों के लिए 100 ट्रैक्टर दान करने की भी घोषणा की है।
वीएसटी टिलर ट्रैक्टर्स लिमिटेड ने अगस्त 2025 के लिए अपनी बिक्री रिपोर्ट जारी कर दी है। कंपनी ने कुल 4,499 इकाइयों की बिक्री दर्ज की, जो अगस्त 2024 में बेची गई 4,416 इकाइयों की तुलना में 1.88% की वृद्धि दर्शाती है।
पावर टिलर सेगमेंट में, अगस्त 2025 में बिक्री 4,100 इकाइयों की रही, जो पिछले वर्ष इसी महीने की 4,022 इकाइयों से 1.94% अधिक है। ट्रैक्टरों की बिक्री 399 इकाई रही, जो अगस्त 2024 में बेची गई 394 इकाइयों की तुलना में 1.27% अधिक है।
वित्त वर्ष 2026 (अप्रैल-अगस्त 2025) के पहले पाँच महीनों में, वीएसटी ने कुल 23,925 इकाइयों की बिक्री हासिल की, जो वित्त वर्ष 2025 की इसी अवधि में बेची गई 17,341 इकाइयों की तुलना में 37.97% की मजबूत वृद्धि दर्ज करती है।
पावर टिलर की बिक्री वृद्धि का प्रमुख कारण रही, जो अप्रैल-अगस्त 2025 में 21,827 इकाइयों तक पहुँच गई, जो पिछले वर्ष की 15,215 इकाइयों की तुलना में 43.46% की तीव्र वृद्धि है। हालाँकि, ट्रैक्टरों की बिक्री में 1.32% की मामूली गिरावट आई, जो वित्त वर्ष 2025 में 2,126 इकाइयों की तुलना में 2,098 इकाइयों की रही।
1 सितंबर, 2025 को, भारत में पावर टिलर और कॉम्पैक्ट ट्रैक्टरों की अग्रणी निर्माता कंपनी वीएसटी टिलर्स ट्रैक्टर्स लिमिटेड ने अगस्त 2025 में 4,499 इकाइयों की बिक्री की घोषणा की, जो पिछले वर्ष इसी महीने में बेची गई 4,416 इकाइयों से थोड़ी अधिक है।
पावर टिलर की बिक्री 4,100 इकाई रही, जबकि अगस्त 2024 में यह 4,022 इकाई थी, जबकि ट्रैक्टरों की बिक्री 399 इकाई दर्ज की गई, जो पिछले वर्ष की 394 इकाई से मामूली अधिक है।
अप्रैल-अगस्त 2025 की अवधि के लिए, कंपनी ने 23,925 इकाइयों की संचयी बिक्री दर्ज की, जो वित्त वर्ष 2025 की इसी अवधि में 17,341 इकाइयों की तुलना में 38% अधिक है। इसमें 21,827 पावर टिलर और 2,098 ट्रैक्टर शामिल हैं, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 15,215 पावर टिलर और 2,126 ट्रैक्टर बेचे गए थे।
प्रश्न : वीएसटी ने अगस्त 2025 में कुल कितने ट्रैक्टर्स की बिक्री की है ?
उत्तर : वीएसटी कंपनी ने कुल 4,499 इकाइयों की बिक्री दर्ज की, जो अगस्त 2024 में बेची गई 4,416 इकाइयों की तुलना में 1.88% की वृद्धि दर्शाती है।
प्रश्न : वीएसटी ने अगस्त 2025 में कुल कितने पावर टिलर की बिक्री दर्ज की है ?
उत्तर : वीएसटी ने अगस्त 2025 में कुल 4,100 इकाई पावर टिलर की बिक्री दर्ज की है।
प्रश्न : वीएसटी को आगामी बिक्री को लेकर क्या उम्मीद है ?
उत्तर : कंपनी को उम्मीद है, कि अनुकूल कृषि परिस्थितियों और बेहतर ग्रामीण माहौल के कारण मांग स्थिर रहेगी तथा त्योहारी सीजन के दौरान मजबूत वृद्धि की उम्मीद है।
भारत के अलग अलग राज्यों में भारी बारिश की वजह से बाढ़ जैसे हालात बन चुके हैं। भारी बारिश की वजह से किसानों को काफी ज्यादा हानि का सामना करना पड़ रहा है।
किसानों की लाखों हैक्टेयर में खड़ी फसलें चौपट हो गई हैं। बाढ़ की चपेट में आने से कई कृषि प्रधान राज्यों में काफी ज्यादा नुकसान देखने को मिला है।
भारत के अंदर काफी बड़े पैमाने पर लोग खेती के साथ साथ बड़े पैमाने पर पशुपालन करते हैं। बहुत लोग केवल कृषि या फिर केवल पशुपालन पर आश्रित होते हैं।
बाढ़ के चलते कृषि के साथ साथ पशुओं की भी काफी बड़े पैमाने पर हानि हुई है। ऐसे में किसानों को काफी ज्यादा नुकसान से गुजरना पड़ रहा है।
इस संकट से किसानों की चिंता बढ़ गई है, लेकिन राहत की बात यह है, कि केंद्र और राज्य सरकारें किसानों को तत्काल मुआवजा देने के लिए सक्रिय हो गई हैं।
अधिकारियों ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर हालात की समीक्षा की है और किसानों को हर संभव सहायता का भरोसा दिलाया है।
महाराष्ट्र में हुई मूसलाधार बारिश ने किसानों की कमर तोड़कर रखदी है। महाराष्ट्र के कृषि मंत्री के अनुसार, अगस्त के मध्य से अब तक 29 जिलों में 14.44 लाख हेक्टेयर फसलें जलमग्न होकर बर्बाद हो चुकी हैं।
191 तहसीलों में रिकॉर्ड बारिश दर्ज हुई, जिससे 654 राजस्व मंडलों की खरीफ फसलें प्रभावित हुईं। सबसे ज्यादा नुकसान 15 से 20 अगस्त के बीच हुआ, जब मानसून अपनी चरम सीमा पर था।
इस दौरान नांदेड़ (6.20 लाख हेक्टेयर), वाशिम और यवतमाल (1.64-1.64 लाख हेक्टेयर), धाराशिव (1.50 लाख हेक्टेयर), बुलढाणा, सोलापुर, अकोला और हिंगोली जिलों में व्यापक नुकसान देखने को मिला है।
इससे सोयाबीन, कपास, मक्का, उड़द, मूंग, तुअर, बाजरा, गन्ना, सब्जियां, फल, प्याज, ज्वार और हल्दी की फसलों को हानि हुई है।
इधर राज्य सरकार ने पंचनामा की प्रक्रिया को तेज कर दिया है और वादा किया है कि एक भी किसान को मुआवजे से वंचित नहीं रखा जाएगा। मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और कृषि मंत्री की निगरानी में यह राहत प्रक्रिया जारी है।
पंजाब के अमृतसर, कपूरथला और गुरदासपुर जिलों में बाढ़ से काफी व्यापक तौर पर तबाही हुई है। केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा कर किसानों से संवाद किया और जलभराव से हुई फसल बर्बादी का जायजा लिया है। उन्होंने कहा कि रावी नदी के पानी से तकरीबन 1,400 गांव प्रभावित हैं और फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “यह संकट भयानक है, अगली फसल पर भी खतरा मंडरा रहा है, लेकिन केंद्र सरकार पंजाब के किसानों के साथ खड़ी है।”
प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर केंद्र सरकार ने दो उच्चस्तरीय टीमें पंजाब भेजी हैं, जो स्थिति का आकलन कर जल्द रिपोर्ट सौंपेंगी। कृषि मंत्री चौहान ने कहा कि पंजाब हमेशा देश के लिए ढाल रहा है और इस बार देश उसके साथ है।
उत्तर प्रदेश में भी बाढ़ के सबसे ज्यादा गंभीर हालात हैं। राज्य के 43 जनपद बाढ़ से प्रभावित रहे हैं, जिनमें गोरखपुर, प्रयागराज, बलिया, कानपुर, लखीमपुर खीरी, मऊ, वाराणसी समेत कई जिलों में फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि फसल बीमा योजना का लाभ प्रभावित किसानों को तत्काल दिया जाए।
उन्होंने अफवाह फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं, ताकि जनता को सही और समय पर जानकारी मिल सके।
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने सभी संबंधित विभागों को निर्देशित किया है, कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में संयुक्त टीमों द्वारा त्वरित सर्वेक्षण किया जाए और मुआवजे की प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाए।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि रबी फसलों के बीज (गेहूं, चना, मसूर, सरसों आदि) 25 अक्टूबर तक सभी सरकारी भंडारों में किसानों को उपलब्ध कराए जाएं। खास तौर से दलहन और तिलहन की उत्पादकता बढ़ाने के लिए अधिकारियों को गंभीर प्रयास करने के निर्देश दिए गए हैं।
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भारत के कृषि क्षेत्र को इस साल मानसून की मार ने एक बार फिर संकट में डाल दिया है। महाराष्ट्र, पंजाब और यूपी में लाखों किसान बाढ़ और बारिश से बर्बाद फसलों की चिंता में हैं।
हालांकि, सरकारें मुआवजे और बीमा लाभ देने के लिए तत्पर हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर राहत पहुंचाने के लिए तेज और पारदर्शी कार्रवाई की आवश्यकता है।
अगर राहत कार्य सही ढंग से और समय पर लागू हुए, तो यह संकट किसानों के लिए स्थायी नुकसान में न बदलकर राहत और पुनर्निर्माण का अवसर बन सकता है।
प्रश्न : महाराष्ट्र में कितने हैक्टेयर खेती बर्बाद हो चुकी है ?
उत्तर : महाराष्ट्र के कृषि मंत्री के अनुसार, अगस्त के मध्य से अब तक 29 जिलों में 14.44 लाख हेक्टेयर फसलें जलमग्न होकर बर्बाद हो चुकी हैं।
प्रश्न : उत्तर प्रदेश के कितने जिलों में फसल को भारी नुकसान हुआ है ?
उत्तर : उत्तर प्रदेश के 43 जनपद बाढ़ से प्रभावित रहे हैं, जिनमें गोरखपुर, प्रयागराज, बलिया, कानपुर, लखीमपुर खीरी, मऊ, वाराणसी समेत कई जिलों में फसलों को भारी नुकसान हुआ है।
प्रश्न : बाढ़ ने पंजाब के कितने जिलों को नुकसान पहुँचाया है ?
उत्तर : बाढ़ से पंजाब में अब तक 43 लोगों की जान जा चुकी है और तीन लोग लापता हैं। राज्य के सभी 23 जिले बाढ़ की चपेट में हैं, जिससे 1948 गांव प्रभावित हुए हैं। करीब 3,84,000 लोग इस आपदा से प्रभावित हुए हैं, जिनमें से 21,929 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में 10 से 13 अक्टूबर 2025 तक 118वां अखिल भारतीय किसान मेला और कृषि उद्योग प्रदर्शनी आयोजित होगी।
मेले में कृषि अनुसंधान, नवीनतम तकनीक, बीज, फल, सब्ज़ियां, औषधीय पौधों की बिक्री और प्रदर्शन होंगे। विशेष आकर्षणों में प्रतियोगिताएं, वैज्ञानिक संवाद और पुरस्कार वितरण शामिल हैं।
उत्तराखंड के गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर में आयोजित होने वाला प्रतिष्ठित 118वां अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी इस वर्ष 10 से 13 अक्टूबर 2025 तक आयोजित किया जाएगा।
यह निर्णय विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित किसान मेला सलाहकार समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने की।
बैठक में सर्वसम्मति से यह तय किया गया कि इस वर्ष का किसान मेला ‘स्मार्ट कृषि एवं डिजिटल क्रांति द्वारा समृद्ध किसान’ विषय पर आधारित होगा।
यह थीम देश में तेजी से बदलती कृषि तकनीकों और डिजिटल समाधान के माध्यम से किसानों की आय और जीवन स्तर को सुधारने की दिशा में उठाया गया एक सशक्त कदम है।
बैठक का संचालन समिति के सदस्य सचिव एवं निदेशक, प्रसार शिक्षा डॉ. जितेन्द्र क्वात्रा ने किया। बैठक में विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, विभिन्न निदेशकगण, संयुक्त निदेशक और कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे, जिन्होंने किसान मेले की रूपरेखा, कार्यक्रमों की योजना और कार्यान्वयन को लेकर अपने बहुमूल्य सुझाव दिए।
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कुलपति डॉ. चौहान ने विशेष रूप से इस बात पर बल दिया कि मेले में देशभर के प्रगतिशील कृषकों को आमंत्रित किया जाए ताकि उनके अनुभव, नवाचार और चुनौतियों से उबरने के तरीकों को अन्य किसान सीख सकें। इससे ज्ञान का आदान-प्रदान होगा और ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के प्रति एक नया आत्मविश्वास विकसित होगा।
पंतनगर किसान मेला केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि यह देशभर के किसानों, वैज्ञानिकों, कृषि तकनीशियनों और उद्यमियों के लिए एक साझा मंच है, जहां नवीनतम कृषि तकनीकों, कृषि यंत्रों, बीजों, उर्वरकों और डिजिटल समाधानों का प्रदर्शन किया जाता है। यहां किसानों को समस्या समाधान, प्रशिक्षण, नेटवर्किंग और नवाचारों की जानकारी एक ही स्थान पर मिलती है।
इस वर्ष, स्मार्ट कृषि, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रिमोट सेंसिंग, ड्रोन तकनीक, जैविक खेती, प्राकृतिक खेती, फसल बीमा और ई-कॉमर्स जैसे आधुनिक विषयों पर विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे। विश्वविद्यालय का यह प्रयास है कि कृषि को केवल एक पेशा न मानकर, उसे एक सशक्त उद्यम के रूप में प्रस्तुत किया जाए।
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किसान मेला 2025 न केवल कृषि क्षेत्र के लिए एक नवाचार का उत्सव होगा, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने का एक मजबूत मंच भी सिद्ध होगा।
इस बार की थीम ‘स्मार्ट कृषि एवं डिजिटल क्रांति द्वारा समृद्ध किसान’ अपने आप में एक क्रांतिकारी विचार है, जो देश के किसानों को नए युग की ओर अग्रसर करेगा।
पंतनगर विश्वविद्यालय एक बार फिर से तैयार है किसानों को ज्ञान, तकनीक और समृद्धि की ओर ले जाने के इस महायात्रा में एक मजबूत साथी बनने के लिए।
प्रश्न : पंतनगर किसान मेला का आयोजन कब और कहाँ होगा ?
उत्तर : उत्तराखंड के गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर में आयोजित होने वाला प्रतिष्ठित 118वां अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी इस वर्ष 10 से 13 अक्टूबर 2025 तक आयोजित किया जाएगा।
प्रश्न : पंतनगर किसान मेला 2025 की थीम क्या है ?
उत्तर : पंतनगर किसान मेला 2025 की थीम ‘स्मार्ट कृषि एवं डिजिटल क्रांति द्वारा समृद्ध किसान’ है।
प्रश्न : पंतनगर किसान मेला 2025 में किन प्रमुख विषयों पर चर्चा होगी ?
उत्तर : पंतनगर किसान मेला 2025 में इस वर्ष, स्मार्ट कृषि, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रिमोट सेंसिंग, ड्रोन तकनीक, जैविक खेती, प्राकृतिक खेती, फसल बीमा और ई-कॉमर्स जैसे आधुनिक विषयों पर विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे।
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां देश की लगभग 60% आबादी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाना और कृषि को लाभकारी व्यवसाय बनाना सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। इसी दिशा में जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) रिफॉर्म्स की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
जीएसटी लागू होने से पहले देश में विभिन्न स्तरों पर अनेक प्रकार के अप्रत्यक्ष कर लगते थे, जो किसानों और कृषि क्षेत्र को भी प्रभावित करते थे। जीएसटी रिफॉर्म ने टैक्स सिस्टम को सरल, पारदर्शी और एकीकृत बनाया है, जिससे किसानों को भी अप्रत्यक्ष रूप से अनेक लाभ प्राप्त हुए हैं।
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उर्वरक उत्पादन के लिए प्रमुख कच्चा माल दरों में कटौती से इंवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर (आईडीएस) में सुधार होता है। वहीं, जीएसटी में कटौती से किफायती उर्वरकों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित होगी, जिससे बुवाई के मौसम में किसानों को सीधे लाभ होगा।
उत्पादन लागत में कमी से कंपनियों को किसानों पर कीमतों में वृद्धि का बोझ डालने से बचने में मदद मिलती है, जिससे उर्वरक किफायती रहते हैं और मांग स्थिर रहती है।
12 जैव-कीटनाशक और कई माइक्रोन्यूट्रिएंट्स पर जीएसटी 12% फीसदी से घटाकर 5% फीसदी कर दिया गया है। वहीं, तैयार/संरक्षित सब्जियां, फल, मेवे पर भी 12% से घटकर 5% जीएसटी रेट होगा।
इससे कोल्ड स्टोरेज को बढ़ावा मिलेगा, नाशवान वस्तुओं की बर्बादी कम होगी, जिससे किसानों को अपनी उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा। साथ ही प्रोसेस्ड फूड आइटम्स के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और भारत की एग्री-एक्सपोर्ट हब के तौर पर स्थिति मजबूत होगी।
प्रश्न : जीएसटी रिफॉर्म के बाद अब ट्रैक्टर्स पर कितना टैक्स लगेगा ?
उत्तर : नई जीएसटी दरें लागू होने के बाद अब ट्रैक्टरों (<1800 सीसी) पर सिर्फ 5% प्रतिशत टैक्स देना होगा।
प्रश्न : जीएसटी रिफॉर्म में पशुपालकों के लिए क्या खास है ?
उत्तर : जीएसटी रिफॉर्म के बाद दूध, घी आदि डेयरी उत्पादों पर अब 5% प्रतिशत टैक्स देना होगा।
प्रश्न : जीएसटी रिफॉर्म में किसानों को सोलर एनर्जी को लेकर क्या राहत मिली है ?
उत्तर : सौर ऊर्जा वाले उपकरणों पर जीएसटी 12% से घटकर 5% हो जाएगी, जिससे ऐसे उपकरणों से सिंचाई लागत कम होगी और किसानों को फायदा होगा।
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Rameshawar Dayal Sharma
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Puneet Srivastav
Farmer